RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण के दिमाग़ ने ये सुनते ही काम करना बंद कर दिया..."क्याअ..." अरुण ने चीखते हुए मन मे सोचा..."प्रेग्नेंट.?? दिमाग़ तो ठीक है ना.??"
उसी पल उसे ये समझ मे आया कि किसी और ने उसे ऐसा करते देख लिया तो पक्का सीधे पागलख़ाने ले जाएगा..यहाँ सोफे पर बैठ कर वो अपने आप से ही लड़ रहा है वो भी किस बात पर कि उसकी बहेन को प्रेग्नेंट करना है कि नही...यस आइ आम डेफनेट्ली क्रेज़ी..
"तुम समझ नही रहे ये समझना नही चाहते. तुम्हे पता है ना कि जब तुम किसी के सेक्स करते हो तो नेक्स्ट स्टेप प्रेग्नेन्सी ही होता है..इट्स अवर ट्रडीशन ब्रो.." दिमाग़ ने फिर कहा
"हमेशा नही....!" अरुण दोबारा चीखा लेकिन इस बार उसे रियलाइज़ हुआ कि उसने मुँह से चीखा तो वो चारो तरफ देखने लगा कि कही किसी ने सुन तो नही लिया..
"ओके हियर'स दा होल प्लान. अगर तुमने उनको प्रेग्नेंट कर दिया, तो वो हमेशा तुम्हारी होकर रहेंगी..हमेशा! हमे कभी भी उन्हे किसी चूतिए को देना नही पड़ेगा..और वैसे भी सब तुमसे इतना प्यार करती हैं तो बच्चा होने के बाद ये प्यार और बढ़ जाएगा..इस तरीके से हम लोगो को कभी भी चूत की कमी नही पड़ने वाली..एक आइडिया और हमारी जिंदगी चूतो से भर जाएगी..सोच मरते दम तक चूत ही चूत.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कहा
अरुण ने एक गहरी साँस ली..."ओके, बॅक टू लिस्ट मुझे क्लियर्ली बताओ 2 नंबर क्या है लिस्ट मे.."
"यही तो नंबर 2 था. देखो 4 चूत हैं इस घर मे, इनमे से एक ना एक चूत तो हमेशा तुम्हारा लंड लेने के लिए तय्यार ही रहेगी.." दिमाग़ ने जबाब दिया
"बस..यही प्लान है??" अरुण ने पूछा
"और नही तो क्या..जब चाहो तब चूत मिले..जागो तब चूत हो...सोते टाइम चूत..और क्या चाहिए एक आदमी को...हां अगर तुम आदमी ना हो तो आइ कॅन अंडरस्टॅंड." दिमाग़ ने अरुण पर व्यंग किया
"मुझे कभी तुमसे डिस्कशन स्टार्ट ही नही करना चाहिए था.." अरुण ने अपने सिर पर रिमोट मारते हुए कहा..
"वेल, ये तो हो नही सकता ना..वी आर इनसेपरबल.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने हंस कर कहा
अरुण गुस्से मे अपना चेहरा नोचने लगा..उसने सोचा था कि वो इस आवाज़ को कंट्रोल कर सकता है..लेकिन कैसे..आइडिया.."एक शर्त लगाओगे??" अरुण ने एक शातिर मुस्कान के साथ कहा..
"शर्त?? कैसी शर्त??" दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"यही कि ये जो तुम मुझसे हर वक़्त करने को कहते रहते हो..मैं तुम्हारे बात को सुनकर भी इग्नोर कर सकता हूँ.."
"हाआहहहहहहा,,,एक सेकेंड..हाहहहहहहा" अरुण के दिमाग़ ने हंसते हुए कहा
"आइ'म सीरीयस.." अरुण ने कहा तो आवाज़ और तेज़ी से हँसने लगी.
"आइ नो..तुम सीरीयस हो...इसलिए तो और ज़्यादा हँसी आ रही है.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"मेरे कहने का मतलब है कि मैं तुम्हारी बात को रेज़िस्ट कर सकता हूँ." अरुण ने मन में जबाब दिया
"ठीक है..लग गयी शर्त. तो कितने दिन तक तुम खुद को रोकोगे?? तुम समझ रहे हो ना कि रोकने का मतलब है तुम्हे सब से सेक्स करना बंद करना होगा??" दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कहा
"हां हां.." अरुण बोला तो लेकिन थोड़ा जोश कम हो गया था. अभी तक उसने ये नही सोचा था कि रेज़िस्ट करने का मतलब था सेक्स ना करना..उसने अपना सिर हिलाया और अपने इरादे को मजबूत किया..
"डील. मैं तुम्हारी जो भी बातें होगी उन्हे रेज़िस्ट करने वाला हूँ...2 वीक्स यानी 14 दिन तक. मुझे ये करना ही होगा..अगर इसके चक्कर मे कोई गड़बड़ होती है तो हो जाए लेकिन मैं शर्त जीतकर ही रहूँगा.." अरुण नेदिमाग़ की आवाज़ को जबाब दिया
"ओके अगर तुम हार गये तो मुझे क्या मिलेगा??" दिमाग़ ने फिर अरुण से पूछा
अब अरुण सोच मे पड़ गया. एक तो खुद के मन की आवाज़ से शर्त लगा रहा था..ये कैसे पासिबल है..लेकिन फिर भी..
अरुण को एक ही रास्ता नज़र आ रहा था..
"अगर मैं हार गया, तो एक दिन के लिए..ध्यान रखना सिर्फ़ एक दिन के लिए मैं तुम्हारा गुलाम बन जाउन्गा. जो तुम कहोगे चाहो कितना भी अजीब काम हो मैं करने को तय्यार हूँ...लेकिन अगर, अगर मैं हारा तो."
"जब तुम हार गये, तुम्हारे कहने का मतलब है." दिमाग़ ने कहा
अरुण ने उस लाइन पर ध्यान नही दिया. वो सोचने लगा..क्या वो ये कर पाएगा..करना ही होगा..उसे खुद को तो कम से कम प्रूव ही करना था.
"बाइ दा वे, लड़कियाँ काफ़ी खुश होने वाली है ये डिसिशन सुन कर..हाहहाहा.." दिमाग़ ने चटखारा लेते हुए कहा
"ओह फक.." अरुण ने अपना सिर पकड़ लिया. ये तो उसने सोचा ही नही था. उनको जब पता चलेगा कि उसने सेक्स ना करने का डिसिशन लिया है तो वो क्या करेंगी. और ये तो बता नही सकता कि उसने अपने मन से ही ये शर्त लगाई है..
"आइ थिंक मैं पागल हो रहा हूँ."
"ना. पागल नही हो यार..." दिमाग़ ने कहा
"मैं अपने ही सिर मे एक आवाज़ से बात करता हूँ, उससे लड़ता हूँ, यहाँ तक उस से शर्त तक लगाता हूँ. ये किस नॉर्मल इंसान के ट्रेट्स हैं. ज़रा बताना मुझे.."
"ओके, अगर इस तरीके से देखा जाए तो.." दिमाग़ ने जबाब दिया
अरुण ने आगे उसकी बात नही सुनी और ये सोचने लगा कि ये बात वो सबको कैसे बताएगा और ख़ासकर आरोही को. वो तो कल रात से जाने क्या क्या सोचे बैठी होगी..और सोनिया..उसे क्या कहेगा..उसके इस डिसिशन से अगर वो वापस पहले वाली सोनिया बन गयी तो..हुहह..
जितना ज़्यादा वो इस चीज़ के बारे मे सोच रहा था उतना ही ज़्यादा पछता रहा था कि ये चूतिया सी शर्त आख़िर उसने लगाई ही क्यूँ.. और अगर कही वो हार गया तो पता नही ये आवाज़ उस से क्या क्या करवाएगी. पता चले वो सड़क पर नंगा घूम रहा हो और आती जाती लड़कियों को छेड़ रहा हो..ओह शिट..
अरुण ने अपना सिर हिलाकर कुछ सोचा..थोड़ी देर के लिए बाहर चला जाए..उसने सोचा..ना घर मे रहेगा ना सब पर नज़र पड़ेगी ना कुछ होगा..
वो जाने के लिए उठा ही था कि सुप्रिया के रूम का दरवाजा खुलता है और सुप्रिया बाहर आती है..उसे देख कर अरुण फिर पछताने लगता है..सुप्रिया ने सिर्फ़ एक डीप नेक टीशर्ट और पैंटी पहनी हुई है..
वो मटकती हुई सोफे के पास आई और अरुण के पास चिपक गयी और उसके मुँह को अपने पास खींच कर किस करने लगी..
लेकिन अरुण ने अपना चेहरा घुमा लिया तो उसके होठ अरुण के गाल से टकरा गये..
सुप्रिया की थयोरी चढ़ गयी.."कुछ गड़बड़ है क्या.." उसने अरुण का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उस पर साँस छोड़कर पूछा.."मॉर्निंग ब्रीथ??"
"ना..थोड़ा कॉंप्लिकेटेड है.." अरुण ने उसे गले लगा के कहा शायद इस से वो अपनी बात ढंग से कह पाए..
"ममममईए...ए.ए.ए.ए."
अरुण ने गहरी साँस ली. आने वाले दो साप्ताह बहुत भारी पड़ने वाले हैं.
"दी..मुझे लगता है हम लोगो को अब सेक्स नही करना चाहिए.." अरुण ने सीधे सीधे लफ़ज़ो मे सुप्रिया से कह दिया लेकिन तुरंत ही पछताने लगा कि इस तरीके से नही कहना चाहिए था.
"तू पिटेगा..पक्का" अरुण के दिमाग़ ने कहा
सुप्रिया ने उसकी बात सुनी तो एक दम से उसे गले से हटाया और उसकी तरफ बड़े अजीब तरीके से देखने लगी. दोनो के बीच मे एक खामोसी छा गयी.
"व्हाई? क्यू?..4 मे से 3 लड़कियाँ तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हैं और तुम मना कर रहे हो. 90 पर्सेंट लोग किसी का खून भी कर देंगे इसे पाने के लिए...लिटरली.." सुप्रिया ने कहा
"इसमे भी दिमाग़ है..बस तुझमे नही है.." दिमाग़ ने कहा
"दी..." अरुण बोलने लगा..
"यॅ, मैं समझ गयी रात मे जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ सिंपती के कारण हुआ. अब तो तुम्हारे पास आरोही और सोनिया है ना.." सुप्रिया ने दर्द से भरे एक्सप्रेशन के साथ कहा..
"नूओ" अरुण तेज़ी से बोल पड़ा.."दी, फिरसे वही बात. मैं पहले ही कह चुका आप सब मेरे लिए बराबर हो. आइ लव यू ऑल, ईक्वली. आइ जस्ट..मैं..कैसे बताऊ.." अरुण अपने दिमाग़ मे सही वर्ड्स को ढूढ़ने लगा जिससे वो सुप्रिया को समझा सके..
"देखा चूत ना मिलने पर क्या हो जाता है तुझे.." दिमाग़ ने फिर चुटकी ली
सुप्रिया भी चुपचाप उसे देखती रही..लेकिन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन वही रहे..
"ये सब मेरे साथ इतनी जल्दी हो गया है कि मेरा दिमाग़ डाइजेस्ट नही कर पा रहा. अभी 15 दिन पहले मैं सिंपल सा लड़का था जिसने आज तक रिलिटी मे कभी किसी लड़की के साथ किस से आगे नही बढ़ा. और आज 3 3 लड़कियाँ और वो भी मेरी बहनें मेरे साथ सेक्स करने को तय्यार हैं और उन मे से 2 के साथ मैं कर भी चुका हूँ...मैं ये नही कह रहा, कि मुझे ख़ुसी नही बट..मैं थोड़ा डर भी गया हूँ.."
"डर?" सुप्रिया ने अब थोड़ा प्यार से पूछा.."कैसा डर? तुम्हे वो सब कुछ मिल रहा है जो दुनिया मे ज़्यादातर लोगो को जिंदगी भर मे नसीब नही होता. हम सब तुम्हे प्यार करते हैं आंड यू ऑल्सो लव अस. फिर भी.."
अरुण ने अपना सिर हिला के कुछ सोचा..
"मुझे डर है कि कही मैं किसी को प्रेग्नेंट ना कर दूं"
सुप्रिया ने बात समझकर एक ठंडी साँस ली और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा.."अरुण, तुम्हे इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है. मैं मानती हूँ, कि थोड़ा रिस्क तो होता है. लेकिन हम लोग प्रिकॉशन्स यूज़ कर सकते हैं."
अरुण अब थोड़ा परेशान होने लगा कि कैसे समझाए सुप्रिया को..
"दी और एक बात..मैं अपने आप को प्रूव करना चाहता हूँ कि मैं आप तीनो को रेज़िस्ट कर सकता हूँ. मतलब इच्छा होते हुए भी खुद को कंट्रोल कर सकूँ."
"रेज़िस्ट? कंट्रोल? लेकिन क्यू? अच्छी ख़ासी हेल्थ है, अभी तो यंग हो और उपर से तीन तीन सेक्सी लड़कियाँ तुम्हारे साथ कभी भी बेड मे जाने के लिए तय्यार हैं..फिर क्यूँ?"
"एक्सलेंट पॉइंट..सुप्रिया 1 अरुण 0" अरुण के दिमाग़ ने चुटकी ली
अरुण ने अब थोड़ा खुद को टफ करते हुए कहा.."दी अभी तक जब भी आप लोगो की इच्छा होती थी आप लोग मेरे साथ कुछ भी कर लेते थे चाहो मेरी इच्छा हो कि नही. लेकिन अब मैं खुद को प्रूव करना चाहता हूँ, कि मैं डिसाइड कर पाउन्गा कि कब सेक्स करना है, और किसके साथ करना है.."
सुप्रिया ने कुछ देर तो उसे देखा फिर एक सुपीरियर आटिट्यूड वाली स्माइल दी.."रियली? तुम खुद को कंट्रोल करोगे जब हम मे से कोई भी तुम्हारे कपड़े फाड़ कर तुम्हारे साथ वो चीज़े करना चाहेगी जो तुमने कभी सोची भी नही होंगी.."
"यही तो मैं कह रहा था डफर.." दिमाग़ की आवाज़ ने फिर चुटकी ली
"दी प्लीज़...आपको इस बात से अजीब नही लगता कि हम भाई बहेन हैं?"
"मुझे लगा हम लोग इस बात को पहले ही डिसकस कर चुके हैं?" सुप्रिया ने कहा
अब अरुण को सच मे काफ़ी ज़्यादा पछतावा होने लगा कि आख़िर शर्त क्यू लगाई. बहुत मुश्किल होने वाली थी..
"अरुण ध्यान से सुनो..तुमने मेरे और आरोही इनफॅक्ट सबके अंदर अगर स्नेहा को नॉर्मल माने तो..हीही..हां तो हम सबके अंदर एक दूसरे पर्सन को जगा दिया जिसे हम लोग शांत नही कर सकते और करना भी नही चाहते. और तुम ये भी जान लो कि हम लोग तुम्हे उत्तेजित करना तो बंद नही करने वाले."
"भाई अभी भी वक़्त है..शर्त कॅन्सल कर सकता है.." दिमाग़ की आवाज़ ने फिर चुटकी लेते हुए कहा
"दी, ओके क्लियर बात, ओके, मैं कुछ दिन अपनी किसी भी बहेन के साथ सेक्स नही करने वाला. और कोई कुछ भी कहे मैं अपना डिसिशन नही बदलूँगा. मुझे प्रूव करना है कि मैं अपने आप को कंट्रोल कर सकता हूँ बस."
"ओके, ड्सिसन ले लिया है तो.." सुप्रिया ने एक शातिर मुस्कान के साथ कहा..जिसे देखकर अरुण को डर तो लगने लगा.."अच्छी बात है. लेकिन अब तुम पक्का पछताओगे कि ये डिसिशन क्यूँ लिया. बाइ स्वीतू..हॅपी कॉंटरोलिंग." सुप्रिया ने खड़े होकर उसके गाल पे किस किया और किचन की तरफ जाने से पहले एक बार उसकी तरफ देखा और आँख मार के कहा..
"ओके, माइ डियर ब्रदर..गेम स्टार्ट्स नाउ.."
"यू आर डेफनेट्ली क्रेज़ी. दिन मे 3 बार सेक्स करने को मिले तो कौन आदमी मना करता है. और उपर से तूने अपनी स्नेहा को देखा है..वो भी तय्यार हो रही है धीरे धीरे.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
अरुण ने आवाज़ को इग्नोर कर दिया. वैसे भी अब उसकी बात सुनने का कोई फ़ायदा तो था नही. फिर वो उठ कर किचन मे चला गया. कुछ ही देर हुई थी सोनिया और आरोही दोनो बातें करते हुए किचन मे आ गयी और दोनो ने अरुण के दोनो गालों पर किस कर दिया. अरुण ने अपने दिमाग़ को उन पर ना लगा कर अपने सॅंडविच पर किए रखा. लेकिन फिर भी उसने आँखो से देख ही लिया था..सोनिया तो नहा चुकी थी तो शॉर्ट्स और टीशर्ट मे थी लेकिन आरोही...वो स्पोर्ट्स ब्रा और कॉटन के स्लीपिंग शॉर्ट्स मे थी..
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