bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:02 AM,
#27
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
ऐसे ही खुद को कोसते कोसते वो सोने की कोसिस करने लगा..लेकिन कहते हैं ना जब किसी अपने का दिल आपकी वजह से दुखा हो तो खुद को नींद कैसे आ सकती है..यही हाल अरुण का था..वो जितना सुप्रिया के बारे मे ना सोचने की कोसिस करता उतना ही ज़्यादा उसके मन मे सुप्रिया के ख़याल आने लगते...

वो थोड़ा झुंझलाता हुआ बैठ गया..

"ऐसे कुछ नही होगा मुझे कुछ करना ही होगा...क्यूँ ना आरोही से बात करूँ..वो पक्का समझेगी मेरी बात.." अरुण सोचते हुए खड़ा हुआ और टीशर्ट पहेनकर घड़ी की ओर देखा तो 11:40 हुआ था..उसने सोचा आरोही तो अभी जाग ही रही होगी..वो वैसे भी काफ़ी लेट सोती थी..और फिर वो आरोही के रूम मे चला गया. लेकिन आरोही का रूम तो 
खुला पड़ा था और आरोही तो वहाँ कहीं नही थी..अरुण ने आवाज़ भी दी लेकिन कोई रेस्पॉन्स ना पाकर वो परेशान हो गया..

"अब ये कहाँ चली गयी..." अरुण हवा मे हाथ मारते हुए कहने लगा..

"कॉल गर्ल तो नही है ना तेरी बहेन.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"शट यौर माउत..." अरुण ने कहा..

फिर पता नही उसे क्या हुआ उसके कदम खुद ब खुद नीचे जाकर सुप्रिया के कमरे के बाहर रुक गये...उसने दो बार गहरी साँस ली फिर दरवाजे पर नॉक किया.. 5 मिनिट तक कोई रेस्पॉन्स नही आया..."दी..प्लीज़ डोर ओपन करो..आइ'म सॉरी..आइ रियली नीड टू टॉक टू यू.." उसने दोबारा नॉक किया तब भी कुछ नही हुआ..

"दी क्या आप अपने स्वीतू की बात नही सुनोगी..प्लीज़...देखो मैं यही खड़ा रहूँगा पूरी रात नही तो..प्लीज़ दी 5 मिनिट के लिए गेट खोल दो..." अरुण की आँखें भी हल्की सी नम हो गयी लेकिन वो कर भी क्या सकता था..

तो वो वही दरवाजे के पास बैठ गया और अपना सिर अपने घुटनो पर रख के खुद को कोसने लगा...

"बहुत आटिट्यूड दिखाना था तुझे भी अरे उसे सच बता देता लेकिन नही भाई साब तो आटिट्यूड वाले हैं ना..अब भुग्तो.." अरुण की दिमाग़ से आवाज़ आई

अब तो सच मे अरुण को काफ़ी बुरा लगने लगा और वो हल्के से आँसू बहते हुए बाहर बैठ रहा...

रात के 12:30 बज रहे हैं..हल्की हल्की ठंडी हवाएँ चल रही हैं....तभी एक हल्की सी आवाज़ के साथ सुप्रिया के रूम का डोर खुलता है और एक आवाज़ आती है 
"धम्म्म्मम......."

"अह्ह्ह्ह...ओवववह" अरुण सिर के बल गिरते ही कराहने लगा....

सुप्रिया तो उछल ही पड़ी ये देखकर और एक दम से उसका हाथ उसके मुँह पर चला गया...

हुआ ये था कि अरुण दरवाजे के सहारे ही बैठा हुआ था तो सुप्रिया के दरवाजा अंदर की तरफ खोलते ही वो सिर के बल गिर पड़ा...

सुप्रिया को पहले तो कुछ समझ मे नही आया..फिर जब उसने कराहने की आवाज़ सुनी तो तुरंत ही उसको उठा के बिस्तर पर बैठ गयी और उसका सिर अपनी गोद मे रख लिया...

"सॉरी...अरुण..मुझे पता नही था,...सॉरी.." सुप्रिया बड़े प्यार से उसका सिर सहलाते हुए बोली..पहले तो उसने सोचा था कि अरुण से बात भी नही करेगी ढंग से लेकिन उसका दर्द देखकर उसका सारा गुस्सा हवा मे काफूर हो गया....

अरुण को दर्द तो हो रहा था लेकिन उससे ज़्यादा दुखी तब हुआ जब सुप्रिया प्यार के साथ उसका सिर सहलाए जा रही थी...वो तो ये सोच रहा था कि दी अगर गुस्सा हुई तो उन्हे मना लेगा लेकिन सुप्रिया का प्यार देख कर देख कर उसे खुद पर गुस्सा आने लगा. उसने तो दी का दिल तोड़ दिया था फिर भी वो उसका इतना ख़याल रख रही थी..अरुण लगातार सुप्रिया की आँखों मे देखे जा रहा था और देखते देखते उसकी आँखों मे आसू आ गये...तो उसने कस के सुप्रिया को पकड़ लिया उसकी गोद मे अपना सिर छुपाते हुए...

"दी..आइ'म सॉरी...आइ'म सॉरी...मैं सही मे बहुत ही बुरा हूँ...आप मेरा इतना ख़याल रखती हो मैं...मैं..." अरुण इतना कहते कहते हल्का सी सिसकी लेने लगा..

तो सुप्रिया की आँखें भी नम हो गयी उसने भी उसका सिर सहलाते हुए चूम लिया...

फिर दोनो ऐसे ही जाने कितनी देर बैठे रहे..
अरुण को सुप्रिया की गोद मे बड़ा सुकून मिल रहा था.

"दी..मैं आपके पास सो जाऊ..??" अरुण ने गोद मे सिर रखे रखे ही पूछा..

"चटकककक...."

"आअहह......" अरुण अपने चूतड़ सहलाते हुए बोला और पलटकर देखा तो सामने आरोही खड़ी थी.....अरुण उसे पकड़ने लपका तो आरोही ने एक और बार उसके चूतड़ पर कस के स्केल मारा और बेड के साइड से घूमकर सुप्रिया के पीछे छिप गयी...

"आह...क्यू मारा..??" अरुण ने पूछा..."और..और..तू दी के कमरे मे क्या रही है.." अरुण अपने चूतड़ को सहलाते हुए बोला...

"अभी मारा ही कहाँ है..अभी तो और मारूँगी...तुमने काम ही ऐसे किए हैं.." आरोही सुप्रिया के कंधे पर सिर रख के बोली..

"क्या किया है मैने..??" अरुण ने पूछा..

"तुमने दी को रुलाया नही..कह दे कि दी तुम्हारे कारण नही रो रही थी..डफर..ईडियट.." आरोही बोली..

तो अरुण चुप हो गया..उसे पता था कि ग़लती उसकी ही है..लेकिन फिर सुप्रिया ने उसके आगे हाथ फैलाकर उसे आगे बुलाया तो अरुण दोबारा उसकी गोद मे जाकर लेट गया...

"सॉरी, दी..मुझे ऐसा नही करना चाहिए था..आइ'म रियली सॉरी.."

"कोई नही..स्वीतू हो जाता है..आइ'म नोट आंग्री वित यू.." सुप्रिया बड़े प्यार से बोली..

"क्या दी इतनी आसानी से माफ़ कर दिया इस मुलज़िम को. इसको तो कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.." आरोही उसकी तरफ मुँह बनाते हुए बोली..

"हां सज़ा तो मिलनी चाहिए लेकिन सज़ा की कल सोचेंगे..अभी मुझे नींद आ रही तो जाओ सो जाओ सब.." सुप्रिया एक स्माइल के साथ बोली..

"तू तो गया बेटा.."अरुण ने सोचा..

"दी..मुझे आपके साथ सोना है.."अरुण उसके पेट मे किस करते हुए बोला..

"आई..हेलो..मैं पहले से ही हूँ यहाँ पर..तुम फूटो यहाँ से...समझे.." आरोही साइड मे अपनी तकिया ठीक करते हुए बोली..

"पहले से मतलब.." अरुण ने पूछा..

"लो अब इन्हे मतलब समझाओ..तुमने जब मेरी दी को रुला के भेजा तो मैने देख लिया था तो मैं अपनी दी को रोते हुए कैसे देखती तो मैं आ गयी..मुझे भी अकेले सोना अच्छा नही लगा तो मैं दी के साथ सो गयी..हॅपी..और हम दोनो अच्छे से सो भी रहे थे..फिर तुम आ गये धम्म्म्म से गिरते पड़ते...मैं तो कह रही हूँ और लगनी चाहिए तुम्हे..अब फूटो जल्दी यहाँ से.." आरोही इतराती हुई बोली..

अरुण ने अब ध्यान दिया तो देखा कि आरोही सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे है..उसे ये देखकर थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन फिर उसने सुप्रिया की तरफ देखा तो वो रोब मे थी..वो बहुत ही मासूम नज़रो के साथ सुप्रिया की तरफ देखने लगा...

"अच्छा ओके...तुम दोनो आज मेरे साथ सो जाओ..हॅपी.." सुप्रिया बेड से उठ कर बोली...तो अरुण के चेहरे पर स्माइल आ गयी लेकिन जब आरोही की तरफ देखा तो उसने हुन्ह कर दिया..और जीभ दिखा दी..

अरुण ने सुप्रिया की तरफ देखा तो देखता ही रह गया..सुप्रिया ने रोब उतार दिया था..और अंदर हाफ ब्रा और सेक्सी से पैंटी मे थी..अरुण सोचने लगा आख़िर ये दोनो ब्रा और पैंटी मे कर क्या रही थी..लेकिन फिर ध्यान हटा दिया..

सुप्रिया आके बीच मे लेट गयी और दाई तरफ से आरोही ने उसके पेट पर हाथ रख दिया और इधर अरुण ने ये देखा तो पहले तो उसका लंड खड़ा हो गया..दो दो लड़कियाँ वो भी इतनी सुंदर और दोनो ब्रा पैंटी मे लेकिन फिर सिर हिला कर वो भी सुप्रिया के साथ सट गया और उसके गाल पर किस करके अपना हाथ आरोही के साइड मे रख दिया सुप्रिया के पेट के उपर..

आरोही ने उसके हाथ पर हाथ मारते हुए कहा..."श्ह..मेरी दी है..हाथ हटाओ कही और रखो.."

"तू हटा ना..मैं नही हटाने वाला.." अरुण ने भी उसके हाथ पर मारते हुए कहा तो आरोही ने हाथ हटा लिया तो सुप्रिया के चोट लग गयी..

"आउच..." सुप्रिया बोली..

"स्सोररी दी..सॉरी.." अरुण बोला और फिर वही पर हाथ रख दिया तो आरोही ने भी उसके पास मे अपना हाथ रख दिया और दोनो कस के सुप्रिया से चिपक कर सोने लगे... 

रात के 2 बज रहे हैं..आरोही और अरुण दोनो सुप्रिया से सट कर सो रहे हैं...सुप्रिया का मुँह अरुण की तरफ है और दोनो की गर्म साँसें आपस मे टकरा रही हैं...अरुण का हाथ सुप्रिया के दूध पर रखा हुआ है जो ब्रा मे क़ैद हैं..इधर आरोही का मुँह तो बूब के साइड मे है और हाथ सुप्रिया की कमर पर...
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