RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
थोड़ी देर बाद उसने अपना मुँह तो अलग कर लिया लेकिन दोनो अभी भी एक दूसरे को वैसे ही पकड़े खड़े रहे. स्नेहा की साँसें उपर नीचे हो रही थी, उसने अपना सिर अरुण सीने पर रख दिया..
"तो अब आप अपनी थियरी टेस्ट कर सकती हो क्यूकी अब आपको पता भी चल गया है कि सेक्षुयली उत्तेजित होने पर कैसा लगता है.." अरुण बोला..
स्नेहा ने अपनी साँस थामते हुए कहा.."तो क्या मैं कभी भी इस टॉपिक से रिलेटेड क्वेस्चन पूछ सकती हूँ तुमसे..?"
अरुण हल्के से हंस दिया. स्नेहा, जो कि उसके हिसाब से उसके एरिया मे सबसे ज़्यादा स्मार्ट थी वो उस से क्वेस्चन पूछेगी.."ऑफ कोर्स, कभी भी, कैसा भी क्वेस्चन हो.."
स्नेहा ने धीरे से अपना सिर उसके सीने से हटाया और उसका गाल चूम लिया..
"थॅंक यू, माइ बेबी.." स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा..
"लो, ऐसे ही चूत को जाने दे रहे हो..चूतिए होने का एक और सबूत.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कमेंट पास किया
अरुण ने धीरे से स्नेहा को अपने आगोश से आज़ाद किया. स्नेहा ने मुस्कुराते हुए उसकी पीठ से अपने हाथ हटाए और मुड़कर बाहर चली गयी..
सोनिया डिन्नर के वक़्त तक पायल के घर पर ही थी. क्यूकी वो दोनो बेस्टीस थी तो पक्का वो क्लब वाली बात उसे बता रही थी..और पायल उस पर चिल्लाए जा रही थी.
आरोही और सुप्रिया शाम को शॉपिंग करके वापस आए. अरुण ने स्नेहा के हाथ का लज़ीज़ खाना खाया और वो अपने रूम मे चला गया. उसकी हिम्मत नही हो रही दोनो के पास जाने की पता नही कब क्या कर दें..
स्नेहा खाना खा के आब्वियस्ली इंटरनेट पर अपनी थियरी के लिए रिसर्च करने बैठ गयी.
इधर आरोही के कमरे मे सुप्रिया उसे अपना प्लान समझा रही थी जो भी उन्होने अरुण के लिए सोचा था..जो भी हो आज अरुण के साथ कुछ बड़ा होने वाला था..
अरुण अपने रूम मे नॉवेल पढ़ रहा था जब सुप्रिया गेट खोल कर अपना सिर अंदर किया और उसे अपने पास बुलाने का इशारा किया. और फिर खुद नीचे चली गयी..
अरुण ने पहले तो सोचा कि क्यूँ बुलाया होगा और फिर अपने रूम से सिर बाहर निकालकर देखा तो सुप्रिया अभी भी पहली सीढ़ी पर उसकी ओर देख रही थी. उसे देख कर उसने दोबारा उसे अपने पीछे आने का इशारा किया. अरुण ने ध्यान से देखा तो सुप्रिया केवल एक बाथरोब मे थी. और अंदर से कुछ पिंक पिंक सा चमक रहा था..फिर उसकी नज़रें बड़े से क्लीवेज पर जाके अटक गयी..और उसका बना बनाया प्रतिबंध टूट गया और पीछे जाने लगा..
उसकी मटकती गान्ड देखते देखते वो उसके पीछे सुप्रिया के रूम मे चला गया..अपनी साँस रोक कर उसने दरवाजा खोला. पता नही कॉन्सा मंज़र उसका इंतजार कर रहा होगा इस दरवाजे के पीछे ये सोचकर. अंदर का नज़ारा देख कर उसके चेहरे पर पहले असमंजस फिर मुस्कुराहट आ गयी. पूरे कमरे मे हल्की सी रोशनी थी वो भी कॅंडल्स की. कॅंडल्स से पूरा कमरा महक रहा था.. उसका ध्यान जब सुप्रिया पर गया तो मुँह खुला का खुला रह गया. सुप्रिया ने बाथरोब उतार दिया था और उसके नीचे उसने पिंक कलर की नेग्लिजी पहनी हुई थी.. वो बिस्तर पर बैठ कर उसकी ओर टाँगे करे बैठी थी. एक तो धीमी रोशनी, उस पर मदहोश करने वाली महक उसमे पिंक कलर मे खिलता हुआ सुप्रिया का गोरा हुस्न..ये सब चीज़े काफ़ी थी अरुण का मदहोश करने के लिए.. नेग्लिजी ट्रॅन्स्परेंट थी और ब्रा के उपर से पतले से धागे उसकी गर्दन के पीछे बँधे थे..बूब्स के निपल सॉफ दिखाई दे रहे थे और नीचे का पूरा हिस्सा पिंक ट्रॅन्स्परेंट कपड़े के पीछे और ज़्यादा खिल रहा था. एक ट्राइंग्युलर पैंटी उसकी सुडौल जांघे दिखा रही थी..
अरुण ने अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया और फिर लॉक कर दिया..उसने पहले खुद को शांत करने के लिए दो बार गहरी साँस ली क्यूकी इस टाइम उसकी इच्छा तो हो रही थी कि बस कूद कर टूट पड़े सुप्रिया पर..
"फाड़ दे आज..." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी
"आइ विल..." अरुण ने सोचा..
अरुणड धीरे से बेड की ओर बढ़ने लगा, सुप्रिया उसकी ओर देख कर मुस्कुराए जा रही थी और अपनी उंगली से उसे अपनी तरफ आने का इशारा करने लगी. फिर उसी उंगली को अपने मुँह मे भरकर चूसा और फिर अपने होंठों से लेकर गर्दन के रास्ते अपनी चूत तक ले गयी..
अरुण, उसके पैरो के पास अपना मुँह ले गया और उसके पैरो को किस करने लगा. पहले उसके अंगूठे को चूसा फिर वहाँ से बढ़कर उसकी एडी को चूमा और फिर उपर बढ़ने लगा. वो आज सुप्रिया के हर अंग को चूम कर अपना बना लेना चाहता है. उसके हर हिस्से पर अपना नाम लिखना चाह रहा था. उसके नर्म होंठो का अहसास अपनी कोमल स्किन पर होते ही सुप्रिया की साँसें उपर नीचे होने लगी.
जैसे ही अरुण घुटने के उपर जाँघ के अन्द्रूनि हिस्से पर किस करने लगा. सुप्रिया से कंट्रोल नही हुआ तो उसने अपने पैर और फैला दिए जिससे अरुण को पर्याप्त जगह मिल गयी. वो धीरे धीरे उसकी जांघों के अंदर वाले हिस्से पर अपने होंठों की छाप छोड़ने लगा और पिंक पॅंटीस के चारो तरफ अपने गर्म होंठो को छूने लगा. फिर 2 उंगलियों से उसने पैंटी को थोड़ा सा साइड मे किया और उसकी क्लाइटॉरिस को मुँह मे भरकर जीभ से खेलने लगा. सुप्रिया ने आनंद मे भरकर अपनी आँखें बंद कर ली जब अरुण ने अपनी जीभ को उसके छेद पर घुमाया.
सुप्रिया मस्ती मे अपनी चूत को उसके मुँह पर और ज़्यादा दबाने लगी... उसकी क्लाइटॉरिस उत्तेजना मे और ज़्यादा तन गयी और जब अरुण ने उसे अपने मुँह मे पूरे तरीके से भर कर चूसा तो सुप्रिया की आह निकल गयी..
सुप्रिया अपनी आह ऊ के साथ कहने लगी.."यू नो, ऊओह...स्वीतू, इतना अच्छा..आअहहू... लग रहा है कि ऊऊओ...मैं सोच रही ओह्ह्ह हूँ कि सर्प्राइज़..आहोहोह्हो..लाइक दिस...बाद मे बताऊ..."
अरुण ने ये सुनकर अपना मुँह उठाकर उसकी तरफ देखा लेकिन तुरंत ही उसके सिर पे सुप्रिया ने अपना हाथ रख के दबा दिया..
"नो..रुकना मत...बता दूँगी..ओाहह.." सुप्रिया अपनी कमर हिलाती हुई बोली.."ओहह.."
अरुण ने उसकी बात मानी और अपने दाँतों से उसकी क्लाइटॉरिस को काटने लगा, और जीभ से खेलता रहा..उसने अपने फ्री हॅंड को उपर ले जाके ब्रा के अंदर से ही दूध को दबाना स्टार्ट कर दिया..और फिर उसी हाथ को सुप्रिया के होंठों पर रख दिया..
सुप्रिया किसी भूके शेर की तरह उसकी उंगलियों पर टूट पड़ी और किसी लॉलिपोप की तरह उसकी उंगलियों और अंगूठे को चूसने लगी..
थोड़ी देर बाद अरुण अपना हाथ नीचे ले आया और हथेली को चूत पर रख कर 1 उंगली अंदर डाल कर मज़ा देने लगा जैसा कि सुप्रिया ने उसे सिखाया था..उसकी उंगलियों का अहसास अपनी चूत पर पाकर सुप्रिया की फिर सिसकारी निकल गयी..
अरुण ने उंगली से हुक बनाकर उसकी चूत को अंदर से अपनी तरफ बुलाने लगा और साथ मे जीभ से चूत को चाटता भी जा रहा था..थोड़ी देर मे ही उसकी चूत टाइट होने लगी..
"ओह,.....गुड....." सुप्रिया बड़ी तेज़ी से चीखी और एक के बाद एक लहर अपने रस की अरुण के मुँह पर छोड़ने लगी...अरुण भी उसके कामरस को पूरा पीता चला गया..
साँसों को काबू मे कर के सुप्रिया ने अपना चेहरा उठाया और उसकी ओर देखने लगी.."काफ़ी जल्दी सीख रहे हो, मेरे भाई.." और फिर उसको बैठा दिया.."वैसे तो मैं तुम्हे अपना बनाने वाली थी.." इतना सुनते ही अरुण के चेहरे पर कन्फ्यूषन के भाव आ गये..
"लेकिन, लेकिन हम लोगो ने आज काफ़ी डिसकस किया.." किसी की पीछे से आवाज़ आई..
अरुण ने पीछे देखा तो उसकी आँखें बाहर आ गयी और मुँह खुला का खुला रह गया...
दरवाजे के पास आरोही खड़ी हुई थी..उसने भी ब्राइट रेड कलर की नेग्लिजी पहनी हुई थी...
"और दी मान गयी हैं कि मैं जाय्न कर सकती हूँ..अब तुम्हे हम दोनो को प्यार का पाठ पढ़ाना होगा...टीचर जी.." आरोही ने सेक्सी सी हँसी मे कहा..
"एसस्स..एसस्स...फक्किंग आवेसम....चूत वो भी एक के साथ एक फ्री....एसस्स्स्स्स्सस्स.....सल्यूट भाई सल्यूट.." अरुण की आवाज़ ने फिर से बोला
अरुण ने थूक निगलते हुए आरोही की आँखों मे देखा तो वो उसे किसी भूके शिकारी की तरह देख रही थी...अरुण को समझते देर नही लगी कि आरोही को अब नही रोका जा सकता..
"दी..सॉरी, लेकिन इस से ज़्यादा मुझसे रुका नही गया.." आरोही ने सुप्रिया की ओर देखते हुए कहा.."जैसे ही आप दोनो ने स्टार्ट किया तभी से मेरा मन जाय्न करने को कर रहा था.." आरोही वही खड़ी खड़ी बोली..
सुप्रिया ने उसकी ओर बाहें फैला दी और मुस्कुरा कर कहा..."ओह्ह..मेला बेबी,,कम हियर...मम्मा के पास आजा..."
आरोही तुरंत ही हँसती हुई बेड पर कूद कर सुप्रिया की गोद मे चली गयी..अरुण वही मुँह बंद करे बैठ गया..
आरोही किस करने के लिए जल्दी से सुप्रिया की ओर लपकी..
"पहले.." सुप्रिया ने उसके मुँह पर उंगली रखते हुए कहा, फिर उसकी लाइनाये को उतार दिया. थोड़ी ही देर मे दोनो बहनें पूरी तरीके से नंगी एक दूसरे की गोद मे थी..
"ओह गोड्ड़.." आरोही ने बोला फिर सुप्रिया का सिर पकड़कर अपनी गर्दन पर रख लिया.. सुप्रिया भी धीरे धीरे अपनी छोटी बहेन के गले का स्वाद लेने लगी..
अरुण का दिमाग़ रिसटार्ट करने की कोसिस मे लगा हुआ. था..आवाज़ ने कूद कूदकर तहलका मचा रखा था..उसने खुद को किसी तरीके से संभाला और सामने देखने लगा..
आरोही की बॉडी सुप्रिया की बॉडी मे पूरी तरह बिन्धि हुई थी. दोनो के हाथ एक दूसरे के अंगो को सहला रहे थे..कभी दूधों को दबाते कभी चुतड़ों पर पहुच कर कसमसाते और होंठ एक दूसरे मे मग्न थे..
आरोही ने अपना सिर नीचे करके सुप्रिया के दूध को मुँह मे भर लिया, और ये करते वक़्त ही आरोही की इच्छा और ज़्यादा नीचे जाने की होने लगी..उसने खुद को किसी तरीके से कंट्रोल किया और अपना पूरा ध्यान निपल के स्वाद का मज़ा लेने मे लगा दिया..फिर उसके पेट पर अपनी जीभ फेरने लगी..
सुप्रिया से सहन ना हुआ तो उसने उसका सिर पकड़कर उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ कर उसे किस करने लगी फिर आरोही के बूब्स को चाटने लगी...
सुप्रिया ने निपल को दाँत से छोड़ते हुए अरुण की तरफ देखा तो उसकी आँखें बाहर की ओर निकली हुई थी..साँसें रुकी हुई थी और लंड तो जैसे जीन्स फाड़ कर निकलने वाला था.
"स्वीतू, तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा कि इस हथियार को बाहर निकालो इस भूके बच्चे को दे दो नही तो ये हम दोनो को खा जाएगी..ओह्होहीइहि.." सुप्रिया ने आख़िरी मे हँसते हुए कहा क्यूकी आरोही ने उसके कान को चाटना स्टार्ट कर दिया था..
अरुण जल्दी से खड़ा हुआ और गिरते पड़ते अपने कपड़े उतारे..जैसे ही उसने बॉक्सर उतारे लंड अपने पूरे शबाब पे था और ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी दीवार को तोड़ दे..
"ब्रिंग दट हियर, ब्रो.." आरोही ने बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे कहा..फिर अपनी आँखें बंद करके सुप्रिया की जीभ का मज़ा लेने लगी जो उसके पेट से होती हुई उसकी जांघों को चाट रही थी..
अरुण जैसे ही बिस्तर पर चढ़ा तो उसका लंड सीधे आरोही के सिर के पड़ोस मे था तो उसने देर ना करते हुए उसे पकड़ लिया और अपने भूके मुँह के अंदर ठुसने लगी..और अपनी जीभ से उसका मज़ा लेने लगी..
आरोही ने लंड से हाथ हटाकर अरुण की कमर पर रखे और अपने भाई के लंड को अपने मुँह के और अंदर करने लगी..लंड की टिप को अपने गले के अंत मे महसूस करने पर उसी थोड़ी तकलीफ़ हुई लेकिन फिर तुरंत ही उसके शरीर मे चींटियाँ दौड़ने लगी जैसे ही सुप्रिया ने अपनी जीभ उसके छेद के अंदर घुसा दी..
सुप्रिया अपनी जीभ को छेद के अंदर घुमा रही थी और उसके रस को अपने अंदर समेटे जा रही थी..आरोही ने अपनी कमर उठा कर अरुण के लंड को और ज़्यादा ताक़त से चूसा जब सुप्रिया के होठ उसकी क्लाइटॉरिस पर पड़े और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बड़ी बहेन के बालों पर पहुच कर सहलाने लगा..
अरुण ने आरोही का सिर अपने हाथों मे पकड़ रखा था और बड़े प्यार से उसके सिर को धीरे धीरे हिला कर अपने लंड पर उपर नीचे कर रहा था..अरुण को एक अलग ही मज़ा आ रहा था जब उसकी जुड़वा बहेन की मखमली जीभ उसके सुपाडे से लेकर जड़ तक जाती..आरोही तो किसी लॉलिपोप की तरह उसे चटकारे लेकर चूसे जा रही थी..
अरुण को जब लगा कि वो झड जाएगा तो वो पीछे हट गया..उसे पता था कि आज उसे ज़्यादा ही ताक़त की ज़रूरत पड़ने वाली है..
आरोही के मुँह मे जैसे ही ख़ालीपन आया उसने बच्चे जैसे मुँह फुलाते हुए कहा.."भाई दो ना..."
"हाः...मैं इतनी जल्दी झड़ना नही चाहता..मुझे पता है तुम लोगो ने आज रात काफ़ी कुछ सोच रखा है.." अरुण हान्फ्ते हुए बोला..
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