bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-24-2019, 11:58 PM,
#13
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण ने करवट बदल कर सोनिया की तरफ अपना चेहरा घुमाया तो सोनिया लगातार बिना पलके झपकाए उसकी तरफ देखे जा रही थी. और उसने अपने दोनो हाथ ऐसे अपने सीने से चिपकाए हैं जैसे उसे डर लग रहा हो. अरुण को इस बात का अहसास नही था लेकिन सोनिया बार बार अपने मन मे उन पलों को याद कर रही थी जब उसके होंठ अरुण के होंठो से छुए थे. एक करेंट सा दौड़ गया था उसकी बॉडी मे. "मुझे वो पल इतना अच्छा क्यूँ लगा??" वो खुद से पूछती है. अरुण को देखते देखते उसे रीयलाइज़ हुआ कि वो दोनो एक दूसरे को बिना पलके झपकाए देखे जा रहे हैं..अरुण ने अपने हाथ से उसके गालों पर से बाल उसके कान के पीछे कर दिए और उसी पल मे दोनो के बीच मे जो झिझक थी वो दूर हो गयी..और सोनिया तुरंत ही आगे बढ़कर उसके सीने मे अपना चेहरा घुसाने लगी और अपना हाथ उसके चारो ओर लपेट लिया जैसे अरुण उसका टेडी बेअर हो. सोनिया को तुरंत ही नींद के कोमल हाथ कब्ज़े मे करने लगे और वो नींद के अघोष मे धीरे धीरे जाने लगी. अरुण धीरे धीरे उसके बालों मे उंगलियों से सहलाने लगा और फिर उसे उसके पास से मीठे अंगूरों की महक आने लगी. सोनिया के गर्म पैर उसके पैरों मे उलझे हुए थे..वो और कस्के अरुण के सीने मे अपना चेहरा छुपाने की कोसिस करने लगी. और उसने दोनो के उपर चादर कस कर डाल ली. अरुण को सोनिया की गर्म साँसें अपनी छाती पर महसूस होने लगी और उसे उसके बूब्स का आभास भी अपनी पसलियों पर होने लगा. हालाँकि उसे हल्का सा दर्द हो रहा था. लेकिन सोनिया के लिए तो वो अब कितनी बार भी इससे कई गुना ज़्यादा दर्द सहने के लिए तय्यार था. सोनिया को अरुण बहुत ही सॉफ्ट गर्म महसूस हो रहा था. उसका डर बिल्कुल ही छू मंतर हो गया था अरुण के सीने से लग के. एक अलग ही किस्म की शांति और फीलिंग का आभास उसे होने लगा.

उसे अब भी ये एक सपने की तरह लग रहा था कि वो लड़का जिसकी शक्ल तक उसे देखना पसंद नही थी जिसे वो हमेशा किसी ना किसी तरीके से परेशान कर के दुख पहुचाने की कोसिस करती रहती थी. और उसे देखे बिना अपनी परवाह किए वो मुसीबत मे चलता चला गया जबकि वो उसके साथ हमेशा बुरा बिहेव करती रही. उसने और कस्के उसे गले लगाया. उसे बचाने के चक्कर मे हो उसकी हालत हुई वो सही मे अच्छी नही थी..वो सोचने लगी कि पता नही कैसे वो कभी उसका ये अहसान चुका पाएगी..

आख़िरकार वो धीरे धीरे नींद के अघोष मे चली गयी..अरुण जैसे वहाँ अनंत काल तक लेटा लेटा उसके बालों को सहलाता रहा..जब उसे कानों मे हल्की सी उसकी सोने की आवाज़ आने लगी तो फिर उसने भी आँखें बंद करी और मीठी नींद के अघोष मे चला गया..

ना कोई बुरा सपना...ना कुछ..बस मीठी नींद..

एक गर्म सा अहसास गालों पर हुआ..और फिर हल्का सा गीलापन..फिर वही अहसास गालों के रास्ते होंठों तक जा पहुँचा.. नरम, मुलायम, हल्का सा गीलापन, अंगूरों का भीना भीना स्वाद.. इन सब चीज़ों का अहसास अरुण को जागने के वक़्त होने लगा. उसे लगा जैसे कोई उसके होंठों को धीरे धीरे दबा रहा हो. जो भी चीज़ उसके होंठों को छू रही है वो कांप भी रही है..वो अपने हाथ को हिलाने की कोशिश करता है तो पता चलता है कि उसका हाथ बहुत ही मुलायम चीज़ पर रखा हुआ है बिल्कुल मखमल की तरह..वो उसे नीचे ले जाने की कोशिश करता है तो हाथ एक चढ़ाई पर जाने लगता है..जैसे कि कोई गोल चीज़ हो आगे.. उसके होंठों को जो भी चीज़ दबा रही है वो और ज़्यादा काँपते हुए उसके होंठ खोलने की कोशिश करती है..और जैसे ही उसके होंठ खुलते हैं उसे अपने होंठों के रास्ते किसी मखमली, गीली और मुलायम चीज़ का अहसास होता है.. अरुण को इस से काफ़ी ज़्यादा मज़ा आने लगा..


धीरे धीरे उसका दिमाग़ सपनों की दुनिया से बाहर आने की कोशिश करता है..उसे ध्यान आता है कि वो सुप्रिया के बिस्तर मे लेटा हुआ है..और सीने मे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा है..हां कोई लड़ाई हुई थी जिसके कारण उसको काफ़ी चोट लगी है.. उधर उस गर्म चीज़ ने उसके होंठों पर हमला जारी रखा जिससे अरुण की एक मस्ती भरी आह निकल गयी.. फिर जाके उसे रीयलाइज़ हुआ कि अरे उसे तो कोई किस किए जा रहा है..

कौन?? सुप्रिया दी?? नही ये सुप्रिया दी नही हो सकती?? वो इस तरीके से किस नही करती हैं..?? ये किस तो बहुत ही ज़्यादा सॉफ्ट और नीडी है..जैसे कि जो भी उसे किस कर रहा वो थोड़ा डर भी रहा है और चाह रहा है कि वो भी उसे किस करे.. किस तो ऐसे हैं जैसे तितली किसी फूल पर बैठ कर रस चूस रही हो..

"सोनिया" एक दम से उसके मन मे आवाज़ आई..फिर उसे याद आया कि कल रात वो और सोनिया एक साथ ही सोए थे..सोनिया को अकेले डर लगने के कारण नींद नही आ रही थी तो वो उसके साथ सो गयी थी और वो अपनी छोटी बहेन को बाहों मे लिए उसके सर को सहलाते सहलाते मीठी नींद के अघोष मे चला गया था..लेकिन अब उसे इस तरीके से अपनी बहेन का ग़लत फ़ायदा उठाना बहुत ही ज़्यादा ग़लत लग रहा है..

वो धीरे से अपनी आँखें खोलता है और सोनिया की आँखों मे देखता है. उसकी आँखों मे गुस्से का तो नामो निशान नही है..एक अजीब सी चमक के साथ उसे कुछ और भी दिखा.. वो जो भी है वो उसे अपनी तरफ खींच रहा है.. एक अजीब सी कशिश है उन आँखों मे..

"गुड मॉर्निंग.." सोनिया इतने धीरे से बोलती है कि अरुण को तक बहुत ही हल्का सुनाई देता है..

"गुड मॉर्निंग..स्वीटी.." अरुण बोलता है..और फिर उसकी आँखों मे देखता रहता है. सोनिया अपनी आँखें बंद करती है दोबारा और अपने होंठ आगे लाके उसके होंठों को छू लेती है आगे बढ़ के..और फिर दूर हो जाती है..जैसे कोई पंख उड़ कर उसके होंठों को छू कर चला गया हो..

"भाई पता है.. मुझे काफ़ी सालों बाद इतनी अच्छी नींद आई..थॅंक यू भाई.." सोनिया अरुण के गालों को चूम कर बोलती है..

"मुझे भी.." अरुण बस इतना बोलता है और फिर अपने हाथों से उसके गालों पर पड़ी बालों की लट को उसके कान के पीछे ले कर सही कर देता है..फिर सोनिया थोड़ा सा पीछे हटती है जिससे अरुण को ठंडक का अहसास होने लगता है लेकिन फिर वही ठंडक गर्म और अंगूरों की भीनी खुसबु वाले अहसास के साथ अपनी जगह बदल लेती है..सोनिया उसकी तरफ अपनी पीठ करके उसके हाथ को पकड़कर अपने पेट पर रख लेती है और अपना सिर उसके कंधे पर रख के लेट जाती है..अरुण भी एक बार उसके सिर को चूम कर आराम से उसके साथ लेट जाता है..

थोड़ी देर के बाद अरुण एक दम से डर जाता है और उठ कर खड़ा हो जाता है क्यूंकी उसका लंड अपना सिर उठाकर सोनिया के चुतड़ों को छू रहा होता है और रूम से निकलने से पहले "आइ'म वर्री सॉरी सोनिया" बोलता है..

सोनिया सिर्फ़ "भाई मत जाओ ना प्लेज..." इतना ही बोल पाती है..फिर उसे भी समझ मे आता है कि अरुण क्यू ऐसे सॉरी कहके चला गया और उसे अपने उपर थोड़ा गुस्सा भी आता है और हल्की सी शर्म भी जिसके कारण उसके गाल गुलाबी हो जाते हैं..

वो वापस बिस्तर पर लेट कर सोचने लगी..उसे पता था कि अरुण का लंड उसके चुभ रहा है लेकिन उसे इस बात से कोई प्राब्लम नही थी..वो तो बस उसके पास रहना चाहती थी..वो नही चाहती थी कि उस रात के बाद उसके कारण कभी भी अरुण को कोई प्राब्लम हो..

सोनिया लेटे लेटे ही सोच रही है..फिर उसका ध्यान किस की तरफ चला जाता है.. जब वो सुबह जागी तो सामने अरुण का चेहरा देख उससे रहा नही गया और उसके होंठ खुद ब खुद ही उसकी ओर खिंचे चले गये..और वो अहसास जब उसके होंठों ने अरुण के होंठों को छुआ..वो अहसास वो शब्दो मे बयान नही कर पा रही थी..क्या था वो अहसास.
वो जादू वो नशा..वो मदहोशी जब उसका रस उसके मूह मे घुलने लगा... इन बातों को याद करके दोबारा उसके शरीर मे वही रोमांच वाली ल़हेर दौड़ गयी..

उसने सिर्फ़ उसे थॅंक यू कहने के लिए किस किया था लेकिन उसके बाद तो जैसा उसका खुद पर बस ही नही रहा.. ऐसा भी नही था कि उसने आज से पहले कभी किस नही किया था.. बहुत किए थे..बट इस किस मे पता नही किस किस्म की खुमारी थी..उसने आज से पहले कभी भी किसी के लिए ये महसूस नही किया था..क्या थी ये फीलिंग्स और क्यूँ???

कहीं उसे प्यार तो नही हो गया है?? नही नही ये प्यार नही है.. और अपने भाई से तो बिल्कुल नही हो सकता..ये ग़लत है.. लेकिन फिर क्यूँ उसे हर वक़्त उसी के पास रहने के इच्छा होती है..क्यूँ उसे उसकी बाहों मे जाके एक सुकून मिलता है जो और कहीं नही मिलता..क्यू उसके हाथ लगते ही वो पिघल सी जाती है.. 

"हां मैं भाई से प्यार ही तो करती हूँ.. करती क्या हूँ मैं हमेशा से करती आई हूँ चाहे उसे कितना भी परेशान किया हो"..
उसे देखे बिना उससे लड़े बिना उसका खाना ही कहाँ हजम होता था.. उसका दिन पूरा ही तब होता था जब वो उससे एक बार लड़ ले..और अब जब भी वो उसके सामने नही होता तो एक ख़ालीपन सा रह जाता है उसके दिल मे.. 

"मैं भाई को अभी जा के बता दूँगी कि मुझे उनसे प्यार है.. आइ लव हिम.." सोनिया सोच के मुस्कुराने लगी..

लेकिन अगर वो मुझसे प्यार नही करते हुए फिर.. अगर प्यार नही करते होते तो मेरे लिए अपनी जान देने क्यूँ लगते?? लेकिन ऐसा तो कोई भी भाई अपनी बहेन के लिए कर सकता है.. नही वो भी मुझे प्यार करते हैं.. और अगर ये सिर्फ़ भाई बहेन वाला प्यार हुआ तो?? सोनिया खुद से ही लड़े जा रही है..

अगर भाई ने मेरा प्यार आक्सेप्ट करने से मना कर दिया तो..ये सोचते ही उसकी आँखों से आँसू निकल आए.. लेकिन मैं भाई को बताए बिना भी नही रह सकती.. मैं अभी जाके उन्हे सब बता दूँगी फिर आगे जो होगा देखा जाएगा..सोनिया अपने आँसू पोछते हुए उठ खड़ी होती है और रूम से निकल जाई है..
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