RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
मेरी बहनें मेरी जिंदगी-पार्ट-2
वो दोबारा बिस्तर पर लेट जाता है और छत की तरफ देख के सोचने लगता है..
अरुण छत की तरफ देखते हुए सोचने लगता है.
अरुण को हमेशा से पता था कि कोई आवाज़ उसके मन मे है पर वो कोई पागल थोड़ी ना था. आटीस्ट, कम से कम वो तो ये नही सोचता था. क्या एक पागल को पता होता है कि वो पागल है? और ये आवाज़ कोई बुरी तो थी नही बस थोड़ी सेक्स की तरफ अट्रॅक्टेड थी. उसके चेहरे पर से मुस्कान तुरंत ही गायब हो गयी जब उसे याद आया कि अगर उसने ये आवाज़ वाली बात किसी को बताई तो लोग उसे पागल ही समझेंगे. वो अपना सिर हिला के कहता है "बहुत ज़्यादा सोचते हो यार". वो जानता था कि जिंदगी की किसी भी लड़ाई मे उसकी बहनें हमेशा उसके साथ ही रहेंगी. इसी तरह सोचते सोचते उसके थॉट्स आरोही पर आ टिके.
"वूहू", फिर आवाज़ आई. अरुण ने दोबारा सिर को हिलाया. वो आरोही को लेकर थोड़ा प्रोटेक्टिव था. ये अलग बात है आरोही को इसकी ज़रूरत नही थी फिर भी. वो लगभग उसी की हाइट की थी वैसे अरुण थोड़ा मस्क्युलर था. आरोही के दो तीन बाय्फरेंड्स रह चुके थे पास्ट मे पर क्योकि वो ज़्यादातर टाइम अरुण के साथ स्पेंड क्रती थी तो कुछ हो नही पाया.
उन दोनो की नाक और आँखे एक जैसी थी. बस अरुण की दो तीन बार नाक टूट चुकी थी. बाल भी दोनो के एक जैसे थे भूरे, सिल्की, बस आरोही के लंबे थे. हां, आरोही सुंदर तो थी.
"हॉट भी,"
अरुण ने इग्नोर कर दिया. दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक ही सब्जेक्ट लिया था. तो ज़्यादातर टाइम कॉलेज मे दोनो साथ मे ही बिताते थे. अरुण को इस बात से कोई प्राब्लम भी नही थी उसे आरोही के साथ रहना अच्छा लगता था. एक तरीके से आरोही उसका दाहिना हाथ थी.
"और तुम्हे पता है दाहिने हाथ(राइट हॅंड) के साथ क्या किया जाता है?"
"शट अप," अरुण खुद मे सोचता है. हां, वो सुंदर थी. उसकी सभी बहने सुंदर थी.
अरुण आरोही के बारे मे उस तरीके से सोच भी नही सकता था. आरोही के बारे मे उस तरीके से सोचना मतलब खुद के बारे मे उस तरीके से सोचना. अरुण थोड़ी देर के लिए सोचता है कि लड़की बनकर वो कैसा लगेगा. लेकिन तुरंत ही सिर को हिलाकर ये थॉट छोड़ देता है.
उसके थॉट्स अब स्नेहा पर आ गये. एक स्माइल आ गयी उसके चेहरे पर. स्वीट, सिंपल, विदाउट सोशियल सेन्स- स्नेहा. उसे और आरोही को दिमाग़ के साथ साथ अच्छे लुक्स भी मिले थे. स्नेहा के पास भी ये सब था पर थोड़ा अलग. स्नेहा बेवकूफ़ नही थी, फॉर आ फॅक्ट. वो उनकी फॅमिली की सबसे इंटेलिजेंट मेंबर थी. इतनी स्मार्ट कि कभी कभी उससे डर लगने लगता था. हमेशा क्लास मे टॉप आती थी. वो पुरातत्व विज्ञान पर रिसर्च मे कुछ करना चाहती थी. और ज़्यादातर टाइम पढ़ने मे ही लगाती थी. चास्मिस. मेकप का तो शायद उसे एम भी नही पता था.
स्नेहा की बॉडी भी मस्त है. जब किसी पार्टी ये बाहर घूमने के मौके पर वो अच्छी सी ड्रेस मे आती थी तो लोगो की साँसे रुक जाती थी. अटलीस्ट आऱुन तो ऐसा मानता था. उसके बूब्स घर मे सेकेंड लार्जेस्ट थे. एक लाइन मे कोई स्नेहा को डिस्क्राइब करे तो होगा पढ़ाकू, चास्मिस, क्यूट.
अरुण ने कभी उसे किसी लड़के के साथ नही देखा. अरुण को उसके बाय्फ्रेंड बनाने से ज़्यादा प्राब्लम नही थी बट उसका कोई बाय्फ्रेंड था ही नही. वो कुछ ज़्यादा ही इंटेलिजेंट थी.
अब उसके थॉट्स आए सोनिया पर.
"कुत्ती कमीनी,"
छोड़ो, उसने आवाज़ से कहा. अरुण सोचने लगा क्या आरोही के मन मे भी ऐसी आवाज़ होगी या सिर्फ़ उसी के मन मे ये सब होता है. स्नेहा के मन मे ज़रूर आइनस्टाइन बोलता होगा. और अगर सोनिया के मान मे कोई बोलता होगा तो वो आवाज़ होगी केवल चुड़ैल.
"या फिर सेक्सी चुड़ैल,"
अरुण ने एक लंबी सास ली. उसे पता था कि अगर उसने आवाज़ के बारे सोनिया से कुछ पूछा तो पहले तो उसे पागल की उपाधि दी जाएगी फिर उसके सिर पर डंडा मारा जाएगा. और जब वो बदला लेने जाएगा तो दोबारा डंडा खाएगा. अरुण को कभी कभी उस पर इतनी गुस्सा आता था कि मन करता था कुछ चुबा दे उसके. एक मिनिट, नही ऐसा नही. मत सोचना, मत सोचना.
"मुझे पता था तू मेरा ही भाई है,"
ओके तो वो उससे नफ़रत तो नही कर सकता क्योकि बहेन है वो उसकी. पर प्यार भी नही करता था. अगर प्यार नही करता है तो नफ़रत करता होगा??
बचपन से ही वो और आरोही सोनिया के टारगेट रहे हैं. आरोही थोड़ा जल्दी रो जाती थी तो सोनिया मुसीबत मे ना पड़े तो अरुण की जिंदगी बदहाल करने पर जुटी रहती थी. वही उन दोनो को सबसे पहले डबल ए कह कर बुलाया करती थी.
उसका मन उसे उसके सबसे फॅवुरेट टॉपिक पर लाने की कोशिस करता है. स्विम्मिंग. उनका घर काफ़ी आलीशान था. पीछे एक पूल भी था. उसे आरोही के साथ पूल मे मस्ती करना काफ़ी पसंद था.
सोनिया स्विम्मिंग मे मास्टर थी. उसने स्कूल मे चॅंपियन्षिप भी जीती थी.
"स्विम्मिंग के वक़्त क्या मस्त लगती है स्विमस्यूट मे,"
हां हां अच्छी लगती है. क्या आगे बढ़े? आवाज़ हँसने लगती है. उसे पता नही अरुण को सताने मे क्या मज़ा आता है.
अब उसके थॉट्स उसकी सबसे बड़ी बहेन सुप्रिया पर आकर टिक जाते हैं. बड़ी नही सुप्रिया की उम्र थी 22 साल. सुप्रिया के उपर उसके परिवार की ज़िम्मेदारी 17 साल की उम्र मे ही आ गयी जब उनके पेरेंट्स का आक्सिडेंट हो गया था. ये उसके लिए आसान नही था पर वो काफ़ी स्ट्रॉंग लड़की थी. एक तरीके से वो उन सबकी माँ बाप बन गयी थी...सोनिया कभी इस बात को आक्सेप्ट नही करेगी. वो हमेशा कुछ ना कुछ सॉफ ही करती रहती थी घर मे. पैसो के मामले भी वही देखा करती थी. वैसे पैसो की कोई कमी तो थी नही क्योकि मम्मी पापा दोनो डॉक्टर्स थे उपर से खानदानी पैसा.
अरुण एक बात को लेकर बड़ा परेशान था. जब भी वो मास्टरबेट करता था और जैसे ही उसका निकलने वाला होता उसका मन किसी ना किसी बहेन की पिक्चर उसके सामने ज़रूर भेजता.
ये सब सोचकर उसने घड़ी देखी तो 6 बज गये थे. वो उठा और बाथरूम मे जाके शवर ऑन किया और फिर से सोनिया के बारे मे सोचने लगा. कि क्या वो जिस तरीके से अरुण और आरोही की इन्सल्ट करती है वैसे अपने फ्रेंड्स की भी करती होगी. उसके दोस्त उसके बारे मे क्या सोचते होंगे.
"मस्त बूब्स, बड़ी गान्ड, बुक्बीस, चिकनी...,"
"स्टॉप इट.". खैर इन सब बातों को छोड़ो तो वो लगती तो हॉट है. छोड़ो इन बातों को.
इन सब बातों से मन हटाने के लिए अरुण ने सोचा कि मास्टरबेट ही कर लिया जाए...
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