Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:52 PM,
#8
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
अब मैं अपनी बहन की चूत का पूरा मज़ा लेने के मूड में आ गया और फिर अपनी बहन के गुलाबी होंठो को अपने होंठो से चाटा और अपनी बहन संध्या की चूत में ज़ोरदार घस्से मारते हुए मैं अपनी बहन की टाइट चूत को अपने लौड़े से और खोलने में लग गया | 

“हाईईईईईईईईईईईईईई आज अपनी ही सग़ी बहन की कुंवारी चूत की सील खोल कर आपने यह बात सच साबित कर दी है, कि मर्द और औरत का एक ही रिश्ता होता है और वो है लौड़े और चूत का रिश्ता, और इस रिश्ते के आगे बाकी सब रिश्ते बेकार हैं” |

मेरी चुदाई के ज़ोरदार घस्से का मज़ा लेते हुए संध्या बोली और इसके साथ ही उसने चारपाई से अपनी गांड उठाई और नीचे से अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मेरे ज़ोरदार घस्सों का जवाब देने लगी |

अब मेरी बहन चारपाई से अपने चूतड़ उठा कर मुझे से चुद्वा रही थी जबकि मेरे हाथ संध्या के चूतड़ को थाम कर इस दौरान संध्या को अपने जिस्म से चिपका रहे थे |

“उफफफफफफफफफ्फ़ संध्या, तुम्हारी चुदाई का यह अंदाज़ा देखते हुए तो नही लगता कि तुम एक कुंवारी लड़की हो, जो आज पहली बार अपनी चुद्वाई करवा रही है” अपनी बहन को यूँ चारपाई से अपनी गांड उठा कर अपनी फुद्दी को मेरे लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारते देख कर मुझे हैरत हुई और मैंने चोदाई के दौरान संध्या से सवाल किया |

“हाँ अभी चंद लम्हे तक बेशक़ मैं कुंवारी जरुर थी, मगर चुदाई के यह तरीके मैंने किसी और से नही, बल्कि आप और ज़ाकिया की चुदाई को देखते हुए ही सीखे हैं भाईईईईईईईईईई” मेरे सवाल का जवाब देते हुए संध्या ने अपनी गांड को एक बार फिर ऊपर किया और मेरे लौड़े को अपनी चूत में ज़ज्ब कर लिया |

“ओह मुझे ख़ुशीईई है कि मेरी बहन ने कमरे के रोशनदान से छूप छूप कर देखते हुए प्यार का यह सबक ना सिर्फ़ मुझसे सिखा है, बल्कि उसी सबक का स्वाद मुझे पिला भी रही है हाईईईईईईईईईईईई” अपनी बहन की बात सुनते ही मेरे लौड़े में और जोश आया और मैं चारपाई पर लेटी अपनी बहन की टांगों को खोल कर अपनी बहन की चूत में अपने लौड़े के घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा |

मैं अब अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सग़ी बहन को चोदने में मसरूफ़ था | मैं चुदाई के नशे में इस वक़्त बिल्कुल जानवर बना हुआ था और शायद संध्या भी |

संध्या को अब मेरी चुदाई से दर्द नही हो रहा था बल्कि अब वो फुल मज़े में थी और मेरे धक्कों का जवाब ऊपर की तरफ उछाल कर अपनी चूत मेरे लौड़े की तरफ धक्का मार कर दे रही थी |

संध्या को चोदने के दौरान मैंने चुदाई की स्पीड में तेज़ी कर दी और इसी तेज़ी की वजह सेई मेरे टट्टे मेरी बहन की गांड की पहाड़ियों पर ज़ोर से टकराते तो कमरे में “फ़चक्क फ़चक्क” की आवाज़ पैदा हो रही थी |

हम दोनो बहन भाई की चुदाई इस वक़्त अपनी इंतहा तक पहुँच चुकी थी |

ज़ोर दार चुदाई की वजह से हमारे जिस्म पसीना पसीना हो चुके थे मगर इसके बावजूद हम एक दूसरे को पागलों की तरह चोद रहे थे |

इस ज़बरदस्त चुदाई के असर की वजह से मेरे ट्टटों में मेरे लौड़े का रस इस वक़्त इतने ज़ोर से उबल रहा था कि मैं अब किसी भी वक़्त अपने लौड़े का रस अपनी बहन की चूत में छोड़ सकता था |

उधर दूसरी तरफ संध्या भी जिस रफ़्तार से अपनी गांड उछाल रही थी | उसे देखकर मेरे लिए यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि अब उसकी फुद्दी भी फारिग होने के नज़दीक पहुँच चुकी थी |

“ हाईईईईईईई मैं तुम्हारी चूत में फ़ारिग होने लगा हूँ संध्याआआआआअ” अपनी बहन की चूत में ज़ोरदार घस्से मारते हुए मैंने अपनी बहन से कहा |

“हाँ... डालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल... दो मेरी चूत में अपने लौड़े का पानीईईई भाईईईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या मज़े से सिसकते हुए बोली और अपनी चूत के लबों को मेरे लौड़े के गिर्द और कस लिया |

अपनी बहन की चूत को यूँ अपने लौड़े के गिर्द कसता हुआ महसूस करते ही मेरी लौड़े का बंद टूट गया और मैंने अपने रस का फ्वारा अपनी सग़ी बहन की चूत में छोड़ दिया |

मेरे लौड़े से गरम मनी निकल कर यूँ ही संध्या की चूत के अंदर गिरा तो मेरे लौड़े के गरम पानी से संध्या के जिस्म को एक झटका लगा और इसके साथ वो भी चिल्ला उठी “मैंएएए भीईईईईईई गई, मेरी चूत भीईईईईईई फ़ारिग होने लगीईईईईईई है भाईईईईईईईईई” | 

अब कमरे में हम दोनो बहन भाई के झटके खाते जवान जिस्म अपना अपना गरम पानी खारिज़ कर रहे थे जिसकी वजह से अब एक सगे भाई के लौड़े का गरम मवाद अपनी बहन की चूत की तह में गिरकर बहन की चूत के रस में मिक्स हो रहा था |

अपने लौड़े का सारा जूस अपनी बहन की फुद्दी में छोड़कर मैंने अपना मुँह नीचे किया और अपनी बहन के मोटे मुम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसते हुए कहने लगा 
“उफफफफफफफफ्फ़ संध्याआ, लोग सही कहते फॉरबिडन फ्रूट्स खाने का एक अलग ही मज़ा है और आज अपने ही घर का सबसे फॉरबिडन फ्रूट् खा कर मुझे जो मज़ा मिला है वो आज से पहले कभी ज़िन्दगी में नही मिला मेरी बहन” |

“हाईईईईईईई मुझे भी ख़ुशी है कि मेरी चूत से आप के लौड़े को एक नई राहत मिली है, इसलिए अब मेरा आपसे वादा है कि आज के बाद आपकी बहन की चूत आप के लौड़े के लिए हमेशा तैयार रहेगी और मैं आप को ज़ाकिया की कमी कभी महसूस नही होने दूँगी भाईईईईईईईईईईई” मेरी बात का जवाब देते हुए संध्या ने अपनी छाती पर झुके मेरे सिर को अपने हाथों से नीचे दबाते हुए मेरे मुँह में अपना मोटा निप्पल फंसा दिया तो मैं भी जोश में आते हुए मज़े ले लेकर अपनी बहन की जवानी का रस पीने लगा |

“भाईईईईई अब बस करो और मुझे घर जाने दो, अम्मी मेरा इंतज़ार कर रही होंगी” अपनी बहन की चूत में फ़ारिग होने के बाद भी जब मैं काफ़ी देर तक अपनी बहन के मुम्मों को चूमता चाटता रहा तो फिर तंग आकर मुझे अपने आपसे ज़बरदस्ती अलग करते हुए संध्या आख़िर बोल ही पड़ी |

अपनी बहन के गरम और हसीन बदन से अलग होने को मेरा दिल तो नही चाह रहा था मगर हमारी चुदाई की वजह से संध्या को घर जाने में वाकिया ही आज काफ़ी देर हो गई थी, इसलिए ना चाहते हुए भी मैं संध्या से अलग हो कर चारपाई पर लेट गया |

संध्या बिस्तर से उठी और उसने उठकर कमरे के एक कोने में पड़े एक पुराने तोलिए से अपनी चूत से निकलने वाले खून और मेरे लौड़े के पानी को अच्छी तरह साफ किया और फिर उसने कमरे के फर्श पर बिखरे हुए अपने कपड़े उठा कर पहन लिए |

इस दौरान मैं चारपाई पर लेटकर अपनी बहन को खामोशी से देखता रहा |

कपड़े पहनने के बाद संध्या ने खाने के बर्तन उठाये और खोमाशी से कमरे से बाहर निकलने लगी |

“संध्या बात सुनो” अपनी बहन को कमरे से बाहर जाते देख कर मैंने चारपाई पर बदस्तूर लेटे लेटे संध्या को आवाज़ दी |

“जीईईई भाईईईईईईईई” संध्या ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा तो शरम से उस का मुँह लाल हो रहा था और अब वो मुझसे नज़रें मिलाने से कतरा रही थी |

“अभी चंद लम्हे पहले मेरी बहन अपनी गांड उठा उठा कर मज़े से अपनी चूत को पहली बार मुझसे चुद्वा रही थी, और अब मेरी वही बहन शरम के मारे मुझसे नज़रें चुरा रही है, वाह री औरत, तुझे समझना कितना मुश्किल है” संध्या के इस अंदाज़ को देखते हुए मेरे होंठो पर हँसी फैलती चली गई |

“आज रात अपने कमरे में मेरा इंतज़ार करना” मैं कमरे के दरवाज़े पर इंतज़ार करती अपनी बहन की तरफ देखते हुए बोला और साथ ही अपने ढीले लौड़े पर अपना हाथ फ़ेरते हुए अपनी बहन को “आँख” भी मार दी |

“मेरी बात और मेरी आँख की हरकत मतलब समझते ही संध्या के चेहरे पर भी एक म्हीन सी मुस्कुराहट फ़ैली और वो मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर दौड़ गई |
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