bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
01-23-2019, 01:22 PM,
#22
RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
“अगर दर्द हो तो बता देना,” मैंने कहा, और मैंने लयबद्ध, आराम से, अपनी बहन की चूत के अंदरूनी हर हिस्से को अपने लण्ड से मेहसूस करते हुए, चोदना जारी रखा। मैं कोशिश कर रहा था कि प्रीती की चूत का कोई हिस्सा अछूता ना रह जाये, ताकि उसको चुदाई का परम सुख मिल सके। हाँलांकि मैं लण्ड को ज्यादा अंदर घुसाने के लिये धक्के नहीं मार रहा था, लेकिन फिर भी मेरा मूसल जैसा लण्ड, मेरी बहन की छोटी सी, कमसिन चूत में गहराई तक जा रहा था, शायद इसकी वजह ये थी कि हर झटके के साथ जब मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकलता तो उसकी चूत के रस में पहले से ज्यादा भीगा हुआ होता, और उसकी उसकी चूत में अपना लण्ड घुसाने से पहले किस कदर उसकी चूत पनिया रही थी, वो तो मैं देख ही चुका था। 

मैं प्रीती को छेड़ते हुए, थोड़ा परेशान करते हुए, मजे ले लेकर चोदने लगा, पहले कुछ झटकों तक मैंने उसकी चूत में अपने लण्ड का सिर्फ सुपाड़ा ही घुसाया था, और फिर प्रीती स्वतः ही अपनी चूत को आगे बढाते हुए मेरे लण्ड को और ज्यादा अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी, और फिर एक गहरी साँस लेते हुए बोली, “ढंग से करो ना, विशाल।” वो अपनी गाँड़ और कमर को हिलाकर एडजस्ट करते हुए बोली, “अब ज्यादा शरीफ बनने की कोशिश मत करो, प्लीज ढंग से चोदो विशाल, थोड़ा जोर जोर से। हाँ, थोड़ा जोर से विशाल।”

सामान्यतः प्रीती गंदे शब्दों का इस्तेमाल कम ही करती थी, और उसका इस तरह बोलना मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था, और थोड़ी सी पोजीशन चेन्ज करने के बाद अब मेरे लण्ड का संवेदनशील हिस्सा उसकी चूत के अंदर तक जोर से घिस रहा था। मैंने चुदाई की स्पीड थोड़ा तेज की, और कुछ देर प्रीती को उसी स्पीड में चोदता रहा, और मुझे वो मंजर याद आ गया, जब मैं और प्रीती मम्मी के बैडरूम के डोर की झिर्री में से, चंदर मामा को अपने लण्ड से मम्मी की चूत पर बेरहमी से वार करते हुए देख रहे थे, हाँलांकि मुझे मालूम था कि प्रीती की कमसिन नयी नवेली चूत अभी उस तरह की बेरहम चुदाई के लिये तैयार नहीं थी, फिर भी मैंने चुदाई की स्पीड को थोड़ा और तेज कर दिया। 

चाहे मैं कितने ही जोर का झटका मारता, उसकी कमसिन प्यारी छोटी सी चूत, अपने आप को हर झटके के साथ मेरे लण्ड के अनुसार ढालने का प्रयास करती, और उसकी चूत इतनी ज्यादा पनिया रही थी, कि किसी प्रकार का कोई घर्षण मेहसूस नहीं हो रहा था, एहसास था तो बस मेरे लण्ड के उसकी चूत की अंदरूनी दीवारों पर फिसलने का। मेरी गोलियाँ अण्डकोश में ऊपर चढकर वीर्य का पानी निकालने को बेताब हो रहीं थीं, मेरा भी पानी निकाल कर हल्का होने का मन हो रहा था, लेकिन मैं चाहता था कि प्रीती की चूत का पानी निकालकर पहले उसकी चूत की आग शांत कर दूँ।

“तुम बहुत अच्छा चोदते हो, विशाल,” प्रीती ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “अगर और अंदर घुसाना चाहो, तो प्लीज घुसा लेना, मैं ठीक हूँ।” 

मैंने प्रीती को और जोरों से तेजी से चोदना शुरू कर दिया, हाँलांकि जिस तरह से चंदर मामा ने मम्मी को ताबड़तोड़ जोरदार तरीके से चोदा था, उसके मुकाबले ये कुछ भी नहीं था, लेकिन अब मैंने अपना पूरा लण्ड प्रीती की चूत में अंदर तक घुसा दिया था, और मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी से टकराने लगा था। प्रीती ने अपना सिर नीचे करते हुए कहा, “हाँ, अब मजा आया ना,” और फिर एक गहरी लम्बी साँस लेते हुए बोली, “मैं अब तुम्हारे पूरे लण्ड को अपने अंदर मेहसूस कर पा रही हूँ, इस तरह बहुत ज्यादा मजा आ रहा है।”

कुछ देर मैं उसी तरह प्रीती की चूत में अपने लण्ड के झटके मारता रहा, और फिर प्रीती बोली, “अब समझ में आया चंदर मामा से चुदते हुए, मम्मी कौन सा मजा आने की बात कर रहीं थीं,” ऐसा कहते ही वो एक बार फिर से गुर्राने लगी, और बोली, “बहुत मजा आ रहा है, विशाल!” उसने अपना सिर झुकाया हुए बोली, “जितना ज्यादा अंदर जाता है, उतना ही ज्यादा मजा आता है!” 

मैं अपने मूसल जैसे लण्ड को प्रीती की छोटी सी चूत में अंदर बाहर होते हुए देख रहा था, उसको पीछे से मस्ती में चोदते हुए उसकी गोल गुदाज गाँड़ बहुत ज्यादा सैक्सी लग रही थी, मुझे लगने लगा था कि मैं शायद ज्यादा देर तक ठहर नही पाऊँगा। मैं अपने वीर्य का रस प्रीती की चूत में निकालने के लिये बेताब हो रहा था, लेकिन तभी, “हाँ विशाल, ऐसे ही विशाल, ऐसे ही करते रहो, मैं बस होने ही वाली हूँ विशाल!!” जिस अंदाज में उसने कहा, “बस होने ही वाली हूँ,” उससे लगा कि मानो वो रोने ही वाली हो, उसकी आवाज में एक दर्द भरी कसक थी, लेकिन जिस तरह से वो अपना सिर झुकाकर, अपनी पींठ को उंचकाते हुए, अपनी कमर को पीछे धकेलते हुए, मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसवाकर, चुदाई का मजा लेते हुए, चरमोत्कर्ष के करीब पहुँचते हुए, उसके बदन में जो आनंद की मीठी लहर का संचार हो रहा था, उससे प्रतीत हो रहा था कि उसके रोने की बात सोचना बेमानी था। 

मैं प्रीती को बैडशीट अपनी मुट्ठी में भरकर भींचते हुए देख रहा था, ठीक उसी तरह जिस तरह मम्मी कर रहीं थीं, और फिर उसने अपना सिर बैडशीट पर रख दिया, और कराहते हुए गुर्राने लगी, “ओहह, ओह, ओहह,” कुछ सैकण्ड के बाद जब वो थोड़ा शांत हुई तो मुझे मेहसूस हुआ कि मेरे लण्ड से भी ज्वालामुखी फूट पड़ा था। मुट्ठ मारने के अनुभव से मुझे पता था कि दूसरी बार झड़ने में पहली बार से ज्यादा मजा आता है, और इस बार जब मेरा लण्ड मेरी बहन की इच्छुक आतुर चूत में वीर्य के बीज रोप रहा था, तो मुझे गजब का मजा आ रहा था। मेरे बदन में मस्ती की एक लहर के बाद दूसरी लहर दौड़े जा रही थी, मेरे लण्ड से निकल रहे वीर्य ने प्रीती की चूत को पूरा भर दिया था, और पिछवाड़े से अपने लण्ड को उसकी चूत में पेलेते हुए, जब मैं अपनी उलझी हुई झाँटो के थाप उसकी गाँड़ के छेद पर लगा रहा था, तो उसकी चूत से वीर्य चूँकर बाहर टपक रहा था। उसकी गाँड़ की गोलाइयों को अपने हाथों में भरकर, मैं उसकी चूत को और ज्यादा अपने करीब लाने का प्रयास कर रहा था, और झड़ते हुए इस चरमोत्कर्ष के इन यादगार अंतिम पलों का संवरण कर रहा था। 

चुदाई सम्पूर्ण होने के बाद भावातिरेक कमजोर होने लगा। मैं चुदाई के पश्चात पूर्ण रूप से संतुष्टी का अनुभव कर रहा था, और मेरी कमर ने झटके लगाना बंद कर दिया था। प्रीती ने एक गहरी लम्बी सांस लेते हुए, थोड़ा हाँफते हुए कहा, “तो ये थी, डॉगी स्टाईल।”

मैंने अपने सिंकुड़ कर छोटे होते हुए लण्ड को प्रीती की चूत में से निकाल लिया, और प्रीती पलटकर सीधी पींठ के बल बैड पर लेट गयी, उसकी फूली हुई चूत के दोनों होंठो के बीच में से अभी भी वीर्य़ चूँकर बाहर निकल रहा था, ऐसा लग रहा था मानो उसकी चूत थोड़ा सूज गयी हो। अब झाँटें ना होने की वजह से वीर्य़ का पानी बिना किसी रुकावट के नीचे टपक रहा था। उसने अपने सीधे हाथ से अपनी चूत के उभार को हल्के से सहलाया, और फिर मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखते हुए बोली, “बहुत मजा आया!” 

मैं भी झट से उसकी राईट साईड में सीधा लेट गया, और फिर जब हम दोनों छत की तरफ देख रहे थे, तो मैं बोला, “क्या मजा आया, बहुत मस्त चुदवाती हो तुम प्रीती!!”

“इसका सारा श्रेय मम्मी को जाता है,” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली, “वो ही हमारी मार्गदर्षक हैं।”

मैं मुस्कुराते हुए बोला, “कितना बिगड़ गयी हो तुम,” और प्रीती ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम दोनों बिगड़ गये हैं।”
“चलो अब जल्दी से कपड़े पहन लो, और सो जाओ, मम्मी अगर उठ गयीं और उन्होने हमको इस हालत में देख लिया तो बवाल हो जायेगा,” प्रीती ने कहा। 

“हाँ मम्मी और मामा करें तो कुछ नहीं, और हम करें तो बवाल हो जायेगा,” मैंने शरारती अंदाज में कहा। ये सुनकर प्रीती मुस्कुरा भर दी। 

उस रात के बाद, अगली सुबह जब डाईनिंग टेबल पर बैठ कर हम दोनों नाश्ता कर रहे थे, तो हम दोनों का एक दूसरे को देखने का नजरिया बदल चुका था, और जो कुछ हम दोनों ने पिछली रात देखा था, उसके बाद जो कुछ हुआ, और आगे भविष्य में क्या कुछ होने वाला था, इस बारे में हम मंथन करने लगे। मैं और प्रीती अब सारी मर्यादायें तोड़ चुके थे, इंतजार था तो बस अब अगले मौके का।

***

समाप्त

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