non veg story रंडी खाना
01-23-2019, 12:56 PM,
#37
RE: non veg story रंडी खाना
रसदार होठों का चुंबन ले कर, जीभ में जीभ घुसकर जीभ से जीभ मिलाकर और दिल की धड़कनों को एक साथ करें फकत उसके होठों को अपने दांतो में गड़ा कर मैं मदहोश हो रहा था….
निशा की जवानी में डूब कर उसके गद्देदार पिछवाड़े अपने हाथों से सहलाते हुए उसके गीले गीले होठों पर मैं और थूक ,मिला रहा था,
जीवन का यह सुख शायद सभी को नसीब होता है लेकिन मेरे जैसा नहीं, क्योंकि नीचे पड़ी वह लड़की कोई और नहीं थी वह मेरी बहन थी मेरी अपनी बहन जिस की जवानी के उठान को हम अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए उपयोग में ला रहा थे.. “भैया भैया भैया भैया भैया थोड़ा धीरे धीरे कीजिए ना इतना क्यो उतावले हो रहे हो, इतने क्यों मतवाले हो रहे हो आपकी ही हु , आपकी ही रहूंगी इतने उतावले मत हो “
निशा कहे जा रही थी लेकिन उसकी बातो का मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा था, मैं तो बस उस में डूबना चाहता था उस गहराई तक जहां तक आज तक मैंने डूबा नही था, हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे और मेरे हाथ उसके गद्देदार पिछवाड़े को सहलाते हुए उसे अपनी ओर खींच रहे थे..
दो नंगे जिस्म एक दूसरे से सटे हुए एक दूसरे में गुथे जा रहे थे सांसे तेज थी धड़कन मध्यम थी, जितना हो सके एक दूसरे से मिलने की ख्वाहिश थी ,दीवानगी सर पर चढ़ी हुई थी मेरा लिंग अकड़ कर अपनी प्यास बुझाने को बेताब था , वही निशा की योनि रस से भरी हुई छलक रही थी ,मेरे लिंग की चमड़ी थोड़ी पीछे हुई और वह धीरे-धीरे निशा की योनि में समाते गई.. एहसास ..वह एहसास इतना सुखदाई था कि हम दोनों के ही मुंह से सिसकी निकल गई निशा ने मेरे बालों को जोरों से पकड़ा और अपनी और खींचा मैंने भी उसके टांगों को हल्का सा फैलाया और अपने लिंग को और भी अंदर दबाने लगा जब तक कि वह अपनी पूरी गहराई में नहीं चला गया..
निशा ने मेरे होठों को अपने दांतो से काटा शायद मुझे दर्द होना चाहिए था लेकिन वह दर्द इतना मीठा था कि मैं बार-बार लेना चाहता था, रात के अंधेरे में हल्की रोशनी से कमरे में फैली दूधिया रोशनी में दो जिस्म एक हो रहे थे ,कमर हल्की-हल्की चल रही थी निशा के यौवन से भरपूर उसके स्तन मेरे हाथों में थे ,कभी उसके फूलों को अपने होठों से चूमता और उसमें रस के भंडार को और निचोड़कर पीने की कोशिश करता..
दोनों डूबे थे मस्ती अपने चरम में थी मैं निशा के ऊपर उछले जा रहा था और वह अपने कमर को मेरे कमर से मिलाने की पूरी कोशिश कर रही थी, निशा ने मुझे नीचे पटक दिया और मेरे ऊपर आकर अपने कमर को हिलाने लगी..
“ भैया मैं मर जाऊंगी ...आह आह ..मुझे अपना बना लो ...आह आह ..सिर्फ अपना बना लो ...आह आह ..बस मेरे हो जाओ ओह भईया ...आह आह ..आह आह .. और मुझे कुछ नहीं चाहिए,जोरो से भइया आह मुझे अपने प्यार में डूबा लो भइया जोरो से आह भइया .. मैं और कुछ नहीं चाहती आई लव यू भैया ,आई लव यू ,आई लव यू भैया, आई लव यू,...आह आह .....आह आह आह आह आह आह .”
अब वह मेरे ऊपर थी और पूरा कंट्रोल उसके ही हाथों में था मैं शांत पड़ा हुआ उसके चेहरे को देख रहा था वह मेरे ऊपर आ गिरी थी और उसके बाल मेरे चहरे के चारों तरफ फैल गए, निशा की सांसे बहुत जोरों से चल रही थी जो मेरे गालों से टकरा रही थी उसकी आंखें अधमुंदी थी जैसे कोई नशे में हूं थोड़ी देर बाद जैसे तूफान हल्का सा शांत हुआ और कमर धीरे धीरे चलने लगे हवस की गहराई प्यार की गहराई में बदलने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे के जिस्म का पूरा एहसास कर पा रहे थे और वो प्यार जिस्म से लेकर मन तक पहुंच रहे थे हम एक दूसरे की रूह को छूने में कामयाब हो पा रहे थे, मैं उसके बालो को सहला रहा था और वह मेरे ऊपर गिरी हुई अपने जिस्म को सिर्फ मेरे लिए छोड़ दी थी उसके नाज़ुक शरीर का एहसास मेरे त्वचा से होता हुआ मेरे मन की गहराइयों में उतर रहा था..
मैं उसे बहुत प्यार करने लगा था, पहले भी करता था लेकिन अब प्यार का स्वरूप भी बदल चुका था, मैंने उसके बालों को अपने चेहरे से हटाया और उसको अपनी बाहों में जोरों से खींचा वह कसमसाई हुई मेरे बाहों में समा गई वह अपनी कमर को हल्के हल्के हिला रही थी और मेरे जिस्म को सहला रही थी वह किसी समर्पण की प्रतिमा सी थी अपने आप को मेरे लिए समर्पित कर चुकी थी, मैंने आंखें खोली एक हल्का सा प्रकाश दरवाजे के माध्यम से कमरे में आता हुआ दिखाई दिया ..
देखा तो दो आंखें देखते ही समझने में देर नहीं लगी कि वह और कोई नहीं बल्कि पूर्वी है ,पूर्वी का मासूम चेहरा मेरे सामने खिलकर आ गया था..
हम दोनों की नजरें मिली वह जाने को हुई लेकिन अचानक से फिर रुक गई उसकी आंखों में आंसू थे एक अजीब सा दर्द शायद छलकने को था, शायद मैं उस दर्द को समझ पाता वह अपने आंखों से कैसे देख पा रही थी कि उसका खुद का भाई अपनी सगी बहन के साथ नंगा सोया है.. किसी के लिए भी यह सोच पाना मुश्किल है लेकिन मेरी प्यारी सी छोटी सी बहन इतने बड़े दर्द को किस प्रकार झेल पा रही होगी. उसके आंखों का आंसू मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया मैंने अपने हाथ उठाया है और उसे अपने पास बुलाया, उसने अपना सिर ना में हिलाया लेकिन मैंने उसे फिर से आंखों ही आंखों में इशारा किया आजा शायद मुझे तेरी जरूरत है उसने एक बार निशा की और देखा मैंने आंखों से कहा कि इसकी फिक्र मत कर, वह हल्के कदमों से कमरे में आई मैंने उसका हाथ थामा और अपनी ओर खींच लिया वह सकुचाई सी धीरे से बिस्तर में बैठी निशा ने अचानक अपना सिर उठाया कभी वह पूर्वी को देखती तो कभी मुझे मैंने प्यार से निशा के चेहरे को सहलाया 
“क्या यह मेरी बहन नहीं है, मैं जानता हूं कि तुम दोनों को ही पता है कि क्या हो रहा है लेकिन मैं किसी से छुपाना भी नहीं चाहता, निशा मैं उससे बहुत प्यार करता हूं और इस प्यार में कोई बंटवारा नहीं है कभी यह मत सोचना कि मेरे लिए पूर्वी और तू दो अलग हैं तुम दोनों ही मेरे लिए एक ही हो.. हां यह जिस्म का रिश्ता जो तेरे साथ मेरा बन गया है वह शायद एक भाई बहन के रिश्ते में नहीं होना चाहिए था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं पूर्वी को भूल जाऊं या तेरे ऊपर मेरा कोई विशेष अधिकार हो गया तुम दोनों आज भी मेरे लिए मेरी जान हो ,मेरी बहने हो ,आज भी मेरी कलाई में राखी तुम्हारे नाम की बंधती है…..”
“ निशा मेरी बात को समझना जितना अधिकार तुम्हारा मेरे ऊपर है उतना ही पूर्वी का भी है ..यह जिस्मानी रिश्ता केवल मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगा ,लेकिन मुझे पूर्वी को भी प्यार करने दे “
निशा बहुत भावुक हो चुकी थी उसकी आंखों में आंसू था साथ में पूर्वी के भी शायद इन दिनों जब उसके मन से सभी के लिए नफरत निकल चुका था और वह मेरे ही दुनिया में खोई हुई थी इस समय में और इस खुशी में उसे सोचने पर मजबूर किया था की सच में हम दोनों भाई बहन हैं हमारा जो रिश्ता बन चुका है उसे भुलाया नहीं जा सकता उसे बदला नहीं जा सकता लेकिन निशा का मेरे ऊपर एकाधिकार चाहना शायद निशा को यह बात समझ आ गई थी कि प्यार में अधिकार नहीं होता ,या समझ नहीं आई थी..??
मैंने फिर से निशा की आंखों में देखा 
“बहन... मेरी जान... प्यार में कोई एकाधिकार नहीं होता असला प्यार में तो अधिकार ही नहीं होता प्यार में होता है तो सिर्फ और सिर्फ समर्पण जो तूने किया है मेरे लिए, लेकिन अगर तू यह चाहती है कि कि तेरा मेरे ऊपर अधिकार हो तेरे प्यार नहीं बस जिस्म की हवस होगी यह वासना होगी, अधिकार की चाह करना ही वासना है”
निशा ने मेरी आंखों की गहराइयों में झांका और मेरे होठों पर हल्का सा चुंबन दिया,
“ भैया मैं जानती हु कि आप क्या कहना चाहते हो लेकिन क्या करूं ..जब आपको किसी दूसरे को प्यार करते देखती हु तो दिल जल जाता है सांसे रुक जाती हैं लगता है कि कोई आपको मुझसे छीन लेगा मैं इस बात से परेशान हो जाती हु कि कैसे आपके प्यार का बटवारा करूँगी ,भैया मैं मानती हूं कि मुझसे गलती हुई लेकिन क्या आप मुझे माफ नहीं करोगे..”
मेरे होठों पर मुस्कान आ गई मैंने पूर्वी का हाथ पकड़ा और उसे अपने ऊपर खींचा मेरी एक बाह में निशा थी वहीं दूसरी बाह में पूर्वी..
निशा के जिस्म में एक भी कपड़ा नहीं था उसकी योनि में अभी भी मेरा लिंग पूरी तरह से समाया हुआ था लेकिन पूर्वी?? पूर्वी मासूम निश्चल सी मेरे बाहों में खुद को सामने की कोशिश कर रही थी वह अचानक से रो पड़ी 
“भैया यह क्या हो रहा है मैंने कभी ऐसा तो नहीं सोचा था मैंने आपका प्यार चाहा है , मैं दीदी का प्यार चाहा है , मैं चाहती थी कि आप दोनों मिलो ,मैं आपके और दीदी के बीच नहीं आना चाहती थी ..लेकिन ??
यह क्या हो रहा है क्या प्यार करना इसी को कहते हैं क्या प्यार करने के लिए दो जिस्म का मिलना जरूरी है???
क्या जिस्मों के बाहर प्यार नहीं होता??
अगर दीदी आप से प्यार करती थी क्या जरूरी था कि उनका जिस्म आपके जिस्म से मिले क्या जरूरी था वह करना जो दुनिया की नजर में गलत है????”
मेरी मासूम बहन ने मुझसे ऐसा सवाल पूछ लिया था जिसका जवाब मेरे पास नहीं था शायद उसने मुझे आइना दिखा दिया था लेकिन अब देर हो चुकी थी बहुत देर मैं प्यार से उसके बालों को सहला रहा था इधर निशा मेरे गालों को चूमते हुए अपनी कमर को हल्के हल्के हिला रही थी बड़ी अजीब सी कंडीशन थी ...एक तरफ मेरी वह बहन थी जिसके साथ मेरी जिस्मानी संबंध है और एक तरफ मेरी वह बहन थी जिसे बेहद प्यार करता था जिसके बारे में मैं गलत सोच भी नहीं सकता था ..
मासूमियत हवस और प्यार तीनों एक साथ हैं थे जज्बात मोहब्बत और भावनाओं का उफान सब कुछ एक साथ थे.. जिस्म की आग ,प्यार की ठंडकता सब कुछ एक साथ थे, निशा रो रही थी पूर्वी भी रो रही थी और मेरे आंखों में पानी था.. दो जिस्म नंगे पड़े थे लेकिन आंखों में पानी लिए, मेरा लिंग मेरी बहन की योनि की गहराइयों में था उसमें अकड़ भी थी और वह योनि के रस से भीगा हुआ भी था लेकिन मन में हवस का एक कतरा भी नहीं बचा था, निशा भी रोते हुए अपने कमर को हल्के हल्के हिलाए जा रही थी और मेरा अभी भी उसके मांसल चूतड़ों को सहलाया जा रहा था.. मेरी दोनों बहनें मेरे साथ थी, उस रूप में जो दोनों चाहती थी एक को बस प्यार चाहिए था और दूसरे को मुझ पर अधिकार मेरे जिस्म पर अधिकार.. दोनों को वो मिला था जो वह चाहते थे और मुझे???
मुझे मिली थी जन्नत, मेरे साथ दोनों थे दोनों का प्यार मेरे साथ था , मेरा मन शांत था मैं खुश था मानो पूरे दुनिया की जन्नत मेरे कदमों में हो, पूरी दुनिया की खुशियां मेरे कदमों में है अपने दोनों बहनों को प्यार करना चाहता था उस तरह से जिस तरह से वह चाहती थी.. एक से जिस्मानी होकर तथा दूसरे से रूहानी होकर ....
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RE: non veg story रंडी खाना - by sexstories - 01-23-2019, 12:56 PM

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