RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
"मैं नही मानता भला कौन ऐसी चीज़ों पे यकीन करता है एनीवेस स्टेशन लगता है आने वाला है".........मैने अपने गले को खकारा..तभी एकदम से एक आवाज़ आई "हो गयी आप दोनो की बातें पूरी".......एक सुनहेरे बालों वाली किसी विलायती जैसी दिखने में एक गोरी मेम आसिफ़ के साथ बगल में बैठ गयी और उसने आसिफ़ को चाई दी
"ओह्ह सॉरी मैने तुम्हे इनसे मिलवाया नही इनसे मिलो मेरी वाइफ शीबा"........
.लड़की उसे हक्का बक्का देखते रह गयी उसकी खूबसूरती को बयान करना उसके लिए मुस्किल था उसे एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसकी आँखे उसके साथ धोका खा रही हो....
"फिरसे स्टोरीस? ये लड़का ना सच में जबसे राइटर की जॉब पकड़ी है बस लिखते रहते है लिखते रहते है ऑल टाइम यही बकवास हा हा हा"........शीबा ने हँसके लड़की की ओर देखा जो उसकी बातों से मुस्कुराने लगी.....
"वैसे सच कहूँ तो आप दिखने में काफ़ी बे-इंतिहा खूबसूरत हो"........
शीबा बाजी ने मेरी ओर मुस्कुराया देख कर..."दरअसल जैसे जैसे उमर होती है खूबसूरती बढ़ जाती है"......मैने हँसके जवाब दिया हम सब हँसने लगे...
"नही सच में लग ही नही रहे आप इंडियन हो लेकिन सच में आप दोनो वाक़ई काफ़ी अच्छे कपल हो".......
मैने उसे थॅंक्स कहा और शीबा ने भी...."दरअसल हम लोग रोमन और ट्रॅन्ज़ील्वेनिया में काफ़ी सालो से रहे है शायद इन्ही वजहों से खैर वैसे आओ कभी कोलकता में हम सॉल्ट लेक में रहते है"....शीबा ने मुस्कुरके लड़की को इन्वाइट किया और उसने बस मुस्कुराया
"ट्रॅन्ज़ील्वेनिया माइ गॉड मैं तो कभी ना जाउ हाहाहा".......एक बार फिर बौगी में हम तीनो के ठहाके लगाती हँसी निकल गयी उस लड़की की बातों को सुन...इतने में एक गुंडा दरवाजे पे एंट्री करता हुआ उस लड़की को अज़ीब निगाहो से देख कर दूसरी ओर चला गया
"क्या बात है?".......मैने चश्मा ठीक करते हुए उस शक्स को जाते हुए उस लड़की की ओर देखा
"पता नही सुबह से फॉलो कर रहा है सच में शैतान तो हम इंसानो में भी छुपा है"........
मैं मुस्कुराया "डॉन'ट वरी कुछ लोगो की प्यास महेज़ खून नही होती".........मेरी बातों से उस लड़की के चेहरे पे फिर मुस्कान आई
जल्द ही हमारा स्टॉप आने को हो गया...."चलो फिर हम चलते है और अगर दोबारा मिले ऐसी उम्मीद करते है"........मैने बॅग हाथो में लेते हुए लड़की की ओर खड़े होके कहा
"ओके सर ओके मॅम बाइ".....उसने हम दोनो से हाथ मिलाया और खड़ी होके अपना बॅग पॅक करने लगी....
"मैं आती हूँ"........शीबा बाहर निकल गयी
"ठीक है जल्दी आना"......मैं फिरसे अपना बॅग पॅक करने लगा
सीटी मारता हुआ वो आदमी जो कुछ देर पहले उस लड़की की ओर घूर के टाय्लेट में अभी घुसा ही था इतने में उसे किसी ने बड़ी ज़ोर से गर्दन से पकड़ लिया...और उसे टाय्लेट में लगे शीशे पे उसके सर को दे मारा....काँच टूट गया और उसका चेहरा खून से तरबतर...वो ख़ौफ्फ भरी निगाहो से टूटे शीशे में अपनी गर्दन को जकड़े उस औरत को देख सकता था..जिसकी आँखे सुर्ख लाल थी और उसके दाँत नुकीले हो गये थे
उसने उस आदमी के मुँह को कासके बंद किया और उसकी गर्दन पे अपने दाँत गाढ दिए......एक दर्द भरी घुटि आवाज़ सुनाई दी....उसके बाद जब टाय्लेट से बाहर निकलके उस औरत ने खुद को शीश मे देखा तो वो मुस्कुरा उठी...शीबा बाजी ने एक बार फिर इंसान का शिकार कर दिया था जिसके खून को पीते हुए वो सिसकिया भर रही थी इस अज़ीब सी प्यास के बुझते ही उसने अपने चेहरे पे लगे खून को धोया और फिर बौगी में आई..."चलो शीबा स्टेशन गया है ओके फिर ये लो".........मैने उस लड़की को एक बुक दी
"ये मेरी कहानी बुक के तौर पे जब चाहो तब पढ़ लेना और हाँ इस किताब के अंदर उन दोनो की तस्वीर है".........
"ऐसा क्या? थॅंक यू सो मच"......उस लड़की ने चहेकते हुए कहा....
"सम्टाइम्ज़ स्ट्रेंज ईज़ नोट फिक्षन किसी बहुत ही समझदार शक्स ने कहा सम्टाइम्ज़ फॅक्ट्स आर स्ट्रेंजर दॅन फिक्षन "......मैं मुस्कुराया और शीबा का हाथ पकड़े स्टेशन से बाहर चला गया....लड़की को सवर नही था और उसने फ़ौरन उस लिफाफे से किताब को बाहर निकाला और उसके पन्ने पलटे एकदम से वो तस्वीर उसके हाथो में आ गयी और उसके चेहरे की मानो जैसे हवाइयाँ उड़ गयी थी....वही चेहरा वही रूप....शीबा बाजी और उसके भाई आसिफ़ की जिसे वो कुछ देर पहले मिली थी उसके को-पॅसेंजर्स इसका मतलब ये कहानी झूट नही थी".......
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