RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
मैने फ़ौरन बाजी की गर्दन पे जकड़े उन हाथो पे तलवार चला दी….और ठीक उसी पल हाथ कट के नीचे गिर पड़े….दहाड़ते हुए वो शातान पीछे होने लगा…..बाहर का तूफान थमने का नाम नही ले रहा था चारों ओर एक गहरा अंधेरा सा छाया हुआ था…
.और ठीक उसी वक़्त मशाल लिए बस्ती का हर आदमी क़िले की तरफ बढ़ने लगा….चार्ल्स ने उन्हें रोका लोगो के दिलो में गुस्सा फैल चुका था और अब वो मिलके उस खंडहर को आग लगाने वाले थे….चारो ओर की हवाओं में एक अज़ीब सा ख़ौफ़ था
ड्रॅक्यूला दहाड़ते हुए किसी जानवर की तरह शीबा बाजी और मेरे पीछे दौड़ पड़ा…मैं शीबा बाजी का हाथ पकड़े सीडियो से उपर आके तहख़ाने का दरवाजा जैसे ही बंद करने को हुआ इतनी देर में दरवाजा अपने आप खुल गया….
”तुम लोग यहाँ से ज़िंदा नही जाने वाले”….एक बेहद दोहरी आवाज़ हमारे कानो के पर्दे को फाड़ने को हो गयी
शीबा बाजी ने चिल्लाया कि मैं वहाँ से भाग जाउ पर मैं उन्हें राजा के करीब आने से रोक रहा था….तभी बादल की गरजते हुए बिजलिया शीशे को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हुई ठहाका लगाते हुए वो राजा बेहद करीब आने लगा उसके नुकीले दाँत मेरी ओर ही बढ़ने लगे...लेकिन उसी पल लूसी उनके सामने खड़ी हुई थी
और मेरी उसी पल चीख निकली “लूसी”……उस शैतान की निगाहें लूसी की ओर थी और उसे अपने सम्मोहन में खीचते हुए उसने अपने दाँत उसकी गर्दन पे गाढ दिए थे…उग्घ्ह लूसी की सिर्फ़ इतनी सी आहह निकली उसकी आवाज़ उसके गले में घुट के रह गयी…राजा के दाँतों से निकाला पुर्ज़ ज़हेर उसके मृत शरीर में जाने लगा….फिर उसका खून बहने लगा..बाजी ने मुझे कस्के पकड़ लिया था मैं बस छटपटाया और बेबसी में रोए जा रहा था
और जब उसने लूसी को अपनी गिरफ़्त से छोड़ा तो उसका बेजान जिस्म ज़मीन पे गिर पड़ा…मैने उसे जगाया लूसी कराह रही थी “आहह उग्घह मार दो मुझे आसिफ्फ म..मेरे अंदर..र्र शैत्तान्नू का ज़हेर आ गया..आया हाईईइ शा..यद ये साथ कुछ पॅलो का ही सही लेकिन मैं अपने निर्दयी हाथो से तुम्हें जान से नही मार सकती आहह मुझे..ही मांफ करना”……
मैं चुपचाप बस आँखो में आँसू लिए उन पलों को याद करने लगा जब मुझे लूसी मिली थी शायद वो अपनापन दोस्ती से बढ़के था….उसकी वजह से आज मैं और बाजी एक हो सके…मैने अपनी आँखो को बंद करके उसके सीने में तलवार घुसा डाली..उसकी एक चीख निकली और उसके बाद उसका जिस्म जलता हुआ कोयले की तरह राख में तब्दील हो गया…
चार्ल्स और गाओं वाले अंदर दाखिल हुए क़िले को आग लगा चुके थे…”फ़ौरान चले आओ आसिफ्फ एशा”….उसकी आवाज़ को सुन मैं जैसे ही पीछे मुड़ा शीबा बाजी को अपनी गिरफ़्त में लिए राजा बाहर की ओर उड़ने लगा…मैने अपनी तलवार को लिया और दौड़ते हुए उसी दिशा की ओर कुदा मेरी तलवार राजा के पाँव को छूते हुए निकल गयी…राजा मेरी ओर ठहाका लगाए हँसने लगा
“आहह आअहह य्ाआअ”……..एक बार और वो दहाड़ उठी…और इस बार मैं अपने कपड़ों को फाड़ भेड़िए में तब्दील हो चुका था गाओं वाले ख़ौफ़ से बाहर की ओर भागे
“ठहर जाओ उससे डरो नही”……..शापित भेड़िया दीवारो पे चढ़ता हुआ ड्रॅक्यूला को महल से निकलने से पहले ही उसके जुतो को पकड़ चुका था और उसकी टाँगों को मज़बूती से पकड़े ज़मीन की ओर उसे गिरा दिया…राजा के बाजुओं से शीबा बाजी का बेहोश जिस्म छूट गया….और फुरती से भेड़िया उसे अपनी बाहों मे लेके फर्श पे कूद गया….बाजी बेहोश पड़ी थी जिसे उसने लिटा दिया….भेड़िया दहाड़ता हुआ ड्रॅक्यूला की गर्दन को जकड़े उसपे हावी हो चुका था
इस बार दो शैतान आपस में अंधाधुंध लड़ाई करने लगे….दोनो एक दूसरे पे पंजो का वार करने लगे…ड्रॅक्यूला भेड़िए को काटने की कोशिश करने लगा भेड़िया ने उसे दीवार में धसा दिया और उसे गर्दन से पकड़े फिर दूसरी ओर फ़ैक् डाला….ड्रॅक्यूला दर्द से कराहते हुए भेड़िए पे झपट पड़ा….इन शैतानों की लड़ाई का हर कोई गवाह था जो सामने दिख रहा था…दोनो आपस में काफ़ी देर तक लड़ाई करते रहे भेड़िए ने बेदर्दी से ड्रॅक्यूला की गर्दन पे दाँतों को गाढ दिया और उसे खींचता हुआ किसी लाश की तरह बाहर ले जाने लगा…हर कोई रास्ते से हट चुका था…क़िला ढहने लगा सब लोग भांगने को हुए
तब तक चार्ल्स भी बचते हुए शीबा बाजी को अपनी कंधे पे उठाए बाहर की ओर भागा….क़िले के अंदर रह गये दोनो शैतान….आपस में लड़ते हुए…डार्क्युला चीख रहा था चिल्ला रहा था दहाड़ रहा था….भेड़िया उसे छत पे ले आया….चारो ओर आग की लपटें जर्जर इमारत को गिरा रही थी बलाओ की चीख गूँज़ रही थी पूरे महल में
जल्द ही वो उमड़ा तूफान सॉफ होने लगा और सूरज फिरसे निकलने को हुआ…..”नही नहियीई”……..खुदा की वो रोशनी थी जो इस इब्लीस पे पड़ने वाली थी जिसके ख़ौफ़ से वो अपने चेहरे पे हाथ रखे हुए था ना जाने क्यूँ आसिफ़ को विश्वास था यकीन था कि एक ना एकदिन वो इस रास्ते पे ज़रूर भटक के वापिस लौटेगा जहाँ खुदा उसकी मदद करेगा उसने ड्रॅक्यूला को हवा में दूर फ़ैक् दिया और ठीक उसी पल सूरज की तेज़ रोशनी काले बदल के आर पारहोती हुई ड्रॅक्यूला के उपर पड़ी
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