RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
जल्द ही भारी कदमो की आवाज़ सुनाई दी और ब्रिटिश अमल की वेश भूषा कपड़ों में एक आदमी अंदर आया उसे देख कर ख़ौफ़ खा जाने का दिल तो हो ही गया था....लेकिन उसे जाने में देरी ना लगी ये कोई और नही यहाँ का राजा स्किवोच था..."तुम्हें एक राज़ की बात बताना चाहती थी मेरे भाई आओ मेरे साथ".....मैं उनके साथ स्किवोच के करीब आया उन्होने मुझे बड़े गौर से देखा और मुस्कुराया "एक मासूम चेहरा आम इंसानो जैसा पर उतना ही ख़तरनाक".......उन्होने मुस्कुराया मैने भी उन्हें उनके तौर से सलाम किया...."ये अब मेरे पति है और मैं इनकी पत्नी बन चुकी हूँ".......मुझे इस बात को सुनके करीब बहुत ज़ोर का धक्का लगा बाजी ने शादी कर ली वो भी एक पिसाच के साथ
मेरे मन को दोनो ने बखूबी पढ़ लिया था और ठहाका मारके हँसने भी लगे...."मेरा नाम स्किवोच द कस्वा है और मैं यहाँ का महाराजा हूँ तुम्हें किसी चीज़ से डरने की कोई ज़रूरत नही ये सब तुम्हारे अपने है....तुमने सही फरमाया तुम्हारी बेहन का मैं पति हूँ....और ये सारे मुलाज़िम हमारी देख रेख करते है और क़िले का भी इनमें से मेरे ज़्यादातर मुलाज़िम मेरे बनाए हुए है फिलहाल तो तुम मेहमान नही हमारे अपने बनके आए हो और तुमसे मिलने का मुझे भी बहुत मन था तो क्यूँ ना पहले दावत का लुफ्त उठाया जाए".........इतना हस्मुख और इतना सज्जन शक्स मैने अपनी ज़िंदगी में नही देखा था
हम सब जल्द ही एक डाइनिंग टेबल पे बैठे हुए थे करम्चारि सब जा चुके थे वहाँ सिर्फ़ लूसी ही मौजूद थी....."ह्म्म्म तुम्हारी बाजी ने मुझे सबकुछ बताया है कि किस तरह तुमने उन्हें नयी ज़िंदगी दी सच में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है वरना हमसे तो सब नफ़रत ही करते है"............मैने कच्चे माँस को खाते हुए उनकी ओर देखा जो खून के जाम की चुस्किया ले रहे थे....."वैसे लूसी ने तुम्हें कोई तक़लीफ़ तो नही दी होगी आइ आम आपसोल्यूट्ली श्योर".......उनकी मुस्कान में एक शरारत थी मैं समझ चुका था वो सबकुछ जान गये कि लूसी और मेरे बीच जिस्मानी रिश्ते भी हुए है..लूसी शरमा गयी नज़रें झुकाए....
"ह्म्म अच्छा किया लूसी जो तुम इसे अपने साथ ले आई....रास्ते में उन भेड़ियों का क्या हुआ?".......स्किवोच को सब मालूम था..उन्होने एक ही झटके में कह डाला कि तुम्हें अपने भाई पे नाज़ होना चाहिए इसने उन भेड़िए के संगठन को हमारे इलाक़े से दूर कर दिया अब हमारा एक्मात्र दुश्मन भी नही रहा....शीबा बाजी बहुत खुश हुई और मुझे प्यार से देखने लगी...लूसी भी मेरे ताक़त की तारीफ करने लगी
कुछ देर बाद हम एक कमरे में दाखिल हुए...स्किवोच ने बाजी को मेरे सामने अपने गले लगाके गर्दन और गाल पे चूमा और उन्हें कुछ देर मेरे साथ वक़्त बिताने को कहके चले गये....मैं बाजी के नज़दीक आया और उन्हें बड़े प्यार से देखने लगा....मेरी आँखो में आँसू थे कि मेरी बाजी अब दुकेले हो गयी है उन्हें उनके मन के लायक जीवनसाथी मिल चुका है.....बाजी ने मुझे अपने साथ गद्देदार बिस्तर पे बिठाया और मेरे यहा आने का सबकुछ जानने लगी...मैं अपने से ज़्यादा उनके बारें में जानना चाहता था कि आख़िर उस रात क्या हुआ था? वो यहाँ कैसे आई? और कैसे स्किवोच ने उनसे शादी कर ली?
बाजी ने मुस्कुरा के मुझे सबर करने को कहा फिर धीरे धीरे ब्यान करने लगी अपना अतीत "उस रात जब हम बर्फ़ीली तूफान में बिछड़ गये थे तो मुझे कुछ याद नही रहा क्यूंकी बर्फ़ीले तूफान में मैं फिसलते हुए पहाड़ से सीधे नदी में गिर पड़ी थी.....अगर उस वक़्त कोई इंसान मेरी जगह होता तो शायद कबका मौत के घाट उतर जाता....मुझे कयि दिनो तक कुछ याद नही रहा....फिर अचानक एकदिन नही के पास ही मैं स्किवोच को मिली जो हिन्दुस्तान उस वक़्त हमारे शहर घूमने आया था उसे वहाँ हमारी मज़ूदगी की गंध मिली थी वो हमे ही ढूँढते हुए आया था...स्किवोच एक पुराना राइज़ शक्स है जिसने लिलिता से खुद ना मरने का अमल हासिल किया था लिलिता ने उसके मरने के बाद ही उसे ड्रॅक्यूला बना दिया...और वो हम सबसे उमर में 1500 साल का बड़ा है...उनके आगे पीछे कोई नही था...सिवाय उनके मुलाज़िमो के जब मैं उन्हें मिली तो मैं उन्हे बेहद पसंद आई उन्होने मुझे प्रस्ताव दिया कि मैं उनकी दुल्हन बन जाउ ताकि वो अपने अकेलेपन के जीवन को व्यतीत ना कर पाए....सच पूछो तो उनकी सेवा में ही मुझे उनसे इश्क़ हो गया था....मुझे उनके रंग रूप से कोई मतलब नही रहा....वो मुझे उसी बेहोशी हालत में ट्रॅन्ज़ील्वेनिया लाया था...फिर जब मुझे होश आया तो मैने वापिस जाने का मन बनाया पर सच पूछो तो उनके प्यार ने मुझे रोक दिया....लेकिन मैं तुम्हारे लिए सच में बहुत इंतेज़ार कर रही थी डर लग रहा था कि क्या तुम दूर चले गये? स्किवोच ने खुद ही चाहा कि वो तुम्हें वापिस ले आए पर क्या पता तुम हमारे रिश्ते से तय्यार ना होते? जल्द ही तुम्हारे पास खत भेजा था हमने हम तुम्हारे बारें में जान चुके थे कि तुम किस हाल में हो? सच पूछो भाई आज सच में खुशिया का फिर लौट आई है".........इतना कहके बाजी रोने लगी
मैने बाजी के आँसू पोंछे और उनके गोद पे अपना सर रख दिया....मैं बाजी के लिए बेहद खुश था...यहाँ के वातावरण में आज़ादी थी...स्किवोच को सबकुछ मालूम था कि मेरे और बाजी के बीच कैसे रिश्ते है? ईवन उसने ये बाजी को सॉफ कह दिया था कि अगर वो चाहे तो मुझसे भी जिस्मानी तालुक़ात रख सकती है क्यूंकी वो खुद अपने अकेलेपन को लूसी के साथ निकालते थे...मुझे ये जान के काफ़ी हैरानी हुई पर खुशी भी कि मुझे मेरी बाजी से अब चुपके चुपके प्यार तो नही करना परेगा.....बाजी काफ़ी देर तक मुझसे बात करती रही फिर उसने लूसी की मेरे लिए सेवा वाली बात पूछी.....वो रात कैसी थी बाजी को सब बताया?....बाजी ने मुझे आँख मार दी कि हमारी ये नयी ज़िंदगी में एक यही खुश रहने का तरीका है....कुछ देर बाद बाजी को बुलावा आया स्किवोच सर उन्हें बुला रहे थे.....बाजी अपने शौहर से मिलने फ़ौरन दरवाजे से आरपार चली गयी..
सूरज जल्द ही छिप गया और बदल गरजते हुए रात होने लगी..मैने बाहर निकलके स्किवोच के कमरे के पास जाके देखना चाहा....वहाँ खड़े मुलाज़िम बस चुपचाप मुस्कुरा के मुझे देख रहे थे "हमारी मालकिन और मालिक का ये वक़्त एक साथ बिताने का होता है ज़्यादातर वो एक्दुजे के साथ ही कमरे में वक़्त बिताते है".....
.मैं मुस्कुरा के शरम से लाल हो गया लेकिन सच पूछो तो यही यहाँ की रीत थी कोई किसी से शरमाता नही था ना मज़ाक उड़ाता था....एकदम से लूसी मिल गयी जो मेरे ही पास आ रही थी...."अर्रे वाह तुम यहाँ?"......उसने मेरे मंन को पढ़ लिया था
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