RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
मैं सॉफ समझ चुका था उन लोगो की बातें "हाहाहा एक पिशचनी के साथ एक गरम गरम ताज़ा खून भी इंसान का मिलेगा वाहह आज तो शिकार में दुगना फायेदा हुआ"........उन लोगो की बातें मेरे ज़हन में ख़ौफ़ पैदा कर रही थी...अबतक मैं चुप था लेकिन मुझे अब मोर्चा संभालना चाहिए था कहीं वो लोग लूसी को मार ना डालें वो एक करके एक पंजे आगे रखते हुए हमारे करीब आने लगे जैसे अब नही तो तब वो हम्पे छलाँग लगा देंगे....लूसी को सबर ना हुआ और वो उनपर उड़ते हुए टूट पड़ी...उन भेड़ियों के झुंड ने उसपे ही सीधे हमला कर दिया वो चिल्लाई कि मैं बताए रास्ते की ओर भागु...पर मैं उसे अकेले मौत के दलदल में छोड़ नही पाया
और तभी एक तेज़वार मुझपे हुआ और मैं कब गश ख़ाके पेड़ से टकराके गिर पड़ा मुझे पता नही......वो भेड़िया मेरे नज़दीक आने लगा...लूसी ने फ़ौरन उसकी गर्दन पे दाँत गढ़ा दिए वो दहाड़ उठा और फिर लूसी ने उसे पूरी ताक़त से दूसरी ओर फैक दिया लेकिन पीछे से दूसरे भेड़िए ने उसपे हमला करके गिरा दिया....अब उन लोगो ने लूसी को घैर लिया और मैं बेबस लाचार उसकी ओर देखने लगा लूसी एकदम ठिठक चुकी थी उसके अकेले के बस का नही था इन ख़ूँख़ार खून के हिंसक जानवरो को मारना...."या अल्लहह मुझे इस बार पूरी ताक़त दे दे ताकि मैं उस मासूम को बचा पाऊ"........मैं खुदा से गुहार लगाने लगा लेकिन रास्ता मेरे सामने था....सूरज अभी निकला नही था....एक ही काम हो सकता था खुद पे दरिंदे को सवार करना..."आआआआआआआआआअहह".........मैं इतनी ज़ोर से गुस्से में ग़र्ज़ा कि उन भेड़ियों की निगाह मेरी ओर होने लगी....धीरे धीरे गुस्सा मुझपे हावी होने लगा और जल्द ही वो गुस्सा मेरे रूप को बदलने लगा
वो भेड़िए मुझे बड़ी गौर से देखने लगे लूसी चुपचाप ख़ौफ़ में सिमटी हुई थी....धीरे धीरे उनके सामने एक इंसान भेड़िए में तब्दील होने लगा....उसकी लंबे नाख़ून बढ़ने लगे उसके पूरे बदन से फाड़ के बाल बढ़ने लगे....एक जानवर में तब्दील होने लगा वो...उसकी आँखे गहरी सुर्ख लाल होने लगी....और उसके दाँत नुकीले होने लगे.....जल्द ही उनके सामने भेड़िया बनके आसिफ़ खड़ा हो चुका था....वो लोग उसे देख कर हक्का बक्का हो गये और उसपे हमला करने के लिए भी तय्यार थे.....भेड़िया उन पाँचो भेड़ियो को घूर्र रहा था...अपने आकार से भी दुगने आकर का भेड़िया उनके सामने खड़ा था....अब बाजी आसिफ़ के हाथो में थी...
उन भेड़ियों की तरफ घुर्राते हुए आसिफ़ ने ललकार दी....उन भेड़ियों को बस मौका चाहिए था और वो उसपे टूट पड़े...लूसी चिल्ला उठी पर उसके हाथ में अब कुछ नही था...आसिफ़ ने पास आ रहे एक भेड़िए की गर्दन को अपने पंजो से दबोच दिया और उसको एक ही झटके में दूसरी ओर हवा में फैक डाला...इस नज़ारे को देख कर चारो भेड़ियों की हड्डिया काँप उठी उन भेड़ियों ने सीधे आसिफ़ को घैरते हुए उसे काट खाना चाहा...एक भेड़िए ने आसिफ़ की टाँग को सख्ती से दाँतों से पकड़ लिया जबकि तीनो उसके बदन के हर अंग को अपने दांतो से पकड़ने की नाकाम कोशिशें कर रहे थे
लेकिन उस भेड़िए के आगे भेड़िए कहाँ टिक पाते?....आसिफ़ ने फ़ौरन अपनी एक लात पीछे के भेड़िए को मारी जो सीधे पेड़ सहित नीचे गिर गया....दोनो भेड़ियों को वो काटने को हुआ और इस भेड़ियों की लड़ाई में काफ़ी खून ख़राबे के बाद...आसिफ़ ने एक भेड़िए को सख्ती से पकड़के उसकी गर्दन को काट डाला..वो रोई आवाज़ में वही गिर पड़ा...दूसरे भेड़िए को गर्दन सहित पकड़के आसिफ़ ने उसे झाड़ियों में फैक डाला वो अभी उठ भी पाता...उसके गले पे आसिफ़ के सख़्त भारी पंजो के पाँव थे अब वो उठने के लायक नही रहा और फिर आसिफ़ ने उस भेड़िए की गर्दन को काट के उसका काम वही तमाम कर दिया...दो भेड़िए अब भी लड़ने को पास आए
पर आसिफ़ ने उन दोनो भेड़ियों को अपनी मज़बूत ताक़त से उछाल उछाल के पछाड़ दिया...दोनो की मिमियती आवाज़ को सुन आसिफ़ बस घुर्राटे हुए दाँत निकाले उन घायल भेड़ियों की तरफ देख रहा था....अचानक पीछे से एक भेड़िए ने हमला करना चाहा...पर उसकी गर्दन आसिफ़ के पंजो में गिरफ़्त हो चुकी थी इससे पहले कि वो उसपे हावी हो पाता...जल्द ही उस भेड़िए ने अपनी आँखे बंद कर ली उसका गला आसिफ़ घोंट चुका था...जब आसिफ़ को लगा कि वो मर चुका है तो उसने उसे फ़ौरन ज़मीन पे फ़ैक् डाला और उन दोनो की ओर देखने लगा
वो दोनो भेड़िए पंजो के बल बैठके आसिफ़ की ओर झुक गये मानो जैसे उन्हें अपनी हार मंज़ूर थी और फिर उन्होने हववव हववव करके रोना शुरू कर दिया.....आसिफ़ बस उन्हें घूर्र रहा था फिर आसिफ़ धीरे धीरे भेड़िए के रूप से बदलते हुए इंसान में तब्दील होने लगा...लूसी पास आ चुकी थी उसे आसिफ़ की ताक़त पे नाज़ हुआ....आसिफ़ उनके मन को पढ़ने लगा उनकी भौंकने की आवाज़ को पहचानते हुए मुस्कुराया
भेड़िए : हमे अपनी हार मंज़ूर है आपके आगे हम झुकते है
आसिफ़ : इस दुनिया में कोई किसी का गुलाम नही हम सब आज़ाद जानवर है जाओ मैने तुम्हारी ज़िंदगियो को रिहा किया
भेड़िए : नही आका हम अपनी ग़लती पे शर्मिंदा है आप हमे जो चाहे सो सज़ा दे सकते है हमारी हार आज पहली बार हमसे भी बड़े भेड़िए से हुई है हम आपको अपना राजा मानते है
आसिफ़ : मुझे कोई राजा नही बनना मैं एक महेज़ शापित इंसान हूँ ठीक है तो तुम लोग मुझे एक वचन दो
भेड़िए : बोलिए आका हम आपके सभी शर्तों के लिए तय्यार है
आसिफ़ : आज के बाद तुम लोग कभी भी मासूम इंसानो का शिकार नही करोगे और ना ही किसी पिसाच को मारोगे बशर्ते अगर वो तुम्हारे दुश्मन ना हो तुम लोग यहाँ से कहीं दूर चले जाओ जहाँ से दोबारा लौटके ना आओ जहाँ इंसान तो क्या किसी और पिसाच की भी परछाई ना पड़े अपनी अलग बस्ती बनाओ
भेड़िए : जी आका हमे मंज़ूर है (उन भेड़ियों ने अपना सर आसिफ़ के आगे झुका लिया.....फिर आसिफ़ ने उन्हें देखते हुए ज़ोर से भेड़िए की आवाज़ निकाली हववववववववव ये जीत की खुशी थी वो भेड़िए भी आसिफ़ की आवाज़ के साथ चिल्ला उठे....जंगल में चारो ओर ये आवाज़ गूँज़ उठी)
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