RE: Nangi Sex Kahani सिफली अमल ( काला जादू )
लूसी टहाका लगाके हँसने लगी उसने मेरे मन को जैसे पढ़ लिया था....उसकी उस हल्की हँसी में भी एक डरावनापन था....कुछ देर तक हम चुप रहे फिर उसने खुद ही बात शुरू की....वो मुझे बहुत अच्छे तरीके से जानती है...यहाँ के निवासी उनकी जात और भेड़ियो से काफ़ी घबराते है लेकिन लूसी ने कभी इंसानो को नही मारा.....उसने बताया कि यहाँ शीबा बाजी ने उसे भेजा है मेरा हाल चाल जानने के लिए अब उन्हें मुझसे मिलना है
मैं भी सवाल भरी निगाहो से जिग्यासा भरी निगाहो से उससे आगे पूछने लगा कि बाजी कैसी है? वो यहाँ कैसे आई? वग़ैरा वग़ैरा
लूसी : ये बात मैं तुम्हें नही बता सकती हूँ मुझे कसम है बाजी जबतक तुमसे नही मुलाक़ात करेगी तब्तलक ये राज़ मैं तुम्हे नही बता सकती
मैं : फिर भी थोड़ा बहुत
लूसी : आइ आम सॉरी आसिफ़ पर यही नियम है हम पिशाचों को अपनी मालकिन का हर नियम मानना पड़ता है (मालकिन शब्द सुनके लगा कि कहीं बाजी इन पिशाचो की रानी तो नही बन गयी तब तो मुझे लूसी से कोई ख़तरा नही था और वो जानती थी कि मैं अब एक शापित भेड़िया हूँ फिर भी उसे मुझसे डर नही लगा) हमारे यहाँ बहुत से ख़तरनाक ख़ूँख़ार पिसाच थे जिन्होने हंपे क़ब्ज़ा किया हुआ था मालकिन ने उन सब पिशाचियो का अंत कर डाला और हमे आज़ादी दी लेकिन यहाँ भेड़ियो का एक दल है जो जंगलों में रहता है और हमारा कट्टर दुश्मन और सबसे ज़्यादा इंसानो का
मैं : ओह्ह सुना था चार्ल्स ने बताया तो था
लूसी : हम इंसानो को नुकसान नही पहुचाते पर वो हमसे ख़ौफ़ खाते है असल में उनकी ग़लती भी नही है हमारी जात आज भी इंसान की खून की प्यासी है पर अब उन्होने भी अपनी इक्षाओं को मार लिया है...मालकिन ने हम सबको अपनी भूख पे काबू करना सिखा दिया है लेकिन भेड़ियो से हमे बहुत ख़तरा है हम उनसे बहुत घबराते है मालकिन उनसे समझौता करना चाहती है पर वो शैतान के बीज किसी की सुनते नही
मैं लूसी की बात सुनके काफ़ी देर तक खामोश रहा फिर बात को पलटते हुए पूछा "तो शीबा बाजी से कब मिलने जाना है?".........
.लूसी मुस्कुराइ "आज नही आज भेड़िए बहुत ज़्यादा है हमारा रास्ता घैर लेंगे कल सूरज निकलने से पहले ही हमे रवाना होना है"..........
.उसकी बात को सुनके मैं खुश हुआ...."पर अगर चार्ल्स को".........मैं घबरा रहा था क्यूंकी मैं इंसानों की बस्ती में रह रहा था उन्हें अगर पता लग गया तो कहीं वो लोग मुझसे ही ख़ौफ़ ना खा जाए....
"ये बात तो आपको संभालना पड़ेगा"..........
मैं चुपचाप रहा ठीक है कोई बात नही मैने मन बना लिया था बाजी से ही तो मिलने इतना दूर आया था अब डर किस बात का
मैने लूसी को आज रात यही ठहरने को बोला....और उसे अपनी कहानी सुनाने लगा कि कैसे मैने बाजी को एक पिशाचिनी बनाया था? कैसे मैने लिलिता के शाप को झेला और हम अपने देश को छोड़ यहाँ चले आए...बाजी मुझसे किस तरह दूर चली गयी....वो सबकुछ जानती थी बस मुस्कुरा के हां में जवाब दे रही थी...उसकी आँखे सफेद होने लगी उसके उपर पिशाची रूप सवार होने लगा उसके दाँत नुकीले हो गये...."कहीं वो भेड़िए यहाँ ना आ जाए"......लूसी को आभास हो रहा था....
.मैने उसके पास आके उसे शांत किया "डरो नही मैं संभाल लूँगा"..........वो मुस्कुराइ और मुझे चिड़ाया कि तुम तो महेज़ एक इंसान हो तुम क्या कर लोगे? मैं अकेले ही संभाल लूँगी उन्हें वो लोग जिन्होने मेरा पीछा किया था पर मैने उन्हें चकमा देके रास्ता भुला दिया..
..मैं मुस्कुराया सिर्फ़
मैं : वैसे ये बात तुम मुझे पहले कह देती कि तुम शीबा बाजी के साथ शामिल हो
लूसी : तुम ख़ौफ़ जो खा जाते (इस बार हम दोनो टहाका लगाके हँसने लगे)
मैं लूसी को होंठो पे ज़ीब फिराते देख सकता था....वो कैसी निगाहों से मुझे घूर्र रही थी?.....यक़ीनन अपने सामने एक नौजवान लड़के को देख कर उसकी जिन्सी भूक बढ़ रही थी....इन पिशाचियो को मरने के बाद इनकी काम वासना कुछ ज़्यादा ही भड़क उठती है...इनकी जिन्सी भूक की तलब खून की प्यास से भी ज़्यादा बढ़ जाती है...मैने लूसी के मॅन को भाँप लिया जी तो मेरा भी था लेकिन पहेल नही कर पा रहा था...वो खुद ही धीरे धीरे मुझसे फ्लर्ट करने लगी....ऐसे अश्लील बातें करना शायद उसके लिए आम था
मैं : तुमने इससे पहले किसी के साथ किया है
लूसी : इंसान जब थी तब एक बेवफह के साथ किया था जिसने मुझे इन सुनसान वादियो में छोड़ दिया था...मेरी कोई बस्ती नही थी मैं दूर से आई एक विलायती लड़की थी....लेकिन कुछ बदमाशो ने मेरी इज़्ज़त लुटनी चाही...पर मैने पहाड़ से कूद के अपनी जान दे दी थी....और उसके दूसरे दिन ही मुझे जब होश आया तो मैं कुछ और ही थी....मैं मालकिन से मिली जिन्होने मुझे एक पिसाच बना दिया था अपनी तरह.....उन्होने मुझे अपना बदला लेने को कहा...और मैने उसी तरह ऊन पाँचो गुन्डो को और अपने उस बेवफा बाय्फ्रेंड को मौत के घाट उतार दिया
लूसी की आँखो से खून के आँसू बह रहे थे....मैने उसके करीब जाके उसकी आँखो से उन खून की बूँदो को पोन्छा और कंधे से उसे अपनी ओर किया "हम सब मज़बूर होते है लेकिन इसका ये मतलब नही कि बीती बातों को याद करे"........ना जाने क्यूँ मैं उसकी तरफ बढ़ा था उसने मेरी छाती पे हाथ रखके मेरे शर्ट के दो बटन्स खोल डाले...और फिर उस हाथ को नीचे खिसकाते हुए मेरे पाजामे के उभार को सहलाने लगी.....मेरा उभार अपने आप बड़ा होने लगा.....मैं लूसी को अपने से दूर ना कर पाया और उसने भी अपने ठंडे होंठ मेरे होंठो के बेहद नज़दीक ला दिए
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