Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:28 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
लिंग के अंदर जाते ही कामया का मुँह तक जाता था पर कोई बात नहीं फिर अंदर था वो हाथों में लिए हुए लिंग को लगभग निचोड़ते जा रही थी कामया के पास में जाई और एच किसी तरह से अपने हाथों से अपने लंड को छुड़ाना चाहते थे पर कोई फ़ायदा नहीं पतली पतली उंगलियों में उनके लिंग को इस तरह से कसा हुआ था कि अगर कामया ही चाहे तो ही छूट सकता था इतने में कामया को लगा था कि नीचे से सर कुछ ज्यादा ही उत्तावाला हो उठा था 

कामया- क्या हुआ एस बहुत धीरे हो गये 
कहती हुई कामया ने झट ने अपने होंठों को उसके साथ जोड़ लिया था और एक जबरदस्त झटका अपनी योनि का उसके लिंग पर किया था एस नहीं संभाल पाया था उस धक्के को और अंदर कही बहुत दूर उसके लिंग ने उसका साथ छोड़ दिया था कामया की कमर का झटका इतना जबर्जस्त था कि गुरुजी का लिंग भी उसके पीछे से निकल गया था 
पर एस ठंडा हो गया था 

एस - आआआआआह्ह बस देवी अब नही आपको खुश करना मेरे बस की बात नहीं आप देवी है सेक्स की देवी हमारी देवी सभी की देवी है आपके सामने हम कुछ नहीं आआआआआआआअह्ह और किसी मरे हुए जानवर की तरह एस के होंठों से मंद मंद आवाजें निकलती रही और कामया एक कुटिल सी हंसी लेकर एकदम से पलट गयो थी और बेड पर अधलेटी सी गुरुजी की ओर मदमस्त आखों से देखती रही और धीरे से अपनी जाँघो को खोलकर अपनी योनि को सीधे उनकी ओर करती हुई, , 
कामया- आओ गुरु जी अपनी सखी का भोग लगाओ और खूब लगाओ देखो अब आपकी बारी है हिहिहिहीही 
करती हुई कामया ने अपनी बाँहे फैला दी थी गुरुजी शायद कुछ डर गये थे पर आगे बढ़े थे कामया ने झट से उन्हे पकड़ लिया था और अपनी कमर उनके चारो ओर घेर ली थी अपने होंठों को उनके होंठों से जोड़ कर उसके मुख के अंदर ही कहा था 

कामया- आओ गुरु जी इतना मजा फिर नहीं आएगा कर लो जो करना है कल से आप भी नहीं हो यहां सबकुछ मेरा है आओ और खुश करो अपनी देवी को 

गुरु जी आगे बढ़े थे पर जिस तरह से उनका लिंग कामया के अंदर गया था और कामया ने जिस तरह से उसका स्वागत किया था वो एक अनोखा अंदाज था 

गुरुजी ने इतनी औरत भोगी थी कि उन्हें भी उनकी गिनती याद नहीं थी पर जिस तरह से कामया ने एक ही झटके में उनका लिंग अंदर लिया था और फिर हर धक्का अपनी ओर लगाती जा रही थी वो एक कमाल था गुरुजी कुछ भी नहीं कर पाए थे और लगभग चार पाँच धक्के में ही ढेर हो गये थे कामया की उत्तेजक हँसी उनके कानों को भेद गई थीऔर उस मुरझाए हुए लिंग को अपने अंदर रखे हुए ही अपनी कमर को उछालने में लगी थी हँसी की आवाज उस कमरे में एक हिस्टीरिया के मरीज जैसी फैल गई थी 

गुरु जी किसी निरीह प्राणी की तरह से उसकी ओर देख रहे थे 

कामया ऽ क्या हुआ गुरुजी नहीं संभाल पाए चलो हटो अभी भी मेरे पास और भी गुरुजन है आप भी ना गुरुजी 
कामया- आयो क्राइ तुम आओ जल्दी करो अभी रात बहुत बाकी है 
कहती हुई कामया ने क्राइ को खींच लिया था वही हाल क्राइ का भी हुआ और फिर एच और फिर जाई 
सभी इसी तरह एक के बाद, एक ढेर होते चले गये थे मादकता और जंगली पन की हँसी उस कमरे में गूँजती रही सीकारियाँ और आहह से भरी हुई हँसी उस कमरे में गूँजती रही 

डर और विफलता के और संकट के बादल उन गुरुजनो के चहरे पर साफ देखने को मिल रहे थे इतनी औरतों को भोगा था पर ये तो कमाल की थी सभी को ढेर करते हुए कामया फिर से एक झटके से उस बेड से उठी थी और आगे बढ़ती हुई एस को खींचकर सामने खड़ा कर लिया था डर उसकी आखों में साफ देखा जा सकता था 
कामया ने उसके लिंग को कस कर पकड़ा था और अपनी जीब को निकाल कर उसके होंठों को चाटते हुए 
कामया- क्या हुआ एस बस क्या और नहीं लगाओगे भोग अपनी देवी का बस 
उसके चाटने की आवाज तक उस कमरे में सरसराती हुई गूँज गई थी घबराया दिख रहा था एस . अपनी पूरी जान लगाकर उसने कामया को भोगा था पर यह औरत अब तक खड़ी है और आगे उससे और भी माँग रही है वो हार गया था 


कामया हँसती हुई आगे बढ़ी थी और एक-एक करते हुए उसने सभी को किस किया था और, सभी को आगे बढ़ने को कहा था रात के कितने बजे थे पता नहीं पर वो कमरा अब भी जवान था और रात के साथ-साथ उस कमरे में अभी बहुत कुछ बाकी था सभी गुरुजनो को चूमते हुए कामया उनके लिंग को अपने नरम हाथों में मसलते हुए मुस्कुराती हुई आखिरी में गु जी के पास पहुँचि थी और जीब निकाल कर फिर एक किस किया था 

कामया- गुरुजी आप भी थक गये क्या गुरुजी आप तो कम से कम मेरा साथ देते यह तो ऐसे ही निकले आप तो बहुत बालिस्ट और गुरुजी है मेरे आप भी साथ छोड़ दोगे यह नहीं सोचा था कहती हुई कामया ने एक बार उनकी आखों में देखा था एक पराजय की लकीर और हार की लहर उनकी आखों में उसे दिखाई दी थी 

कामया - जाओ अब जाकर आराम करो मुझे और भी काम है कहती हुई कामया उस बेड की ओर चल दी थी जहां, रूपसा और मंदिरा उन स्टड्स के साथ थी सभी गुरुजन अपनी हार को बर्दाश्त करके और मान कर कि देविजी को हराना उनके बस की बात नहीं है सोचते हुए उस कमरे से बाहर की ओर जाने लगे थे जाते जाते उनकी नजर कामया पर थी जो की मदमस्त अदा से टेबल पर रखे हुए काढ़े को पी रही थी और आगे उस बेड की ओर बढ़ गई थी 

बाहर जाते हुए गुरुजी और बाकी के गुरुजन की आँखों में एक पराजय की लकीर थी और कामया से हार कर वो लोग बाहर जा रहे थे आज पहली बार ऐसा हुआ था सभी नग्न आवस्था में ही थे और अपनी अपनी धोती को हाथों में लिए और कुछ ने कमर में सिर्फ़ बाँध भर लिया था बाहर निकल गये थे गुरु जी की नजर एक बार फिर से अंदर की ओर उठी थी 

कामया उस बेड पर थी और रूपसा और मंदिरा के साथ उन चार स्टड्स को खींच खींचकर अपने ऊपर लेने की कोशिस में थी उन स्टड्स की भी हालत बुरी थी रूपसा और मंदिरा उन्हे निचोड़ चुकी थी पर कामया की उत्तेजक और कामुख हँसी के साथ-साथ रूपसा और मंदिरा की भी हँसी की आवाज उस कमरे में गूँज रही थी गुरुजी की अंतर आत्मा ने उन्हें झींझोड़ कर रख दिया था एक झटके से उन्होंने कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया था और बुझे मन से अपने कमरे की ओर चले गये थे सोचे रहे थे कि कहाँ से कहाँ तक पहुँच गई थी कामया 

उनका कथन बिल्कुल सही था यह औरात बहुत ही कामुक है उनका विचार बिल्कुल सही था पर इतनी कामुक होगी इसका उन्हें भी पता नहीं था इस आश्रम में बहुत सी महिलाए आई थी पर कामया बिल्कुल अलग थी सुंदर के साथ-साथ उसके शरीर की इच्छा भी कम नहीं थी मर्दो के साथ उसे खेलना आता था उसे मर्दो की जरूरत थी एक नहीं कई कई मर्दो को वो एक साथ खुश कर सकती थी उन्होंने देखा था वो औरत जो कि एक नाजुक और शरमाई सी होती थी कहाँ चली गई थी वो आज जो कामया उनके आश्राम की शान और मालिकाना हक के साथ कल इस आश्राम की मालकिन होगी वो इतनी कामुक और उत्तेजना से भरी होगी यह अंदाज़ा उन्हें नहीं था .

कामया अब पूरी तरह से इस आश्राम के रंग में रंग गई थी और उनके द्वारा किए हुए एक्सपेरिमेंट्स पर भी वो खरी उतरी थी एक कामुक और सेक्स सिंबल बन चुकी थी वो गुरुजी को आज भी याद था जब कामेश के लिए कामया का रिश्ता आया था तब ईश्वर उनके पास उसकी तस्वीर लेकर आया था और कुंडली और कामया की फोटो देखते ही वो जान गये थे और कुंडली देखते ही वो अंदाज़ा लगा चुके थे कि यह लड़की एक गजब की सेक्स मेनिक है उसके अंदर की औरत को जगाने भर की देरी है और अपने लालच के आगे गुरुजी ढेर हो गये थे उनकी इच्छा थी कि कामेश इस लड़की से शादी करे तो उन्हें भी और औरत के समान इस लड़की को भोगने को मिलेगा और आज इस लड़की ने तो कमाल ही कर दिया 


गुरुजी जब तक अपने कमरे में पहुँचे थे तब तक उनके दिमाग में कामया ही छाइ हुई थी उस कमरे में क्या हुआ होगा यह गुरु जी अच्छे से जानते थे शायद ही वो स्टड्स अपनी रक्षा कर पाए होंगे कामया ने छोड़ा नहीं होगा आखिरी बूँद तक निचोड़ लिया होगा उन स्टड्स का और रूपसा और मंदिरा भी तो थी वहीं . वो क्या कम है फुटबाल टीम भी कम पड़े जाए उनके लिए गुरुजी अपनी सोच में खोए हुए बेड पर लेट गये थे 

गुरुजी की हर करवट पर वो अतीत में खो गये थे हर पहलू उन्हें अपने पुराने दिन की याद दिला रहे थे इस आश्राम को बनाने में उन्होने क्या जतन किया था वो एक अलग कहानी है वो में बाद में लिखूंगा पर इस कहानी का अंत यही है कि अब वो कामया के हाथों में इस आश्रम को सोप कर हमेशा के लिए जा रहे है सुबह सुबह उठ-ते ही वो इसकाम में लग जाएँगे और दोपहर तक सबकुछ उसके हाथों में देकर इस देश के बाहर चले जाएँगे .

सुबह से ही आश्रम में गहमा गहमी थी हर कोई दौड़ रहा था हर कोई ववस्था में लगा हुआ था सभी की नजर इस आश्रम की सुंदरता पर थी हर कही फूल और तरह तरह के सामानो से सजाया जा रहा था कोई भी खाली या बैठा हुआ नहीं था दोपहर के 12 बजते बजते अश्राम में भीड़ लग गई थी आज बहुत भीड़ थी इतने में लंबे से कॉरिडोर में दूर से बहुत सी दासिया हाथों में फूल की ट्रे लिए हुए उभरी थी पीछे-पीछे वो 5 गुरुजन उसके पीछे गुरुजी और उसके पीछे कामयानी देवी उसके आस-पास रूपसा और मंदिरा और उसके पीछे वो 4 स्टड्स थे फूलों की बारिश के साथ-साथ और खुशबू से नहाया हुआ वो दल धीरे-धीरे मैंन डोर की ओर आ रहा था सभी एक साथ 

कामयानी देवी की जय के नारे लगने लगे थे गुरु जी की जय से सारा आश्राम गूँज गया था गोल्डन और सिल्वर मिक्स एक साड़ी में कामया बड़ी ही तनकर चल रही थी मैंन डोर पर आते ही गुरुजी सामने से हट गये थे और कामयानी देवी को संसार के सामने पेश किया था कामयानी देवी ने एक बार भीड़ की ओर देखा था और मुस्कुराती हुई अपने हाथ को उठाकर सभी को आशीर्वाद दिया था 

सारा आकाश कामयानी देवी के नारे से गूँज उठा था 

कामया की नजर सामने खड़े हुए अपने पति सास ससुर और अपने माँ बाप पर पड़ी थी मुस्कुराती हुई कामया उनकी ओर देखती रही .

हाँ वो उस घर की बहू थी, और आज इस अश्राम की मालकिन थी वो भी उसके पति और सास ससुर को अपने घर में रखने वाली थी 

सच में वो एक बड़े घर की बहू थी, और एक बड़ा सा घर और जोड़ लिया था उसने . दोस्तो ये कहानी इस तरह यही समाप्त हुई 
और मेरा सफ़र भी यही ख़तम हुआ जो मैने आपसे वादा किया था उसे पूरा किया और आप साने भी इसमे मेरा पूरा सहयोग किया उसके लिए आप सब का आभार .

समाप्त 
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