Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:27 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
एस और एम अपनी रफ़्तार को किसी तरह बनाए हुए कामया को भोग रहे थे कि साथ में बैठे एच को और संतुलन नहीं हुआ वो खुद को कही भी अड्जस्ट करना चाहता था कहाँ नहीं पता पर अपने लिंग को सीधा किए हुए वो घुटनों के बल कामया के चहरे के पास खड़ा हो गया था . गुरुजी के लिंग को चूसती हुई और पीछे से धक्के के बीच में कामया नि नजर एक बार अपने गाल पर टच होते हुए उस लिंग पर पड़ी लाल रंग का हिस्सा उसे दिखाई दिया था मुस्कुराती हुई सी कामया की नजर एक बार अपने गुरुजी पर पड़ी जैसे पूछ रही हो की क्या करू फिर मुस्कुराती हुई कामया ने अपने जीब को निकाल कर एच के लिंग को छुआ भर था और एक नजर उसकी आखों पर डाली थी एच थोड़ा और आगे हो गया था चहरा ऐसा था कि जैसे बस निकल ही जाएगा उसका पर एक मिन्नत भी थी उसके चेहरे पर गुरुजी भी थोड़ा आगे हुए उनका भी लगता था कि आखिरी टाइम आ गया था कामया की कमर के साथ-साथ उसके नितंबों की चाल एक जान लेवा मुकाम पर थी 

लहर की भाँति हिलती हुई वो दोनों के लिंग को इस तरह से अपने अंदर तक उतार रही थी कि नीचे से और पीछे से एस और एम एक साथ उसके अंदर तक अपने लिंग को पहुँचने में कोई दिक्कर नहीं हो रही थी इतने में अचानक ही गुरुजी भी और एच भी थोड़ा सा आगे की ओर हो गये थे उनका शरीर तन गया था एम के मुख से भी हुंकार निकल रही थी पीछे से एस की चाल भी थोड़ा सा तेज हो गई थी कामया जान गई थी कि आने वाला पल उसके लिए खुसीया लेकर आ रहा था और एक साथ उसके तन के अंदर और बाहर बौछार होने वाली है जैसे ही कामया को यह बात पता चली वो और उत्तेजित हो उठी थी उसकी चाल में गजब की मस्ती के साथ-साथ उतावला पन भी आ गया था वो जोर-जोर से पानी कमर को उछाल कर और अपने होंठों को एक के बाद एक लिंग के ऊपर घुमाती जा रही थी कामया के होंठों पर सभी की जान मुँह को आ गई थी इतनी उत्तेजित और उत्तावलापन उन्होंने जीवन में नहीं देखा था एक साथ चार चार लोगों को संतुष्ट करती कामया के ऊपर एक साथ चौतरफ़ा हमला शुरू हो गया था उसके शरीर के हर हिस्से को निचोड़ा जा रहा था एक मादक और उत्तेजना भरी हुई कामुक हँसी के साथ एक अलग सी सिसकारी उसके मुख से निकली थी 

कामया- उूुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ एच जल्दी करो हाइईईईईई उूुउउम्म्म्ममममम 


एम- में गया देवी जी थोड़ा सा और बुसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आआआआआआआआआआअह्ह 
करता हुआ एम ढेर हो गया था एस भी अपने हाथों को खींचकर उसके गोल गोल चुचों को निचोड़ता हुआ उसकी पीठ पर ढेर हो गया था पर कामया देवी तो अपने गुरु और एच के लिंगों को चूसती हुई उनके लिंग से निकलते हुए सफेद सफेद पानी को अपने चहरे पर मलने में व्यस्त थी ऊपर से एस के भार से नीचे लेटे हुए एम पर ढेर हुई कामया अब भी तरोताजा थी गुरु जी के लिंग और एच के लिंग को अपने हाथों में लिए कामया थकी हुई लंबी-लंबी सांसें ले रही थी कि एक बार अपने शरीर की हरकत से ऊपर से एस को हिलाकर पास ही गिरा दिया था और झट से उठ गई थी बेड के पास खड़ी हुई रूपसा और मंदिरा ने एक बार मुस्कुराती हुई कामया की ओर देखा था 


पर कामया वैसे ही बिना कपड़ों के बेड से उतरगई थी एक बार पलटकर उसने बेड की ओर देखा था चारो नहीं छओ अब तक वही पड़े हुए लाबी लंबी साँसे लेते हुए अपने आपको शांत कर रहे थे और उसी की ओर देख रहे थे कामया अपनी कमर मटकाती हुई कमरे में रखे हुए टेबल की ओर बढ़ी थी और ग्लास में वही काढ़ा लेकर एक ही सांसें में पी गई थी और मुस्कुराती हुई पलटकर 

कामया- क्या हुआ बस शांत हो गये और नहीं लगाओगे देवी का भोग चलो रूपसा मंदिरा इनको तैयार करो में आती हूँ कहती हुई वो साथ में लगे बाथरूम में चली गई थी बेड पर पड़े हुए गुरुजन की आखें फटी की फटी रह गई थी कामया की चाल में गजब की मस्ती थी आकर्षण था और मादकता से भारी हुई थी गोल गोल नितंबों के नीचे उसकी पतली और सुडोल जाँघो के साथ उसकी टाँगें पीछे से गजब की लग रही थी और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और पीठ पर फेले हुए बाल कंधे तक उूउउफ्फ…
और वो नजारा बाथरूम के डोर के पीछे चला गया था 

कामया के जाते ही कमरे में एक अजीब सी शांति छा गई थी बेड पर लेटे अधलेटे से गुरुजन एक दूसरे से नजर चुरा रहे थे अपने नंगे पन को ढकने की कोशिश में थे कि रूपसा और मंदिरा की हँसी और फूहड़ता के बीच में फिर से घिर गये थे रूपसा और मंदिरा भी लगभग नंगी थी सिर्फ़ तोंग और एक-एक चुन्नी भर उनके गले पर लटक रही थी उन्होंने तीन तीन गुरुजन को आपस में बाँट लिया था और बेड पर बिठाकर उनके सामने मादक और अश्लील हरकत करने लगी थी बिल्कुल किसी वेश्या की तरह गुरुजन ना चाहते हुए भी एक बार उनकी ओर आकर्षित हो उठे थे रूपसा के सामने गुरुजी एच और क्राइ थे मंदिरा के सामने एम एस और जाई थे एकटक उनकी ओर देखते हुए वो अपने नंगेपन को वो भूल चुके थे वैसे ही नंगे बैठे हुए एकटक उन दोनों के शरीर की भंगिमाओं देख रहे थे और अपने उत्तेजना को फिर से जगा रहे थे रूपसा लगभग नाचती हुई सी एक-एक कर गुरुजी और उनके साथ बैठे हुए गुरुजन के पास पहुँच गई थी और अपनी चूचियां नचाती हुई उसके मुख के सामने एक नशीली तरह का नाच पेश कर रही थी कमर को लहराती हुई और टांगों को आगे पीछे करती हुई रूपसा गजब की उत्तसाहित थी 


वही हाल मंदिरा का था तोंग के बाहर का हर हिस्सा गोरा और चिकना था और कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं था कि उसे कोई भी मर्द छोड़ कर कही और नजर घुमा सकता था वही हाल वहां बैठे हुए गुरुजन का था अपनी हवस को शांत किए हुए उन्हें थोड़ा सा समय ही हुआ था पर अपनी उम्र के साथ साथ अपने बुढ़ापे को ढँके हुए वो लोग एक बार फिर से उत्तेजना की गिरफ़्त में जाने लगे थे एम और एस तो कुछ ज्यादा की उत्तेजित थे 
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RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू - by sexstories - 01-18-2019, 02:27 PM

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