RE: Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
मैं खुद भी मुँह में पिशाब चाट के ले रहा था फिर उन्ही होठों को भाभी के होठों पे लगा रहा था। उन्हें ये अच्छा नहीं लग रहा था पर उन्हें पता था की वो कुछ कर नहीं सकतीं थीं)
मैं अब भाभी के छूट में अपना लंड जोर-जोर पेल रहा था। भाभी ने अपने पैरों से मेरे पैरों को बाँध दिया था हम एक-दुसरे में पूरी तरह घुस गए थे। हम दोनों जोर-जोर से आवाज़ें निकाल रहे थे। करीब आधे घंटे की कश-म-कश के बाद भाभी और मैं झड़ गए।
कुछ ही देर में हमें नींद आ गयी। अगले दिन मैं ऑफिस गया और घर लौटे ही भाभी को बाजार ले जा के उनके लिए कपड़े लिए क्यूंकि राहुल आने वाला था। मैं नहीं चाहता था की उसे ऐसा लगे की भाभी को किसी चीज की कमी हो। घर में पहनने के लिए भाभी के लिए मैंने 2 loose टॉप टी-शर्ट और हाफ पैंट लिए। भाभी ने शौक से खुद के लिए 2 -3 साड़ी और ब्लाउज लिए।
घर पहुंचते ही मैंने भाभी को टॉप और पैंट दिए। टॉप इतने पतले कपड़े का था की भाभी ने स्तनों का उभर आसानी से दीखता था। उनके स्तनों के उभर पे का निप्पल स्पष्ट था। स्तनों के उन्नत उभर की वजह से वो आगे तक लटका हुआ था। वो गले में बहुत ज्यादा कटी हुई थी। भाभी अगर उसके कटे हिस्से का पूरा भाग सामने करतीं तो आधे स्तन नंगे दीखते, और अगर पीछे करतीं तो वो टॉप पेट तक उठ के आज जाती और उनकी नाभि दिखने लगती। दरअसल ये टॉप घर में गर्मियों में पहनने के लिए था। हाफ पैंट बस थोड़े ही नीचे तक आते थे और उनके मोटे नंगे जांघ खुले हुए ही थे।
भाभी को ऐसे कोई भी देख ले तो वो सीधा उनको चोदने की ही सोचे। भाभी थोड़ी असहज महसूस कर रहीं थीं पर उन्हें पता था की अगर वो ना की तो मैं उन्हें नंगी ही कर देता।
थोड़े देर में आभा आ गयी और भाभी को देख-कर मुझसे बोली।
आभा: क्या भैया! माँ जी का कपड़ा और छोटा कर दिया। आपकी भी क्या गलती है! आपकी औरत ही ऐसे बदन की है।
आभा ने भाभी को पीछे से अपनी बाहों में कसके उनके स्तनों को मसलते हुए बोली- इधर आओ भैया। फिर आभा खुद डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी और भाभी को खड़ा करके पीछे से उनके थनों को मेरे मुँह में डालते हुए बोली: भैया आपकी गाय का जब बछड़ा होगा तो ये खूब दूध देगी। ऐसी गाय तो रोज 2 लीटर दूध देगी, रोज अगर इसके थनों को दूहोगे। आपको पता है रोहन भैया अपनी चाची रीता के दूध से ही खुद के लिए चाय बनवाते हैं। आपकी माँ तो रीता से भी ज्यादा दूधारू बनेंगी|
मैं: अच्छा! (मैं लगातार भाभी के स्तनों को चूस रहा था)
आभा: भैया, औरत के बदन की खासियत है की वो खाने को दूध में बदल देती है। जैसे गाय को चारा खिलाते हो, बदले में वो दूध देती है, उस दूध का गाय के लिए कोई काम नहीं होता। औरतों के थनों में बना दूध भी बच्चों और मर्दों के पीने के लिए होता है। अगर आपकी माँ को 2 दूध पीने वाले बच्चे भी हों तब भी इसके दूध को ख़तम करने के लिए आपको रोज़ दूध पीना पड़ेगा।
मैं लगातार भाभी के थनों को चूसे जा रहा था| भाभी कुछ ही देर में गाय की तरह रम्भाने लगीं। आभा ने भाभी के गालों को पीछे से चूमते हुए बोला: भैया देखो कैसे रंभाती है तुम्हारी गाय। आभा भाभी के गालों को अपने होठों से चूमती हुई बोली - माँ जी आप कितनी प्यारी हैं। इतनी शालीनता से सुनील भैया और मेरे से अपने बदन को मसलवा रही हैं।
कुछ देर बाद आभा ने मुझे सोफे पे बैठने को कहा और भाभी को मेरी गोदी में देते हुए कहा - भैया आप सम्भालो अपनी गाय को, मैं खाना बना देती हूँ। भाभी का भारी चूतड़ मेरे जाँघों पे आ गया था
मैंने भाभी के स्तनों को मसलना शुरू कर दिया और उनके कानों में बोला- ये आभा मालती से कम नहीं है, औरतें भी तुम्हारे बदन से उतेज्जित हो जाती हैं, माँ। (फिर मैंने भाभी के टॉप और हाफ-पैंट को उतार दिया और पूरी नंगी उन्हें अपने जाँघों पर गोदी में बिठा के उनके बदन को मसलने लगा। आभा हमदोनों को किचन से आसानी से देख सकती थी। भाभी जब भी पूरी नंगी ऐसे मेरे जिस्म से चिपकती, मुझे अजीब सुख की अनुभूति होती थी। उनके नंगे जिस्म में एक महक थी जो मुझे मदहोश कर देती थी।) माँ, अगर औरतों को इंसान नहीं समझा जाता और उन्हें नंगे ऐसे ही मर्द रखते तो कितना अच्छा होता न! तुम चार पैर से चलती और मैं तुम्हे दूहता। (मैं अब भाभी के स्तनों को जोर-जोर से निचोड़ रहा था। वो इतने विशाल पर सख्त थे की उन्हें दबाने में बड़ा मजा आता था|)
भाभी: बेटे अब रहने दो, मत मसलो इन्हे इतना।
मैं: क्यों माँ, तभी तो बड़े होंगे ये।
भाभी: बेटे, ये इतने बड़े तो हैं। सभी इन्हे ही घूरते हैं, अब और बड़े क्यों चाहिए।
मैं: मेरा बस चले तो मैं इन्हे इतना बारे कर दूँ की इनके वजन से तू चल ही न पाए।
तभी आभा खाना बनाकर वहाँ आ गयी और भाभी से बोली- माँ जी, इन मर्दों को स्तन बहुत आकर्षित करते हैं। आपको कपड़ों में भी देख-कर कोई भी आपको चोदने के लिए ही सोचेगा। बस भैया को खुश रखिये। भैया आपके दूध को मसलते हैं माँ जी, तो आप भी उनके औज़ार को मसलिये।
और फिर उसने भाभी को निचे बिठा के उनके पीछे से उनके हाथ में मेरा लंड पकड़ाते हुए बोली- माँ जी, थोड़ा आगे आईये, इसे हिलाइये। (पहली बार भाभी ने अपने हाथ में मेरा लंड लिया था। भाभी के मुलायम मांसल हथेली के स्पर्श से वो जोर-जोर से झटके मारने लगा।) आभा ने बोला- माँ जी, भैया आपके ग़ुलाम रहे इसके लिए जरुरी है इनका लंड आपके ग़ुलाम रहे। (फिर आभा ने भाभी को आगे करके उनके मुँह में मेरे लंड को घुसा दिया और बोली चूसिये अपने बेटे के औज़ार को। इसे से सताते हैं न भैया आपको)
भाभी बड़े प्यार से अपने मोटे होठों से मेरे लंड को चूसने लगीं। मैं उन्हें देख रहा था की कैसे अगर मेरे भैया अभी होते तो ये गाय उनके पास होती। भाभी के लगातार चूसने से मेरा लंड झड़ने को होने लगा तो आभा ने भाभी को थोड़ा पीछे करके मेरे लंड को उनके मुँह के ऊपर करके भाभी के हाथों के ऊपर हाथ रख-के मेरे लंड को हिलाने लगी। तुरंत जोर से पिचकारी के साथ मैं झड़ गया। भाभी का चेहरा और उनके बाल वीर्य से सन गए। फिर आभा ने उसे साफ़ कर दिया और मेरी गोदी में उन्हें दुबारा बिठा कर डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया और फिर चली गयी।
मैं भाभी को वैसे ही अपनी गोदी में डाइनिंग चेयर पे बैठ गया और उन्हें अपने हाथों से खिलाने लगा।
भाभी: बेटे, तुम्हे बुरा लगा क्या। वो आभा ने जो करवाया?
मैं: नहीं माँ, (मैंने उनके मोटे होठों को चूम लिया) मर्दों को तो इस चीज से सबसे ज्यादा ख़ुशी मिलती है की कोई औरत उसके लंड को अपने मुँह में ले। देखा तुमने एक औरत कैसे-कैसे सुख दे सकती है किसी मर्द को। भैया ने तुम्हे ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया और वैसे भी मर्दों को सेकंड हैंड औरत बहुत पसंद आती हैं।
भाभी: तुम मुझे सेकंड हैंड औरत समझते हो?
मैं: मन, हमने शादी की, पर तुम पहले किसी और का बिस्तर गरम करती थी न माँ? तो सेकंड हैंड ही हुई न! वैसे भाभी, आपको कैसा लगता है दुसरे मर्द जो की आपके ही देवर है उसके साथ बिस्तर साझा करके। जब आपके देवर आपके इन दूध से भरे थनों को मसलता है तो आपको कैसा लगता है? (मैंने भाभी से जाँघों को मीचते हुए उनके कान में कहा- भाभी दो मर्दों से चुद के कैसा लगा)
भाभी: (सीसियाने लगीं और बोली) -.. तुममम. बहुत गंदे हो, बेटे।
आपके इन दूध से भरे थनों को मसलता है तो आपको कैसा लगता है? (मैंने भाभी से जाँघों को मीचते हुए उनके कान में कहा- भाभी दो मर्दों से चुद के कैसा लगा)
भाभी: (सीसियाने लगीं और बोली) -.. तुममम. बहुत गंदे हो, बेटे।
कुछ देर तक भाभी के बदन से खेलने के बाद हम सोने के लिए चले गए। अगली सुबह ही राहुल, अपनी माँ और पिताजी के साथ आ गया। भाभी को मैंने सख्त हिदायत दी थी की वो सिर्फ टॉप और हाफ पैंट ही पहने घर में। राहुल, उसके पिता और माँ तीनो भाभी को ऐसे देख-के आवाक रह गए। राहुल और राहुल के पिता ने तो मुँह घुमा लिया और अंदर कमरे में चले गए। मैंने भाभी के कंधे पे हाथ रख रखा था और उन्हें तीनो के पास लेकर खुद प्रणाम किया और भाभी से करवाया। फिर बरामदे में सोफे के एक तरफ राहुल की माँ बैठ गयीं और दूसरी तरफ मैं टी-शर्ट और हाफ पैंट में और भाभी भी टी-शर्ट और हाफ पैंट में थीं। मैंने भाभी को खुद के काफी करीब बैठाया था और मेरे एक हाथ उनके जाँघों पे था।
राहुल की माँ ने भाभी की और देखते हुए पूछा: कैसी हो मधु, सुनीलजी ध्यान रखते हैं न?
भाभी: हाँ माँ, बहुत खुश हूँ मैं, जो आप लोग आ गए। मैं कह रही थी सुनील से हमीं चलते हैं पर इन्हे भी ऑफिस से छुट्टी मिलती नहीं जल्दी।
फिर राहुल की माँ ने मुझसे पुछा: और आप कैसे हो बेटे?
मैं: (भाभी के नंगे जाँघों पे हाथ फेरते हुए) बहुत अच्छा, माँ। दरअसल आप लोगों का शुक्रिया, इतनी सुन्दर बीवी देने के लिए। भाभी सहज होने का प्रयास कर रही थीं मेरे सहलाने से वो खुश नहीं थीं। राहुल और उसके पिता झेप रहे थे।
राहुल की माँ ने बात आगे बढ़ाते हुए भाभी से बोला: सुनीलजी को खुश रखना मधु, अब वो ही तुम्हारे प्राणदाता हैं।
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