Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
01-18-2019, 01:31 PM,
#10
RE: Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
खूब जोर-जोर से मैं मैं भाभी के गांड की ठुकाई करने लगा। भाभी भी अपने नितम्बों को जोर-जोर से हिलाने लगी। फच-फच की आवाज़ के साथ मेरा लंड भाभी की गांड की बुरी हालत करने लगा। मैं माँ माँ चिल्ला रहा था, और वो बस बेटा धीरे .. । थोड़ी देर में हम दोनों चरम पे पहुंच गए फिर मैं थक कर उनके शरीर से नीचे बिस्तर पे आ गया। अभी वो दो बछड़े वाली गाय लग रही थी। पहली बार मैंने स्तनों से दूध पीने की कोशिश की। भाभी के दूध को आराम से पीते हुए मैंने भाभी से बोला की वो एक गोरी मोटी मानव गाय हैं|

भाभी चुप रहीं| आधे घंटे तक भाभी का स्तनपान करने के बाद मैंने भाभी के थन छोड़ दिए। मैं भाभी के नंगे बदन को आलिंगन में करके सो गया।

सुबह उठा तो भाभी मेरे बाँहों में ही थीं। सूरज की किरणें भाभी के श्वेत नंगे मांसल शरीर पर पड़ के भाभी के बदन की मादकता और बढ़ा रहीं थीं। मैं उनके बदन को चूमने लगा और उनके भरे गोरे गालों पे थूक लगाने लगा। भाभी अभी भी नींद में ही थीं पर मैंने उन्हें चूमे जा रहा था। तभी मुझे याद आया की मुझे ब्रेकफास्ट भी बाहर से ही आर्डर करना होगा। मैंने तुरंत भाभी और मेरे लिए ब्रेकफास्ट आर्डर कर दिया। भाभी थोड़ी देर में जाग भी गयीं। पर मैंने उन्हें अपने बाहों में फसायें रखा।

मैं: क्यों माँ, ऐसे ही मेरी बाहों में रहो न। मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।
भाभी: बेटे, क्यों तुम्हे ऑफिस नहीं जाना। आके फिर प्यार करना।
मैं: मुझे मन नहीं करता ऑफिस जाने का माँ, तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूँ दिन-भर।
भाभी: बेटे, अगर ऑफिस नहीं जाएगा तो अपनी माँ का ख्याल कैसे रख पायेगा। (भाभी अब धीरे धीरे खुल रहीं थीं, और उनके बदन के लिए उत्तेजना उतनी ही बाद रही थी)

फिर मैं ऑफिस की तैयारी में लग गया। भाभी nighty पहन कर घर के थोड़े-मोरे काम करने लगी।

कुछ ही देर में गेट की घंटी बजी। मुझे मस्ती सूझी सो मैंने भाभी से बोलै: माँ तुम ले लो न आर्डर गेट खोल के, प्रीपेड हैं, तुम्हे पैसे नहीं देने।
भाभी ने गेट खोला और एक करीब 19 साल का डिलीवरी बॉय गेट पे खड़ा था। दरअसल मैंने पैसे नहीं दिए थे। वो लड़का डिलीवरी के पहले भाभी से पैसे मांगने लगा। भाभी ने उसे अंदर आने को कहा और गेट सटा दिया। मुझे आवाज़ दी - बेटे पैसे ले आना। मैं पर्स ले के बहार आया और देखा की वो लड़का भाभी के बदन को घूर रहा था। मैंने भाभी के हाथ में पर्स दे दिया और भाभी को पीछे से पकड़ के उनके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा। डिलीवरी बॉय और भाभी दोनों अचंभित थे! मैंने भाभी को जोर से पकड़ रखा था। भाभी ने ज्यादा जोर-आजमाइश नहीं की और डिलीवरी बॉय से अमाउंट पुछा। वो चाहती थीं की डिलीवरी बॉय को जल्दी से पैसे देकर बाहर कर दूँ। मैंने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और भाभी को घसीटते हुए डिलीवरी बॉय के करीब ले गया जिससे की भाभी के स्तन अब उसके मुँह के बहुत पास थें।

डिलीवरी बॉय ने अमाउंट नहीं बताया, भाभी अपने हाथ में वॉलेट ले के पैसे पूछ रहीं थीं पर वो बता ही नहीं रहा था। मैंने डिलीवरी बॉय से पूछा: कैसे हैं मेरी माँ के थन?
डिलीवरी बॉय की हिम्मत बढ़ी और उसने भाभी के स्तनों को छूने के लिए हाथ बढ़ाया। भाभी ने उसे जोर का चाटा लगाया और फिर मैंने भाभी के दोनों हाथ पकड़ लिए। भाभी के स्तन पूरे उभर का डिलीवरी बॉय के सामने थे। वो भाभी के स्तनों को अपने हाथों से पागलों की तरह मसलने लगा। भाभी ने मुझे कहा- सुनील रोको इसे प्लीज। मैं: सुनील या सुनील बेटे?
भाभी: मेरे बेटे रोको इसे प्लीज।

डिलीवरी बॉय भाभी के होठों को चूसने लगा और उनके nighty को हाथ पीछे करके खोलने लगा। (मैं बस चाहता था की वो भाभी के स्तनों को मसले, तुरंत मैंने उसे डांटा और उसके पैसे दे कर उसे बाहर कर दिया)। भाभी ने गुस्से में मुझसे बोला- तुम बहुत गंदे आदमी हो, मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ।

मैं भाभी से: माँ, मैं तो बस चाहता था वो तुम्हारे स्तनों को मीचे, इससे तुम्हारे स्तन और बड़े होंगे। क्या होगा तुम्हे अगर कोई तुम्हारे थन को थोड़ा मथ देता है तो पर उसे कितनी ख़ुशी मिलेगी माँ सोचो।(मैं भाभी के स्तनों को मसलते हुए उनसे बात कर रहा था)

भाभी तुरंत रोने लगीं और बोलीं - हे भगवान् क्या पाप किया था जो ये सजा दे रहे हो? (मुझे बहुत बुरा लगा, मैं तो सोच रहा था भाभी इसे पसंद करेंगीं पर उन्हें ये घटना बहुत चुभ गयी थी)

भाभी मुझे हमेशा से पढ़ने-लिखने वाला सीधा लड़का समझतीं थीं, माँ के देहांत के बाद भाभी हमेशा मेरी पढाई की फ़िक्र करती थीं। और आज मैं उनके बदन को दिन-भर भेदने में लगा रहता था। मुझे भी बड़ी ग्लानि होती थी कभी कभी, पर खुद को ये कह के मन लेता की ऐसे बदन की औरत कभी अकेले नहीं रह पाती, भाई की मेहनत किसी और की बिस्तर गरम करे इससे अच्छा है मैं ही उसका वारिश बनूँ।

मैं: माँ, माफ़ कर दो। फिर कभी नहीं करूँगा ऐसा, ये बदन अब सिर्फ (स्तनों के विस्तार को छूते हुए) मैं ही छुऊंगा। चुप हो जाओ भाभी, वो जानता भी नहीं हमें।
भाभी चुप रहीं और धीरे धीरे उनका रोना बंद हुआ।

मैं थोड़ी देर में ऑफिस के लिए निकलने लगा तो नीचे देखा वो लड़का अभी भी खड़ा था। मैंने उसे डांटा तो वो भाग गया। मैंने भाभी को फ़ोन करके गेट अंदर से लगाने को बोल दिया और फिर ऑफिस चला गया। ऑफिस पहुंचने के बाद मुझे थोड़ा डर सा लगा। मैंने कल ही मालती को काम से निकल दिया था वो हमारे रिश्ते के बारे में सब कुछ जानती थी और अब ये लड़का जो कभी भी भाभी का पीछा कर सकता था। मैंने तुरंत निश्चय कर लिया की हमें घर चेंज करना होगा और वो भी एक-दो दिनों में ही। मैंने ऑफिस से छुट्टी लेकर अभी से दस किलोमीटर दूर के इलाके में ब्रोकर की मदद से एक 2bhk ले लिया। मैं वैसे भी एक कार लेना वाला था और फिर ऑफिस से दस किलोमीटर का सफर दिल्ली में कुछ ज्यादा नहीं था।

मैंने घर पहुंचते ही भाभी को ये बात बताई और फिर उनसे माफ़ी मांगते हुए कहा की जो भी था यहाँ था नए जगह पर नए तरीके से रहेंगे, आप जैसा बोलेंगी मैं वैसा ही करूँगा।

भाभी: वहाँ (नए फ्लैट) में हमारे बारे में क्या बताया है?
मैं: मैंने उन्हें बताया है की आप और मैं माँ बेटे हैं। आप मेरी माँ हैं जो विधवा हैं| दरअसल आपका शरीर ऐसा है की अगर मैं बताता की हम पति-पत्नी हैं तो उन्हें हमारे रिश्ते नाजायज़ लगता। अगर मैं आपको विधवा भाभी बताता, तो सभी यही मानते की आपके ऐसी औरत के साथ रहते रहते कुछ ही दिनों में मेरे और आपके बीच नाजायज़ रिश्ता बन जाता। अंत में माँ बेटे का ही रिश्ता सही लगा जिसको लेकर किसी को शक नहीं होगा और लोग इस रिश्ते को इज़्ज़त से देखते हैं।

भाभी: (चौंकते हुए) ये क्या कह रहे हो, हम माँ बेटे थोड़े ही न हैं!
मैं: मैं कहाँ कह रहा हूँ माँ की तुम मेरी माँ हो, ये तो बस मकान-मालिक और आस-पास के लोगों के लिए। आप तो मेरी दुधारू गाय हो। (मैं भाभी के बदन को फिर मीचने लगा)। तुम भाभी, माँ या फिर दीदी कुछ भी बन जाओ दूसरों के लिए, मेरे लिए तो तुम एक गदराये मांस की औरत हो जिसे चोदना मेरी जिम्मेवारी है। (कहते हुए मैंने भाभी को बिस्तर पे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया। फिर मैंने जम-कर भाभी के बदन को रौंदा। भाभी को छोड़ते वक़्त मैं खूब गालियां देता था| पूरे एक घंटे तक उनके बदन को मथने के बाद भाभी और मैं दोनों थक-कर सो गए।

सुबह-सुबह मैंने मोवेर्स और पैकर्स वालों को बुला रखा था। वो आये और वो लोग सामान पैक करके आधे घंटे में ही निकल गयें। उनके सामने मैंने भाभी को माँ कह के ही बुलाया था। नए घर पे हमारे मकान मालिक ने हमारा स्वागत किया। वो एक दो फ्लोर का मकान था, मकान मालिक (रोहन) खुद नीचे वाले फ्लैट पे रहते थे और हमें ऊपर वाला दिया था। मकान मालिक और उसकी पत्नी (रीता) बस दो ही लोग रहते थे। उनके एकलौते बेटे का एडमिशन US में था। मकान मालिक से तो मैं कल मिला था ब्रोकर के साथ, पर मकान मालकिन से मैं आज पहली बार मिल रहा था। वो एक बड़े चुस्त बदन की औरत थीं, बिलकुल बेहद गदराई हुईं और एक दम शालीन स्वाभाव कीं।
दिन-भर हम घर सजाने में लगे रहे पर शाम होते ही मैंने भाभी को बिस्तर पे सुला के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके गालों को चाटते हुए कहा- रीता को देखा तुमने माँ, रोहन भी उसकी दिन-भर चुदाई करते होंगे तभी तो बदन ऐसे गदराया हुआ है उसका।

भाभी को चूमते हुए मैंने कहा- मुझे तो तुम बहुत जल्दी मिल गयी, पूरी ज़िन्दगी पड़ी है तुम्हे चोदने के लिए।

माँ तुम्हे मैं हमेशा खुश रखूँगा। बस तुम अपने बदन का ध्यान रखना, इसकी मिलकियत सिर्फ मेरी हो।

भाभी: और तुम लोगों से मुझे बांटों। इतना चाहते हो इस बदन को तो क्यों उस लड़के हाथ लगाने दिया था इसे| (भाभी के आवाज़ में अभी भी निराशा थी)
मैं: माँ, मुझे माफ़ कर दो। वासना के नशे में खो गया था मैं। पर मैं तुम्हे वादा करता हूँ की आज से मेरी गाय को कोई छुएगा भी नहीं।

तभी गेट की किसी ने घंटी बजायी। मैं और भाभी सहज होके जल्दी से कपडे ठीक किये। मैंने गेट खोला तो एक 30 -35 साल की औरत खड़ी थी। वो मकान-मालिक की मेड (आभा) थी क्यूंकि मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया था सो उन्होंने अपनी मेड को भेज दिया था। मैंने उसे अंदर बुलाया और फिर भाभी को भी बरामदे में बुलाया।

मैं: माँ, आभा दीदी आयीं हैं। रोहन भैया ने बोला था न।
भाभी: आती हूँ सुनील

फिर भाभी ने आभा से थोड़ी देर में सारी बातें कर लीं। मैं वहाँ से हट गया था। आभा ने उसी समय से ज्वाइन कर लिया। वो खाना बनाने में लग गयी। मैं आभा के रहते दुसरे कमरे में चला गया था। खाना बनाकर आभा चली गयी और फिर मैं मेन गेट लगा के भाभी के पास चला गया और उन्हें चूमता हुआ नंगा करने लगा।

सारे कपड़े उतारने के बाद मैंने उन्हें बिस्तर पे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया|
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