RE: Nangi Sex Kahani दीदी मुझे प्यार करो न
भाभी अब जोर-जोर से चूतड़ हिलाने लगी थी। मालती भी भाभी के चूतड़ों को साइड से जोर-जोर से हिला रही थी। मेरा लंड मालती की बातों से तन कर सख्त हो गया था। फिर मैं भाभी के गांड पे उछल-उछल के पेलने लगा। फच-फच की आवाज़ के साठ हर धक्के में मेरा लंड थोड़ा और अंदर जाता, भाभी की सांसें तेज हो रही थी। वो भी साथ में उछलती और उसमें मालती भी बैठे-बैठे उनका साथ दे रही थी।
मैं: आह.... मेरी चुदक्कड़ माँ .... तू कितनी मोटी है... आह... माँ... माँ..
भाभी: आह... .. सुनील.. धीरे .... .. सुनील... मेरे बेटे... . (भाभी से मेरा नाम सुनते ही मुझे बड़ा अच्छा लगा)..
मैं: .. हाँ... मेरी भड़काऊ माँ..
भाभी: धीरे... बेटे...
करीब 25 मिनट हो चुके थे मुझे भाभी के चूतड़ों पे चढ़े। आनंद की नयी उचाइयां चढ़ रहा था मैं। इस समय मैंने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी, दोनों हाँफते हुए कुछ देर में शांत हो गए। भाभी के गांड में लंड फसाए मैं बिस्तर पे भाभी के बगल में लुढ़क गया और भाभी को भी दूसरी ओर करवट लेना पड़ा। मालती ने मेरे लंड को भाभी की गांड की फांक से निकला और उसपे लगे वीर्य को कपडे से पोछा और फिर भाभी के गांड के अंदर कपडे को घुसा कर उसे भी साफ़ किया।
अभी भी मैं और भाभी हांफ रहे थे फिर भी मैं भाभी से पीछे से चिपक गया और आगे हाथ ले जाके उनके विशाल नंगे स्तनों पे हाथ फेरने लगा|
मैं कामनावश्था के चरम पे था। अभी अभी मैंने अपने से पंद्रह साल बड़ी भाभी के गठीले भड़काऊ बदन को 3 घंटे तक एक पराई महिला के सामने रौंदा था। भरे बदन की भाभी चुदी मेरे बगल में लेटी हुई थी। मुझे मेरे मर्दानगी पे गर्व हुआ की मैंने ऐसी गदराई औरत को संतुष्ट कर दिया था। मैंने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके ऊपर चढ़ गया और उनके आँखों में देखते हुए पूछा की क्यों मेरी गाय, तेरा बछड़ा तुझे कैसा लगा। भाभी ने अपने आँख दूसरी तरफ कर लिए। मैंने फिर उनके सर को अपनी तरफ घुमा के उनके आँखों में देखते हुए कहा
मैं: मालती मेरी रखैल माँ मुझसे नाराज़ दिखती है!
मालती तब तक घर को फिर से सज़ा करके जाने की तैयारी कर रही थी, रात के 11 बज चुके थे।)
मालती: भैया आपकी दुधारू माँ बड़ी शर्मीली हैं। ज्यादातर ऐसी गदराई औरतें बड़ी बेशरम होती हैं, किसी भी गबरू जवान मर्द को अपने ऊपर चढ़ा लेतीं हैं, पर आपकी माँ हमेशा आपकी वफादार रहेगी| भैया वैसे ये बदन घर के बाहर जाने लायक नहीं है, कोई भी बच्चा, जवान, बूढ़ा इसके पीछे पड़ जाएगा। इसे नंगी करके घर में ही बंद रखो, और अपनी माँ के बदन का दिन-रात मर्दन करो भैया।
भाभी मालती की तरफ देख-के कुछ बोलने वाली थी तभी मैंने उनके होठों पे अपने होठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मालती सही कह रही थी भाभी का भड़काऊ बदन कपड़ों में भी खासा गदराया हुआ लगता था। भैया भी उन्हें अकेले बाहर नहीं जाने देते थे।
मालती जाने लगी तो बोली: भैया उस कमरे की चाभी मैंने यहाँ टेबल पे रख दी है। खाना बना दिया है। अब मैं सुबह 8 आउंगी।
मैं: नहीं मालती, हमें कपड़ों की जरुरत नहीं है, तुम अपने पास ही रखो चाबी, सुबह तो आ ही रही हो। (मैं भाभी को लगातार चूम रहा था, मेरे ये बोलते ही वो थोड़ी उठने से हुई पर मैंने उन्हें अपने जोर से अपने नीचे दबाये रखा)
मालती: क्या बात है भैया, ऐसे सागर (भाभी का बदन) को इतना ही प्यासा प्राणी (मैं) मिलना चाहिए था। ठीक हैं मैं ले जाती हूँ चाभी, अपनी माँ को आपने अपने बदन से ढक तो रखा है, इसे कपड़ों की क्या जरुरत है।
मालती गेट को बाहर से लगा के चली गयी, मेन गेट में बाहर और अंदर दोनों से लॉक लग सकता था, एक चाबी हमने मालती को दे रखी थी)
मालती के जाने के बाद मैंने भाभी को कहा: भाभी सच बताऊँ, तुम मुझे गलत मत समझना भैया जब तुम्हे पहले दिन घर लाये थे मैं 5 साल पहले तभी से मुझे तुम्हारे बदन के प्रति आकर्षण था, पर मैं तुम्हे अपनी भाभी माँ ही मानता था। माँ के मरने के बाद तो तुमने मेरी काफी देखभाल की, और मेरे लिए तुम बिलकुल माँ समान थी। पर भैया के देहांत के बाद मैं तुम्हे अकेले कैसे छोड़ता, सो मैंने राहुल भैया और अंकल को यही कहा की मैं तुम्हे अपने साथ रखूँगा। पर तुम खुद सोचो अगर मैं तुमसे शादी नहीं भी करता, और हम दोनों साथ रहते, तुम्हारे बदन का गदरायापन (मैंने भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से मीचते हुआ कहा) मुझे तुम्हारे करीब ला ही देता। तुम अपने मइके जाती तो राहुल भैया तुम्हे अपनी रांड बना कर रखता (इस बात ने भाभी के चेहरे पे गुस्सा ला दिया था)। मैंने कहा गुस्सा करने की बात नहीं है, जब राहुल भैया और अंकल मुझसे शादी के लिए कह रहे थे तो मैंने मना करते हुए कहा की आप मेरे उम्र में 15 बड़ी हो और आपको मैं भाभी माँ बुलाता हूँ तो राहुल भैया ने बोला की भाभी थोड़े ही न माँ होती हैं, उसने तो इशारों में ये भी बोला था की बड़ी उम्र की औरतों ज्यादा अच्छी होतीं हैं शादी के लिए।
आपके पिता और आपके भाई चाहते थे की मैं आपके बदन का मालिक बनूँ, और मुझे पक्का यकीं था थी अगर मैंने मना कर दिया तो राहुल भैया तुम्हे खुद की रखैल बनाता। और उसकी शादी होने की वजह से वो आपसे शादी भी नहीं करता। देखो तो राहुल भैया और मेरे में से आपका बदन किसी एक को मिलना ही था। और फिर मेरे पास आने के लिए तो आपने भी हाँ किया था।
भाभी नज़रे झुकाए मेरे बातें सुन रही थीं, और मुझे ऐसा यतीत हो रहा था की उन्हें मेरी बात जायज़ लग रही थी।)
मैं: भाभी कुछ बोलो आप भी!
भाभी: राहुल मेरा छोटा भाई है, उसके लिए ऐसे मत बोलो।
मैं: आपके छोटा भाई ने आपसे 15 साल छोटे मर्द को आपका बदन सौंप दिया वो आपको सीधा दीखता है। मुझसे रोज फ़ोन करके पूछता रहता है - तुम्हारी भाभी खुश है ना, अपनी भाभी को मेरा प्रणाम कहना वगैरह। जब उसने खुद ही हमारी शादी करवाई है तब वो आपको मेरी भाभी कह के क्यों बुलाता है। वो चाहता था की मैं आपसे (खुद की भाभी) से शादी करूँ।
भाभी चुप थीं। पर मैंने कहा की हो सकता है मैं गलत सोच रहा हूँ। वैसे मैंने बताया की मैंने राहुल भैया को अगले शनिवार को आमंत्रित किया है, वो अकेला ही आएगा क्यूंकि उनकी बीवी और बच्चे मायके गए हुए हैं।
फिर मैंने भाभी पीठ के बल लेट गया और भाभी को उठा के अपने ऊपर किया और पूछा: भाभी ये बताओ ये माँ-बेटे की क्या स्टोरी है, आप और सूरज भैया चुदाई के समय एक दुसरे को माँ-बेटा क्यों बुलाते थे?
भाभी: तुम्हारे भैया और मैं बस कभी-कभी सेक्स लाइफ में नयेपन के लिए ऐसा करते थे। कोई स्टोरी नहीं है इसके पीछे।
मैं: मान गए भाभी आपको। वैसे जब भी मैं आपको माँ बुलाता था आपके चुदाई की रफ़्तार बढ़ जाती थी। वैसे कई लोग अगर हमारे रिश्ते को ना जाने तो आपके गुदाज फैले शरीर को देखते हुए (मैंने अपने हाथ भाभी के उन्नत नितम्बों पे रख रखे थे) मुझे आपका बेटा ही समझेंगे। याद है आपको वो दूकान वाला। वैसे मैं आपको माँ बुलाऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
भाभी: केवल हमारे बीच में।
मैं: और अपनी घरेलु मालती के सामने, माँ।
भाभी चुप रहीं, और मैंने इसे उनकी सहमति समझा।
मैं: माँ तुम्हे भूक लग गयी होगी, कुछ खा लेते हैं। फिर हम दोनों नंगे बरामदे में ड्राइंग टेबल पे खाना खाने के लिए बैठे। मैंने भाभी को खुद के जाँघों के ऊपर बैठा लिया। मैं उनके बदन के निरंतर सानिध्य में रहना चाहता था। जब भी भाभी कोई कौर मुँह में अपने मुँह में डालती, मैं उनके हाथ को अपने मुँह में लेके उसे चूस-चूस के साफ़ करता और फिर उनके मुँह को पीछे करके उनके होठों को चूस के उनके मुँह को भी साफ़ करता। बड़ा मादक अहसास था ये हम दोनों के लिए।
कल तक भाभी मुझे कुछ करने नहीं देती थी, और आज उनका बर्ताव ऐसा था जैसे वो मेरी दासी हो। इसमें निसंदेह मालती का बड़ा योगदान था।
खाने के बाद भाभी को मैं दुबारा बिस्तर पे ले आया। चलते वक़्त भी मैंने उन्हें अपने आलिंगन में कर रखा था। बिस्तर पे करवट लिटा के मैंने उन्हें अपने बाहों में कसकर एकदम से अपने करीब लाते हुआ उनके होठों को चूसते हुआ बोला: माँ तुम्हे नींद आ रही है क्या। भाभी: हाँ बहुत रात हो गयी है।
तब रात के 2 बज रहे थे, भाभी को खुद के आलिंगन में किये मैं और भाभी सो गए। सुबह मालती के आने के बाद जगे हम। \मुझे बड़ी उत्तेजना होने लगी पर मैं जानता था भाभी अभी सेक्स के लिए बिलकुल नहीं मानती वैसे भी मुझे ऑफिस जाना था सो मैं तैयार हो के ऑफिस के लिए निकलने लगा। मैंने भी भाभी का कोई कपड़ा बाहर नहीं निकाला और चाबी खुद के साथ ले कर चला गया।
मालती ने भाभी से कहा: माँ जी चलिए मैं आपको ब्रश वगैरह करवा दूँ, मालती ने भाभी को बिस्तर से उतार के भाभी के स्तनों को पीछे से मसलते हुए उन्हें बेसिन के पास ला करके उन्हें ब्रश करने को कहा। भाभी दांतों को ब्रश कर रही थी और मालती उनके स्तनों का मर्दन। बेसिन के शीशे में भाभी जब खुद के स्तनों को मसलते हुए देखती तो वो शर्माती और नज़रे हटा लेतीं। मालती: माँ जी, 24 घंटे अगर ये मसले जाएँ तो 3 महीने में ही ये 50 " के हो जायेंगे। सुनील भैया चाहते हैं की आपका बदन और भरे।
ब्रश करने के बाद मालती ने भाभी को कमोड पे बैठा दिया और खुद पास में स्टूल रख के उसपे बैठ के उनके स्तनों को मसलती रही। फिर भाभी को बिस्तर पे वापस लाकर उनके नंगे बदन की रगड़-रगड़ कर मालिश करने लगी। अब वो उनके मांसल बदन को पूरे जोर से गूथ रही थी। मालती: क्यों री तू तो विधवा होते हुए अपने ही देवर का बिस्तर गरम करने लगी। \
जवान देवर को अपने बदन का गुलाम बनाना चाहती है, वो तुझे खुद के हवस की दासी बनाएगा। तू उससे चुदने के लिए जियेगी और वो तुझे दिन-रात चोदेगा।
मालती ने भाभी को पेट के बल लिटा के उनके नितम्बों पे जोर-जोर से चाटा मारने लगी। फिर वो एक पतली बेंत ले आयी और उनके चूतड़ों के मांस पे तारा-तर बेंत चलने लगी। भाभी अब रोने लगी, मालती ने बेंत मारना जारी रखा। मालती भाभी के गालों पे लगातार चाटा मार रही थी। भाभी बहुत रोई पर मालती उन्हें दासी की तरह 10 मिनट तक गालों पे चाटा मारते रही।
फिर वो भाभी को बाथरूम में बाथ-टब में ला कर खुद के ऊपर लिटाते हुए बाथ-टब में पानी का नल खोल दिया। तुरंत भाभी के स्तनों तक पानी आ गया था, फिर मालती ने नल बंद कर दिया। भाभी के कानों में बोली: माँ जी, आपको पिशाब लगी हो, आप पिशाब कर लो। भाभी को जोर से पिशाब लगी थी, मालती ने उन्हें 1 घंटे तक बहुत मारा जो था। वो बाथ-टब से निकलने के लिए उठने लगी। पर मालती ने उन्हें जोर से पकडे हुए कहा यहीं कर लीजिये माँ जी पिशाब। और मालती आवाज़ निकालने लगी जो छोटे बच्चों से पिशाब करवाने के लिए महिलाएं निकालती हैं। कुछ ही देर में भाभी तेज़ धार से गरम पिशाब निकालने लगी। जब भाभी रुकी तो उनके पिशाब की वजह से बाथ-टब के पानी का रंग पीला हो चूका था और पिशाब की बदबू आने लगी पूरे बाथटब में। भाभी के स्तनों को उसी पानी में धोते हुए मालती ने कहा- आज से आप और भैया आपके मूत से मिले पानी से ही नहाएंगे। जब भी पिशाब आये, माँ जी आप पिशाब अब इसी टब में करेंगी। आपके शरीर से निकले पिशाब में भी एक नशा है।
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