RE: behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें
दीदी ने आँखे बंद की हुई थी और आहे भर रही थी।
"भैया बहुत अच्छा लग रहा है जोर से घसीट कर धक्के मारो मजा आरहा है" दीदी सीसियाते हुए बोली।
मैने दीदी की बात मान कर दीदी की गांड की लाइन में अपना लंड जोर से ऊपर नीचे करने लगा कुछ देर बाद दीदी ने अपना हाथ मुँह के पास किया और अपने हाथ में थूक लेकर मुझे अलग करके अपनी गांड पर बहुत सी थूक डाली और मेरा लंड पकड़ कर वहां रख दिया।
"अब करो जितना स्लिप होता है मजा भी उतना ही आता है, सूखा हो गया था ना इसलिए मैंने थूक लगा दी है" दीदी बोली।
अब मैं पहले से ज्यादा जोर से लंड हिल रहा था और दीदी भी अपनी गांड पीछे कर रही थी की अचानक दीदी झुक गई।
"भैया जरा जोर से रगड़ो मुझे मजा आरहा है मैं जल्दी ही झड़ जाउन्गी, हाँ जरा जोर से" दीदी झूकते ही बोली।
दीदी की बात सुनकर जब मैंने जोर लगाया तो मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जाकर अटक गया मैंने पीछे किया और फिर जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी गांड में घूसने लगा।
दीदी इतनी मदहोश थी की उसे अभी तक महसूस नहीं हुआ था की मेरा लंड उसकी गांड में झाँकने लगा था मैं दीदी की गोरी गांड को देख रहा था दीदी झुकि हुई थी तो उसकी गांड का छेद साफ़ नजर आरहा था।
मैंने लंड पीछे किया और अपने मुँह से थूक गिराया जो सीधे दीदी की गांड की लाइन पर गिरा और बहते हुए दीदी की गांड के छेद तक आ गया और जैसे ही थूक वहां आया तो मैंने लंड को छेद पर सेट करके जोर लगाया तो मेरे लंड का सुपाडा दीदी की गांड में घुस गया।
"ऊऊफ़्फ़फ़ तूने क्या कर दिया हाईईईए.... माँ जलन हो रही है आआहहहहह..." दीदी के मुह से निकला ।
दीदी की कराह सुनकर मैं डर गया और लंड बाहर निकालने लगा तो दीदी ने गांड और टाइट कर ली और बोली "नहीं... अभी रुको दर्द हो रहा है हिलो मत जलन होती है, क्यों डाला तूने अपना लंड मेरी गांड में गंदे कहीं के ूहःहःहमाआ.... दर्द हो रहा है"।
थोड़ी देर तक हम दोनों वैसे ही खड़े रहे फिर मैं बोला "दीदी धीरे से निकाल लू या फिर झटके से निकाल लेता हूँ सच दीदी मुझे नहीं पता की अचानक कैसे अंदर चला गया" मैं बोला।
"नही तुम रुको मैं खुद निकालती हूँ " कह कर दीदी ने अपनी गांड का जोर मेरे लंड पर दिया और फिर थोड़ी आगे हुई लेकिन सुपाडा अटका हुआ था दीदी फिर से पीछे हुई और फिर आगे हुई और मजे से अपना लंड दीदी की गांड में आता जाता देख रहा था दीदी की गांड का छेद अब दर्द और जलन से लाल हो गया था लेकिन मुझे अब परेशानी से ज्यादा मजा आरहा था।
"दीदी आप रुको मैं खुद आराम से निकाल लेता हूँ लेट मी ट्राय" मैं बोला।
"ओके लेकिन एकदम धीरे धीरे आराम से निकालना आगे पीछे होकर निकालोगे तो आसानी से बाहर आ जाएगा" दीदी मज़बूरी में बोली।
मैं थोड़ा सा आगे हुआ तो लंड भी थोड़ा अंदर घुस गया तो दीदी बोली "बस इतना ही अब पीछे करो" और अपने होंठ दाँतो में दबा लिए।
मैने धीरे से बाहर निकालना चाहा लेकिन फिर सुपाडा अटक गया तो मैंने वापस आगे धकेला तो लंड थोड़ा और अंदर हो गया।
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