RE: behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें
मेने अपना हाथ हटाने ही लगा था की अचानक मैंने सोचा की जब इतना रिस्क ले ही लिया है तो थोड़ा और सही शायद मैं कामयाब हो जाउ। ये सोच कर मैंने दोबारा अपना हाथ दीदी की कुर्ती के अंदर डाल दिया और ब्रा को अपनी उंगलियो से हटाने लगा लेकिन मुझे इस बात का कोई एक्सपीरियंस नहीं था की ब्रा कैसा होता है और किस तरह हटाया जाता है।
मैंने काफी कोशिश की लेकिन ब्रा बूब्स से नहीं हटा तो मैंने उंगलियो से ही दीदी के बूब दबाए जो बहुत नरम थे और ब्रा के नीचे से अपनी दो उंगलिया दीदी के बूब पर ले गया। ऊऊफफफफफ।।।।।। इतने सॉफ्ट बूब्स थे दीदी के की क्या बताऊं मुझे बहुत मजा आया जिसे मैं बयां भी नहीं कर सकता।
थोड़ी देर बाद मैंने और कोशिश करके अपनी ४ उंगलिया ब्रा में डाल दी और दीदी के बूब को धीरे धीरे दबाने लगा जिससे दीदी का निप्पल हार्ड होने लगा मुझे निप्पल्स के बारे में पता नहीं था लेकिन अच्छा फील हो रहा था की अचानक दीदी ने आँख खोल ली और मुझे देखा और झट से उठ कर बैठ गई मैंने भी जल्दी से अपना हाथ बाहर निकाल लिया।
दीदी ने साइड पर पड़ा दुपट्टा उठाया और उसे अपनी छाती पर डाल लिया और ग़ुस्से से बोली " क्या कर रहे थे तुम मेरे रूम में मेरे साथ? शर्म नहीं आई तुम्हे आखिर हो क्या गया है तुम्हे कुछ दिनों से मुझे महसूस हो रहा है की तुम में बहुत चेंज आगया है"।
"दीदी मुझे कुछ पैसो की जरुरत थी और आप सो रही थी मैंने कोशिश भी की लेकिन आप नहीं उठि तो मैंने सोचा की उस दिन आपने यहीं से पैसे निकाले थे तो क्यों न आपको परेशान किये बगैर मैं खुद ही पैसे निकाल लू और इसलिए मैंने अपना हाथ अंदर डाला था और अभी हाथ अंदर गया ही था की आप उठ गई इसमें मैंने ऐसे क्या गलत कर दिया की आप इतना गुस्सा हो रही हो आपने भी तो खुद ही यहाँ से निकाल कर पैसे दिए थे" मैं मौके की नजाकत को समझते हुए मासुम बनते हुए बोला।
"राज मेरे भाई ये ठीक नहीं है तुमने मुझे उठाना था और भैया ऐसे अपनी बहन के यहाँ हाथ नहीं डालते, पागल कहीं के मुझे तो डरा ही दिया था तुमने, बता कितने पैसे चहिये।।।।।" दीदी नार्मल होते हुए बोली।
"ओनली ५० रूपीस" मैं मुस्कुराते हुए बोला ताकि दीदी को शक न हो।
"क्या करना है ५० रूपीस का कोई खास चीज लेनि है क्या" दीदी बेड से उठते हुए बोली।
"नही बस ऐसे ही।।।।।" मैं मुस्कुराते हुए बोला दीदी मेरे झाँसे में आगई थी।
अब दीदी उठी और ड्रावर से पैसे निकाल कर मुझे दिए और बोली "अब जाओ और मुझे सोने दो"।
मैने भी पैसे हाथ किए और भगवान का शुक्रिया करते हुए रूम से बाहर निकल गया जो उन्होंने आज इतनी बड़ी मुसिबत से मुझे बचा लिया था और मेरे रूम से बाहर निकलते ही दीदी फिर से अपने बेड पर ढेर हो गई थी।।।।।।।।
मेरे बाहर जाने के बाद दीदी ने आँखे खोली और मेरी हरकतो के बारे में सोचने लगी अब वो ९०% श्योर हो चुकी थी की मेरे दिमाग में कुछ तो अलग चल रहा है लेकिन ऐसा क्यों हुआ और किसने मेरे दिमाग में ये बात भरा है वो जानना चाहती थी लेकिन कैसे सब मालूम पड़े ये वो समझ नहीं पा रही थी खैर वो ऐसे ही सोचो में गुम अपने बेड पर पड़ी रही।
कल दिन जब मैं जब दीदी के पास पढाई करने गया तो दीदी बोली "राज, आज हम बाते करेंगे आज पढना नहीं है पढाई कल कर लेंगे "।
"ओके दीदी, वैसे भी आज दो टीचर्स नहीं आई थी तो होम वर्क भी ज्यादा नहीं मिला है तो आज हम बाते कर सकते है, पढाई नहीं भी हो तो चलेगा" मैं बोला
मेरी बात सुनकर दीदी मुझसे बाते करने लगी पहले तो इधर उधर की ऐसी वैसी बाते ही होते रही फिर दीदी धीरे धीरे काम की बातो पर आने लगी
"अच्छा राज ये बताओ की स्कूल में कितने फ्रेंड्स है तुम्हारे" दीदी ने पूछा।
"दीदी मेरे तो बहुत दोस्त है स्कूल मे" मैंने जवाब दिया।
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