RE: behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें
अब तो मैं हर सटरडे को खुब मजा करता और अलग अलग मिस की गांड का मजा लेता लेकिन उससे ज्यादा करने की मेरी हिम्मत कभी नहीं हुई मतलब मैंने कभी भी किसी भी मिस के बूब्स तक हाथ पहुँचाने की कोशिश नहीं की २ मंथ बाद मैं इस सेक्स गेम में अच्छी तरह इन्वॉल्व हो गया लेकिन रात को जब मैं सोने लगता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुझे इतना तंग करता की मैं सारी रात सो नहीं पाता।
एक दिन मैंने अपनी ये प्रॉब्लम अपने एक दोस्त के बताई तो उसने कहा की अपने हाथ पर थुक लगा कर आगे पीछे किया करो और मुठ मारा करो जिससे ये प्रॉब्लम भी खत्म हो जायेगी और बहुत मजा भी आएगा लेकिन मेरी समझ में कुछ नहीं आया की ऐसा करने से क्या होगा लेकिन घर आकर रात को जब मैंने वैसा किया तो बहुत अच्छा लगा और कुछ देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया मुझे बहुत मजा आया और फिर मैं चेन से सो गया।
फिर ये सब काफी महीनो तक ऐसे ही चलता रहा अब आते है असली बात पर की कैसे रीमा दीदी के बारे में मेरे ख़यालात बदले और केसे मैं उसकी तरफ आकर्षित हुआ।।।।।।
हआ ये की एक दिन रीमा दीदी मुझे पढ़ा रही थी हम दोनों ही उसके रूम में बेड पर बैठे हुए थे तभी पढ़ते पढ़ते अचानक मेरी नजर दीदी की छाती पर चली गई इस वक्त रीमा दीदी सलवार सूट पहने हुए थी और दुपट्टा भी लिया हुआ था लेकिन कुर्ती टाइट होने के कारन उसका सीना बहुत उभरा हुआ दिख रहा था।
दीदी मेरी बुक देख रही थी और मैं उनकी छाती को घुर रहा था उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े लग रहे थे तब उसने दुपट्टा तो लिया हुआ था लेकिन वो थोड़ा साइड पर हो गया था इसलिए उसके बूब्स कुर्ती में जकड़े हुए लग रहे थे।
कभी मैं दीदी के बूब्स को देख ही रहा था की उसने मुझे ऐसे देखते हुए पकड़ लिया और बोली "राज क्या हुआ ऐसे क्या देख रहा है, कहाँ खोये हुए हो कोई प्रॉब्लम हो तो बताओ कुछ चाहिए क्या? आओ इधर आओ"।
इतना कह कर दीदी ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरी आँखों में देखने लगी।
"कुछ नहीं हुआ दीदी मैं बिलकुल ठीक हूँ वो तो बस आपका दुपट्टा साइड हो गया था तो मैं वहीँ देख रहा था" मैंने सच्चाई बताई।
रीमा दीदी ने अपनी गर्दन नीचे करके देखा तो उसका एक बूब तो ढका हुआ था लेकिन दुसरा दुपटटे से बाहर था तो उसने अपना दुपट्टा ठीक किया और बोलि "अच्छा तो तुम वहां देख रहे थे, लेकिन जब तुमने देख लिया था तो मुझसे कहा क्यों नहीं की दीदी अपना दुपट्टा ठीक कर लो"।
लेकिन शायद अभी तक दीदी को मेरी बात का मतलब समझ नहीं आया था
"लेकिन दीदी मैंने अभी ही तो देखा था की आपने पूछ लिया तो मैं कैसे बताता वैसे दीदी आप दुपट्टा क्यों लेती हो अपनी छाती पर मतलब सभी लड़कियां वहां से इतनी मोटी क्यों होती है लड़के तो यहाँ से मोटे नहीं होते फिर लड़कियां क्यों होती है" मैं बोला।
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