Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
01-13-2019, 11:46 PM,
#41
RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
एग्ज़िट से बाहर जाते समय राहुल बार बार दाएँ बाएँ देख रहा था | सलोनी उसकी साइड में चल रही थी, भीड़ ज़्यादा होने की वजह से लोगों के आपस में कंधे से कंधे टकरा रहे थे | सलोनी की नज़र अपने बेटे पर जाती है, वो कुछ परेशान सा इधर उधर देख रहा था | जब दोनो माँ बेटे की आँखे मिलती हैं तो सलोनी भवें उठाकर "क्या हुआ?" पूछती है | राहुल अपनी आँखे झुकाकर नीचे की और इशारा करता है | सलोनी की नज़र नीची होती है तो वो देखती है कि राहुल का लंड अकड़ा होने के कारण उसकी पेंट के सामने एक बड़ा सा तंबू बन गया था | 

सलोनी लोगों के बीच से होती हुई राहुल के आगे चली जाती है | राहुल के एकदम सामने पहुँचकर वो पीछे मुड़कर राहुल को पास आने का इशारा करती है | राहुल समझ जाता है और अपनी मम्मी के पीछे लगभग चिपक जाता है | अब उसका लंड दिखाई नही दे रहा था बल्कि सलोनी की गांड को उसकी जीन्स के उपर से रगड़ रहा था | हालांकि इतनी भीड़ में यह बहुत मुश्किल था कि किसी का ध्यान राहुल की तरफ़ चला जाता मगर फिर भी बेटे का मज़ाक बनने का रिस्क वो नही लेना चाहती थी, सिनेमा में तरह तरह के लोग आते हैं खास कर शाम के शो पर | खैर इसी तरह चलते चलते वो गेट के पास पहुँच गये जहाँ कार पार्किंग थी | वहाँ भीड़ नही थी, इसलिए राहुल अपनी मम्मी के पीछे छिपकर नही चल सकता था | मगर उसकी किस्मत अच्छी थी उनकी कार गेट के पास ही में पार्क थी | राहुल लगभग भागता हुआ गाड़ी के पास पहुँचा, सलोनी ने हंसते हुए गाड़ी को दूर से रिमोट से अनलॉक कर दिया | राहुल गाड़ी के अंदर बैठ चैन की साँस लेता है | सलोनी गाड़ी में बैठ उसे स्टार्ट करती है | 

शो अभी खत्म होने के कारण पार्किंग से रोड तक जाम लगा हुआ था | गाड़ियों के हॉर्न का शोर चारों तरफ़ से आ रहा था | सलोनी ने कुछ देर वेट करना उचित समझा |

"अभी पाँच मिनिट रुक कर चलते हैं, थोड़ा ट्रैफिक कम हो जाएगा" सलोनी राहुल की और मुड़ कर कहती है मगर राहुल को देखने से लग रहा था जैसे वो अभी भी परेशानी में था |

"अब क्या बात है?" 

"वो मम्मी दुख रहा है?" राहुल उभार के ऊपर से अपने लंड को सहलाता हुआ बोला |

"तो तेरे को कौन कहता है इसको हर वक़त अकड़ा कर रखने के लिए .... जब देखो खंबे की तरह खड़ा कर लेता है .... ऐसा कर तू इसे बाहर निकाल ले" 

"बाहर, जहाँ ... कोई भी देख सकता है मम्मी" राहुल इधर उधर देख कर बोलता है | 

"तो क्या हुआ" सलोनी एक ड्रॉयर को खोलती है | उसमें से एक मैगज़ीन निकाल कर राहुल की और फेंकती है | "इससे ढँक लेना" 

राहुल को यह स्कीम पसंद आती है | वो मैगज़ीन पेंट के उभार के उपर रखकर अपनी ज़िपर खोलता है और अपना लंड बाहर निकालता है | लंड के बाहर निकलते ही राहुल "ओह" करके चैन की साँस लेता है | उसके चेहरे से फ़ौरन राहत झलकती है | सलोनी उसे देखकर मुस्करा उठती है |

"ज़रा दिखा तो मुझे." 

"अभी जहाँ ... नही-नही मम्मी" राहुल घबराता सा बोल उठता है |

"क्यों, अभी कौनसा इसे कोई देख लेगा? ज़रा मेरी और से थोड़ी सी मैगज़ीन उठा दे, मैं देख लूँगी" सलोनी राहुल को ज़ोर देते हुए कहती है | 

"ठीक है मैं दिखाता हूँ, लेकिन पहले आपको वायदा करना होगा आप इसे टच नही करोगे और ना ही कोई ऐसी वैसी हरकत करोगे, आपने पहले ही मेरी हालत बहुत खराब कर दी है" राहुल अपनी मम्मी के आगे शर्त रखता है |

"ओह ......... तू तो लड़कियों की तरह नखरे दिखा रहा है ... उउन्न्नह मैं नही दिखायुंगी, सिर्फ देखना छूना नही ........ धीरे धीरे करो ना ... दर्द होता है ....... राहुल तू भी बस किसी नयी लड़की की तरह है ... अगर मैं कुछ करती हूँ तो तुझे प्राब्लम है अगर नही करती हूँ तो तुझे प्राब्लम है, मुझे तो यही समझ में नही आता तू चाहता क्या है" 

सलोनी राहुल को तीखी नज़रों से घूरती है, राहुल अपनी मम्मी को आहत भाव से देखता है | 

"चल ठीक है बाबा मैं कोई ऐसी वैसी हरकत नही करूँगी ...... अब दिखा भी दे" सलोनी थोड़ा मुस्करा कर कहती है |

राहुल एक बार आस पास नज़र डालता है खास करके अपनी मम्मी की तरफ़ | फिर वो अपनी तरफ़ से मैगज़ीन दबाकर सलोनी की तरफ़ वाला हिस्सा उपर उठाता है | सलोनी की नज़र राहुल के लंड पर पड़ती है, वो कुछ लम्हे लंड को बड़े ध्यान से देखती है | लंड इस कदर अकड़ा हुआ था कि वो झटका भी नही खा रहा था, एकदम पत्थर की तरह सख्त था | उसके उपर नसें उभर आई थी, सूपाड़ा इतना गहरा सुर्ख लाल दिख रहा था जैसे खून में डुबोया हो | एक तो लंड की लंबाई चौड़ाई पहले से ही ज़्यादा थी और उपर से वो इस कदर सख्त हो चुका था कि वो विकराल लंड देखने में ही बहुत भयानक दिख रहा था | यही लंड जब उसकी चूत में घुसेगा तो क्या धमाल मचाएगा ..... यह सोचते ही एक बार फिर से सलोनी की चूत गीली हो जाती है |

"उफफफफफफ्फ़ ..... आदमी की जगह घोड़े का लंड लगा कर घूमेगा तो वो पेंट में कैसे घुसेगा ...... दर्द तो होगा ही ना ........ उपर से अकड़ा कैसे रखा है ....... ऐसा लंड किसी लड़की की चूत में डालेगा तो बेचारी मर ही जाएगी ........ तुझे किसने कहा था इसे इतना लंबा मोटा करने के लिए ........." 

सलोनी के चेहरे पर ऐसे भाव थे कि राहुल को पता लग रहा था कि वो मज़ाक कर रही है जा गंभीरता से बोल रही है | बहरहाल चाहे उसने वो अल्फ़ाज़ मज़ाक में कहे थे मगर राहुल के लंड को बहुत अच्छे लगे थे जो खुशी से थोड़ा और फूल गया था | वो कुछ कहना चाहता था मगर उसे सुझ नही रहा था वो कहे भी तो क्या कहे | अंत-तहा उसनें चुप रहना ही बेहतर समझा | सलोनी गाड़ी को पार्किंग से निकालने लगती है | राहुल फिर से मैगज़ीन को वापस अपनी जाँघो पर दबा लेता है | गेट के पास अभी भी थोड़ा रश था मगर उन्हे वहाँ से बाहर निकालने में ज़्यादा समय नही लगा | 

रोड पर गाड़ी चलाते हुए सलोनी बीच बीच में राहुल को देख रही थी और मुस्करा रही थी | राहुल ने अपनी तरफ़ से गाड़ी का शीशा थोड़ा नीचे कर लिया था जिससे ठंडी हवा के झोंके अंदर आ रहे थे और राहुल मैगज़ीन को थोड़ा सा उपर उठाकर अपने लंड को ठंडी हवा लगवा रहा था जैसे उसकी अकड़ाहट कम पड़ने लगी थी और वो नरम पड़ने लगा था | राहुल ने वैसे तो अभी भी लंड को थोड़ा उपर करके मैगज़ीन रखी हुई थी मगर उसको अब गाड़ी चलती होने की वजह से किसी द्वारा देखे जाने का डर नही था |

तकरीबन बीस मिनिट की ड्राइव के बाद सलोनी ने गाड़ी को एक महँगे रेस्तराँ के सामने रोका | राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देखता है | 

"अब इस वक़्त घर जाकर मुझसे तो खाना पकाया नही जाएगा वैसे भी मुझे भूख बहुत लगी है, तुझे भी लगी होगी ना" सलोनी के पूछने पर राहुल सहमति में सर हिलाता है | सच में उसे बहुत भूख लगी थी | पहले उसे खड़े लंड ने परेशान करके रखा था इसलिए उसका ध्यान भूख की तरफ़ नही था मगर अब जब लंड ढीला पड़ गया था तो उसे भी भूख महसुस होने लगी थी |

रेस्तराँ एक आलीशान होटल के ग्राउंड फ्लोर पर बना हुआ था | सामने एक बहुत बड़ी पार्किंग थी | सलोनी का पति महीने में एक दो बार उसे वहाँ लाया करता था | 

"मुझे थोड़ा मेकअप सेट करना है, फिर चलते हैं ... तू भी अपने शेर को अपनी पेंट में घुसा ले और इसे अच्छी तरह से समझा दे कि रेस्तराँ के अंदर ज़्यादा उछल कूद ना मचाए" सलोनी बैग से छोटा आईना निकालकर होंठो पर लिपस्टिक लगाने लगती है |

कोई दस मिनिट बाद सलोनी और राहुल रेस्तराँ के अंदर बैठे थे | किस्मत से रेस्तराँ में ज़्यादा भीड़ नही थी | इसलिए सलोनी को खाली टेबल्स में से अपनी पसंद की टेबल मिल गयी | वो कॉर्नर की टेबल थी | सलोनी की पीठ दीवार की तरफ़ थी जबकि राहुल उसके सामने बैठा था और उसकी पीठ पीछे काउंटर की तरफ़ थी | अब सलोनी दीवार के पास बैठे होने के कारण रेस्तराँ का पूरा नज़ारा देख सकती थी जबकि राहुल रेस्तराँ के बाहर का | टेबल पर बैठते ही सलोनी ने और राहुल ने पानी पिया | सलोनी ने अपना बैग टेबल पर रखा और राहुल की और देखकर बहुत ही भोलेपन से मुसकराई | राहुल के कान खड़े हो गये | उसे लगने लगा कि उसकी मम्मी जहाँ भी कोई ना कोई शरारत करेगी | 
राहुल का शक़ बिल्कुल सही निकला | अभी उन्हें टेबल पर बैठे कुछ पल भी नही गुज़रे थे कि राहुल को अपनी टांग से सलोनी का पाँव घिसता हुआ महसूस हुआ | सलोनी अपने पाँव से उसके घुटने तक उसकी टांग को सहला रही थी, बड़े ही मादक अंदाज़ में उसका अंगूठा बेटे की टांग पर रेखाएँ खींच रहा था | राहुल सलोनी की तरफ़ देखता है उसकी नज़र में चेतावनी थी | सलोनी ज्वाब में अपने कंधे झटका देती है | राहुल आस पास देखता है | 

"अपनी कुर्सी आगे खीँचो ... पूरी जितनी आगे तक खींच सकते हो" सलोनी का पाँव राहुल के घुटने को सहला रहा था |

"मम्ममम्मी......." राहुल अपनी मम्मी से एतराज़ जताना चाहता था | 

"मैने कहा अपनी कुर्सी आगे खीँचो" सलोनी का पाँव अब घुटने के उपर राहुल की जाँघ को सहला रहा था | राहुल का लंड आधा सख्त भी हो चुका था |

सलोनी की टोन रिक्वेस्ट की नही बल्कि ऑर्डर देने की थी | राहुल ठंडी साँस लेकर अपनी कुर्सी जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेता है | सलोनी झट से अपना पाँव बेटे की जाँघ से उठाकर उसकी गोद में रख देती है और तेज़ी से सर उठा रहे उसके लंड को अपनी एड़ी से रगडती है | राहुल घबरा कर इधर उधर देखता है कि कोई उसकी और तो नही देख रहा और फिर टेबल के नीचे की और | टेबल पर सिर्फ कुर्सियों के पास खाली जगह थी बाकी पूरी गोलाई में टेबल के उपर से कपड़ा लटक रहा था जिससे टेबल के घेरे में एक परदा बन गया था और कुर्सी की खाली जगह पर खुद राहुल बैठा हुआ था | अब राहुल समझ गया कि उस लटकते हुए कपड़े के कारण कोई भी यह नही जान सकता था कि टेबल के नीचे क्या चल रहा है | सलोनी एक हाथ से टेबल को थपथपा रही थी जबकि दूसरा हाथ उसने कोहनी से मोड़कर अपनी ठोड़ी के नीचे रखा हुआ था और अपनी कोहनी टेबल पर टिकाई हुई थी | उसे देखने से कोई कतई अंदाज़ा नही लगा सकता था कि टेबल के अंदर वो क्या कर रही है | राहुल का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था | तभी राहुल को अपना लंड एक गिरफ़्त में महसूस होता है | सलोनी ने अपने दोनो पाँव उसकी गोद में रख जीन्स के उपर से उसके लंड को पकड़ लिया था | उसका लंड अब फिर से दर्द कर रहा था |

"मम्मी प्लीज़ ......... यहाँ नही" राहुल सलोनी को मिन्नत की नज़र से देखता कहता है |

"यहाँ नही....क्यों यहाँ क्यों नही" सलोनी उसी तरह कोहनी पर हाथ टिकाए बेटे से कहती है |

"कोई देख लेगा मम्मी........ प्लीज़ यहाँ मत कीजिए ........" राहुल फिर से मिन्नत करता है |

तभी सलोनी राहुल की पीठ पीछे वेटर को अपनी तरफ़ आते हुए देखती है | वेटर टेबल पर जूस के ग्लास रखता है और सलोनी से मुखातिब होता है और उसे ऑर्डर के लिए पूछता है | सलोनी मेनू पर टिक्क करके उसे पकड़ा देती है | इस सारे समय दौरान उसने राहुल के लंड को रगड़ना नही छोड़ा था | फिर वेटर राहुल की और मुड़ता है जिसने टेबल पर कुहनियाँ रखकर अपने चेहरे पर हाथ रखे हुए थे | वो अति उत्तेजित था | उसका चेहरा तमतमाया हुआ था | वो नही चाहता था कि वेटर उसके चेहरे को देखे |

"राहुल अपना ऑर्डर दो" सलोनी बेटे को आवाज़ देती है जो वेटर की वहाँ मोजूदगी से भली भाँति परिचित था | कोई चारा ना देख राहुल चेहरे से हाथ हटाता है और वेटर के हाथ से मेनू ले लेता है | वो वेटर से आँख नही मिलाता और सर झुकाए जल्दी जल्दी मेनू पर टिक्क कर देता है | वेटर सलोनी को मुस्कराकर बताता है कि ऑर्डर सर्व करने में पँद्रह मिनिट लग जाएँगे और इसके बाद वो वहाँ से चला जाता है |

सलोनी जूस का ग्लास पकड़ कर राहुल की और देखती है और उसके लंड को ज़ोर से अपने पाँव में दबा मसलती है |

"मम्मी दर्द हो रहा है" राहुल अपनी मम्मी की तरफ़ देख फिर से आँखो ही आँखो में मिन्नत करता है | 

"अपनी ज़िपर खोल कर इसे बाहर निकालो" सलोनी उसकी बिनती की कोई परवाह ना करती कहती है |

"मम्मी प्लीज़ जहाँ नही......कोई देख लेगा......घर चलकर जैसे चाहे कर लीजिएगा" 

"मैने भी सिनेमा हॉल में तेरी ऐसी ही मिन्नत की थी याद है? तूमे मेरी बात मानी थी" सलोनी पलटवार करती है | 

"आई एम सॉरी मम्मी आगे से आपकी हर बात मानूँगा ....... प्लीज़ अब नही करिए" 

"मैने कहा अपनी ज़िपर खोलो" सलोनी राहुल की मिन्नत मनाल को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते बोलती है |

राहुल रुआंसा सा मुँह करके टेबल के नीचे अपने हाथ ले जाता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है | वो बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था | उसे लग रहा था जैसे पुरे रेस्तराँ में उन सब लोगों के बीच वो अकेला नंगा बैठा हो | सलोनी लंड को आराम आराम से अपने पंजो के बीच कस कर दबाती है, सहलाती है, रगडती है | राहुल अपनी सिसकियाँ दबाने के लिए अपने होंठो पर अपने हाथ रख लेता है | 

"मज़ा आ रहा है ना" सलोनी राहुल की तकलीफ़ का आनंद उठाती कहती है | राहुल कुछ नही बोलता बल्कि अपनी मम्मी को खा जाने वाली नज़रों से देखता है | हालांकि सलोनी की बात बिल्कुल सही थी | उसे सच में बेहद्द मज़ा आ रहा था | मगर सलोनी जिस तरह उसकी आग को हवा देकर भड़का रही थी उससे उसे डर था कहीं वो बेकाबू ना हो जाए | जो डर सलोनी को सिनेमा हॉल में सता रहा था वही अब राहुल को सता रहा था | 

स्लोनी अपने अंगूठे के नाख़ून से लंड की कोमल त्वचा को कुरेद रही थी जबकि दूसरे पाँव का अंगूठा लंड के सुपाड़े को मसल रहा था | कुछ ही पलों में राहुल को अपने टटों में वीर्य उबलता महसूस होने लगा | वो अभी सलोनी को कहने ही वाला था कि वो छुटने के करीब है कि तभी उसकी रक्षा करने हेतु वेटर वहाँ पहुँच गया | वेटर खाना सर्व करने लगा | राहुल ने अपना सर झुकाए रखा और अपनी सांसो के शोर को दबाने का प्रयत्न करने लगा |

"अपना खाना खाओ" वेटर के जाते ही सलोनी राहुल को बोलती है जो खाने की तरफ़ देख भी नही रहा था | सलोनी उसके लंड से पाँव हटा लेती है और अपना खाना खाने लगती है | राहुल चैन की साँस लेता है | उसका लंड लगभग पिचकारी मारने के करीब पहुँच चुका था | दोनो माँ बेटा खाना खाने लगते हैं | खामोशी से खाना खाते हुए सलोनी बेटे को बीच बीच में देखती रहती है और मुस्कराती रहती है |

खाना खत्म होते ही सलोनी के पाँव फिर से राहुल की गोद में पहुँच जाते हैं | वो फिर से राहुल का लंड मसलने लग जाती है जो खाने के बाद भी ज्यों का त्यों सख्त था | इससे पहले राहुल अपनी मम्मी को कुछ कह पाता फिर से वेटर वहाँ पहुँच गया | सलोनी ने उसे बिल और उन दोनो के लिए आइस्क्रीम लाने के लिए कह दिया | वेटर के जाते ही सलोनी ने अपनी दोनो एडियाँ राहुल के लंड पर कस दी और तेज़ी से अपने दोनो पाँव उपर नीचे करने लगी |

"मम्मी प्लीज़.......ओह गॉड ...... मम्म्ममी" राहुल सिसक उठता है |

"मज़े लूट ले बेटा ... ऐसा मज़ा तुझे सिर्फ तेरी मम्मी दे सकती है" सलोनी के पाँव और भी तेज़ होते जा रहे थे |

"मम्मी मेरा निकलने वाला है ......" राहुल को लगा किसी भी पल उसके लंड से वीर्य फूट पड़ेगा |

"कंट्रोल कर .... यहाँ नही गिरना ... मुझे तेरा रस पीना है" सलोनी बेटे को देखती अपने होंठो पर जीभ फेरती है | उसका सीना भी कुछ कूछ उपर नीचे होने लगा था |
"फिर आप अपने पाँव हटा लीजिए .... वरना मुझसे नही होगा .... मेरा निकल जाएगा मम्मी" राहुल सिसक रहा था और बुरी बात यह थी कि उसे अपनी सिसकियाँ दबानी पड़ रही थी |

"खबरदार ...... मैने कहा ना मुझे तेरा रस पीना है ........ अगर तूने अपना माल यहाँ गिराया तो तुझे मेरी गांड क्या चूत भी मारने को नही मिलेगी | मैं आज के बाद कभी तुझे अपनी मारने नही दूँगी ........ मारने क्या हाथ भी नही लगाने दूँगी ... अगर मेरी चूत चाहिए तो कंट्रोल कर" सलोनी फुसफुसा कर बेटे के आगे शर्त रख देती है |

"उउउफफफफ्फ़ मम्म्ममी .................." राहुल का जिस्म कांप रहा था | लंड ने झटके मारने शुरू कर दिए थे | राहुल टेबल के सिरों को कस कर पकड़ लेता है | वो बहुत गहरी गहरी साँसे ले रहा था | अपनी पूरी मनोशक्ति का इस्तेमाल कर वो खुद को झड़ने से रोकने का प्रयत्न कर रहा था | जितनी वो कोशिश कर रहा था उतनी ही सलोनी भी कोशिश कर रही थी | राहुल ने होंठ भींच लिए, अपनी आँखे बंद करली, मुट्ठियाँ भींच ली, वो गिनती करने लगा कि अब कितने सेकेंड तक वो खुद को रोक सकता है ....... एक ..... दो...... तीन .... चार ...... पाँच ....... अचानक उसका लंड एक ज़ोर का झटका ख़ाता है क्योंकि सलोनी ने अपने पाँव की गिरफ़्त से उसे आज़ाद कर दिया था | राहुल अपनी आँखे खोल देता है | टेबल के पास वेटर खड़ा था | सलोनी पर्स से पैसे निकाल उसे देती है और वेटर आइसक्रीम रख कर वहाँ से निकल जाता है | राहुल को अब भी लग रहा था जैसे उसका लंड वीर्य छोड़ देगा | मगर सलोनी आराम से बिना कोई हरकत किए आइस्क्रीम खाने लगती है | थोड़ा सा संभल कर राहुल भी आइस्क्रीम ख़ाता है | आइस्क्रीम की ठंडक उसके पेट में तो शीतलता प्रदान कर देती है मगर उसके लंड का सूपाड़ा जल रहा था | 

"इसे पेंट में डाल और चल ... घर चलते हैं ... जल्दी कर" सलोनी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी | उसके निप्पल अकड़े हुए थे वो खुद उस समय चूदने को बेकरार हो उठी थी |
"अंदर कैसे डालूं, यह पेंट में नही घुसेगा अब" अब राहुल को नयी चिंता सता रही थी |

"पेंट को खोल कर इसके उपर बाँध ले ... जल्दी कर" सलोनी टेबल से अपना पर्स उठाती है और कार पार्किंग के लिए निकलती है |

मरता क्या ना करता, राहुल पेंट को खोलता है और उसे लंड के उपर बाँध लेता है | वो अपने लंड को तो छुपाने में सफल हो गया था मगर पेंट टाइट होने की वजह से और उपर से उसका लंड बुरी तरह फूला होने के कारण उसके लंड में दर्द महसूस हो रहा था और उपर से चलने के समय उसका लंड उसके पेट से घिसने लगा | राहुल अभी भी बहुत उत्तेजित था उसे लगने लगा कि कार तक पहुंचने से पहले ही उसका वीर्य निकल जाएगा | वो बहुत संभल कर कदम रख रहा था मगर फिर भी लंड का पेट पर घर्सन तो हो ही रहा था | राहुल हर कदम पर भगवान से प्रार्थना कर रहा था | उसके लिए तो गाड़ी तक पहुँचना भी भयानक यातना हो गयी थी | मगर अब किसी द्वारा देखे जाने का भय नही था क्योंकि पार्किंग में अंधेरा था मगर फिर भी उसे अपनी मम्मी के बोल याद थे | पार्किंग में उस समय कोई भी नही था | सलोनी आगे चलती गाड़ी के पास खड़ी हो जाती है | राहुल हल्का हल्का लंगड़ा रहा था | राहुल जैसे ही गाड़ी के पास जाकर ड़ोर खोलने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है तो सलोनी उसका हाथ पकड़ लेती है | वो राहुल को अपनी तरफ़ घूमाती है और नीचे बैठ जाती है |

राहुल की आँखे फैल जाती हैं | वो तुरन्त आस पास देखता है मगर कोई नही था | सलोनी पेंट की हुक खोल देती है और लंड एक बार फिर से खुली हवा में लहरा उठता है | सलोनी लंड को पकड़ अपने घुटने ज़मीन पर टिका उँची होती है और झट से लंड के सुपाड़े को मुँह में भर लेती है | सलोनी के मुख की गर्माहट और जीभ का खुरदरापन अपना कमाल दिखाते हैं, राहुल का जिस्म कांपने लगता है | वो अपने हाथ अपनी मम्मी के सर पर रख अपना लंड उसके मुँह में पेल देता है और लंड से गर्म गर्म गाढ़े रस की पिचकारियाँ निकलने लगती हैं | वो नाज़ाने कब से खुद को रोके हुआ था मगर सलोनी के मुँह में लेने के बाद उसके लिए अपने लंड को झड़ने से रोकना नामुमकिन हो गया था |

"आअहह ........ मम्म्मममी .... गॉड ........ म्म्मम्म्मी .......... आअहह ............" राहुल सिसक रहा था | उसके लंड से वीर्य की फुहारें सलोनी के मुँह को बार बार भरती जा रही थी जो अपनी तरफ़ से भरसक प्रयत्न कर रही थी कि एक भी बूँद वीर्य की बाहर ना गिर जाए | दोनो ही बात को बिल्कुल भूल चुके थे कि वो कहाँ थे और क्या कर रहे थे | राहुल को ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म से वीर्य नही उर्जा निकल रही हो, उसमें से जिस्म की सारी ताक़त निकल रही हो | एक तरफ़ उसे पीड़ा अनुभव हो रही थी तो वहीं उसे जबरदस्त मज़ा भी आ रहा था | एक तरफ़ उसे अपनी रूह आत्मा में शांति फैलती महसूस हो रही थी और दूसरी तरफ़ उसके बदन में कमज़ोरी फैलती जा रही थी | उसके घुटने मुड़ने लगे थे | वो पीछे को गाड़ी के ड़ोर का सहारा लगा लेता है |

आख़िरकार राहुल का लंड पिचकारियाँ मारनी बंद कर देता है मगर सलोनी उसे लगातार जड़ से सिरे तक खूब दबा दबा कर निचोड़ती है और वीर्य की जो कुछ बूंदे उसके अंदर बच गयी थी उसे निकाल कर चुस्ती है | आख़िरकार लंड से वीर्य निकलना बंद हो जाता है | सलोनी पेंट की हुक लगाती है और उठकर खड़ी हो जाती है | वो कार का ड़ोर खोल कर राहुल को अंदर घुसने में मदद करती है | जो कार के ड़ोर का सहारा लिए खड़ा था और लगभग बेसूध था | अगर पीछे ड़ोर ना होता तो शायद वो नीचे गिर जाता | सलोनी घूमकर गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठती है और गाड़ी को बाहर निकालती है |

राहुल अधमुंदी पलकों से अपनी मम्मी को देख रहा था | वो इस समय बिल्कुल शान्त था | उसे एक अलग ही किस्म का अनुभव हो रहा था | स्खलन के समय होने वाले आनंद में अभी भी उसका जिस्म झूम रहा था | सलोनी गाड़ी चलाती राहुल को देखती है और उसके चेहरे पर ऐसी संतुष्टि देखकर वो मुस्करा पड़ती है | वो राहुल के बालों में हाथ फेरती है |

"मेरा बच्चा ...... मेरा बेटा .......... मेरा लाल ........" सलोनी उसे दुलारती है |
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