RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सलोनी भागती हुई राहुल के पास जाकर निचे घुटनों के बल बैठ जाती है | वो उसके हाथों को हटा देती है | सामने राहुल का लंड उसकी पेंट से बाहर निकला हुआ था | उसने ध्यान से निचे देखा मगर उसे ठीक से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था | उसने धीरे से अपनी ऊँगली और अंगूठे के बिच लंड को पकड़कर ऊपर उठाया |
“आह मम्मी”, राहुल दर्द से तिलमिला उठा |
“सॉरी बेटा, सॉरी, मुझे थोडा देखने दो”, सलोनी बिलकुल धीरे धीरे बहुत कोमलता से लंड को थोडा सा ऊपर उठती है ताकि देख सके निचे कैसी हालत है | लंड के हल्का सा ऊपर उठने पर सलोनी ने देखा कि लंड अभी भी ज़िपर के दो दांतों में फंसा हुआ था | उसने ज़िपर के बेहद पास त्वचा पर ज़िपर के दांतों के निशान भी देखे ,जिनसे मालूम चलता था कि उसने खुद लंड को ज़िपर से आज़ाद करने की कोशिश की थी जिसमे वो थोडा बहुत कामयाब हो भी चूका था |
सलोनी ने ज़िपर के हैंडल को कांपते हाथों से पकड़ा और उसे अत्याधिक सावधानी से बहुत धीरे धीरे निचे खींचने का प्रयास करने लगी | मगर जैसे ही वो ज़िपर पे हल्का सा दवाब भी देती , राहुल की सिसकियाँ निकलने लग जातीं |
“उफ्फ्फ अब क्या करू! तुम हर दिन नई मुसीबत खड़ी कर देते हो”, सलोनी खीझ कर बोल उठी | उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत से वो कैसे उबरे, राहुल ज़िपर को खींचने नहीं दे रहा था, अब उसका लंड वो बाहर कैसे निकाले |
“आपकी गलती है, सुबह सुबह मुझे आकर डांटने लग जाते हो, छुट्टियों में भी मज़ा नहीं करने देते आप”, राहुल ने अपने दिल की भड़ास निकाल दी | सलोनी बेटे की बात सुनकर चुप हो गई |
“वो सही कह रहा है, मेरी डांट की वजह से शायद घबराहट में उससे यह हो गया और फिर मैंने उसे डांटा भी किस बात के लिए, मेरा मूड ख़राब था तो इसमें उसका क्या दोष? साल में एक बार ही तो छुट्टियाँ होती है .....” सलोनी ठंडी आह भरती है | अब उसके सामने एक ही रास्ता था |
“छुटियाँ होने का मतलब क्या यह होता है कि तुम सिर्फ और सिर्फ एन्जॉय करो ... ना तुम अपनी पड़ाई करते हो, ना किसी काम में मदद करते हो, सारा दिन घर से गायब रहते हो और घर आते ही XBOX पे गेम खेलने चालू कर देते हो, अब तुम्हे डांटू नहीं तो इनाम दू?”
“मेरे सभी दोस्त खेलने आते हैं...... किसी की माँ रोक टोक नहीं करती, एक आप ही हो.... जब देखो.... आहअअअअअआ.......”
अचानक राहुल के मुख से तीखी दर्द भरी चीख निकलती है | उसका मुंह खुल जाता है और कुछ पलों के लिए उसकी साँसे गले में ही अटक जाती हैं | सलोनी एक दम खड़ा हो कर अपने बेटे के सर पर हाथ फेरती है |
“बस बेटा बस.....अब हो गया....अब तुम्हे तकलीफ नहीं होगी” |
“उफ़... मेरी...हाए....जान निकल......आह्ह्हह्ह.....आप मेरी माँ हो कि दुश्मन” राहुल अब समझा था कि उसकी माँ ने जान बुझकर उसे बातों में फंसाया था कि उसका ध्यान हटते ही वो ज़िपर खोल देती | राहुल की पीड़ा अब पहले जैसी भयानक नहीं थी मगर दर्द अभी भी बहुत था |
“बेटा क्या करती ..... अब इसके सिबा दूसरा उपाए भी नहीं था, कुछ देर बर्दाश्त करो, दर्द मिट जायेगा”, सलोनी अपने बेटे की गालों से आंसू पोंछती है | बेटे को इतनी तकलीफ में देख बेचारी माँ का दिल फटा जा रहा था |
“नहीं बर्दाश्त हो रहा माँ... ... हाए ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मेंरी लुल्ली को काट दिया है” राहुल होंठ भींच सिसक सिसक कर बोलता है |
सलोनी फिर से निचे घुटनों के बल बैठ उसके लंड को अपने हाथ में कोमलता से थाम लेती है | इस बार राहुल उसका हाथ नहीं हटाता क्योंकि लंड अब ज़िपर से आज़ाद हो चूका था | सलोनी लंड के निचे की त्वचा को देखती है | जिस पर जिपर के दांतों के चुभने के निशान थे वो जगह और आस पास की काफी त्वचा सुर्ख लाल हो चुकी थी |
सलोनी ने अपने अंगूठे और तर्जनी ऊँगली से लंड को थाम दुसरे हाथ से उस जगह को बहुत कोमलता से सहलाया |
“आआह्ह्ह्ह... माँ जल रहा... है” राहुल सिसकता है |
सलोनी एक बार लंड की घायल त्वचा को देखती है और फिर राहुल के सुंदर भोले चेहरे को जो दर्द के मारे आंसुओं से गिला होकर चमक रहा था | फिर वो अपने नर्म मुलायम होंठ लंड की घायल त्वचा पर रख देती है |
|