RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. सानिया भी शेविंग किट रखने चली गयी, तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और पुरी तरह से नंगा हो कर अपना लन्ड सहलाने लगा। मैं सोच रहा था कि कैसे सानिया मेरा लन्ड देखेगी। सानिया पहले लौटी। मुझे नंगा देख थोड़ा हिचकी, पर मैं बेशर्म की तरह उससे नजरे मिला कर लन्ड से खेलते हुए बोला-"बैठो आराम से डेढ़-दो घन्टे तो पेलुँगा ही उसको। अगर तुम्हें बुरा लगे तो तुम चली जाना सोने के लिए। मुझे तो अपना पैसा भी वसूल करना है।" सानिया थोड़ा लजाते हुए कुर्सी पे बैठ गयी। रागिनी अब टौवेल से अपने चुत को पोछते हुए रूम में आई और टौवेल को एक साईड फ़ेंक दिया। मैंने उसको कहा-"आओ रागिनी, जरा लन्ड से खेलो एक बार पहले निकाल दो, फ़िर तुम्हारी चुत चुस कर तुमको भी मजा दुँगा। कोई झिझक मत रखो। अब थोड़ी देर भूल जाओ कि तुम कौल गर्ल हो और पैसे ले कर चुदाने आई हो। आराम से सेक्स करो, जैसे प्रेमी-प्रेमिका करते हैं। तुम्हे भी मजा आयेगा और मुझे ही।" वो मेरे सामने घुटनों पे बैठ गयी और प्यार से मेरे लन्ड को जो अभी तक लगभग ढीला ही था अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया। मेरा लन्ड अभी कोई ५" का था ढ़ीला सा, काला। उसने दो चार बार अपने हाथ से पुरे लन्ड को हल्का-हल्का खींचा और फ़िर मेरे लन्ड की टोप से चमड़े को पीछे करने लगी। पर चमड़ा तो पीछे टिकता तब जब लन्ड कड़ा होता, सो वो बार-बार आगे आ जा रहा था। मेरे हाथ उसके कंधों तक फ़ैले बालों के साथ खेल रहे थे। रागिनी ने फ़िर मेरे लन्ड को मुँह मे ले लिया और चुसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लन्ड में सुरुर आने लगा, वो अब थोड़ा खड़ा हो रहा था। करीब दो मिनट की चुसाई के बाद मेरा लन्ड ठीक से खड़ा हो गया। उसकी पुरी लम्बाई करीब ८" थी। रागिनी भी मस्ती से लन्ड चुस रही थी, और मेरे अंड्कोष तथा झाँटों से खेल रही थी। लड़की धंधे में नई जरुर थी, पर लन्ड चुसने में उस्ताद थी। मुझे खुब मजा दे रही थी। मैं रागिनी की तारीफ़ की, "वाह रागिनी मजा आ गया, तुम तो बहुत उस्ताद हो यार, वाओ, मजा आ रहा है"। रागिनी ने एक नजर मेरे से मिलायी और फ़िर मेरे लन्ड को दोगुने जोश से चुसने लगी। कोई ७-८ मिनट में मुझे लगा की मैं झड़ जाऊँगा। मैं अभी ५-७ मिनट और रुक कर झड़ना चाहता था इसलिए रागिनी को कहा-"आअह, अब रुको बेटा। मुझे जोर की सु-सु आई है।" रागिनी ने लन्ड मुँह से बाहर कर दिया। मैं तो थोड़ा समय चाहता था कि लन्ड एक बार थोड़ा रेलैक्स हो ले तो फ़िर चुसवाऊँ, सो मैं बाथरुम की ओर नंगे ही चल दिया। बाथरुम में मैं सुन रहा था कि रागिनी और सानिया बात कर रही हैं। रागिनी ने उससे पूछा कि वो कब ज्वाईन करेगी? तब सानिया ने कहा कि वो सिर्फ़ देखेगी अभी सब। रागिनी ने कहा-"क्यों आ जाईए दीदी, आपको भी मजा आयेगा"। पर सानिया ने छोटा सा जवाब दिया, "नहीं ऐसे ही ठीक है।" मैं समझ गया कि ये साली सानिया आसानी से नहीं चुदेगी, "साली कुतिया", मैं बड़बड़ाया। अब तक पेशाब करने के बाद मैं लन्ड को पानी से धोया और वो अब तक आधा ढ़ीला हो चुका था, जैसा मैं चाहता था। मैं रुम में आ गया, बेड पर लेट कर कहा-"यहाँ आ जाओ और चुसो, एक पानी निकाल दो मेरी। तुम भी तो नीचे बैठ कर थक गयी होगी।" रागिनी ने फ़िर से मेरे लन्ड को मुँह में डाला और शुरु हो गयी। मैं अब सानिया साली को उसके हाल पर छोड़ रागिनी से मजे लेने की मुड में आने लगा था। मेरे मुँह से अनायास निकलने लगा, "वाह स्वीटी, बहुत खुब...., अच्छा चुसती हो लन्ड, मजा आ गया..."। रागिनी भी लन्ड मुँह से बाहर करके कहा-"थैक्यु, अंकल", और फ़िर से चुसने लगी। मैं बोल रहा था-"बहुत खुब बेटा, चुसो और खेलो इसके साथ... आज तुम्हें बहुत मजा दुँगा, तुम बहुत अच्छी हो.. थोड़ा हाथ से भी करो रानी...मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि कैसे मर्द को खुश किया जाता है, वेरी गुड... ऐसे ही करो" रागिनी ने हाथ से लन्ड सहलाना शुरु किया और अंड्कोश को चाटने लगी, "अब ठीक है, अंकल?" मैंने जवाब दिया-"हाँ बेटी, बहुत अच्छा... सही कर रही हो..आआआह्ह्ह्ह मजा आ रहा है, चुसे अब और निकल कर सारा माल खा जाओ.." रगिनी जोर जोर से अब लन्ड चुस रही थी। मैं झड़ने की स्थिति आने पर बेड से उठा और फ़िर रागिनी को कहा, "मुँह खोलो बेटा, सब खा जाओ", और उसके मुँह में झड़ गया। रागिनी भी सहयोग करते हुए सारा निगल गयी, चुस चाट कर लन्ड साफ़ कर दिया। लन्ड अब हल्के-हल्के ढीला होने लगा। मेरा पुरा ध्यान अब रागिनी पर था, सानिया को मैंने उसके हाल पे छोड़ दिया था।
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