Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:00 PM,
#93
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
करीब एक घटा ये खेल चलता रहा जब तक वाइन की बॉटल ख़तम ना हो गयी.

दोनो के होंठ मिलते बिछड़ते एक दूसरे को क़ब्ज़े में लेने की कोशिश करते .... जिस्मो में तुफ्फान उठने लगा .... सूमी के निपल कड़े हो कर सुनील की छाती में गाढ़ने लगे और इस बार जब सूमी ने अपने होंठ उसके होंठों से सटाये तो सुनील ने तेज़ी से उन्हें अपने होंठों की क़ैद में ले लिया और ज़ोर से चूसने लग गया.

यहाँ सूमी - सुनील के साथ हनिमून मना रही थी वहाँ घर पे सवी - अपने कमरे की जगह सूमी के कमरे में चली गयी - जहाँ बाथरूम में उसके वो कपड़े पड़े थे जो अभी धुलने थे..... सवी उसकी शर्ट को ले सूमी के बिस्तर पे ही आ के लेट गयी ...... और सुनील की शर्ट को सूंघ उसके बदन की खुश्बू लेने लगी ...... सुनील - जब तुम सागर बन ही गये हो - तो मैं भी तो तुम्हारी ज़िम्मेदारी हूँ .... सागर की जिंदगी में मैं भी तो थी...... क्यूँ नही बनते पूरी तरहा सागर .... क्यूँ मुझे मझधार में छोड़ दिया .... क्यूँ नही साली को उसका हक़ देते.

ओह सुनील.......लव मी...... लव मी.......

सुनील और सूमी उसे अकेला छोड़ गये थे ताकि वो अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोच सके..... लेकिन ये तो कुछ और ही दिशा में जाने को तत्पर थी.... ये जानते हुए भी कि सुनील ने सॉफ सॉफ मना कर दिया था... उसकी जिंदगी में सूमी के इलावा और कोई नही आ सकता.... फिर भी ये तड़प ... ये प्यसस ... सुनील के लिए क्यूँ...

इसका जवाब अगर कोई सवी से पूछता तो उसके पास नही था..... 


यहाँ बाल्कनी में सूमी कातिलाना अंगड़ाई लेती है इस तरहा कि उसके उभार सुनील के चेहरे को ढक लेते हैं ... सूमी के बदन की खुश्बू .... सुनील की उत्तेजना को और भड़का देती है.

अपने उरोज़ सुनील के चेहरे से रगड़ने लगी .......तभी सामने वाले होटेल की एक कमरे की लाइट जलती है -- एक मर्द और एक औरत का साया नज़र आता है - दोनो पर्दे को हटा देते हैं और वहीं खड़े हो किस करने लगते हैं ...... वहाँ लाइट जलती देख सूमी घबरा जाती है और सुनील की गोद से उठ कर अंदर जाने लगती है ..... पर सुनील उसका हाथ थाम उसे खींच वापस अपनी गोद में बिठा लेता है.......खुले में रोमॅन्स का कुछ और ही मज़ा होता है .

'नही नही प्लीज़ अंदर चलो.... देखो वहाँ लाइट जल गयी है..... हाई कितने बेशर्म है वहीं खड़े हो कर किस कर रहे हैं...'

'तुम उनका चेहरा देख पा रही हो क्या.....'

'ना... पर तुम क्या चाहते हो....'

'तुम्हारे अंदर छुपी औरत को बाहर निकालना --- देखो कितना मस्त मौसम है.... कॉन जानता है हमे यहाँ.... कोई कुछ देख भी लेगा .... तो क्या ....हमारी वजह से थोड़ी मस्ती वो भी मार लेगा....'

'क्या हो गया है तुम्हें... खुले में... नही नही ' दिल से तो सूमी भी चाहती थी ... पर अभी इतना नही खुल पाई थी सुनील से इसलिए नखरे कर रही थी.

'कम ऑन स्वीट हार्ट - एंजाय दिस मोमेंट ' सूमी को थोड़ा उपर उठा अपनी शॉर्ट नीचे खिसका देता है और उसका लंड छलाँग लगाता हुआ खुल्ली हवा में चैन की सांस लेता है.


'पागल हो गये हो क्या' लेकिन उसके लंड की चुबन अपनी गान्ड पे महसूस कर मस्त होने लगी थी वो ... उसकी चूत में हलचल शुरू हो गयी थी - बड़े गौर से --- सुनील को देखने लगी

रहा नही गया उस से - अपनी पोज़िशन इस तरहा बदली के उसका चेहरा अब सुनील की तरफ था .... और सुनील का लंड उसकी जाँघो के बीच उसकी चूत से सट गया था ... दोनो टाँगें एक एक तरफ थी और उसकी पीठ सामने वाले होटेल को फेस करने लगी 


सूमी ने अपनी बाहें सुनील की गर्दन में डाल दी और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए. धीरे धीरे दोनो एक दूसरे के होंठ चूमने लगे .... कोई जल्दी नही थी.... ठंडी ठंडी हवा उनके रोएँ खड़े कर रही थी ..... कभी अपनी ज़ुबान एक दूसरे के में में डाल देते चूसने के लिए तो कभी दूसरे के होंठ चाट लेते.

सुनील के हाथ सूमी की पीठ पे घूमने लगे ----- एक तरफ ठंडी हवा की सिरहन और दूसरी तरफ सुनील के गरम हाथों का ताप --- ये दोनो अहसास सूमी को मस्ती की वादियों में उड़ने को मजबूर करने लगे.

उसकी चूत से रस टपकने लगा और लाइनाये का वो हिस्सा जो उसकी चूत को ढक रहा था इतना गीला हो गया के सुनील को अपने लंड पे उसके गीलेपन का अहसास होने लगा.

सुनील ने उसकी पीठ पे बँधे लाइनाये के बंधन को खोल दिया और स्ट्रॅप्स सरकाते हुए उसके उरोज़ नग्न कर दिए .... सूमी ने अंदर ब्रा नही पहनी थी... ये लाइनाये थी ही ऐसी के ब्रा की ज़रूरत नही थी.

ठंडी हवा की छुअन जब उसके उरोजो को लगी उसके निपल और भी सख़्त हो गये और सुनील की छाती पे गढ़ उसे तड़पाने लगी.

सूमी ने धीरे धीरे हिलना शुरू कर दिया और अपनी चूत को सुनील के लंड पे घिसने लगी.

सिसकियों का सैलाब उमड़ पड़ा जो होंठों में दब के रह गया. सुनील के दोनो हाथ अब आगे कीतरफ सरकने लगे - सूमी थोड़ा पीछे हुई ताकि उसके हाथ दोनो के जिस्म के बीच में आ उसके उरोज़ थाम सके.
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