RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
मैं मज़े से पागल हुआ जा रहा था। मैंने सिसकारियाँ भरते हुए मधु से कहा-“आआह्ह… मोम उफ़फ्फ़ … क्या लण्ड चूसती हो तुम… और अंदर ले जाओ मोम… आह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है। मोम मैं आज आपको जम कर चोदूंगा। बड़ी मस्त रांड़ हो तुम… मेरी छमिया, मेरी छम्मकछल्लो। आअह्ह…”
मैं पूजा दीदी की ओर देखकर-“देख पूजा, तेरी मम्मी कितने प्यार से मलाई वाली कुल्फि खा रही है। ये तो ऐसे खा रही है ये कुल्फि की जैसे इसकी सारी मलाई ही खा जाएगी…”
पूजा-“हाए पापा, आपकी ये कुल्फि नहीं कुलफा है। मम्मी तो क्या अगर मैं भी होती तो मैं भी इस मस्त कुलफा की मस्त मलाई खा जाती…” और इतना बोलते ही पूजा दीदी ने अपने होंठों पर जीभ फेरकर एक मस्त अदा से मुझसे कहा।
मम्मी मेरी बात सुनकर और भी मस्ती से मेरे लण्ड को और अंदर तक लेकर चूसने लगी। फिर लण्ड बाहर निकालकर बोली-“ऊह्ह… सच में मेरे स्वामी, मैं तो आपके लण्ड की दीवानी हो चुकी हूँ। औरतों के शरीर में तीन छेद होते हैं जिसमें आदमी अपना लण्ड पेलता है। और आज मैं आपसे तीनों छेद चुदवाऊूँगी मेरे सैंया।
बोलिए ना… पेलेगे ना अपना लण्ड मेरे सब छेदों में?” और मम्मी फिर से मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं अपना लण्ड चुसवाते हुए-“हाँ मम्मी, मेरी रानी। मैं तो तुम्हें उस दिन से ही चोदना चाहता था, जिस दिन मैंने तुम्हारी नाज़ुक सी गोल मटोल गाण्ड पर अपना लण्ड लगाया था, वो भी मालिश के बहाने…”
मंजू लण्ड चूसते हुए बोली-“मैं समझ गई थी मेरे सरताज । मुझे उसी दिन एहसास हो चुका था की आपका लण्ड मेरी चूत का दुश्मन बन चुका है…”
मैं सिसकारी भरते हुये-“हाँ मोम, मुझे प्यार करो… मेरे लण्ड को प्यार करो मम्मी… मेरी बिल्लो रानी, मैं झड़ने वाला हूँ। आह्ह…” तभी मेरे लण्ड ने मम्मी के मुँह के अंदर ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
मम्मी मेरे लण्ड के पानी को बड़े आराम से पी गई। फिर भी, मेरे लण्ड का पानी मधु के मुँह से रिस-रिस कर उसके नथुनों से होकर उसकी चूचियों पर और मेरे पेट पर गिर गया।
मम्मी को इस तरह मेरे लण्ड का मक्खन चटखारे लेते हुए खाते देखकर पूजा दीदी जो वहां बैठी ये सब देख रही थी उससे रहा नहीं गया और वो उठकर आई और पूजा दीदी ने अपने होंठ मम्मी के होंठों पर रख दिए और मम्मी और पूजा दीदी दोनों एक साथ मेरे लण्ड का मक्खन मस्ती से खाने लगी। पूजा दीदी ने मम्मी के गालों और चूचियों पर गिरे मेरे लण्ड के माल को चाट कर पूरी तरह से सॉफ कर दिया।
थोड़ी देर के बाद जब वो मेरे लण्ड का मक्खन पूरी तरह से चट कर गई तो मम्मी फिर से मेरे लण्ड को चूमती हुए बोली-“मेरा बेटा अब जवान मर्द बन चुका है, मेरा खसम बन चुका है, और एक तंदुरुस्त जवान लण्ड से बहुत पानी निकलता है। म् म्म्मम… मुझे तुम्हारा लण्ड बहुत पसंद है। ये वाकई में एक जवान पुरुष का लण्ड है। आपके इस लण्ड को मैं हमेशा हमेशा के लिए अपनी चूत के अंदर रखना चाहूँगी। तुम चाहे जो भी करो, लेकिन मुझे अपने इस खूबसूरत लण्ड से जुदा मत करना, मेरे सैया ये आज आप वादा करो। मैं अपनी पूरी जिंदगी आपकी और आपके इस लण्ड की गुलाम, दासी और रखैल बनकर रहूंगी…”
मैं मम्मी की बात सुनकर उसकी चूची को मसलते और चूसते हुए बोला-“मम्मी, अब मेरी जिंदगी का मकसद आज के बाद सिर्फ़ तुमको प्यार करना और चोदना रहेगा। तुमको जीवन में कभी कोई दुख नहीं दूंगा…” कहकर मैं मम्मी की चूची को खूब जोर-जोर से चूस रहा था और मैं यह उम्मीद कर रहा था कि मम्मी की चूची चूसने से उसकी चूची से दूध निकलेगा। मम्मी की चूची चूसाई से मम्मी की चूची से दूध नहीं निकला, लेकिन फिर भी मैं मम्मी की चूची को मसलता रहा और उनको अपने हाथों से पकड़कर चूसता रहा।
हम लोग कुछ देर के लिए एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे और अपनी-अपनी उखड़ी हुई सांसें संभालते रहे। साथ ही हम दोनों तरह-तरह की बातें भी कर रहे थे।
मैं-मोम, मैं कितना खुशनसीब हूँ जो मुझे तुम्हारे जैसी सेक्सी माँ मिली, और अब आपके रूप में एक सेक्सी बीवी…”
मम्मी मेरे लण्ड पर हाथ फेरते हुए-“मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ, जिसे आप जैसा जवान मर्द मिला पति के रूप में। आपने मुझे अपने चरणों की दासी दासी बनाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया। जो औरत सारी उमर मर्द के प्यार के लिए तड़पती रही, उसे आप जैसा जवान मर्द मिले प्यार करने को तो भला उस औरत को और क्या चाहिए?”
मैं-“नहीं मेरी जान, तुम्हारी जगह मेरे चरणों में नहीं, मेरे दिल में है। मम्मी, मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ, ऐसा प्यार जो कभी किसी बेटे ने अपनी माँ के साथ नहीं किया होगा…”
मम्मी-“मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूँ मेरे राजा, जो मन में आए वो करो। और अब आप मुझे ये क्या मम्मी-मम्मी कह रहे हैं, अब मैं आपकी मम्मी थोड़े ही हूँ। अब तो मैं आपकी पत्नी हूँ…”
मैं-“अच्छा मेरी जान, तुम मेरी मम्मी ना सही, पर मेरे होने वाले बच्चों की तो मम्मी तो हो ना?” और इतना कहकर मैंने मम्मी के निपल को पकड़कर जोर से मसल दिया।
मम्मी दर्द से कराह उठी और बोली-“हाए उफफफ्फ़ धीरे… हाँ उफफफ्फ़, अब मैं आपके होने वाले बच्चों की मम्मी हूँ। मुझे तो लगता है की आप मुझे आज ही अपने बच्चों की मम्मी बना दोगे…” इतना कहकर मधु ने अपनी दोनों टांगे ऊपर को उठा लिया और दोनों टाँगों को पूरी तरह चौड़ी कर लिया।
इस तरह से मंजू की चूत पूरी तरह से खुलकर मेरे सामने हो गई और मेरे लिए मम्मी की चूत में लण्ड डालना और भी आसान हो गया। मैंने मम्मी की खुली टाँगों के बीच बैठकर अपना लण्ड मम्मी की चूत पर टिका दिया। तभी पूजा दीदी अपनी जगह से उठी और मेरा लण्ड पकड़कर अच्छी तरह से मम्मी की चूत के ऊपर फिट कर दिया।
मैं अपना लण्ड मम्मी की चूत के ऊपर रखकर धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। मम्मी की चूत इस समय मुझको थोड़ी टाइट लग रही थी, लेकिन मैं धीरे-धीरे अपने हाथों से मम्मी के चिकने चूतड़ सहलाता रहा और कभी मम्मी की तरबूज जैसी मस्त गाण्ड पर थप्पड़ मार देता और कभी मम्मी की गाण्ड में अपनी उंगली डालने लगता। थोड़ी देर तक गाण्ड में उंगली करने के बाद मम्मी की चूत से पानी निकलने लगा और चूत गीली हो गई। मम्मी की चूत को गीला होते देखकर मैंने एक झटके के साथ अपना लण्ड पूरा का पूरा जड़ तक मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया।
चूत के अंदर जाते ही मम्मी ने नीचे से अपनी कमर उठाना शुरू कर दिया और मैं भी मम्मी के ऊपर से झटके दे-देकर अपना लण्ड मम्मी की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। हम लोग एक दूसरे को चोद रहे थे और मैं ऊपर से धसका मारकर मम्मी को चोद रहा था और मम्मी नीचे से गाण्ड के धक्के मारकर अपनी गाण्ड उछालकर मुझे चोद रही थी। चोदते और चुदवाते समय हम एक दूसरे से मीठी-मीठी बातें भी कर रहे थे।
मम्मी बोली-“उम्म… मेरे राजा, मेरे बलम, मेरे जानू, मैं कितना खुशनसीब हूँ की मेरी चूत में तेरा लण्ड जा रहा है। तेरा लण्ड बिल्कुल मेरी चूत की साइज़ का है…”
मैं बोला-“मम्मी तुम सिर्फ़ मेरे लिए ही बनी हो और हमेशा रहोगी। देखो भगवान भी यही चाहता था की मेरी बन जाओ तभी वो नामर्द हिजड़ा तुम्हें छोड़कर चला गया…”
मम्मी-“हाँ मेरे राजा, मेरी इस जवानी को लूटने का हक शायद तुझे ही था। मैं कितनी खुश किस्मत हूँ जो मुझे तुझ जैसा गबरू जवान मर्द मिला। आज मैं तुम्हारे नीचे लेटकर धन्य हो गई…”
मैं मम्मी की चूची को पकड़कर धसका मारते हुए बोला-“मोम, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था की एक दिन तुम्हारी चूत में अपना लण्ड डालकर तुम्हें चोद सकूँगा…”
मम्मी बोली-“हाए िी, क्या आपको मेरी चूत पसंद है?”
मैं मम्मी की बात सुनकर बोला-“मेरी छम्मकछल्लो, तुम पसंद की बात कर रही हो, मेरा तो दिल करता है की तुम माँ बेटी की चूत के ऊपर से उतरूं ही नहीं, अपना लण्ड हमेशा तुम दोनों की चूत में डाले रहूँ…”
मम्मी ने मुझसे पूछा और फिर से बोली-“देख, मुझको खुश करने के लिए झूठ मत बोलना…”
मैं मम्मी की बात सुनते ही मम्मी के होंठों को चूमते हुए बोला-“मेरी जान, झूठ और वो भी तुमसे? अब से तुम दोनों माँ बेटी की चूत पर मेरा हक है, देखो मैंने अपने इस लण्ड से तुम्हारी बेटी की चूत पर दस्तख़त कर दिए और आज मैं तुम्हारी सुहगरात को ही तुम्हारी इस चूत पर अपने दस्तख़त कर दूंगा…”
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