RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
मैंने जैसे ही मम्मी के नंगे चूचों के दर्शन किए, मैं पागल सा हो गया और झट से हाथ में लेकर दबाने लगा और मंजू को किस करने लगा। मेरा और मम्मी का जिश्म तपते सूरज की तरह जलने लगा और हमें एसी में भी अपने जिश्म पर नमी महसूस होने लगी। फिर मैंने किस करते हुए मंजू को खड़ा किया और उसकी साड़ी को उसके गोल सुडौल बदन से अलग कर दिया।
मंजू मदमस्त होकर मुझसे लिपट गई। उसे भी यही एहसास था की आज से मैं उसका बेटा नहीं उसका पति हूँ, जिसके साथ वो सुहागरात मना रही है। मैं मम्मी की हिरनी जैसी गर्दन को चूमने लगा और दोनों हाथों से पेटीकोट का नाड़ा पकड़कर खींच दिया। जैसे ही मैंने मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा खींचा, मम्मी का पेटीकोट खुलकर सिर्फ़ दो सेकेंड में नीचे सरकते हुए मंजू के पैरों पर आ गिरा। मंजू की चिकनी गोरी टांगे अब नंगी हो चुकी थीं, और वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी। मम्मी को किस करते-करते मैंने भी अंडरवेर को छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों के जिश्म कुछ यूं मिलने लगे जैसे कोई दो गुलाब के फूल हों आपस में मिल चुके हो। हम दोनों पूरी गर्मी में आ चुके थे। मंजू की लण्ड की प्यासी चूत की तपन आज खुलकर बाहर आ रही थी। हम दोनों दुबारा बिस्तर पर एक दूसरे से लिपटकर लेट गये, और एक दूसरे के होंठों को बेतहाशा चूसने लगे, एक दूसरे के नंगे बदन पर हाथ फेर रहे थे, और एक दूसरे के नंगे बदन की हर एक इंच को चूम रहे थे। मंजू को चूमते हुए मैं मम्मी के चूचों से होते हुए उसकी जांघों की तरफ आ गया।
मैंने मंजू की टांगों को पूरी तरह खोल दिया और पैंटी के ऊपर से एक किस मम्मी की चूत पर की तो मंजू के मुँह से एक धीमी सिसकारी निकली। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से मम्मी की पैंटी के किनारों को पकड़ा और खींचते हुए पैंटी को मम्मी की टांगों में से निकाल दिया। जैसे ही मैं मम्मी की पैंटी को उतारने लगा तो मम्मी ने नीचे बिस्तर से अपनी गाण्ड उठाकर अपनी पैंटी उतारने में मेरी मर्द की। मैंने मम्मी की पैंटी उतारकर रूम में सोफे पर बैठी पूजा दीदी के ऊपर फैंक दी।
अब मम्मी की नंगी एकदम सफाचट चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी। मुझे अपनी चूत की ओर इस तरह देखते हुए मम्मी को अचानक शर्म आ गई और उसने अपने हाथों से अपनी चूत को ढक दिया। जब मैंने मम्मी की तरफ देखा तो उसने शर्म से मुश्कुराकर अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर ली। फिर मैं मम्मी के पैरों का अंगूठा अपने हाथों में लिया और उसे मुँह में भरकर उसपर जीभ फेरने लगा।
मंजू के मुँह से एकदम सिसकारी निकली-“ उफफफफफ्फ़…उफफफफफ्फ़ हइईईईई…” और मंजू सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी, उसकी तेज सांसों की वजह से उसकी छाती बहुत जोरों से ऊपर-नीचे हो रही थी।
फिर मैं मम्मी की टांगों को चूमते हुए वहां आ गया, जहाँ मम्मी ने हाथ रखा हुआ था। जब मैंने मम्मी के हाथ के पास किस की तो मम्मी की सिसकारी निकल गई ‘आह्ह’, क्योंकि वो मम्मी की लाल परी के एकदम करीब था। फिर मैंने मम्मी के हाथ को धीरे से पकड़ा और साइड में कर दिया। मम्मी की पानी से भरी हुई लाल पंखुड़ियों वाली चूत नंगी हो गई, जिसे देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया।
फिर जब मैंने मम्मी की लाल परी पर किस की तो वो और भी गरमा गई और उसकी बेचैनी ने कंट्रोल खो दिया। मम्मी ने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत की तरफ धकेल दिया और मेरे सिर को अपनी जांघों में छिपा लिया। मैं बेसबरों की तरह मम्मी की चूत को चाटने लगा, ठीक जैसे भंवरे फूलों का रस पी जाते हैं। मुझे मम्मी की चूत का स्वाद बिल्कुल मम्मी के नाम के जैसा लग रहा था।
जैसे-जैसे मैं अपनी मम्मी की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा, मम्मी पागल होकर सिसकारी मारने लगी और उसने अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर कसकर दबा लिया और अपनी दोनों मोटी-मोटी जांघों से मेरे मुँह को जकड लिया। मैंने अपनी जीभ को जितना हो सकता था मम्मी की चूत के अंदर डाल दिया, और जीभ अंदर घुमा-घुमाकर चूत के अंदर चाटना शुरू कर दिया, कभी-कभी उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को भी अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर के बाद मम्मी का शरीर एकदम से अकड़ गया, उसने कसकर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया। मैं मम्मी की चूत में अपनी पूरी जीभ अंदर डालकर चाट रहा था, जिससे मम्मी मस्ती से सातवें आसमान पर थी।
मम्मी अपनी चूत मुझसे चटवाते हुए मस्ती से सिसकती बोली-“हाई िी, ये क्या कर रहे हो? क्या मार ही डालोगे?”
मैं-“क्या हुआ मेरी रानी? क्या तुम्हें मेरे इस तरह चाटने से मज़ा नहीं आ रहा?”
मम्मी-“नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है। मज़ा तो इतना आ रहा है कि इतना मज़ा तो आज तक कभी नहीं आया। आज पहली बार कोई मेरी इस तरह से चाट रहा है…”
मैं-“क्यों मेरी जान, क्या उस नामर्द, यानी के तेरे पहले पति ने कभी तेरी चूत को इस तरह से नहीं चाटा?”
मम्मी-“नहीं नहीं, इस तरह मेरी चाटनी तो दूर, उसने कभी इस पर प्यार भी नहीं किया…”
मैं-“साला नामर्द कहीं का। तेरे जैसी मस्त छमिया की जवानी का रस पीने की उस नामर्द में हिम्मत ही नहीं होगी, साला लगता है तुझे देखते ही उसका पानी निकल जाता होगा…” मैं मज़े के साथ अपने ही बाप को गालियां दे रहा था-“मेरी रानी अब देख तू ज़रा मैं कैसे तेरी इस मस्त जवानी का रस चूसता हूँ…” और मैं मम्मी की चूत से झटके दे-देकर पानी निकाल रहा था और चूत से निकला मीठा-मीठा रस मेरे पूरे मुँह में भर गया और मैं उस रस को जितना ज्यादा हो सकता था पी गया।
जब मधु झड़कर शांत हो गई तो उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे लण्ड को पकड़कर उसके सुपाड़े को खोल लिया। फिर मम्मी ने झुक कर मेरे लण्ड का खुला हुआ सुपाड़ा पहले अपनी जीभ से चाटा और फिर उसको अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। मैं मम्मी द्वारा लण्ड चुसाई से मिलता आनंद ले रहा था। अब जबकि मम्मी मेरा लण्ड अपने मुँह में भरकर चूस रही थी तो मुझे बहुत है आनंद मिला। मम्मी ने मेरे लण्ड को चूसते-चूसते धीरे-धीरे पूरा का पूरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया और मेरा लण्ड मम्मी के गले से टकराने लगा और मम्मी मेरे लण्ड को अपने होंठों और हाथों से सहलाने लगी। मम्मी अपने हाथों से मेरे अंडों को पकड़कर सहला रही थी और साथ ही मेरा लण्ड चूस रही थी।
मैं मज़े से पागल हुआ जा रहा था। मैंने सिसकारियाँ भरते हुए मधु से कहा-“आआह्ह… मोम उफ़फ्फ़ … क्या लण्ड चूसती हो तुम… और अंदर ले जाओ मोम… आह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है। मोम मैं आज आपको जम कर चोदूंगा। बड़ी मस्त रांड़ हो तुम… मेरी छमिया, मेरी छम्मकछल्लो। आअह्ह…”
मैं पूजा दीदी की ओर देखकर-“देख पूजा, तेरी मम्मी कितने प्यार से मलाई वाली कुल्फि खा रही है। ये तो ऐसे खा रही है ये कुल्फि की जैसे इसकी सारी मलाई ही खा जाएगी…”
पूजा-“हाए पापा, आपकी ये कुल्फि नहीं कुलफा है। मम्मी तो क्या अगर मैं भी होती तो मैं भी इस मस्त कुलफा की मस्त मलाई खा जाती…” और इतना बोलते ही पूजा दीदी ने अपने होंठों पर जीभ फेरकर एक मस्त अदा से मुझसे कहा।
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