RE: Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ �...
और मैं दीदी के होंठों को चूमते हुआ बोला-“मेरी जान, तुझे तो मैं ऐसा गिफ्ट दूंगा की तू सारी लाइफ याद रखेगी…” और मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया।
दीदी मेरे लण्ड को सहलाती बोली-“हाय पापा, आपका ये गिफ्ट लेने के लिये मैं अब हमेशा ही बेताब रहती हूँ। पर क्या करूं, आज आपके इस गिफ्ट पर सिर्फ़ मम्मी का हक है। आज आप इस पर सिर्फ़ मम्मी को ही बिठा सकते हो…” फिर दीदी ने मुझे मम्मी के पास जाने की इजाज़त दे दी।
फिर मैं बेड पर मम्मी के पास गया और अपने दोनों हाथों से मंजू का घूँघट पकड़ा और धीरे से मंजू के चेहरे से हटाया। मैंने देखा की मंजू ने अपनी नज़रें नीचे झुका रखी हैं और वो बेतहाशा खूबसूरत लग रही है। जिसे देखकर मैं बोला-
“सुहानी रातों की वो मदमस्त मुलाकातें,
भूल सकता है भला कौन वो हमारी प्यारी बातें,
अरमान पूरे हुये मेरे, कोई शिकायत नहीं तुमसे,
तुमने सज़ाई है मेरी बेशुमार हसीन रातें…”,
ये सुनकर मंजू अपने चेहरे पर मुश्कुराहट लाई और एक पल मेरी ओर देखकर फिर से अपनी नज़रें नीचे झुका ली। फिर मैंने मंजू का चेहरा अपने हाथों में ले लिया और धीरे-धीरे चूमने लगा। सबसे पहले मैंने अपने होंठ मम्मी के गुलाबी गालों पर रख दिए और उसके गालों को किस किया, फिर आँखों को चूमा, फिर मैंने अपने होंठ मम्मी के लाल-लाल होंठों पर रख दिए और मम्मी के रसीले होंठों को पूरे जोश के साथ चूसने लगा। और मम्मी भी खुलकर मेरा साथ देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी। हम लोग एक दूसरे को चूमते हुए बिस्तर पर लेट गये। अब मैं मम्मी के ऊपर था।
मैं मम्मी के ऊपर होकर मम्मी के होठों को जोर-जोर से चूसने लगा और इतना जोर लगाया की मंजू के होंठ मेरे दाँत से लगने लगे। हमारी जीभ एक दूसरे से टकरा रही थी और हम लोग एक दूसरे की जीभ चूसते हुए एक दूसरे को प्यार कर रहे थे। हम लोग अपनी-अपनी जीभ एक दूसरे के मुँह के अंदर डालकर घुमा रहे थे। फिर धीरे-धीरे मैंने मम्मी के बदन पर से गहने उतारने शुरू कर दिए। मैंने मम्मी के ब्लाउज़ को जैसे ही खोला तो मंजू की बड़ी-बड़ी चूचियां कूदकर बाहर आ गईं। मम्मी ने ब्रा नहीं डाली थी।
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