bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:25 PM,
#96
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
बिल्डिंग के नीचे पहुँच कर एक ठंडक का एहसास हुआ...
नयी बनी बिल्डिंग की गीली दीवारों से ठंडे पानी की महक आ रही थी...
मैने साक्षी का हाथ थमा और उसे लेकर संभलकर सीडिया चढ़ने लगा.

साक्षी ने दबी आवाज़ में आख़िर बोल ही लिया

''कोई और जगह नही मिली थी तुम्हे अपने फर्स्ट टाइम के लिए....इससे अच्छा तो किसी होटल में ही चल सकते थे...''

मैने मुस्कुराते हुए उसे देखा और बोला : "होटल रूम की चार दीवारी से अच्छा तुम्हे यहाँ मज़ा मिलेगा...तुम देखना, आज के बाद तुम खुद ही इधर आने की जिद्द करोगी...''

जवाब में उसने मुझे आधे रास्ते में ही रोका और मुझसे लिपट कर अपने होंठ मुझपर लगा दिए और ज़ोर-2 से मुझे स्मूच करने लगी...

उसकी आँखो से बरस रही हवस सॉफ दिख रही थी मुझे...

वो बोली : "अब होटल रूम हो या ये बिल्डिंग....मुझसे तो रहा नही जा रहा....''

मैने उसका हाथ पकड़ा और उपर ले जाते हुए बोला : "तभी तो कह रहा हूँ ...उपर चलो...ज़्यादा मज़ा वहीं मिलेगा..''

और ऐसा करते-2 मैं उसे 7वी मंज़िल तक ले आया...
वहां पहुँचते-2 हम दोनो हाँफ रहे थे...
उस फ्लोर पर एक बड़ा सा पेंटहाउस था...
अभी हर जगह काम चल रहा था इसलिए दरवाजे भी खुले हुए थे....
अंदर दाखिल होकर हम उस पेंटहाउस की बाल्कनी में आ गये..

वहां से पूरा शहर दिखाई दे रहा था.

मैने अपने बेग से चादर निकाली और बाल्कनी में बिछा दी और फिर बेग से केंडल्स निकालकर हर कोने में जाकर जला दी...
फिर अपने साथ लाए गुलाब के फूलो की पंखुड़ियों को निकाल कर मैने उस चादर पर बिखेर दिया.

साक्षी ये सब एक कोने में खड़ी होकर देख रही थी...
और जैसा की हर लड़की के मन में हमेशा चलता रहता है की उसकी लाइफ की फर्स्ट चुदाई रोमांटिक होनी चाहिए, वो सब उसे वहां देखने को मिल रहा था..
वो मुस्कुराती हुई बोली : "वाव सोनू, तुम तो पूरी तैयारी के साथ आए हो...''

मैने उसे देखा और आँख मारता हुआ बोला : "अभी आगे-2 देखो, होता है क्या...''

फिर मैने अपने छोटे से बेग रूपी पिटारे में से 2 बियर केन निकाली...
बियर देखते ही उसकी आँखो में चमक सी आ गयी...
वो लपककर मेरे करीब आई और मुझे पीछे से पकड़ कर मुझसे लिपट गयी और अपनी गर्म साँसे मेरे कानों में छोड़ती हुई बोली : "एक मासूम सी लड़की को बियर पिलाकर उसे चोदना चाहते हो तुम....बड़े शैतान हो...''

मैने उसके बालो को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वो मेरी गोद में आ गिरी
मैने उसके होंठो को चूसा और बोला : "चुदोगी तो तुम बिना बियर के भी मेरी जान, पर जब इसका सरूर चढेगा तो चुदाई में ज़्यादा मज़ा मिलेगा...''

इतना कहकर मैने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और एक बियर केन उसके हाथ में देकर खोल दिया...
चियर्स करके हम दोनो ने 1-2 लंबे घूँट भरे, पूरे शरीर में एकदम से तरावट सी आ गयी....
2-4 और घूँट मारे तो हल्का-2 सरूर भी होने लगा...

साक्षी तो मुझसे भी ज़्यादा प्यासी थी बियर पीने के लिए...
मेरी अभी आधी ही हुई थी और उसने अपनी बियर का आख़िरी घूँट भरा और अपने होंठ मेरे होंठो से लगा कर वो बियर मेरे मुँह में उडेल दी...
उसके होंठो से टकराकर वो बियर और भी ज़्यादा नशीली हो गयी थी...
उसके बाद उसने मेरे होंठो को जब चूसना शुरू किया तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे अंदर की सारी बियर वापिस निकालने के चक्कर में है वो...
मेरी जीभ को, होंठो को, वो किसी प्यासी चुड़ैल की तरह चूस रही थी...
और साथ ही साथ अपने मोटे मुम्मे वो मेरे सीने से रगड़ कर ऐसे लहरा रही थी जैसे सच में उसके अंदर कोई चुड़ैल ने कब्जा कर लिया है...



मेरे हाथ उसकी ब्रेस्ट पर गये तो उसने कसमसाते हुए अपनी टी शर्ट को पकड़ कर उतार दिया...
नीचे की ब्रा भी बिना स्ट्रेप्स खोले निकाल दी...
अब वो टॉपलेस होकर मेरी गोद में बैठी थी...

मैंने पीछे से उसके दोनों मुम्मों को पकड़ा और उन्हें मसाज देनी शुरू कर दी




फिर मैने उसका एक मुम्मा पकड़ा और अपने मुँह से लगा कर उसे चूसने लगा...

ठंडी हवा चल रही थी...
खुली छत्त पर, केंडल्स की हल्की रोशनी में उसका सोने जैसा बदन चमक रहा था...
उसके मोटे मुम्मे शरबत उडेल रहे थे
उसके कठोरपन को महसूस करके मेरा लंड भी सख़्त हो गया था..



वो मेरी गोद से उतरी और घुटनो के बल बैठकर वो मेरे लॅंड पर झुक गयी...
जीन्स को मेरे शरीर से अलग किया और अपने मुँह में मेरे लंड को भरकर उसे बुरी तरह से चूसने लगी...

मैं तो किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गया...
सच में दोस्तो, लड़की जब अपने गीले होंठो और जीभ से लंड को चुभलाती है तो उस आनंद का मुकाबला इस दुनिया के किसी भी मज़े से नही किया जा सकता...



मेरे हाथ नीचे आए और उसके झूल रहे मुम्मों को पकड़ कर उनका वजन तोलने लगे...
कसम से, हर मुम्मा 1 किलो से कम का नही लग रहा था...
लटके होने की वजह से उसकी पूरी शेप निकर कर बाहर आ गयी थी....
वो कुतिया भी अपने बूब्स पर मेरे हाथो का स्पर्श पाकर दुगने जोश से मेरे लंड को चूसने लगी..

लंड को अच्छी तरह से चूस्कर, उसे खड़ा करने के बाद वो खड़ी हुई और अपनी जीन्स भी उतार दी...
मैने भी अपने बचे खुचे कपड़े उतार कर एक कोने में फेंक दिए...
और अब हम दोनो जन्मजात नंगे थे...
उस नयी बनी बिल्डिंग के टेरेस पर हमारे नंगे बदन केंडल की हल्की रोशनी में दमक रहे थे....
मैने साक्षी को उपर से नीचे तक देखा, वो सैक्स गॉडेस लग रही थी ...
मन तो कर रहा था उसके पुर बदन पर जैम लगाकर चाट जाऊं..



पर अभी के लिए मुझे उसकी चूत को चूस्कर उसे रसीला बनाना था ताकि मेरा मोटा लंड एक ही बार में अंदर घुस जाए..

मैने उसकी टांगे फैला कर चादर पर लिटा दिया और खुद उनके बीच लेट गया...
और अपनी जीभ निकाल कर उसे चाटने लगा...
गीली तो वो पहले से ही थी पर मेरी जीभ लगने से वो और भी ज़्यादा पनिया गयी, और वही पनियाया हुआ पानी मुझे चाहिए था उसकी चुदाई के लिए, जो मेरे लंड को सरकाकर एक ही झटके में अंदर खिसका दे..



करीब ५ मिनट मैंने रसीली चूत चाटी
अब और सब्र नही हो पा रहा था...
वो खड़ी होकर मेरे करीब आई और मुझे लिटा कर खुद मेरे उपर बैठ गयी...
और मुझे एक बार फिर से स्मूच करने लगी..

उसकी नंगी चूत मेरे लंड पर टक्कर मारकर उसके मुँह में पानी ला रही थी...
मैने उसके फेले हुए कुल्हो को पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया..

एक पल के लिए जैसे दुनिया ही ठहर गयी...
उसकी आँखो में डर के साथ-2 एक अजीब सी खुशी भी थी...
शायद अपने कुंवारेपन को खोने का दुख और एक नये सुख को महसूस करने की खुशी थी वो.

और फिर बाकी का काम उसी ने कर दिया...
मेरे दोनो हाथो को ज़मीन पर लगाकर मुझे दबोच सा लिया साक्षी ने...और फिर अपनी रसीली गांड पर दबाव डालकर एक करारा झटका मारकर मेरे लंड के टोपे को अपनी चूत में समेट लिया..

''आआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..........उम्म्म्मममममम''

उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था की पहली बार लंड अंदर लेते हुए उसे कितनी तकलीफ़ हो रही थी.



मेरा लंड धीरे-2 उसकी चूत में उतरने लगा..
और जैसे ही वो उसकी झिल्ली से टकराया वो थोड़ा रुक गयी...
मैं समझ गया की उसे दर्द हो रहा होगा इसलिए अब मुझे ही इस खेल की कमान संभालनी थी...
मैने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारा..

''आआआआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी.....................''

उसे सच में ऐसा लगा जैसे उसकी चूत दो हिस्सो में बंट गयी है....
मेरा मोटा लंड उसकी चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया....
एक गर्म खून की बौछार ने मेरे लंड का राजतिलक करके उसे एक नयी चूत की सील तोड़ने की बधाई दी.

''आआआआआआआअहह सोनू......बहुत दर्द हो रहा है......प्लीज़ रुक जाओ......''

और मैने वही किया...
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया...
ऐसे मौके पर अपने पार्ट्नर की बात मानना ही सही बात होती है, उसे भी लगता है की वो उसकी कितनी केयर करता है...
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसने खुद ही अपनी कमर मटकानी शुरू कर दी...
मेरा लंड तो उसकी अंदरूनी दीवार पर टक्कर मारकर उसकी गहराई का अनुमान ले चुका था
एक बार फिर से अंदर बाहर होने लगा..



उसने तो शायद सोचा भी नही होगा की उसकी लाइफ की पहली चुदाई इस तरह से किसी नयी बनी बिल्डिंग की छत्त पर होगी...
पर जो भी हुआ था, उसमे हम दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...
एक अलग ही तरहा का रोमांच था...
और सबसे बड़ी बात ये थी की हम दोनो इस मूमेंट को अच्छे से एंजाय भी कर रहे थे...
चीखे मारकर, ज़ोर-2 से चिल्लाकर..
क्योंकि इतनी उपर हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई और था भी नही..

एक बार जब लय बन गयी तो वो सीधा हो गयी और मेरे हाथो को अपने बूब्स पर रखकर खुद ही मेरे उपर उछलने लगी..

''ओह मेरी ज़ाआाआअँ...... क्या मज़ा आ रहा है...आइ इम लविंग इट....''

मैने भी उसके रसीले होंठो को चूसते हुए कहा...

''हाँ मेरी जान...अब ऐसे मज़े रोज मिलेंगे...इनफॅक्ट मुझे भी तुम्हारी पुस्सी बहुत पसंद आई....''

अपनी और अपनी छूट की तारीफ सुनकर वो खुश हो गयी...और दुगनी तेज़ी से उछलने लगी मेरे लंड पर...



और जल्द ही हमारी मेहनत का नतीजा हम दोनो के ऑर्गॅज़म की शक्ल में सामने आ गया...
मेरे लंड से और उसकी चूत से एक साथ रस निकला...

''आआआआआआआअहह आई ऍम कमिंग ...........''

मैने भी अपने लंड की आख़िरी बूँद तक उसकी चूत में निकाल दी..

दोनो का शरीर काँप रहा था...
हर बार एक नया मुकाम हासिल कर रहा था मैं अपनी चुदाइयों से..

उसके बाद हम दोनो खड़े हुए और साक्षी ने अपनी चूत में उंगली डालकर मेरा सारा घी समेट कर खा लिया...
ऐसी ही लड़किया मुझे ज़्यादा पसंद आती है, जो बिना किसी शर्म और झिझक के अपने दिल की बात मानकर अपना काम कर लेती है..

मैने अपनी बची हुई बियर उठाई और उसे सिप करता हुआ बालकनी से नीचे देखने लगा..

अभी तो सिर्फ़ 2 ही बजे थे...
पूरी रात अपनी थी...

मेरी नज़र चोकीदार के केबिन की तरफ गयी, वो भी लाइट बंद करके सो चुका था..

बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा

''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''

मेरी बात सुनकर उसकी आँखे गोल हो गयी...
पर उसने मना नही किया
क्या करती बेचारी
वादा जो किया था उसने.

मैने सारा समान अपने बेग में भरा और उसका हाथ पकड़ कर नीचे आ गया...
हम दोनो के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था...

मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..

पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ
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