RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
ये काफ़ी पुराना सा चर्च था...सोनू अक्सर शाम को उसके सामने बने मैदान में अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जाया करता था.
सोनू बोलता रह गया पर तनवी ने उसकी एक ना सुनी और उसे लगभग घसीटती हुई सी चर्च के पीछे की तरफ ले आई....
ये एक सुनसान सा इलाक़ा था...
सिर्फ़ चर्च के उपर बनी खिड़कियो से ही वहां देखा जा सकता था...
पर इस वक़्त चर्च में कोई नही था, इसलिए वहां से किसी के देखने का सवाल ही नही था.
सोनू समझ गया की जबसे तनवी ने उन्हे क्लास मे देखा था, तभी से उसके अंदर खुरक हो रही है.
अब शायद वो अपना वो काम करके रहेगी, जिसके लिए उसे साक्षी से जलन हो रही थी.
सुबह बारिश हुई थी , उसकी वजह से मौसम बड़ा ख़ुशगवार था...गीली मिट्टी से सोंधी-2 खुश्बू आ रही थी... चर्च के चारो तरफ काफ़ी हरियाली थी..और वो दोनो इस सैक्सी से माहौल में अकेले थे..
स्कूल ड्रेस में वैसे भी लड़किया काफ़ी सैक्सी लगती है, उसने वाइट शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी, और जैसा की आजकल की लड़कियो को शॉंक चड़ा होता है, उसने स्कर्ट को उपर तक खींचकर अपने घुटनो से उपर चड़ा रखा था, ताकि उसकी मांसल जाँघो का नज़ारा भी दिखाई दे..
सोनू की नज़रें उसके उसी माँस पर थी...
तनवी ने तो बिना देरी किए अपना बेग साइड में रखा और सोनू से लिपट गयी...
इसलिए जैसे ही तनवी उससे लिपटी, सोनू ने नीचे झुककर उसकी जाँघ को पकड़ा और उपर करते हुए उसे अपनी कमर पर अटका सा दिया और अंदर हाथ डालकर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही ज़ोर-2 से भींचने लगा...
तनवी ने अपने होंठ सोनू के होंठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी... ऐसा लग रहा था जैसे वो उसे कच्चा चबा जाएगी..
सोनू ने उसके मुँह से अपने होंठ चुड़वाए और उसकी गर्दन पर ले आया...
ऐसा लग रहा था जैसे कोई फिल्मी पोज़ है...
सोनू उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे आने लाग..
और धीरे-2 उसने तनवी की शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए... जैसे-2 वो उन्हे खोलता गया, उसका नंगा सीना सामने आता गया... उसने अंदर कुछ नही पहना हुआ था... ना तो ब्रा और ना ही कोई शमीज़... ऐसी लड़कियाँ ही आगे चलकर बहुत बड़ी चुदक़्कड़ बनती है...सोनू ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और फिर धीरे से नीचे झुककर उसने उसका अंगूरी दाना अपने मुँह में भर लिया...
उसके निप्पल्स लगभग एक इंच बहार निकल चुके थे, एकदम लाल सुर्ख दानो को जब उसने मुंह में भरकर चूस तो तनवी की आँखे बंद होती चली गयी
वो सिसक उठी और उसने सोनू के सिर को पकड़ कर और ज़ोर से अपनी छातियों में दबा लिया..
''आआआआआआआआआआआआआआआहह बैबी....... और ज़ोर से सक्क करो..''
सोनू ने उसकी शर्ट को कंधे से सरका कर नीचे कर दिया, पर पूरा नही उतारा..
उसकी बूबिया चूसते हुए सोनू का एक हाथ उसकी पेंटी में घुस चुका था...
और वो उसकी अनचुदी चूत में अपनी उंगली डालकर उसकी उत्तेजना को और भड़का रहा था...
जैसे आग में घी काम करता है ठीक वैसे ही उसकी चूत में सोनू की उंगली ने काम किया...
वो एकदम से भड़क सी गयी और सोनू को बुरी तरह से चुमते -चाटते, उसे धक्का देते हुए बेंच पर बिठा दिया.
ऐसे खुल्ले में इतना अच्छा ट्रीटमेंट मिलने से सोनू आज अपने आप को किसी राजा की तरह फील कर रहा था..
तनवी ने उसकी बेल्ट खोली, हुक और जीप खोलकर पेंट को नीचे किया और उसके लंड को अपने सामने ले आई...
ये वही लंड था जो कल उसके हाथ में था पर उसे देख नही पाई थी, आज देख लिया था पर काफ़ी दूर से...
अब वो किसी भी कीमत पर इंतजार नही करना चाहती थी..
उसने अपना मुँह गोल किया और नीचे झुककर बिना किसी भूमिका के उसे मुँह के अंदर लेकर चूसने लगी..
''आआआआआआआआआआआआहह तनवववववीीईईईईईई''
सोनू के मुँह से सिर्फ़ यही निकला..
सोनू का एक हाथ उसके सिर पर था...
वो उसे कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था ताकि अपनी उत्तेजना मे बहकर वो उसके लंड को कोई नुकसान ना पहुँचा दे, पर वो अपनी ही धुन में , बावली सी होकर उसके लंड को चूसे जा रही थी.
सोनू से बैठना मुश्किल सा हो गया, वो बेंच से खड़ा होकर अपना लैंड चुस्वाने लगा, पेंट उसके पैरों में आ गिरी और शर्ट को उसने और ऊपर चढ़ा लिया।
तनवी उसके पैरों में बैठी उसका लंड चूस रही थी
तनवी के मुँह से लार निकल-2 कर उसी की छाती पर गिर रही थी...
जिन निप्पलों को सोनू ने अभी कुछ देर पहले चूस-चूस्कर सूजा सा दिया था, उनपर गर्म लार किसी दवाई का काम कर रही थी...
वो अपनी छातियों को एक हाथ से मसलते हुए उस मलाई को अपने बूब्स पर मलने लगी..
बीच-2 में वो उसकी बॉल्स को भी चूस रही थी...
उसने गोर किया की सोनू के लंड के साथ-2 उसकी बॉल्स भी काफ़ी बड़ी थी...
और बॉल्स पर जीभ या होंठ लगते ही वो और ज़्यादा उत्तेजित हो जाता था...
और एक अच्छी गर्लफ्रेंड अगर ये समझ जाए की उसके बाय्फ्रेंड को क्या-2 करने से मज़ा मिलता है , और वो उन्हे बार-2 करती रहे तो सवाल ही नही उठता की वो उसे छोड़कर कभी चला जाए..
यही इस वक़्त तनवी कर रही थी..
वो हर 10 सेकेंड के बाद अपने मुँह से सोनू का लंड बाहर निकालती, अपने हाथ से उसकी गोटियां सहलाती और फिर दाँतों से...होंठों से....जीभ से उन्हे चुभलाती.
सोनू को उसकी ये सेंसुअल मसाज में काफ़ी मज़ा आ रहा था...
उसके कड़क निप्पल्स को देखते हुए वो उसके मुँह में अपने लंड को डालकर जोरों से हिला भी रहा था...
और जल्द ही उसके लॅंड ने जवाब से दिया...
अब इतने ख़तरनाक तरीके से अगर कोई लंड को चूसेगा तो सोनू को झड़ना ही था...
और जैसे ही उसके लंड से पिचकारियाँ निकलनी शुरू हुई, तनवी ने उसके लंड को पकड़ कर पहली धार अपने मुँह के अंदर, बाकी की अपनी छाती पर ले डाली...
और आख़िर में एक बार फिर से उसके मुरझा रहे लंड को मुँह में लेकर उसकी नलकियों में बचा हुआ सारा रस निचोड़ कर पी गयी.
सोनू की तो हालत भराब हो चुकी थी...
और वहीं दूसरी तरफ तनवी की हालत देखते ही बनती थी...
सोनू के गाड़े और सफेद रस से भीगा उसका चेहरा और छातियाँ बड़े सैक्सी लग रहे थे.
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