RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
ये सारा नज़ारा बाहर खड़ी तनवी बड़े चाव से देख रही थी....
उसका खुद का हाथ अपनी छाती पर था...
अपनी अविकसित छातियों को मसल-2 कर वो उनकी रासलीला देख रही थी.
वो सब देखते हुए उसे कल की बाते याद आ रही थी जब यही सोनू उसके नन्हे-2 निप्पलों को मुँह में लेकर किसी बच्चे की तरह उसका दूध पी रहा था...
वो पल याद आते ही उसके तन बदन में एक कसक सी उठी, जो एक सिसकारी के रूप में बाहर निकल आई.
साक्षी को तो नही, पर सोनू को वो सिसकारी सुनाई दे गयी....
और जब उसने उसकी तरफ देखा तो दोनो की नज़र मिलते ही एक अजीब सी फीलिंग आई दोनो के मन में ....
पर उस फीलिंग को अभी बयान करना पोस्सिबल नही था.
और ना जाने क्यो, इस वक़्त साक्षी से ज़्यादा सोनू का ध्यान तनवी की तरफ था...
हालाँकि कल ही उसके साथ उसने काफ़ी मज़े लिए थे, पर एक अधूरी सी प्यास जो रह गयी थी, वो उसके मन में अभी तक अटकी सी पड़ी थी.
इसी बीच साक्षी ने सोनू के लंड को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया और उसके सामने बैठ कर उसकी जीप खोलने लगी...
उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की बाहर खड़ी तनवी उन्हे देख रही होगी, उसे तो बस इस वक़्त किसी भी कीमत पर सोनू का लंड चूसना था...जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रही थी...
जैसे ही वो लंड बाहर आया, साक्षी के साथ-2 तनवी के मुँह में भी पानी भर गया....
कल तो वो सोनू के लंड को सिर्फ़ पकड़ ही पाई थी, ना तो उसे देखा था और ना ही उसे चूमा या चूसा था...
अब उसे सच में साक्षी से ईर्ष्या सी हो रही थी....
वो सोनू के लंड को पूरा बाहर निकाल चुकी थी और उसपर गीली-2 पप्पियाँ देने में लगी थी....
जब उसका लंड पूरा खड़ा हो गया तो उसे वो अपने चेहरे पर किसी डंडे की तरह मारने लगी....
पर जैसे ही उसने अपना मुँह बड़ा करके उसे अंदर लेना चाहा, तनवी चीख पड़ी : "कोई आ रहा है..... जल्दी बंद करो....''
साक्षी और सोनू के तो होश ही उड़ गये...
दोनो ने आनन-फानन में अपने कपड़े ठीक किए और बाहर निकल आए...
तब तक तनवी वहां से निकल कर सीडियां उतर चुकी थी.
बाहर कोई आया ही नही था....
ये सब तनवी की जलन का परिणाम था, जो लंड उसके मुँह में नही जा पाया वो भला साक्षी के मुँह में जाता हुआ कैसे देख सकती थी.
पर एक बात तो उसने सोच ही ली थी की आज किसी भी कीमत पर वो उसके लंड को चूस कर रहेगी.
स्कूल के बाद तनवी और सोनू एक साथ ही निकले...
दोनो का घर एक तरफ ही था. आज उन्होंने रिक्शा नहीं किया, पेडल ही चल दिए.
रास्ते मे सोनू ने उससे पूछा : "वहां कोई नही आया था ना..."
तनवी चुप रही
सोनू : "बोलो, कोई नही था ना....''
तनवी : "नही...''
सोनू : "फिर क्यो बोला तुमने... मैने कहा था ना की हमारे बीच जो भी है वो अलग है, साक्षी से तो तुम्हे कोई प्राब्लम थी ही नही, फिर ऐसा क्यों किया''
वो चलते-2 रुक गयी और सोनू को देखकर बोली : "वो सिर्फ़ इसलिए की जो काम मैं नही कर पाई, वो करने जा रही थी... एक बार मैं कर लू, फिर वो चाहे जितनी बार भी करे, मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता...''
सोनू : "कौन सा काम....''
तनवी ने आस पास देखा, कोई भी नही था... वो उसके और करीब आई और सीधा उसके लंड को पकड़ कर बोली : "ये वाला...सकिंग का...''
सोनू डर सा गया....
कैसी डेयरिंग थी इस लड़की में ...
कल से आज तक इसके रंग कैसे बदल से गये थे...
सरेआम उसके लंड को पकड़ कर बोल रही थी की उसे चूसना है.
और इससे पहले वो उसे कुछ बोल पता, तनवी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर सड़क के साइड में बने एक चर्च की तरफ ले जाने लगी.
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