RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
उसे पता नही क्या हुआ, सोनिया का चेहरा अपने आप उसके लंड की तरफ खींचता चला गया....
और उसने अपनी जीभ से चाट कर,उसे मुँह में भर लिया...
अपने भाई के लंड की कलाई पर उसने अपने होंठों का छल्ला राखी बना कर कस दिया...
''उहह........ दीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.......... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स''
बेचारे सोनू के पास शब्द ही नही थे सोनिया के इस प्रहार के लिए...
वो उसके लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे बचपन में उसकी आइस्क्रीम को चूसती थी...
अब फ़र्क ये आ चुका था की उस ओरेंज बार के बदले सोनिया के मुँह में सोनू का लंड था.
वो सोनिया के बिस्तर पर लेट गया.... सोनिया ने उसकी शॉर्ट्स पूरी उतार दी.... और अपनी टी शर्ट और स्कर्ट भी....
अब एक बिस्तर पर दो जवान जिस्म पूरे नंगे थे....
सोनू तो उसे पहले भी एक बार छुपकर नंगा देख चुका था...
पर इस तरह , इतने करीब से, अपनी बाहों में भरकर देखना उस बार से अलग था...
वो उसे इस तरह से अपने जिस्म को निहारते देखकर मुस्कुरा उठी और बोली : "रूको....आराम से दिखाती हूँ.''
इतना कहकर वो बेड से उतारकर सामने आ गयी
और नंगी ही इधर से उधर घूमकर अपने नंगे जिस्म की नुमाइश अपने भाई के सामने करने लगी.
सोनू को तो ऐसा लग रहा था की वो टीवी के सामने बैठकर फॅशन टीवी देख रहा है...
और उसके सामने नंगी पुँगी मॉडल अपना जलवा दिखा रही है.
सोनू के चेहरे पर अपने लिए तारीफ के भाव देखकर वो फिर से उछल कर बेड पर आ गयी और उसने एक बार फिर से उसके लंड को मुँह में भर लिया.
और इस बार वो पूरी तेज़ी के साथ उसे मुँह में लेकर चूसने लगी...
उसकी गति इतनी तेज थी की सोनू को दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था...
ऐसा फील हो रहा था उसे जैसे लंड को किसी सकिंग मशीन में डाल दिया हो....
उसने मन में सोच लिया की आज से उसकी बहन का नाम होगा 'सकिंग मचाइन'
और जल्द ही उसकी सकिंग का परिणाम सामने आ गया.
सोनू के लंड ने सफेद रस निकालना शुरू कर दिया.
उसकी धार को उसने सीधा लंड चूसती सोनिया की छातियों पर गिराया....
''आआआआआआआआआआआआआआअहह दी........ आई एम कमिंग......'
सोनिया ने बड़े प्यार से अपने दोनो मुम्मो को अपने भाई के रस से भिगो कर उन्हे बंगाली रसगुल्ला बना दिया.
और फिर बचे हुए रस को मुँह मे लेकर वो बाकी की चाशनी खुद ही चूस गयी और अपने को रसभरी बना लिया.
उसके चेहरे और शरीर पर पुते सफेद रस को देखकर सोनू का मन बेचैन सा हो गया...
आज अगर उनके बीच वो समझोता ना हुआ होता तो वही के वही चोद डालता अपनी बहन को...
पर आज जो भी हुआ था, वो भी कम नही था...
पहली बार के लिए ये भी बहुत था..
जब आगाज़ ऐसा है तो अंजाम क्या होगा..
यही सोचकर वो गहरी साँसे लेता हुआ सोनिया से लिपट कर लेटा रहा.
बस यही सोचता हुआ की जो हो रहा है वो ग़लत तो नही है ना.
अगले दिन जब सोनू स्कूल गया तो उसे अपनी लाइफ का सबसे बड़ा सरर्प्राइज़ मिला... तनवी उसी के स्कूल में थी.
तनवी ने अपने पापा की एप्रोच लगाकर उसी के स्कूल में ट्रान्स्फर ले लिया था...
सोनू जानता था की उसके पापा उनके एरिया के निगम पार्शद थे, उनके अंडर में वहां के सारे स्कूल आते थे और सोनू को ये सोचने की ज़्यादा ज़रूरत नही थी की वो वहां किसलिए आई है... वो ज़्यादा से ज़्यादा टाइम उसके साथ बिताना चाहती थी...
पर सोनू के लिए तनवी का आना एक मुसीबत जैसा था...
क्योंकि स्कूल में उसके साथ साक्षी भी थी...उसके सामने वो तनवी को कैसे हेंडल कर पाएगा..
पर एक बात तो उसे अपने फेवर में लग रही थी की तनवी उसके पीछे पड़ी है,ना की वो तनवी के पीछे...
इसलिए कम से कम वो तनवी को तो बता ही सकता है की उसका साक्षी के साथ चक्कर है...
साक्षी को तनवी के बारे में बताने का मतलब था की अपने हाथ में आए लड्डू को फेंक देना..जो वो हरगीस नही चाहता था..
तनवी ने जब सोनू को देखा तो वो सीधा उसके पास आ गयी
और हाथ मिलाकर उसे बताने लगी की कैसे उसने अपने पापा को पटा कर वहां एडमिशन ले लिया है.
हालाँकि उसका सेक्शन अलग था, पर सोनू जानता था की वो उससे मिलने का कोई ना कोई जुगाड़ निकाल ही लेगी पर सबसे पहले उसे साक्षी के बारे में बताना ज़रूरी था.
सोनू : "चलो,ये तो अच्छी बात है की तुम भी अब यहीं आ गयी... बट एक बात मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ !! ''
पर वो बोल पता इससे पहले ही तनवी बोल पड़ी : "अपनी सेट्टिंग साक्षी के बारे में ना... मुझे पता है.... डोंट वरी...''
सोनू अवाक सा होकर उसे देखकता रह गया... यानी सोनिया ने उसे सब बता दिया था.
तनवी : "एंड डोंट वरी सोनू, मैं तुम्हारे और साक्षी के बीच नही आने वाली....बस मेरा थोड़ा एक्सट्रा ख्याल रख लेना..''
इतना कहते हुए उसने सोनू को किसी चालू लड़की की तरह आँख मार दी..
और अपना हाथ भी जो अभी तक सोनू के हाथ में था, उसे थोडा दबा सा दिया.
तभी पीछे से साक्षी आ गयी...
सोनू का हाथ अभी तक तनवी के हाथ में था...
उसने हड़बड़ाते हुए अपना हाथ छुड़ाया...
पर साक्षी तब तक वो देख चुकी थी...
और उसके चेहरे के एक्शप्रेशन सब बयान कर रहे थे...
पर वो कुछ बोल पाती उससे पहले ही तनवी बोल पड़ी : "हाई साक्षी....कैसी हो... अभी सोनू तुम्हारे बारे में ही बता रहा था... तुम दोनो के बारे में मुझे सब पता है... मैं इसकी सिस्टर सोनिया की बेस्ट फ्रेंड तनवी हूँ ... एंड तुम दोनो इस बात की फ़िक्र ना करो, मैं ये बात किसी को नही बताउंगी ... इनफेक्ट कभी मेरी कोई हेल्प चाहिए हो तो बता देना.... ओके बाइ... मैं चलती हूँ ....मेरा पहला दिन है आज...और मैं अपनी क्लास मिस नही करना चाहती''
इतना कहकर वो भागती हुई अपनी क्लास में चली गयी...
सोनू ने भी आराम से उसे सब समझाया..
शुक्र था की वो सोनू की बात समझ गयी.
पर तब तक साक्षी के दिमाग़ में एक प्लान आ चुका था....
जिस अंदाज से तनवी ने उन्हे किसी भी तरह की हेल्प करने की पेशकश की थी, साक्षी का दिमाग़ उसी बात को लेकर घूम रहा था...
इसलिए अगले पीरियड से पहले वो तनवी से मिलकर आई और उसने अपने प्लान के बारे में उसे बताया...
और उससे हेल्प करने की बात कही...
वो बाते करते हुए दोनो के चेहरों पर शैतानी मुस्कुराहट थी.
स्कूल का हाफ टाइम होने पर साक्षी ने सोनू से कहा की अगला पीरियड बंक कर देना...
कुछ काम है तुमसे.
सोनू ने सोचा की शायद वो उससे कोई बात करना चाहती है...
इसलिए उसने भी बिना सोचे समझे हाँ कर दी..
अगले पीरियड के टाइम वो उसका हाथ पकड़ कर उपर ले जाने लगी तो सोनू ने उसे टोका... यानी स्कूल के टॉप फ्लोर पर.
पर वो उसे लगभग घसिट्टी हुई उपर वाले फ्लोर पर ले गयी...
उस फ्लोर में कोई क्लास नही लगती थी..
सोनू ये तो समझ चुका था की वो क्या करना चाहती है, पर उसे डर था की कोई ना कोई वहां आकर उन्हे देख लेगा..
पर उपर पहुँचने के बाद उसने जब तनवी को वहां देखा तो उसका चेहरा फिर से चकित हो उठा.
साक्षी : "डोंट वरी.... कोई नही आएगा... और कोई आया तो साक्षी बाहर ही है, हमें बता देगी...''
इतना शरारत भरा आइडिया साक्षी का ही हो सकता था...
उसे वैसे भी इस तरह के एडवेंचर करने में काफ़ी मज़े आते थे...
तनवी को अपनी तरफ मिला कर वो उससे चोकीदारी करवाना चाहती थी...
पर जो भी था, अब तक सोनू का लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था.
क्लास में घुसते ही दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे...
चूसने लगे...
एक दूसरे को चूमते हुए दोनोके चेहरे पर एक प्यार भरी मुस्कान थी
सोनू उसके हर अंग को दबा दबा कर उसके शरीर का नाप लेने में लगा था...
साक्षी भी बिफरी हुई बकरी की तरह उसके हर हमले से काँप सी जाती और उससे और बुरी तहर से लिपट कर चूमने लगती...
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