RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनू ने उसकी टाँग को उठाकर अपनी जाँघ पर रख लिया... दोनो की नंगी टांगे आपस में घर्षण सा करने लगी...
सोनू जिस अंदाज में उसके घुटनों की मालिश कर रहा था, ऐसा लग रहा था की दोनो किसी ट्रेन में बैठे है...
और दोनो के शरीर एक ही मोशन में आगे पीछे हो रहे थे.
सोनिया की आँखे बंद थी....
सोनू ने थोड़ी हिम्मत अपनी तरफ से भी दिखाई और अपनी लंबी उंगलियों को फेलाकर उसने उसकी जाँघ को भी सहलाना शुरू कर दिया..
''आआआआआआआअहह ऐसे ही करो...सोनू..... धीरे-2 ...''
यानी की उसे भी कोई आपत्ति नही थी की वो उसकी जांघे सहला रहा है...
जैसे-2 सोनू की उंगलियाँ उपर जा रही थी, एक अजीब सी तपिश का एहसास हो रहा था उसे...
कमरे में इतनी गर्मी तो नही थी... पर वहां हाथ रखकर उसे गर्मी लग रही थी...
शायद इसलिए लड़कियों को हॉट कहा जाता है क्योंकि उनमे से इतनी गर्मी जो निकलती है.
धीरे-2 सोनू का हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर जाने लगा...
आज पता नही उसके अंदर ये हिम्मत कहा से आ रही थी, पर जो भी हो रहा था उससे सोनिया को बहुत मज़ा आ रहा था... उसकी तो मन की मुराद जैसे पूरी हो रही थी...
सोनू ने जब देखा की सोनिया ने तो अपनी आँखे बंद कर रखी है तो उसने उसकी स्कर्ट को पकड़ कर बिल्कुल उपर कर दिया... ये सोचकर की जब इतना हो ही चुका है तो सोनिया की पेंटी भी देख ली जाए...
पर ऐसा करने के बाद उसे लाइफ का सबसे बड़ा झटका लगा...
सोनिया ने पेंटी पहनी ही नही थी..
जैसे की उसकी आदत थी, सोते समय वो अंडरगार्मेंट्स उतार देती थी, आज भी ऐसा ही हुआ...
और सोनू के सामने थी सोनिया की नंगी चूत.
अपनी बहन की कच्ची चूत को देखकर वो हक्का बक्का सा रह गया...
सोनिया को भी ये एहसास हो चुका था की उसकी कुँवारी चूत से परदा उठ चुका है...
इसलिए उसने मुस्कुराते हुए अपनी आँखे खोल दी.
सोनिया : "क्या हुआ सोनू.... रुक क्यों गया .... करता रह ना, इतना मज़ा आ रहा था....''
जब गहरी साँसे लेते हुए सोनिया ने ये बात बोली तो सोनू समझ गया की वो जान चुकी है की सोनू ने उसकी सबसे कीमती चीज़ देख ली है....
इससे पहले की उसके मन में एक बार फिर से सिद्धांतो की लड़ाई शुरू हो, सोनू ने तुरंत अपने हाथों की थिरकन उसकी चिकनी जाँघ पर फिर से शुरू कर दी.
सोनिया ने आँखे फिर से बंद कर ली...
उसकी बंद आँखो के पीछे फिर से वही झरोखे वाला सीन दिखने लगा....
जिसमें सोनू उसकी फ्रेंड तनवी की चूत सहला रहा था....
फ़र्क सिर्फ़ ये था की इस वक़्त सोनिया को तनवी के बदले खुद का चेहरा दिखाई दे रहा था...
बिस्तर भी वही था.... सोनू भी वही था.... इसलिए तनवी भी वो खुद ही बन गयी.
उसने सोनू के हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर और ज़ोर से दबा दिया..... और फुसफुसाई : "कैसा लग रहा है ....''
सोनू : "ह्म्*म्म्म..... ठीक..... तुम्हे....?''
सोनिया ने जवाब मे उसके हाथ को थोड़ा और उपर खिसका दिया.....
और एक मादक सी अंगड़ाई लेती हुई वो पीछे की तरफ लूड़क गयी....
अब वो अपने बिस्तर पर लेटी हुई, अपनी नंगी चूत के दर्शन कराती हुई, सोनू के सामने पड़ी थी...
जैसे कह रही हो की 'आ जा मेरे भाई... कर ले अपने मन की इच्छा पूरी.... जो भी करना है... कर ले.... 'ये ग़लत नही है'....''
पर उसके मन की बाते भला वो कैसे सुनता....
हालाँकि वो समझ तो चुका था की सोनिया उसे खुला निमंत्रण दे रही है की उसकी चूत को पकड़ कर मसल दे, पर ऐसा करने में उसके हाथ काँप रहे थे....
तनवी के साथ हालाँकि उसने पहली बार किया था, पर वो काम उसने आसानी से कर दिया था....
सोनिया की चूत पर हाथ लगाने में उसे झिझक सी हो रही थी..
पर उसकी इस झिझक को सोनिया ने ही ख़त्म कर दिया....
उसने सोनू का हाथ पकड़ा और अपनी धधक रही चूत पर रख कर ज़ोर से दबा दिया....
दोनो भाई-बहन के मुँह से एकसाथ सिसकारी निकली.
सोनिया को तो ऐसा लगा की उसकी चूत से लावा निकल कर बाहर आ जाएगा....
और सोनू को उस लावे की गर्मी के एहसास ने झुलसा कर रख दिया....
सोनिया ने अपनी स्कर्ट को पूरा उपर खींच लिया... और अपनी छूट के उपर हाथ रखकर उसे मसलने लगी.... सोनू ने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी....
''आआआआआआआआआआहह ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....''
ये ठंडी सिसकारी इस बात का संकेत था की सोनिया को अपनी चूत में भाई की उंगली का एहसास बहुत अच्छा लगा है....
बस फिर क्या था, भाई ने एक और उंगल डाल दी अंदर....
ऐसा लग रहा था की उस छोटी सी चूत में वो दोनो उंगलियाँ जाकर फँस गयी है....
पर अंदर से निकल रहे लुब्रीकेट ने वो घिसाई का काम आसान कर दिया...
और जल्द ही वो उसकी चूत में तेज़ी से उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगा.....
सोनिया ने उपर वाले हिस्से को संभाल रखा था और सोनू ने अंदर वाले को.
और जल्द ही वो लावा बाहर निकल आया जो काफ़ी देर से उसके अंदर उबल रहा था
सोनिया के लिए ये एहसास ही बहुत था की आज लाइफ मे पहली बार उसकी चूत को किसी ने टच किया है...
और वो उसका खुद का सगा भाई है...
इसी बात ने उसके अंदर एक जबरदस्त ऑर्गॅज़म को बनाकर बाहर धकेल दिया....
और सोनू के हाथ उसकी चूत से निकले नारियल पानी से सन गये.
''आआआआआआआआअहह ओफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सोनू....... उम्म्म्मममममममममममम.....''
उसने उपर उठते हुए सोनू को अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया....
बड़ा अजीब सा एंगल बना हुआ था....
वो उसकी गोद में अधलेटी हुई सी उसके सीने से लगी हुई गहरी साँसे ले रही थी...
सोनू का हाथ अभी तक उसकी चूत पर ही था.....
और दूसरा हाथ उसकी पीठ सहला रहा था.
रोज रात को एक दूसरे के साथ मास्टरबेट करने वाले दोनो भाई बहन एक दूसरे से लिपटे हुए थे....
वो एक कदम और आगे बढ़ चुके थे.
सोनू सोच ही रहा था की कैसे अपना हाथ निकालकर वहां से उठे और अपने बेड पर जाए की तभी उसे एहसास हुआ की सोनिया का हाथ उसकी जाँघो से होता हुआ उसके लंड के ठीक उपर आकर रुक गया...
सोनू ने एकदम से अपनी गले लगी बहन को थोड़ा पीछे किया और उसके चेहरे को फटी आँखो से देखने लगा...
पर उसके मुँह से कुछ निकला ही नही...
सोनिया उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से बोली : "अब मेरी बारी....''
सोनिया ने जैसे ही उसके लंड पर कब्जा किया, सोनू जैसे नींद से जागा...
उसने सोनिया के हाथ पर हाथ रखकर उसे वहीं रोक दिया.
दोनो की नज़रे मिली
सोनू बोला : "नही दी.... ये मत करो...''
सोनिया ने उसकी भाषा का प्रयोग करते हुए कटाक्ष किया : "क्यो ?? ये ग़लत है, इसलिए !!''
सोनू : "उम्म..... हाँ .....''
सोनिया का चेहरा तमतमा गया....
सोनू को पता था की जब भी उसकी बहन इस रूप में आती थी तो उसे रोकना मुश्किल हो जाता था.
वो बोली : "अभी कुछ देर पहले जो तूने किया.... यहाँ ...मेरी पुस्सी में हाथ डाला...वो ग़लत नही था.... अब मेरी बारी आई तो फिर से अपने घिसे पिटे सीधांतो पर आ गया...''
सोनू जानता था की उसके तर्को का जवाब वो नही दे पाएगा.
पर फिर भी उसने कोशिश की..
और बोलना शुरू किया : "दी, आज शाम को जो मेरे और तनवी के बीच चल रहा था,वो यहाँ भी हो, ये मैं नही चाहता......एक बात तो मैं समझ ही चुका हूँ की इस खेल में उतरने के बाद मेरा खुद पर कंट्रोल नही रहता... मेरा क्या शायद किसी का भी नही रहता... तनवी को भी अपने पर कंट्रोल नही था.... और शायद आप भी नही रख पाएँगी.... ये से....सैक्स का खेल है ही ऐसा मजेदार...और इसलिए मैं डर रहा हूँ की अपनी बहन के साथ शुरू हुए इस नये रिश्ते में बहकर मैं ऐसा कुछ ग़लत काम ना कर दूँ जो मुझे नही करना चाहिए...''
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