Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:49 AM,
#74
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
अनिल ने अपना मोबाइल चेक किया तो देख कर दंग रह गया और जोर से चिल्लाया; "पिताजी!!! जीजू ने फ्लाइट की टिकट्स बुक करा दी हैं!" ये सुन कर तो मैं भी चौंक गई... उस कमरे में बैठा हर कोई चौंक गया सिवाय इनके जो मंद-मंद मुस्कुराये जा रहे थे! बड़की अम्मा बोलीं; "मुन्ना ये क्या?"
"अम्मा.... माँ-पिताजी को तो हवाई यात्रा करा दी, अब बारी थी मेरी बड़ी माँ की और सास-ससुर की| अब ऐसा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा?” इन्होने मुस्कुराते हुए कहा| अम्मा ने पिताजी (मेरे ससुर जी) की तरफ देखा ओ पिताजी बोले; "हभी.... आप ही का लड़का है ... अब मैं कैसे इसे मना करूँ! जो काम बाप ना कर सका वो बेटे ने कर दिया! शाबाश!"
"अरे समधी जी, हवाई जहाज की टिकट तो बहुत महंगी होती है!" मेरे पिताजी ने कहा|
"पर पिताजी आप सबसे महंगी तो नहीं?" इन्होने अपना तर्क दिया| सब ने बहुत कोशिश की पर ये टस से मस नहीं हुए| आखिर कर सब को फ्लाइट से ही जाना पड़ा| सब बहुत खुश थे .... बहुत-बहुत खुश| शायद ही मैंने कभी ऐसी ख़ुशी एक साथ सब के चेहरे पर देखि हो!
आज रात बड़की अम्मा और अजय यहीं ठहरने वाले थे.... सब के सोने का प्रबंध किसी तरह हो गया था| आयुष और नेहा आज सब के साथ सोये थे और finally हम दोनों आज रात अकेले थे| मैंने झट से दवाजा लॉक किया| आखिर वो पल आ ही गया जिसका मुझे बेसब्री से इन्तेजार था!
अब आगे......
जैसे ही मैं दरवाजा लॉक कर के पलटी तो ये बाथरूम से निकल रहे थे| पता नहीं मुझे क्या हुआ मैं इनकी तरफ बढ़ी और जा कर इनके गले लग गई| वो प्यास जो मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी मुझ पर हावी हो चुकी थी|इन्होने मुझे कस के गले लगा लिया ... वो इनके बाजुओं की ताकत वो एहसास..... इनके जिस्म की वो तपिश जो मुझे जला के राख कर देना चाहती थी.....और मैं खुद इस अग्नि के लिए मरी जा रही थी....
"finally ..... " बस इतना ही कह पाई| कुछ देर के लिए मैं सब भूल चुकी थी... बस उनकी बाहों में ही सिमटी रहना चाहती थी! जब एहसास हुआ की ये अभी तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं तो मैंने इनसे अलग होना चाहा पर इन्होने मुझे अपनी गिरफ्त से आजाद नहीं किया बल्कि और जोर से भींच लिया! अगले पल इन्होने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और पलंग पर ला कर लिटा दिया| मैं जानती थी की इनका शरीर अभी भी कमजोर है पता नहीं कैसे इनमें इतनी ताकत आ गई थी! मेरे चेहरे पर चिंता की रेखाएं इन्होने देख ली और मुस्कुराते हुए बोले; "जान मुझे कुछ नहीं हुआ|" इतना कह कर ये bedpost का सहारा ले कर बैठ गए और मैं इनके कंधे पर सर रख कर बैठ गई|
"तुम्हें पता है, जब मुझे होश आया तो ये आँखें खुल ही नहीं रहीं थीं... लग रहा था की मैं तुम्हें कभी देख ही नहीं पाउँगा! बस तुम्हारे हाथ का वो स्पर्श मुझे महसूस हुआ.... फिर तुम्हारी आवाज सुनाई दी.... दिल को थोड़ा सकूँ मिला की कम से कम तुम मेरे पास तो हो! अपनी जिस्म की पूरी ताकत झोंक कर मैंने आँखें खोलीं और तुम्हें देख कर लगा जैसे सालों बाद तुम्हें देख रहा हूँ! वो तड़प..... मैं बयान नहीं कर सकता!"
"श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श...." मैंने उनके होंठों पर ऊँगली रख कर न्हें खामोश कर दिया| मैं उनके वो दुःख भरे लम्हे उन्हें फिर से याद नहीं दिलाना चाहती थी|
"मुझे आपको thank you कहना था!"
"thank you? किस लिए?" उन्होंने पूछा|
"आपने मुझे मेरी खोई हुई इज्जत...मान-सम्मान वापस दिलाया| आज मेरे पिताजी मुझे जब देख रहे थे तो उन्हें वही गर्व महसूस हो रहा था, जो पहले होता था| माँ ने मुझे आशीर्वाद दिया तो उसी प्यार के साथ जैसे पहले दिया करती थी| अनिल मुझे फिर से 'दीदी' कहने लगा और नेहा की आँखों मुझे वही माँ वाला प्यार नजर आता है! सब आपकी वजह से....."
"मैंने कुछ भी नहीं किया! गलती तुम्हारी थी जो तुमने मेरी गलतियाँ छुपाने के लिए खुद को ढाल बना दिया| यार आपने मुझे जो मेल भेजा था उसे मैंने पढ़ा ... सच कहूँ मुझे उस दिन आपके असली जज्बात का अंदाजा हुआ.... इसके बारे में आपसे बात करनी चाही पर आप नाराज थे....फिर उस दिन सुबह आपके दुःख और तकलीफ को महसूस कर मैं खुद को कोसता रहा की मन अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर सका....अपने बच्चों की देख-रेख नहीं कर सकता...... काश मैंने उसे उस दिन जान से मार दिया होता तो ये दिन नहीं देखना पड़ता!"
"अगर आप उसके गंदे खून से अपने हाथ गंदे कर लेते तो मेरा क्या होता? बच्चों का क्या होता? आप तो हम से दूर हो जाते... कैसे जीते हम सब आपके बिना? मैं जानती हूँ की आप मुझसे इतना प्यार करते हो की मेरी गलती कभी नहीं मानोगे.... देखा जाए तो सब मेरी गलती थी...." मेरे आगे बोलने से पहले इन्होने मेरी बात काटी; "बिलकुल नहीं...." पर इस बार मैंने इनकी एक नहीं चलने दी| मुझे इन्हें एहसास कराना था की गलती मेरी थी ना की इनकी| इन्होने तो मेरे लिए कितना कुछ किया.....
"आज आपको मेरी बात सुन्नी ही होगी.... आप को लगता है की गलती आपकी है पर ऐसा कतई नहीं है| मेरी सबसे बड़ी गलती की मैंने आपसे अपना गम छुपाया ...आपसे .... अपने पति परमेश्वर से! जिसे मैं इतना प्यार करती हूँ.... जो मेरे लिए अपनी जान देने से भी नहीं चुकेगा उससे मैंने अपने दिल का हाल छुपाया| अगर मैं गलत नहीं तो .... आपको मेरे दिल की हालत का अंदाजा था| आप जानते थे की मैं अंदर से कैसा महसूस कर रही हूँ पर फिर भी आपने हार नहीं मानी...मुझे हँसाने-बुलाने की कोशिश करते रहे| पर एक मैं ही थी जो खुद को आपसे अलग कर बैठी थी वो भी सिर्फ इसलिए की ये सब मेरी गलती थी| जो की सच है.... मेरी ख़ुशी के लिए आप ये देश छोड़ के बाहर सेटल होना चाहते थे ... सिर्फ मेरे लिए! अपने माँ-पिताजी से भी अलग होने को तैयार हो गए...सिर्फ मेरे लिए! इससे बड़ी क़ुरबानी की मैं आपसे उम्मीद नहीं कर सकती| मुझे बिना बताये आप मेरे परिवार की मदद करते रहे ... आपको पता है पिताजी आपको अपने सभी बच्चों से ज्यादा प्यार करते हैं और ये मेरे लिए कितनी गर्व की बात है| जहाँ कुछ महीने पहले उन्हें इस रिश्ते से चिड़ थी वहीँ आज वो आपको इतना मान-सम्मान देते हैं| फिर भी धिक्कार है मुझ पर जो मैंने आपसे इस तरह बोलना-चालना बंद कर दिया| नेहा ने सही कहा था... I don’t deserve you! ………… im sorry…. ना मैं वो सब लिखती और ना ही आपकी ये हालत होती|” मेरे मन में अभी तक जो बात दबी हुई थी वो आज सब फुट कर बाहर आ गई थी और साथ ही मेरे आँसूं भी बह निकले थे| उन्होंने कुछ कहा नहीं बस मुझे कस कर अपने सीने से लगा लिया और मैं उनके सीने में सर रखे बैठी रही| मेरे आँसूं थम चुके थे... अंदर जितनी भी ग्लानि थी वो अब नहीं थी| कुछ देर बाद वो बोले; "जानू.... I LOVE YOU!" इतने समय बाद इनके मुँह से ये सुन कर अच्छा लगा ... मन प्रसन्न हो गया| "गलती दोनों की थी... okay? matter finish!" कितनी आसानी से उन्होंने मेरे साड़ी गलतियाँ अपने साथ बाँट ली थीं| सच! मुझे लगता है की मैं कभी इन्हें समझ ही नहीं पाऊँगी! अब नींद दोनों को ही आ रही थी.... पर मैं आज का मौका गँवाना नहीं चाहती थी| ये पीठ के बल लेते थे, मैंने इनके दहीं हाथ को सीधा किया और उसे अपना तकिया बनाते हुए इनसे लिपट गई| इन्होने दोनों के ऊपर रजाई डाली और फिर मेरी तरफ करवट ले कर लेट गए| इनके होंठ मेरे मस्तक को छू रहे थे और मैं वो तपिश अपने मस्तक पर महसूस कर पा रही थी| सच एक अरसे बाद हम इस तरह सो रहे थे! रात को करीब तीन बजे मैंने एक भयानक सपना देखा...जिसके बारे में लिखने में भी मुझे दर लगा रहा है और मैं बुरी तरह घबरा गई और चौंक कर उठ गई| मेरे साथ-साथ इनकी भी आँख खुल गई और इन्हें पता चला गया की मैंने कोई भयानक सपना देखा है| ये बोले; "hey ... मैं यहीं हूँ... !" और मैं फिर से इनके सीने से आ लगी और आँख से आँसूं बह निकले| इन्होने मेरे आँसूं पोछे और मुझे इतना कस के अपने सीने से लगाया की मुझे इनकी और इन्हें मेरे दिल की जोरदार धड़कन सुनाई देने लगी थी| हम फिर से लेट गए पर नींद नहीं आ रही थी…. ना मुझे और ना इन्हें ....
करीब एक घंटे बाद दरवाजे पर दस्तक हुई..... पहले तो हम दोनों डर गए क्योंकि इतनी देर रात दस्तक होना किसी अच्छी चीज की निशानी तो नहीं थी| मैं उठने लगी तो इन्होने मुझे रोक दिया और खुद दरवाजा खोला| दरवाजा खोलते ही नेहा आकर इनके पैरों में लिपट गई और रोने लगी| उसे रोता देख मैं भी झट से उठ गई और तब तक इन्होने उसे गोद में उठा लिया था और उसे पुचकारने लगे| "awwwwww मेरा बच्चा क्या हुआ? फिर से बुरा सपना देखा?.... बस...बस... रोते नहीं... बस.... पापा हैं ना यहाँ|" ये उसे गोद में ले कर घूमने लगे जैसे किसी नन्हें बच्चे को चुप कराया जाता है| मेरी नजर दुबारा दरवाजे पर गई तो देखा मेरी माँ कड़ी थीं और इन्हें इस तरह नेहा को पुचकारता हुआ देख हँस रही थीं| "अब समझ आया की नेहा मानु बेटे से इतना प्यार क्यों करती है! खेर माफ़ करना बेटा पर अचानक से नेहा चौंक कर उठ गई और पापा का कर रोने लगी| तुमने अभी तक किसिस डॉक्टर को इसे नहीं दिखाया?"
मैंने जवाब देने के लिए मुँह खोला ही था की ये बोल पड़े; "नहीं माँ...नेहा को कोई बीमारी नहीं है| वो बस मुझसे बहुत प्यार करती है ना की उसे मेरे बिना नींद नहीं आती|" पता नहीं कैसे पर एह की आँख लग गई थी या कम से कम हमें तो यही लगा था|
"पर बेटे...अभी तुम जवान हो.... और अगर इस तरह ये तुम दोनों से....मतलब.... तुम दोनों को नही तो कुछ समय मिलना चाहिए?" माँ ने कहा और मेरी तरह आप लोग भी उनकी बात समझ ही गए होंगे| हम दोनों के पास इसका कोई जवाब नहीं था और हम दोनों बस एक दूसरे की ओर देख रहे थे.... थोड़ा awkward moment था .... तभी माँ को भी हमारी दशा समझ आ गई और वो बोलीं; "अच्छा बेटा ... नेहा तो सो गई ... अब आप दोनों भी सो जाओ|" और इतना कह कर माँ चली गईं| मैंने दरवाजा बंद किया और देखा तो ये पीठ के बल सीधा लेटे हुए थे ओर नेहा इनकी छाती पर चिपकी हुई थी| मेरे लिए इन्होने अपनी दायीं बाह को खोल रखा था ताकि मैं उसे अपना तकिया बना के लेट जाऊँ| इसलिए मैं भी बिस्तर में घुसी और उनके biceps को अपना तकिया बना कर इनसे लिपट गई| मेरा डायन हाथ नेहा की पीठ पर था और मैं उसे सहला रही थी| करीब आधे घंटे बाद दोनों की आँख लग गई|
सुबह ग्यारह बजे सबकी फ्लाइट थी तो मैं करीब पाँच बजे उठ गई और नहा धो कर रसोई में पहुँच गई| आज ठण्ड ज्यादा थी और रात भर मेरी और नेहा की वजह से इनकी नींद पूरी नहीं हुई थी इसलिए सबब बैठक में बैठे थे और सब वहीँ चाय पी रहे थे| सात बजे करीब नेहा उठ कर बाहर आई तो मुझे लगा की अब ये भी उठ गए होंगे| इसलिए मैं अपनी और इनकी चाय ले कर कमरे में आ गई और मेरे पीछे-पीछे बड़की अम्मा भी आ गईं| उनके हाथ में एक झोला था और चेहरे पर मुस्कान| "बेटा.... तूने मेरी कोख से जनम क्यों नहीं लिया?" ये कहते हुए अम्मा ने इनके सर पर हाथ रख दिया|
"अम्मा.... सिर्फ जन्म लेने से कोई बेटा बन जाता है?" इन्होने जवाब दिया|
"हम्म.... मेरे बच्चे जिन्होंने मुझे कभी रेल से यात्रा नहीं कराई और तू मुझे हवाई जहाज से यात्रा करा रहा है! जुग-जुग जिओ ... दूधो नहाओ पुतो फलों!" अम्मा ने इन्हें आशीर्वाद दिया|
"अच्छा अम्मा...एक बात थी! बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?" इन्होने जिझकते हुए कहा|
"पूछ बेटा|"
"अम्मा जब आप आये थे उस इन आप आयुष से तो गले मिल लिए थे पर आपका ध्यान नेहा पर नहीं गया....वो बेचारी आपके पाँव छू कर ही रह गई| मैं जानता हूँ आप उसे भी प्यार करते हो पर....." इन्होने बात पूरी नहीं की|
"नेहा....बेटी इधर तो आ|" अम्मा ने नेहा को आवाज लगाईं| नेहा सामने आ कर खड़ी हो गई| अम्मा ने अपना हाथ झोले में डाला और गुलाबी कागज में बंधा हुआ कुछ निकला और उसे खोलने लगी| जब उन्होंने उसे खोला तो उसमें चाँदी की पायल निकली| बहुत खूबसूरत थी....
उन्होंने वो पायल नेहा को दी और उसका माथा चूम कर बोलीं; "ये मेरी बेटी के लिए.... वैसे ये थी तो तेरी माँ के लिए पर उससे ज्यादा तेरे पाँव पर जचेगी! और मुझे माफ़ कर दे बेटी उस दिन मैं ने सच में तुझ पर ध्यान नहीं दिया| तेरे पापा की तबियत के बारे में सुन कर मैं बहुत परेशान थी... सॉरी (sorry)!"
नेहा ये सुनते ही अम्मा से लिपट गई और बोली; "सॉरी नहीं sorry ... और अम्मा माँ ने मुझे समझा दिया था... its okay!" पता नहीं अम्मा को क्या समझ आया पर उन्होंने फिर से लड़खड़ाते हुए कहा; "टहंक ऊ" ये सं कर हम सब की हँसी छूट गई और नेहा ने उन्हें फिर से बताया की; "अम्मा thank you होता है!" ये सुन का र अम्मा के मुंह पर बी मुस्कान आ गई| खेर सब क जाने का समय नजदीक आ रहा था| पिताजी (ससुर जी) ने Innova taxi मँगवाई थी और वे खुद सबको छोड़ने T3 जा रहे थे| मेरे लाख मन करने पर भी ये उठ के बहार बैठक में आ गए और सभी के पाँव छुए और उन्हें विदा किया| सबने जाते हुए इन्हें बहुत-बहुत आशीर्वाद दिए| सबके जाने के बाद घर में बस मैं, माँ, नेहा और ये ही रह गए थे| जैसे ही ये अपने कमरे में आये इन्हें sinus का अटैक शुरू हो गया!
Reply


Messages In This Thread
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:49 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,600,740 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 555,556 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,276,274 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 964,469 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,709,749 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,127,977 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,033,517 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,342,483 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,126,569 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 294,573 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)