Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:47 AM,
#62
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
आयुष के स्कूल की छुट्टी होने वाली थी इसलिए मैंने सोचा की माँ को क्यों तकलीफ देनी तो मैं ही तैयार होक आई और नेहा को उनके पास बैठा के स्कूल चली गई और आयुष को लेके वापस हॉस्पिटल आ गई| कैंटीन से सैंडविच ला कर हम चारों ने खाए| शाम को सात बजे में पिताजी और अनिल लौटे; "बहु बेटा... तेरा भाई तो बहुत तेज है! आज तो इसने पाँच हजार का फायदा करा दिया| मुझे नहीं पता था की मानु contracts समय से पहले करने पर extra commission लेता था? वो तो अनिल था जिसने मानु की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पढ़ी थी और उसे ये clause पता था! खेर मैंने इसे सारा काम समझा दिया है संतोष से मिलवा दिया है औरकल से ये उसके साथ coordinate करेगा|" अपने भाई की तारीफ सुन के मेरा मस्तक गर्व ऊँचा हो गया|
"चलो भाई..अब सब क्या यहीं डेरा डाले रहोगे? घर जाके खाना-वाना नही बनाना? और आयुष बेटा आपने होमवर्क किया या नहीं? यहाँ तो माँ-बेटी रहने वाले हैं!"
"दादा जी... मैंने आयुष का होमवर्क करा दिया है और मैं भी आपके साथ चलूँगी| मुझे कल स्कूल जाना है|" नेहा की बात सुनके पिताजी मुस्कुराये और उसके सर पे हाथ फिरके बोले; "बेटा अपने से बड़ों से हमेशा तमीज़ से बात करते हैं वरना लोगों को लगेगा का आपके मम्मी-पापा ने आपको अच्छे संस्कार नही दिए|"
"सॉरी दादा जी...आगे से ऐसी गलती कभी नही होगी|"
"बिलकुल अपने पापा की तरह...अपनी गलती हमेशा मान जाता था और दुबारा कभी वो गलती नही दोहराता था| खेर...चलो घर चलते हैं और हाँ बहु अनिल तुम्हारा खाना लेके आजायेगा| अपना ख़याल रखना ...|" इतना कह के सब चले गए और finally मैं और ये (मेरे पति) अकेले रह गए| मैं इनके पास स्टूल ले जा के बैठ गई..इनका हाथ अपने हाथों में लिए कुछ पुराने पलों को याद करने लगी और मेरी आँखें भीग गईं|
अब आगे............
मुझे एहसास होने लगा जैसे हम दोनों एक बहुत ही शांत से बगीचे में चल रहे हैं| इन्होने मेरा हाथ थामा हुआ है ...शाम का समय है...ठंडी-ठंडी हवा इनके मस्तक छू रही है .... हम दोनों के चेहरों पे मुस्कराहट है... चैन है...सुकून है.... पर तभी अनिल की आवाज कान में पड़ते ही सब उड़न-छू हो गया! दरअसल मेरी आँख लग गई थी! वो मेरे लिए खाना लाया था.... सच कहूँ तो मैं सिर्फ और सिर्फ इनके लिए खा रही थी| मैं ये नहीं चाहती थी की मेरा बेड भी इनकी बगल में लग जाए! अनिल ने बताया की कल सुबह छः बजे माँ-पिताजी आनंद विहार बस अड्डे पहुँच जायेंगे| "दीदी आप घर चले जाओ...मैं यहाँ रूकता हूँ| आप प्रेग्नेंट हो...थोड़ा अपना ख़याल भी रखो! मैं हूँ ना यहाँ...फिर चिंता क्यों करते हो?"
"बेटा.... मेरा यहाँ रहना बहुत जर्रुरी है... ये सब मेरी वजह से हुआ है ना...तो मुझे ही......." आगे कुह बोलने से पहले पिताजी का फ़ोन आ गया और उन्होंने अनिल को किसी पार्टी से मिलने को कहा जो अभी पेमेंट करने वाली थी| रात के दस बजे थे और उस पार्टी को बाहर जाना था| चूँकि वो लोग जानते थे की इनकी (मेरे पति) की तबियत ठीक नहीं है इसलिए वो जल्दी पेमेंट कर रहे थे| अनिल जल्दी-जल्दी निकल गया और एक बार हम दोनों हम उस कमरे में अकेले रह गए| इनका हाथ थामे हुए कब नींद आ गई पता ही नहीं चला| आँख तब खुली जब नर्से इन्हें चेक करने आई...घडी में बारह बजे थे| उस नर्स का नाम "राजी" था| पिछले दो दिन से वही इन्हें चेक करने आ रही थी| केरल की रहने वाली थी... ईसाई थी... और उसी ने इनके सर में स्वेल्लिंग देखि थी.... खेर आज दो दिन बाद उसने मुझसे बात की; "आप इनका wife है ना?"
मैंने हाँ में सर हिलाया| दरअसल उसकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं थी|
“He’s a very luky man! मैं देख रहा है की आप दो दिन से यहीं हैं... इनका बहुत care कर रहा हैं|”
मैंने ना में सर हिलाया और मुसकुरते हुए कहा; "नहीं... मैं बहुत lucky हूँ की ये मेरे husband हैं|"
वो मुस्कुराई और बोली; "ओह! ऐसा है! डॉक्टर सरिता ने बोला की आप प्रेग्नेंट हो... इसलिए आपका B.P. भी चेक करने को बोला|” मैंने हाँ में सर हिला के अनुमति दी| मेरा B.P. चेक करते हुए वो फिर बोली; "आपको अपना care करना चाहिए...आपका husband की care के लिए आपके in-laws हैं|"
"हैं तो... पर सबसे ज्यादा मैं इन्हें प्यार करती हूँ| इसलिए मेरा यहाँ रहना बहुत जर्रुरी है| ऐसा नहीं है की मेरे in-laws को मेरी कोई फ़िक्र नहीं, उन्होंने ने तो मुझे आराम करने को बोला था पर मैं बहुत जिद्दी हूँ...इसलिए उन्होंने मुझे यहाँ 24 hrs रहने की परमिशन दी!"
राजी मुस्कुराई और चली गई| ये तक नहीं बोली की मेरा B.P. कैसा है??? उसके जाने के बाद मैंने दवाजा लॉक किया और वापस स्टूल पे बैठ गई और इनका हाथ थामे मुझे नींद आ गई| सुबह पांह बजे नींद खुली...एक बार इन्हें चेक किया ...वाशरूम गई और वापस आ कर दरवाजा अनलॉक किया और फिर से स्टूल पे बैठ गई| अगले 15 मिनट में आँख फिर से लग गई...और जब आँख खुली तो सामने मेरी माँ खड़ी थी| मैं उनकी कमर पे हाथ डाल के उनसे लिपट गई और मेरे आँसूं निकल पड़े| "बेटी ये सब कैसे हुआ?" पिताजी ने मुझसे सवाल पूछा...और मैंने रोते-रोते उन्हें सारी बात बताई|
"सब मेरी गलती है पिताजी, चन्दर वाले हादसे के बाद मैंने खुद को इनसे काट लिया था| मेरी वजह से घर पे इतनी सारी मुसीबतें आईं.... इतना बवाल हुआ...इसलिए मैं अपना दुःख इनसे छुपाने लगी| कुछ बोलने से डर्टी की कहीं इनको चोट न पहुँचा दूँ...इनका दिल न तोड़ दूँ! और दूसरी तरफ ये जी तोड़ कोशिश करते रहे की मैं पहले की तरह हो जाऊँ... हँसूँ.... बोलूं.... और मैं ना चाहते हुए भी इन्हें दुःख देती गई ...तकलीफ देती गई.... मुझे बार-बार ये डर सता रहा था की मैं आयुष को खो दूँगी... और मुझे इस डर से बाहर निकालने के लिए इन्होने दुबई जा के settle होने का plan बना लिया| इस बात से मुझे इतना गुस्सा आया की मैंने इन से बात करनी बंद कर दी.... इनको मेरी इस हरकत से इतना दुःख हुआ की इन्होने खाना-पीना छोड़ दिया...दिन-रात बस साइट पे रहते थे...जरा भी आराम नही किया...दवाइयाँ तक लेनी बंद कर दी...और नतीजन उस दिन इन्हें हक्कर आया और जब ये गिरे तो इनके सर में छोट आई...जिससे ये कोमा में चले गयी....मुझे माफ़ कर दीजिये पिताजी...प्लीज!" मैं रोती रही और पिताजी..माँ ..अनिल सब खड़े सुनते रहे|
पिताजी ने जोर से अपना सर पीट लिया और मुझ पर बरस पड़े; "पागल हो गई है क्या? तू उससे अपन दर्द छुपा रही थी? अपने पति से? ...... तुझे पता है ना वो तुझसे कितना प्यार करता है? तेरे लिए सबसे लड्ड चूका है? मैं पूछता हूँ उसने क्या गलत कर दिया? तेरी ख़ुशी ही तो चाही थी? हे भगवान!!! जिस इंसान से हमारा दर्द ना छुपा तू उससे अपना दर्द छुपा रही थी!" ये सुन के मैं थोड़ा हैरान हुई....और आगे की बात सुनके मेरे होश उड़ गए; "जब मानु बेटा पंचायत क काम से गांव आया था तब वापसी में हम से मिल के गया था| वो तो बस हुमा लोगों का हाल-छाल पूछने आया था और मेरी परेशानी देख उसने मुझसे बहुत जोर देके कारन पूछा तो मैंने उसे सब बता दिया| ”
दरअसल अनिल को MBA कराने के लिए पिताजी को अपनी ज़मीन और घर गिरवी रख के बैंक से लोन लेना पड़ा था| बैंक ने घर और ज़मीन की value बहुत कम लगाईं थी इस कारन हमें सिर्फ 3.5 लाख ही लोन मिला बाकी का 1.5 लाख कम पड़ रहा था| हमारी दूसरी ज़मीन से घर का गुजर-बसर हो जाय करता था बस! पिताजी की उम्मीद थी की MBA के बाद अनिल को अच्छी नौकरी मिल जायेगी और वो धीरे-धीरे कर के लोन की किश्त उतारता जायेगा| पर ऐसा ना हो सका..... financially हमारे घर की हालत बहुत कमजोर हो गई थी और बैंक को अपना पिसा डूबता नजर आया तो उसने पिताजी को नोटिस भेज दिया...... सच पूछो तो मैं अपनी इस नई जिंदगी में इस कदर डूब गई की मैं ये बात भूल ही गई थी...और मुझे ये तब याद आया जब आज पिताजी ने ये बात दोहराई!
" जब मानु को ये बात पता चली तो उसने बिना कुछ सोचे मुझे दस लाख का चेक फाड़ के दे दिया..... और बस इतना कहा की संगीता को कुछ मत बताना| " ये सुन के मेरे चेहरे पे हवाइयां उड़ने लगीं...क्योंकि मुझे इन्होने कुछ नहीं बताया था| "हाँ...तूने सही सुना...तेरे पति ने...जबकि तुझे तो शायद याद ही नहीं होगा की तेरा बाप कर्जे तले दबा हुआ है! पर मैंने आजतक तुझसे कुछ शिकायत नही की.... पर आज तूने एक देवता सामान इंसान को इस कदर दुखी किया की आज उसकी ये हालत हो गई! और तुझे अगर इतनी ही तकलीफ थी तो क्यों शादी की? ..क्यों मानु की और अपने सास-ससुर की जिंदगी में जहर घोल दिया?क्या तुझे पता नहीं था की जो कदम तू उठाने के लिए उसे मजबूर कर रही है उसका अंजाम क्या होगा? उसने बिना पूछे बिना कहे हर मोड़ पे हमारे परिवार की मदद की...सिर्फ इसलिए की वो तुझे खुश देखना चाहता था और तू....तू उसका मन रखने के लिए खुश होने का दिखावा तक ना कर सकी? मैं पूछता हूँ उसने कौन सा तुझसे सोना-चांदी माँगा था जो तू दे ना पाई? ………. उसके बहुत एहसान हैं हम पर...जिन्हें मैं कभी नही उतार सकता| दिल को लगता था की कम से कम तुझे पा कर वो खुश है...पर तूने तो उससे वो ख़ुशी भी छीन ली! .मुझे शर्म आती है तुझे अपनी बेटी कहते हुए! " ये सब सुनने के बाद मेरे पाँव तले की जमीन खिसक चुकी थी...और मुझे खुद से घिन्न आने लगी थी....नफरत हो गई थी खुद से.... मन इस कदर कचोटने लगा की अगर मैं मर जाती तो अच्छा था!
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:47 AM

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