RE: Chodan Kahani नीता की खुजली
आख़िर शादी से कुच्छ दिन पहले अकेले मे नीता जीतू से बोली ?जीतू ! मेरी
शादी के बाद मा का ख़याल रखना?. जीतू बोला ?आप बिल्कुल्ल फिकर ना करो.
मैं मा का हर तरह से ख़याल रखूँगा?. ?सिर्फ़ वैसे ही नही, हर तरह से?कहते हुए नीता ने उसे आँख मारी. ?मतलब?? कहते हुए जीतू हड़बड़ाया. ?मुझे सब पता है. दोपहर और रात का खेल मैं देख चुकी हूँ. मा को मत बताना.? नीता की ये बात सुनते ही जीतू लाल लाल हो गया और शर्मा कर भाग गया.इसी तरह वक़्त बीत गया और नीता की एक दिन शादी हो गयी.शादी की रात उसके पति रमेश ने उसकी सील तोड़ी. नीता ने बहुत कुच्छ देख लिया था. उसकी चूत पूरी तरह तय्यार थी लंड खाने के लिए. उसका पति रमेश हर रोज रात को उसको दो तीन बार चोद लेता था. नीता भी गंद उच्छाल उच्छाल कर अब चुदवाती. मौका मिलता तो दिन मे भी रमेश उसकी ले लेता.लेकिन दो तीन महीने बाद नीता थोड़ी बोर होने लगी. रमेश वेराइटी वाली चुदाई नही करता था जो उसकी मा और भाई करते थे. कभी कभी उसका मन करता अपने भाई के पास जा कर चुदवा ले?..
घर मे नौकरानी लता के होने के कारण उस को ज़्यादा काम नही करना पड़ता था इसलिए अपने कमरे मे ही ज़्यादा रहती थी. एक दिन जब उसकी सास मंदिर गई तो वो बाहर कमरे मे आ गई. ?लता ! पानी देना? उसने आवाज़ लगाई. लेकिन लता का कोई जवाब नही आया. वो किचन मे गई देखने पर उसे वहाँ कोई नही मिला. वो जैसे ही वापस मूडी लता अंदर आ गई. ?कहाँ थी?? नीता ने पुछा तो वो बोली ?टेरेस पे गई थी.?
कुच्छ दिन बाद फिर ऐसा ही हुआ. तब नीता को शॅक हुआ. वो एक दिन अपने कमरे का दरवाजा थोड़ा खोल कर इंतेजार करने लगी. लता किचन से निकली और उसके दरवाजे की तरफ देखने लगी. थोड़ा खुला देख कर वो दूसरी तरफ गई और कुच्छ सेकेंड बाद वापस किचन मे चली गई.
अगले दिन नीता ने दरवाजा बंद रखा पर कीहोल से देखती रही. लता धीरे से निकली और चली गई. नीता कुच्छ मिनिट के बाद धीरे से बाहर आई. धीरे धीरे घर मे उसे ढूँडने लगी. अचानक उसे कुच्छ आवाज़ आई अपने ससुर के कमरे से. वो डरते डरते गई और कीहोले से देखने लगी. अंदर का द्रश्य देख कर उसके होश उड़ गये. उसके ससुर खड़े थे और लता उनका लंड चूस रही थी.
फिर जब उनका लंड पूरी तरह तय्यार हो गया लता ने अपनी सारी उपर की और टेबल
का सहारा ले कर खड़ी हो गई. ससुर ने अपना मोटा लॉडा उसकी चूत मे पेल दिया
और धक्के मारने लगे. वो काफ़ी देर तक देखती रही और कब उसकी चूत से पानी टपकने लगा उसे पता ही नही चला. इतना तो उसे समझ आ गया था कि उसके ससुर
बड़ी देर तक चोद्ते थे. शायद तब तक जब तक लड़की दो तीन बार पनिया ना जाए?.फिर तो रोज वो चुपके चुपके उनकी चुदाई का खेल देखने लगी. सासूमा मंदिर जाती और लता ससुर के कमरे मे?..अब उसको अपनी चुदाई से बोरियत और बढ़ने लगी. कई बार कोशिश की पर रमेश सीधी चुदाई से ही खुश था.
अब वो अपने ससुर के लौदे को अलग नज़रों से देखती थी. जब चान्स मिलता पाजामा मे क़ैद उनके लंड को ध्यान से देखती और समझने की कोशिश करती कि वो टाइट है या सोया हुआ है.
उसकी वासना अब चरम सीमा पर आ रही थी. एक दिन जब वो अपने कमरे से निकली लता ससुर के कमरे से वापस आ गई और दोनो एक दूसरे को देख कर हड़बड़ा गये.नीता ने कुच्छ नही कहा इसलिए लता भी चुपचाप किचन मे चली गई. फिर कई बार इसी तरह लता ससुर के कमरे से निकलते हुए उसके सामने आ गई. शायद लता भी समझ गई कि नीता को पता चल गया है. उसने ससुर को एक दिन अपना शक़ बता दिया. ससुर सोच मे पड़ गये. सेक्स तो उन्हे चाहिए था पर बहू से बचना ज़रूरी था.
उनके शातिर दिमाग़ ने एक तरक़ीब ढूंड ली. वो अगले कुच्छ दिन तक दरवाज़ा थोडा सा खुला रख कर लता की लेने लेगे. लता डरती थी पर बाद मे उससे भी मज़ा आने लगा. अगले दो तीन दिन लता को सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट मे बाहर भेज देते ससुर.वो हाथ मे सारी लिए किचन मे भाग जाती. नीता ने एक दो बार देखा पर कुच्छ बोल ना पाई. अब उसके ससुर की समझ मे बात आ गई थी?..फिर उन्होने अपने प्लान का दूसरा आक्ट शुरू किया. अब वो नीता के कमरे मे जा कर उससे बातें करने लगे. नीता को भी समझ रहा था. उसने भी सोचा खेल बुरा नही है. अब वो भी अपने कपड़े उल्टे सीधे पहेन कर घूमती. जब ससुर कमरे मे आने वाले होते तो वो पतले से सी थ्रू कपड़े वाले सलवार कमीज़ पेहेन्ति और बिना ब्रा के अपनी चुचियों का प्रदर्शन करती. ससुर भी अब उसके आगे पिछे हाथ फेरने लगे. लता ने ये सब नोटीस किया पर चुप रही.
?चलो बाहर बैठ कर टीवी देखते हैं? ये कहते हुए उसके कुल्हों को सहलाते और उसे बाहर ले आते. नीता भी भोली बनते हुए उनका साथ देती.
अब जब उसकी सास मंदिर जाती तो ससुर लता को समान लाने भेज देते और नीता को पास बिठा कर बातें करते. बातें तो कम करते थे पर उसके शरीर को ज़्यादा सहलाते थे. नीता भी अब उनसे बेझिझक चिपक कर बैठ जाती. वो उसके कंधों पे हाथ रख कर उसे अपनी छाती पर दबोचते और वो भी सीधी बिल्ली की तरह उनकी छाती पर सर रख कर बात करती रहती. धीरे धीरे बात आगे बढ़ने लगी? एक दिन ससुर का हाथ फिसल कर उसकी पीठ पे आ गया और कमर पे चला गया. नीता की चूत अब रोज़ ससुर के स्पर्श के इंतेजार मे दाहाकति थी?.धीरे धीरे उसके कूल्हे दबाना आम बात हो गई. अब पास बैठने पर नीता का हाथ उनकी जाँघ पर चला जाता और उनका हाथ उसके मम्मो को साइड से दबाने लगता.नीता चुदाई की आग मे जल रही थी. एक दिन उसने बेशर्मी से अपने शरीर को टर्न कर दिया ताकि ससुर का हाथ उसके बूब्स को पकड़ सके?..ससुर को तो इसी लड्डू की चाह थी? उन्होने मौके का फयडा उठाया और उसके बूबे सहलाने लगे?..अगले दिन से तो मौका मिलते ही ससुर उसके बूब पकड़ लेते और वो शर्मा करअपना मुँह उनकी छाती पे रख देती?.. लेकिन चुदाई अभी बाकी थी?..
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