RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 10
हमने शॉपिंग कर ली
और रमेश को उनकी बहनों के साथ बाइक पर घर भेज दिया
मुझे देखना था कि पिताजी अब क्या करेंगे मेरी सास के साथ
हम तो एक बात भूल ही गये कि अंधेरा हो गया था और आज मार्केट दिन था
ये बात हमारे दिमाग़ मे तब आई जब बस स्टॉप पे सारी बसें फुल भरके आने लगी
हर बस देखते ही उसके अंदर जाने का मन नही कर रहा था
खचाखच भरी हुई थी बस
समधन- लगता है हमने ग़लती की , आज कोई बस खाली नही मिलेंगी
कामिनी- आज मार्केट दिन और फेस्टिवल होने से भीड़ ज़्यादा है
पिताजी- अब क्या करे
माँ- कोई टॅक्सी ले
कामिनी- यहाँ से हमारे एरिया तक टॅक्सी को दूसरा पर्मिट लेना पड़ता है जिस से कोई टॅक्सी उधर नही जाती
समधन- हमे बस से ही जाना होगा
पिताजी- सब साथ रहना , नेक्स्ट बस मे चढ़ना होगा वरना अंधेरा बढ़ता जाएगा
कामिनी- सबको पता हैना कहाँ उतरना है, क्यूँ कि शायद हमे दूर दूर खड़ा होना पड़ेगा बस मे
सब ने हाँ मे गर्दन घुमा दी
और नेक्स्ट बस आते ही हम बस मे चढ़ गये
बस मे जाना मुश्कूल था फिर भी हम अंदर चले गये
अंदर भी भीड़ ज़्यादा थी पर हम अंदर आ गये
मैं ने देखा कि माँ मेरे आगे ही खड़ी थी पर मेरी सास और पिताजी मेरे पीछे थे पर बीच मे कुछ लोग आ
गये थे
ये तो मेरे पिताजी के लिए गोल्डन चान्स था
पर मैं ने देखा कि पिताजी थोड़े दूर ही थे मेरी सास से
मैं ने सबको आवज़ दी तो सब ने हाँ ने जवाब दिया
और हम घर के लिए निकल पड़े
मैं माँ के पास थी क्यूँ कि उनको इतनी भीड़ की आदत नही थी
और मेरी सास आराम से इस भीड़ को संभाल सकती है
बस चालू हो गयी
पर बस के अंदर सिर्फ़ एक लाइट थी जो आगे की तरफ थी और बाकी की रोशनी बाहर से आ रही थी दूसरी गाडियो की
हर स्टॉप पे कुछ लोग उपर आ जाते
ऐसा करते करते पिताजी मेरी सा के पास आकर खड़े हुए
पर मेरी सास को ये पता नही था वो तो बस अपना स्टॉप आने का इंतज़ार कर रही थी
सब अच्छा ही चल रहा था
लेकिन जब बस एक टनल से जा रही थी तो आगे भीड़ होने से बस बीच मे रुक गयी
टनल के बीच मे बस रुकने से बस मे ज़्यादा रोशनी नही थी
इस तरह बस रुकने से सारे पॅसेंजर गुस्सा हो गये
पर आगे ट्रफ़िक जाम हो गया था
जिस से कुछ देर बस टनल के बीच मे फसि रहेगी
ये देख कर मैं ने माँ को कहा कि यहीं आंटी के पास बैठ जाओ तो आंटी ने जगह दी , और मैं मेरी सास को
देखने आई
जब मैं अपनी सास के पास आई तो मेरी सास की आँखे बंद थी और वो पोल को पकड़े हुए थी
मैं ने ठीक से देखा तो इनकी साड़ी घुटने तक उपर थी
पर मुझे कुछ दिख नही रहा था
पर जब एक आदमी ने अपना मोबाइल फोन करने के लिए निकाला तो देखा कि मेरी सास के पीछे मेरे पिताजी
खड़े थे
सारी पिक्चर मेरे सामने आ गयी
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