RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--37
"जीत..",कामिनी अदालत के अहाते मे अब्दुल पाशा & टोनी के साथ अपनी कार से उतरते षत्रुजीत सिंग के पास पहुँची,"..मुझे तुमसे अकेले मे कुच्छ बात करनी है.",शत्रुजीत ने पाशा & टोनी की तरफ देखा तो वो उसका इशारा समझ कर वाहा से हट गये.
"अब कहने को क्या बाकी रहा है,कामिनी."
"बहुत कुच्छ,जीत.वो सब 1 नाटक था."
"क्या?!"
"हां,जीत..",कामिनी उसे अदालत के अंदर ले जा रही थी,"..तुम 1 शातिर इंसान की गहरी चाल के शिकार हुए हो."
"सॉफ-2 बोलो कामिनी,पहेलियाँ मत बुझाओ.",शत्रुजीत की आवाज़ मे परेशानी,बेसब्री & चिंता के भाव घुले हुए थे.
"बस थोड़ा सब्र रखो,जीत & अपने केस की पैरवी खुद करने की बात दिमाग़ से निकाल दो."
"तुम्हे ये बात कैसे पता चली?",शत्रुजीत चौंका.
"थोड़ी देर मे तुम्हे सब मालूम चल जाएगा,बस मुझ पे भरोसा रखो,मेरी जान.",दोनो उस कमरे मे आ गये थे जहा सुनवाई शुरू होने से पहले मुलज़िम बैठते थे.कमरा बिल्कुल खाली था & कामिनी ने मौका पाके जल्दी से उसके होंठो पे 1 किस ठोंक दी.
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जड्ज रस्टों कवास के कोर्टरूम मे दाखिल होते ही सभी मौजूद लोग उठ के खड़े हो गये,"प्लीज़ बी सीटेड.",कवास अपनी सीट पे बैठ गये.
"मैं देख रहा हू कि आप सभी लोगो को चेहरो पे हैरानी के भाव हैं..",दोनो केसस से जुड़े लोगो को हैरत हो रही थी की आख़िर उन्हे 1 साथ 1 ही कोर्टरूम मे क्यू बिठाया गया है,"..पर दोनो तरफ के वकिलो की गुज़ारिश पे ऐसा किया गया है..आप मे से कोई ये ना सोचे की अदालत इस से किसी 1 पक्ष की तरफ़दारी कर रही है.अदालत सिर्फ़ इंसाफ़ की तरफ़दारी कर रही है..क्या किसी के मन मे कोई शुभहा है?"
जवाब मे खामोशी च्छाई रही.कामिनी थोड़ा परेशान थी,जगबीर ठुकराल अभी तक नही आया था..कही उसे पता तो नही चल गया.जड्ज ने केस से जुड़े लोगो को ही कोर्टरूम मे बैठने की इजाज़त दी थी,बाकी लोगो को बाहर कर दरवाज़े बंद किए जा रहे थे कि तभी 1 गार्ड ने ठुकराल को अंदर का रास्ता दिखाया.अंदर घुसते ही ठुकराल कामिनी की तरफ देख के मुस्कुराया फिर झुक के जड्ज का अभिवादन किया & 1 बेंच के किनारे बैठ गया.
"अदालत की करवाई शुरू की जाय."
"मिलर्ड!",कामिनी खड़ी हुई,"..मैं सबसे पहले मिस्टर.जगबीर ठुकराल को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."
"इजाज़त है."
ठुकराल कटघरे मे आया & कसम खाई,"मिस्टर.ठुकराल,मैं सीधे मुद्दे पे आती हू..क्या आपकी शत्रुजीत सिंग से कोई दुश्मनी है?"
"जी नही..",ठुकराल मुस्कुराया,"..ये लोगो की ग़लतफहमी है..हम राजनीति के मैदान मे 1 ही पार्टी मे हैं & 1 ही क्षेत्र के..मेरी जगह शत्रुजीत जी को चुनाव का टिकेट मिल गया तो लोगो ने ये कहानी बना दी है."
"यानी की आपका जवाब है नही?"
"जी बिल्कुल."
"तो फिर आपने शत्रुजीत जी के घर मे अपना 1 भेदिया..1 जासूस क्यू घुसा रखा है?",अदालत मे लोगो की ख़ुसरपुसर का शोर उठा & ठुकराल के चेहरे का तो रंग ही बदल गया.उसने 1 बार जड्ज के सामने बैठे लोगो की भीड़ पे नज़र डाली तो उसे ख़तरे का अंदेशा हुआ..वो समझ गया की उसे फँसाया गया है..मगर अब किया क्या जा सकता था?
"ऑर्डर,ऑर्डर!"
"वकील साहिबा,आप क्या बेबुनियाद बकवास कर रही हैं!",उसने कामिनी की तरफ 1 नफ़रत भरी निगाह डाली.
"मिस्टर.ठुकराल,आप अदालत मे खड़े हैं..अपनी भाषा का ख़याल रखिए.",जड्ज कवास की भारी आवाज़ गूँजी.
"माफ़ कीजिएगा,मिलर्ड,मगर मुझपे झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है."
"युवर ऑनर!मैं इल्ज़ाम को साबित करने के लिए 1 और गवाह को बुलाना चाहती हू."
"इजाज़त है."
टोनी के कटघरे मे आते ही ठुकराल के चेहरे पे गुस्से के साथ-2 परेशानी भी झलकने लगी.जैसे-2 टोनी ने अपनी कहानी सुनाई उसके माथे पे पसीने की बूंदे छल्छलाने लगी,ये आदमी झूठ बोल रहा है."
"नही,मिलर्ड,मैं बिल्कुल सच कह रहा हू..इस आदमी के चलते मैं शत्रुजीत साहब के घर मे जासूस बन के धोखे से घुसा..मुझे माफ़ करना,सर.",उसने शत्रुजीत को हाथ जोड़े जोकि सब कुच्छ देखते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी हैरानी छुपाये हुए था,"..& मिलर्ड,इन्होने ही मेरे बेटे की स्कूल फीस भरी है वो भी चेक से."
"जी युवर ऑनर,ये हैं वो काग़ज़ात जो ये साबित करते हैं कि मिस्टर.ठुकराल ने टोनी को उसके बेटे के दाखिले & पैसो का लालच दिया & उस से ये काम करवाया."
"मिलर्ड..",विकास खड़ा हुआ,"..ये सारी बाते ठीक हैं मगर इस से ये कहा साबित होते है कि नंदिता जी का खून शत्रुजीत सिंग ने नही किया है."
जड्ज कवास ने कामिनी की ओर देखा,"मैं सभी बातो का खुलासा करूँगी,मिलर्ड & आपको ये भी बताउन्गि की कैसे दोनो केसस 1 ही दिमाग की उपज थे जिसका सिर्फ़ 1 मक़सद था शत्रुजीत जी की बर्बादी..अब मुझे इन दोनो गवाहॉ से कुच्छ नही पुच्छना है."
ठुकराल आँखो से अंगारे बरसता कभी कामिनी को कभी टोनी को घूरते हुए अपनी जगह पे बैठ गया.टोनी भी उसे खा जाने वाली निगाहो से देखा रहा था.
"मिलर्ड,अब मैं जयंत पुराणिक मर्डर केस के सिलसिले मे कुच्छ बाते अदालत को बताना चाहती हू & इसके लिए सबसे पहले मुलज़िम करण मेहरा को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."
"इजाज़त है."
"करण,क़त्ल से पहले तुमने कितनी शराब पी थी?"
"2 पेग विस्की."
"पीते वक़्त तुम्हे कैसा लगा?"
अदालत मे हँसी की 1 लहर दौड़ गयी,"ऑर्डर,ऑर्डर."
"मुझे विस्की का स्वाद थोड़ा अजीब लाग."
"तो तुमने क्या किया?"
"मैने बारटेंडर विकी से बोला मगर उसने कहा की ऐसा कुच्छ नही है बाकी लोगो ने भी पी है..हो सकता है मुझे वहाँ हो रहा हो."
"विस्की पी लेने के बाद तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था?"
"मुझे लग रहा था की मुझे चढ़ गयी है जबकि आमतौर पे मैं 2 पेग के बाद पूरे होश मे रहता हू..मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था & मैं शीना से घर लौटने को कहने वाला था की फिर वो हादसा हो गया."
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