RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--35
गतान्क से आगे...............
"आनन्नह...उउउन्न्ह...!"
"ऊहह...आहह..!"
1 बार फिर कामिनी & ठुकराल 1 साथ झाड़ रहे थे.
"कामिनी..",ठुकराल बिस्तर पे लेटी कामिनी के उपर चढ़ा हुआ था & उसके गाल सहला रहा था.
"हूँ.",कामिनी की आँखे बंद थी & चेहरे पे बहुत ही संतोष का भाव था.
"मैने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत & मस्त लड़की नही देखी!",ठुकराल ने आज तक ना जाने ये बात कितनी ही लड़कियो से कही थी मगर कहते वक़्त उसके दिल मे सच्चाई शायद आज से पहले कभी नही थी.उसने अपने दिल मे तय कर लिया था की उसे वो अपनी रानी बना के रखेगा.आजतक उसके हराम मे सैकड़ो लड़किया आई थी मगर उसने किसी को भी अपनी बाँदी से ज़्यादा नही समझा था.ये पहली लड़की थी जिसके लिए उसके दिल मे ऐसा ख़याल आया था.उसने सोच लिया था की षत्रुजीत सिंग के जैल जाते ही वो शॅरन को किनारे कर कामिनी को अपने इस घर मे ले आएगा.ऐसा नही था कि अब वो दूसरी लड़कियो को नही चोदेगा मगर दिल ही दिल मे उसे पता था कि कामिनी को इस बात पे कोई ऐतराज़ नही होगा बल्कि वो तो शायद इसमे उसका साथ भी दे.
"मैने भी तुम्हारे जैसे जोशीले मर्द से आजतक नही मिली,जगबीर.",ठुकराल के होंठो पे मुस्कान फैल गयी & वो उठने को हुआ,"..कहा जा रहे हो?",कामिनी ने उसकी बाहे पकड़ ली,"..ऐसे ही रहो ना..कितना सुकून मिल रहा है..आज तक कोई मर्द मेरे जिस्म की उन गहराइयो तक नही पहुँचा जहा तुम पहुँचे हो.",कामिनी ने अपनी बाहे उसकी पीठ पे कस दी तो ठुकराल 1 बार फिर उसके उपर लेट गया,"..हां..ऐसे ही रहो..हमेशा मुझे इसी तरह अपनी बाहो मे रखना,जगबीर..हमेशा!",ठुकराल झुक कर उसके गुलाबी होंठो को चूमने लगा & दोनो 1 बार फिर से मस्ती के समंदर मे गोते लगाने लगे.
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"मिस्टर.मुकुल?"
"जी,हां.कहिए?"
"मैं संजीव मेहरा बोल रहा हू."
"हां,मेहरा साहब,कहिए."
"मैने कामिनी जी का फोन ट्राइ किया था मगर उनसे बात नही हो सकी.उन्होने मुझसे कहा था कि शायद वीकेंड पे उनसे बात ना हो पाए & इसलिए उन्होने मुझे आपका नंबर दिया था."
"जी,मेहरा साहब,मुझे पता है.मेडम आज शहर से बाहर हैं इसलिए आपसे बात नही हो पाई.कहिए क्या कहना था आपको?"
"उन्होने मुझे 1 काम दिया था,वो हो गया है."
"यानी की सर,आपको कॉल डीटेल्स मिल गयी हैं?"
"जी,अब ये बताइए कि उन्हे आप तक कैसे पहुचाऊं?"
"सर,आप हमारे ऑफीस क्यू नही आ जाते?"
"अभी आ जाऊं?"
"ज़रूर,सर."
"ठीक है.मैं थोड़ी देर मे पहुँचता हू."
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"मेहरा साहब,थोड़ी मेरी मदद कीजिए.",ऑफीस मे संजीव मेहरा के लाए काग़ज़ो को मुकुल पलट रहा था.
"हां,बोलिए."
"आप इनमे से जिन फोन नंबर्स के बारे मे जानते हैं उनके बारे मे इस पॅड पे लिख दीजिए."
"ओके.",5 मिनिट के अंदर ही मेहरा साहब ने ये काम कर दिया.
"थॅंक्स,सर..",मुकुल पॅड को & कॉल डीटेल्स को मिलाने लगा,"..ये आपका नंबर है,ये करण जी का..ये आवंतिपुर मे शीना जी के पापा का है..ये उनकी बुआ का..ह्म्म....सर,ये नंबर भी इंडिया का ही लगता है,है ना?",उसने कॉल डीटेल्स मे से 1 नंबर के नीचे पेन से लाइन खींची.
"हां,लगता तो है..& इस्पे शीना लगभग रोज़ बात भी करती रही है."
"जी,सर & या तो वो फोने करती थी या इस नंबर से फोन उन्हे किया जाता था मगर लंडन से यहा आने से 10 दिन पहले से इस नंबर पे कोई फोन नही किया गया ना ही नंबर से कोई फोन हुआ."
"इसका क्या मतलब है,मुकुल जी?"
"सर,असली मतलब तो थोड़ी और छानबीन के बाद पता चलेगा,मैं अभी आपको केवल इतना बता सकता हू कि बहुत जल्द करण जी लॉक-अप के बाहर आपके साथ होंगे."
"सच?"
"हाँ,सर.मगर प्लीज़ भूल कर भी आप उनसे या शीना जी से या फिर किसी और से इस बात का ज़िक्र मत कीजिएगा.केस जीतने के लिए ये बहुत ज़रूरी है."
"आप बेफ़िक्र रहें मुकुल जी,मेरे होठ सिले हुए हैं..अच्छा अब मैं चलु."
"ओके,सर."
उनके निकलते ही मुकुल ने मोहसिन जमाल को फोन मिलाया,"मोहसिन भाई!मुकुल बोल रहा हू,1 काम है..आपके दफ़्तर आ जाऊं?"
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"ऊहह..क्या कर रहे हो?!..ये लो.",कामिनी बार पे खड़ी ठुकराल की ड्रिंक बना रही थी जब उसने उसे पीछे से बाहो मे कस लिया.उसकी कमर को बाए हाथ मे थामे उसने दाए से ग्लास लेके पहले 1 घूँट भरा फिर कामिनी के होंठो से सटा दिया,"ना..!मैं विस्की नही पीती..बस वाइन पीती हू.",ठुकराल का लंड उसकी गंद की दरार मे अटक गया था.दोनो अभी कोई 3 घंटे बाद सोके उठे थे & ठुकराल के लंड के एहसास ने कामिनी की चूत मे फिर से खाल बली मचा दी थी.
"..तो ठीक है..आज मैं भी इसे नही पियुंगा.",ठुकराल ने ग्लास किनारे रख दिया & पीछे से ही उसकी चूचिया दबाते हुए उसके चेहरे & गर्दन को चूमने लगा,"ऑफ..ओह्ह...बस..हो गया..!",कामिनी शोखी से मचलने लगी.
"अभी-2 1 बात पता चली है.",ठुकराल ने उसकी दाए घुटने को उठा के बार पे रख दिया तो कामिनी आगे को झुक गयी.
"क्या,जगबीर?..ऊओह..!",ठुकराल अब बाए हाथ से उसकी मखमली पीठ सहला रहा था & दाए की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर कर रहा था.
"तुम्हारा आशिक़ तो बहुत मायूस हो गया है तुम्हारे जाने के बाद..",वो बहुत तेज़ी से उंगली से उसकी चूत मार रहा था & कामिनी अब पूरी तरह से बार पे अपनी छातिया दबाए झुकी हुई आहे भर रही थी.उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया था.
"होने दो...आआन्न्न्नह....!",ठुकराल ने उसके रस से भीगी उंगलिया बाहर निकाली & उसके गंद के छेद मे घुसा दी,"..ऊऊव्व्वव..!"....वाहा नही,जगबीर..प्लीज़..!",उसे मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर फिर भी उसने डरने का नाटक किया.
"घबराओ मत,जानेमन!..कुछ नही होगा..मैं बहुत प्यार से करूँगा..ये देखो.",ठुकराल ने अपने लंड पे ठुका & उसके सूपदे को कामिनी की गंद के छेद पे रख के धक्का दिया,"..हााईयईईईईई....राआअम्म्म्म्म.....!",कामिनी चीखी & उसने बार को कस के जाकड़ लिया.
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