RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--29
गतान्क से आगे...............
"मुकुल..",कामिनी अपने असिस्टेंट से मुखातिब हुई.
"जी,मॅ'म."
"भाई,किसी कंप्यूटर के जानकार को जल्दी ढुणडो,1 पासवर्ड प्रोटेक्टेड पेन ड्राइव खुलवानी है."
"आप जब कहे उसे आपके सामने हाज़िर कर दूँगा,मॅ'म.",रश्मि कामिनी को आज की अपायंटमेंट डाइयरी दिखाने आई थी,उसी की ओर मुस्कुराते हुए देखते हुए मुकुल ने जवाब दिया था.
"अच्छा!कोई दोस्त है तुम्हारा?"
"ऐसा ही समझ लीजिए,मॅ'म कब लाऊँ उसे?",कामिनी डायरी देखने के लिए नीचे झुकती तो मुकुल रश्मि की तरफ शरारती मुस्कान फेंक देता.कामिनी ने उसकी ये हारकर देख ली थी मगर अंजान बनी रही,"मैं तुम्हे बताऊंगी."
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"नमस्ते,आंटी.",कामिनी ने चंद्रा साहब की बीवी को प्रणाम किया.
"अरे,कामिनी!खुश रहो.आओ बैठो.",दोनो सोफे पे बैठ गये तो कामिनी उनका हाल पुच्छने लगी.बाते तो वो मिसेज़.चंद्रा से कर रही थी मगर उसकी निगाहे अपने प्रेमी को ढूंड रही थी..लगता है घर मे नही हैं वरना वो आए & वो उसके दीदार को ना आएँ ऐसा नामुमकिन था!
"सर नही दिखाई दे रहे,आंटी?"
"अरे अपने ऑफीस मे बैठे हैं.",चंद्रा साहब ने अपने बंगल मे भी 1 कमरे मे अपना 1 ऑफीस बनाया हुआ था.
"मैं उनसे मिल लू?"
"हां-2!जाओ पहले उन्ही के साथ सर खपा लो फिर मेरे साथ बैठना,तब तक मैं ज़रा रसोई का काम देख लू."
"ठीक है,आंटी.",कामिनी कोर्ट से सीधा चंद्रा साहब के घर चली आई थी,सफेद झीनी सारी मे उसका जिस्म बड़ा क़ातिलाना लग रहा था.कामिनी को पता था की उसके गुरजी उसे देखते ही उसपे टूट पड़ेंगे.शोखी से मुस्कुराते हुए उसने ऑफीस का दरवाज़ा खोला,"मे आइ कम इन,सर?"
चंद्रा साहब ने फाइल से सर उठाया & उनके चेहरे पे खुशी & आश्चर्य के भाव वाली मुस्कान फैल गयी.वो डेस्क के पीछे अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए तो कामिनी दरवाज़ा बंद करते हुए अंदर दाखिल हो गयी.
"आज फ़ुर्सत मिली है तुम्हे?",चंद्रा साहब ने उसे बाहो मे भर लिया & उसके चेहरे पे किस्सस की बौच्हर कर दी.
"ओह....सर..आप भी ना!..क्या करते हैं?!कही आंटी ना आ जाएँ..!",उसने उनके चेहरे को अपने गाल से हटते हुए दरवाज़े की ओर इशारा किया,"..& मैने तो आपको पहले भी कहा था की मैं यहा नही आ सकती मगर आप तो मेरे घर आ सकते हैं."
चंद्रा साहब ने कामिनी को छ्चोड़ा & दरवाज़े को खोल 1 नौकर को आवाज़ दी तो वो भागता हुआ उनके पास पहुँचा,"सुनो,मैं अभी बहुत ज़रूरी काम कर रहा हू,कोई भी हमे डिस्टर्ब नही करेगा..& अपनी मालकिन को कहना की अभी हम दोनो काम मे मशगूल रहेंगे तो कुच्छ खाने को ना भिजवाए..ठीक है..थोड़ी देर बाद हम दोनो उनके साथ ही खाएँगे.अब जाओ."
नौकर गया तो उन्होने दरवाज़े की चिटकनी लगा दी & मुड़े तो देखा की कामिनी सोफे पे टांग पे टांग चढ़ाए बैठी उनकी ओर देखते हुए शोखी से मुस्कुरा रही थी.चंद्रा साहब लपके के उसके पास पहुँचे & उसके बाज़ू मे बैठ के उसे फिर से बाहो मे भर के चूमने लगे.कामिनी ने भी उनके गले मे बाँहे डाल दी.वो उनके बाए तरफ बैठी थी,उसने अपने बदन को उनकी तरफ मोड़ लिया & अपनी चूचियो को उनके सीने से दबाते हुए उनकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा दी.
"ऊवन्न्नह....रुकिये तो...आपसे कुच्छ ज़रूरी बात करनी है.",चंद्रा साहब अपने बाए हाथ से उसकी कमर को घेरे हुए थे & दाए से उसकी सारी को उठा कर घुटनो तक ले आए थे.
"तुम बोलती रहो ना!मुझे क्यू रोकती हो?",उन्होने उसकी दाई टांग पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया.कामिनी समझ गयी को वो मानने वाले नही हैं.उसने वैसे ही उन्हे करण के केस के बारे मे सारी बातें बता दी.जितनी देर मे उसने केस के बारे मे बताया उतनी देर मे उसकी सारी कमर तक उठ चुकी थी & ब्लाउस के हुक्स भी खुल चुके थे.
चंद्रा साहब उसकी मक्खनी जाँघ को सहलाते हुए उसके सफेद लेस ब्रा मे से झाँकते उसके धड़कते सीने के उभारो को चूम रहे थे & वो उनकी शर्ट के बटन खोल रही थी,"ह्म्म..तो तुम्हे शीना पे कुच्छ शक़ हो रहा है?",चंद्रा साहब ने उसकी जाँघ से हाथ उपर ले जाके उसे उसकी लेस पॅंटी के अंदर घुसा उसकी गंद को दबोच लिया.
"ओईईईई माआन्न..!",जवाब मे उसने भी उनके निपल को अपने नाख़ून से खरोंच दिया,"हां,मगर समझ नही आ रहा उसके बारे मे कैसे पता करू?..फिर उसके पिता ने कहा की उन्हे पंचमहल पसंद नही..आख़िर क्यू?रोज़ 4 घंटे आने-जाने मे खर्च करना मंज़ूर है मगर यहा रहना नही!",चंद्रा उसके गले लग गये थे & हाथ पीछे ले जाके उसके ब्रा के हुक्स खोल रहे थे.
"1 रास्ता है..",उन्होने ब्रा ढीला होते ही उसके कप्स को उपर कर दिया & कामिनी की नुमाया हुई चूचियो पे टूट पड़े.उनका दाया हाथ उसकी पॅंटी के अंदर ही उसकी चूत पे चला गया था.कामिनी ने जंघे भींचते हुए उनके हाथ को क़ैद कर लिया & मस्ती मे आहे भरती हुई अपना बदन बेचैनी से मोड़ने लगी.उसने 1 हाथ को अपने गुरु के सर पे रख के उसे अपनी छाती पे दबाया हुआ था & दूसरे से उनकी पॅंट ढीली कर के लंड को बाहर निकाल लिया था.
कोई 5 मिनिट तक चंद्रा साहब उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसकी चूत के अनदर अपनी उंगलिया पेलते रहे & कामिनी उनका लंड हिलाती रही,फिर कामिनी ने उनके बॉल पकड़ कर उनके सर को उठाया,"रास्ता तो बताइए?",दोनो के हाथ वैसे ही 1 दूसरे की जाँघो के बीच उनके नाज़ुक अंगो से खेल रहे थे.
"तुमने बताया की शीना ए.पी.कॉलेज मे पढ़ती थी & फाइनल एग्ज़ॅम देने मे उसे कुच्छ देर भी हुई थी..उस कॉलेज का प्रिन्सिपल मेरा दोस्त है..चाहो तो उस से कुच्छ मदद मिल सकती है..",कामिनी अब हवा मे उड़ी जा रही थी,चंद्रा साहब की उंगलिया उसे उसकी मंज़िल के बहुत करीब ले गयी थी.चंद्रा साहब का भी कुच्छ ऐसा ही हाल था & उनकी साँसे भी तेज़ हो गयी थी,"..चाहो तो मैं तुम्हारी उस से बात करवा सकता हुआ मगर इसके लिए मैं तगड़ी फीस लूँगा!"
"उउन्न्नह....आनन्नह....पता है...क्या..फीस..हाई...आप..की...",कामिनी की चूत मे वही मीठा तनाव जो उसे झड़ने से ठीक पहले महसूस होता था,अपनी पूरी शिद्दत पे पहुँच गया था,"...जितनी मर्ज़ी ले लीजी....ये....गाआआहह..!",उनके हाथ को भींचती हुई वो झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त उसने महसूस किया की चंद्रा साहब की साँसे और तेज़ हो गयी है,वो झट से झुकी & उनके लंड को अपने मुँह मे भर लिया & हाथ से हिलाने के साथ-2 उसे चूसने लगी.अपनी शिष्या की मीठी ज़ुबान की च्छुअन महसूस करते ही चंद्रा साहब का मज़ा भी सारी हदें पार कर गया & उनके लंड ने अपना गाढ़ा पानी छ्चोड़ दिया जिसे कामिनी ने गतगत पी लिया.
लंड को पूरी तरह से चाट-2 के सॉफ करने के बाद कामिनी ने उनकी गोद से सर उठाया & दोनो 1 दूसरे को देख मुस्कुरा दिए.दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए & फिर से सोफे पे 1 दूसरे की बाहो मे बैठ गये,"कल शनिवार है,ऐसा करते हैं कल सवेरे आवंतिपुर चलते हैं,प्रिन्सिपल से मिलते हैं..अगर कोई सुराग मिला तो ठीक है नही तो आगे कुच्छ और सोचेंगे..",उनका बाया हाथ कामिनी की नंगी कमर को सहला रहा था & दाया उसके गुलाबी गालो को,"..अब इस काम मे 2 दिन तो लग ही जाएँगे!"
कामिनी उनकी ओर घूम कर इस उनके सीने से सीने को सताए बैठी थी.उनकी बात सुन वो शोखी से मुस्कुराइ,"और अगर काम कल ही पूरा हो गया तो?"
"काम चाहे कभी भी पूरा हो हम लौटेंगे सोमवार की सुबह को ही!",दोनो ने हंसते हुए 1 दूसरे को बाहो मे कस लिया & चूमने लगे.माहौल 1 बार फिर गरम होता देख कामिनी ने किस तोड़ दी,"1 बात का ध्यान रखिएगा,सर.मैं किसी को भी नही बताउन्गि की हम आवंतिपुर जा रहे हैं..इस तरह मैं शीना या उसके पिता को सचेत नही होने दूँगी & तभी शायद हमे उनके बारे मे ठीक से पता चल पाएगा.प्लीज़,आप भी आंटी को अगर इस केस के बारे मे बताएँ तो उन्हे कह दें कि वो इसका ज़िक्र किसी से ना करें..वैसे,आंटी को शक़ नही होगा आपके & मेरे जाने से?"
"तुम बेफ़िक्रा रहो.मैं उसे संभाल लूँगा.",उन्होने उसे फिर से चूमने की कोशिश की.
"नही,अब चलिए.देर हो गयी है..कही आंटी यहा ना आ जाएँ!"
"चलो.",दोनो उठ खड़े हुए & ऑफीस से निकल कर ड्रॉयिंग रूम की ओर बढ़ गये.
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रात षत्रुजीत सिंग अपने बिस्तर पे नंगा लेटा था & कामिनी उसके लंड को पकड़ के चूस रही थी.उसने पूरे लंड को निगल लिया था & उसका कुच्छ हिस्सा कामिनी के हलक मे भी चला गया था,"..आहह..!",शत्रुजीत मज़े से करहा,उसे ऐसा लग रहा था जैसे लंड मुँह मे ना होके चूत मे हो.उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी & उसने बड़ी मुश्किल से खुद को कामिनी का सर पकड़ के उसके मुँह को ज़ोर-2 से चोदने से रोका.
थोड़ी देर तक कामिनी ने वैसे ही उसके लंड को चूसा फिर लंड को बगैर मुँह से निकाले अपने बदन को घुमा कर अपनी चूत को उसके मुँह पे रख दिया & उसके लंड को चूस्ते हुए उस से अपनी चूत चटवाने लगी,"जीत..",उसने लंड को मुँह से निकाला & उसकी लंबाई पे जीभ की नोक चलाने लगी.
"ह्म्म.",शत्रुजीत वैसे ही उसकी छूट की दरार पे जीभ चला रहा था.
"मैं कल दो दीनो के लिए शहर के बाहर जा रही हू,बॉमबे.मेरी कज़िन की सगाई है.",शत्रुजीत ने फिर से अपनी झांते सॉफ करना शुरू कर दिया था.कामिनी ने सर झुका के अपनी नाक उसके आंडो के बीच घुसा दी & उन्हे चाटने लगी.उसने सोच लिया था की अब वो शत्रुजीत को उसके या करण के-किसी भी केस के बारे मे कुच्छ भी नही बताएगी.दोनो केसस की तह तक पहुँचने के लिए ये बहुत ज़रूरी था.शत्रुजीत को बात पता चलती तो टोनी भी जान जाता & फिर अपने असली मालिक तक बात पहुँचा देता....फिर करण के केस मे भी कुच्छ तो राज़ था नही तो उसे डराने के लिए हमला क्यू होता..मगर उस शख्स ने उसे दोबारा डराने की कोशिश क्यू नही की?..वो शत्रुजीत की पनाह मे थी इसलिए..उसे कोई मौका नही मिला था..या फिर कोई और बात थी..
ख़यालो मे डूबी कामिनी की चूत ने उसे उसके ख़यालो से बाहर निकाला,शत्रु की जीभ से बेचारी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़े जा रही थी & उसकी मालकिन के बदन मे मस्ती की बड़ी-2 लहरें उठ रही थी,"तो सोमवार को वापस आओगी."
"ह्म्म..",शत्रुजीत उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसकी चूत के दाने & चूत के अंदर अपनी ज़ुबान के ऐसे जलवे दिखा रहा था की कामिनी उसका लंड चूसना भूलके बस उसके जाँघ पे सर रखे सुके आंडो मे मुँह च्छुपाए अपने प्रेमी की हर्कतो से बेबस हो बस सिसकिया भर रही थी.
चूत से टपकते बेइंतहा पानी को देख शत्रुजीत समझ गया की उसकी प्रेमिका अब पूरी तरह से मस्ती के समंदर मे डूब चुकी है..अब वक़्त था की वो भी उसके साथ मिलके इस समंदर मे गोते लगाए.उसने उसकी गंद पकड़ कर अपने उपर से उतरा तो वो पीठ के बल निढाल हो लेट गयी.शत्रुजीत ने फ़ौरन उसके उपर चढ़ अपना लंड उसकी गीली चूत की गहराइयो मे उतार दिया & गहरे-2 धक्के लगाने लगा.कामिनी के के दिमाग़ ने केसस के बारे मे सोचना छ्चोड़ दिया था & उसे बस 1 बात का ख़याल था-शत्रुजीत के ताक़तवर,मर्दाना जिस्म & उसके मज़बूत लंड से मिलने वाले मज़े का.उसने आँखे बंद की & अपने प्रेमी को बाहो मे भर उसकी चुदाई का मज़ा उठाने लगी.
सवेरे कामिनी षत्रुजीत सिंग के घर से पंचमहल एरपोर्ट पहुँची.कार से उतर कर उसने अपने ड्राइवर को वापस भेज दिया.उसके बाद वो वाहा पहले से ही उसका इंतेज़ार कर रहे चंद्रा साहब के साथ 1 प्राइवेट टॅक्सी मे बैठ के आवंतिपुर के लिए रवाना हो गयी.ऐसा करने से उसे उम्मीद थी की किसी को उसके असली मक़सद के बारे मे कोई शक़ नही होगा.
कामिनी टॅक्सी की पिच्छली सीट पे चंद्रा साहब के दाए तरफ बैठी थी.चंद्रा साहब ने अपनी दाई बाँह से उसके दाए कंधे को घेरा हुआ था & बहुत हल्के-2 उसकी शर्ट के उपर से उसके बाज़ू को सहला रहे थे.शुरू मे तो बस उनका हाथ उसके कंधे पे थे मगर जैसे-2 टॅक्सी पंचमहल से दूर जा रही थी वो अपनी शिष्या के और करीब आते जा रहे थे.
"ड्राइवर का तो ख़याल कीजिए!",कामिनी उनके कान मे फुसफुसाई,वो उस के साथ ऐसे बैठे थे की उनकी दाई जाँघ & टांग कामिनी की बाई जाँघ & टांग से पूरी सटी हुई थी.चंद्रा साहब ने जैसे उसकी बात सुनी ही ना हो & अपनी बाँह उसके कंधे से नीचे सरका के उसकी कमर पे ले आए & उसकी शर्ट उठा के उसकी मखमली कमर को सहलाने लगी.कामिनी ने आज क्रीम कलर की पॅंट & गुलाबी शर्ट पहनी थी.
चंद्रा साहब के हाथ ने जैसे ही उसके बदन को च्छुआ उसके बदन मे भी उमंगे जागने लगी.वैसे भी वो जानती थी की इस ट्रिप पे वो अपने दिल की सारी हसरातो को पूरा करेंगे & उसे भी इन 2 दीनो मे काम के अलावा होने वाली मस्ती का बेसब्री से इंतेज़ार था.वो सीट पे थोड़ा आगे होते हुए इस तरह बैठी की अब उसकी बाई बाँह उनके सीने से लग रही थी & उसका बाया हाथ पॅंट के उपर से ही उनके परेशान लंड को सुकून दे रहा था.
चंद्रा साहब उसकी इस हरकत से मस्ती मे आ गये & अब उसकी कमर को मसल्ते हुए उसके पेट को भी दबाने लगे.कामिनी का तो दिल कर रहा था की उनके गले मे बाहे डाल के उन्हे जी भर के चूमते हुए उनके लंड को मसले मगर टॅक्सी ड्राइवर के होते ये मुमकिन नही था!कमोबेश यही हाल उसके गुरु का भी था जो अब उसकी पॅंट के कसे वेयैस्टबंड मे अपनी उंगलिया घुसा रहे थे.थोड़ी ही देर मे हाथ उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे घुसा उसकी चूत के उपर उसके पेट के गद्देदार हिस्से को सहला रहा था.
उनका बस चलता तो वो वैसे ही उसकी चूत मे उंगलिया घुसा देते मगर कामिनी की कसी पॅंट उनकी उंगलियो & चूत के बीच रुकावट बनी हुई थी.ए.पी.कॉलेज तक पहुँचते-2 कामिनी की चूत से च्छुटे पानी ने उसकी पॅंटी को चूत से बिल्कुल चिपका लिया था & चंद्रा साहब का अंडरवेर भी उनके प्रेकुं से गीला हो गया था.
कार रुकते ही दोनो ने अपना-2 हाथ 1 दूसरे की गोद से अलग किया & नीचे उतरे.
"आओ,आओ,संतोष भाई.कैसे हो?",प्रिन्सिपल मिश्रा ने अपनी सीट से उठके दोनो का अपने ऑफीस मे स्वागत किया.
"बढ़िया हू,मिश्रा भाई.आप सुनाएँ?",उन्होने मिश्रा से हाथ मिलाया.
"ह्म्म.",1 पेओन तीनो के लिए चाइ रख गया था जिसे पीते हुए चंद्रा साहब ने प्रिन्सिपल मिश्रा को सारी बात बताई,"..देखिए कामिनी जी,वैसे तो आमतौर पे हम लोग इस तरह से स्टूडेंट्स के डीटेल्स बाहर वालो को तो नही देते मगर संतोष भाई की बात मैं टाल भी नही सकता.आप ऐसा करिए की रेकॉर्ड्स देख लीजिए मगर प्लीज़ यहा से कोई पेपर ले जाने की रिक्वेस्ट मत कीजिएगा."
"सर,मैं आपका कोई ऐसा पेपर नही माँगूंगी जोकि केवल कॉलेज के इस्तेमाल के लिए है.मगर 1 बात पुच्छना चाहती हू?"
"हां-2,ज़रूर!"
"मैं वैसे पेपर्स की कॉपी तो ले सकती हू ना जोकि पब्लिक व्यूयिंग के लिए होते हैं जैसे की रिज़ल्ट्स?"
प्रिन्सिपल मिश्रा हँसे,"ज़रूर कामिनी जी.",उन्होने अपना चाइ का कप रखा & चंदर साहब से मुखातिब हुए,"चंद्रा भाई,और कोई होता तो मेरे आगे उन पेपर्स की कॉपी के लिए मिन्नते करने लगता मगर ऐसी बात आपकी शिष्या ही कर सकती है!",दोनो हँसने लगे तो कामिनी भी मुस्कुरा दी,"कामिनी जी,मैं कॉलेज रिजिस्ट्रल लाल साहब को बुला देता हू,वो आपकी मदद करेंगे."
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