Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 03:57 PM,
#27
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--10

करण अब उसकी गर्दन & ड्रेस के उपर के खुले हिस्से को चूम रहा था.बेचैन करण के हाथ कामिनी की कमर से फिसल कर उसकी गंद पे पहुँच गये.भारी,मांसल गांद हाथ मे आते ही उसने उसकी फांको को ज़ोर से दबा दिया,"..ऊऊहह..!"

कामिनी सिहर के शोख मुस्कान होंठो पे लिए उसकी बाहो से छितक के निकल गयी.करण ने आगे बढ़ 1 बार फिर उसे अपनी बाहो मे कस लिया.इस बार उसने उसे खुद से ऐसे सताया हुआ था जैसे की वो हवा को भी बीचे मे नही आने देना चाहता हो.उसके हाथ उसे बाँहो मे कसे हुए उसकी बगल मे फिसल रहे थे की तभी उसके दाये हाथ को कामिनी के बदन के दाई तरफ बगल मे छुपि ड्रेस की ज़िप मिल गयी.

"सर्र्र्र्र्र्ररर....",1 ही झटके मे उसने ज़िप खोल दिया.कामिनी ने शर्मा के उस से अलग होना चाहे पर करण इस बार उसे काफ़ी मज़बूती से पकड़े था.उसने उसकी गर्दन के नीचे चूमते हुए दोनो हाथो से पकड़ कर ड्रेस को इतनी ज़ोर से नीचे खींचा की वो उतर कर सीधा कामिनी के पाँवो मे जा फाँसी.कामिनी उसे धकेल उस से अलग हुई & अपने पैरो को ड्रेस से निकल कर दो कदम पीछे हट गयी.

करण का मुँह खुला का खुला रह गया.काले सॅटिन के चमकते स्ट्रेप्लेस्स ब्रा & मॅचिंग छ्होटी सी पॅंटी जोकि बस उसकी छूट को ढँके भर थी,मे कामिनी का मादक बदन और भी नशीला लग रहा था.ब्रा मे से उसकी च्चातियो का उपरी भाग दिख रहा था जो उसकी तेज़ सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी.नीचे सपाट,चिकने पेट के बीच गोल,गहरी नाभि नज़र आ रही थी & पतली कमर के नीचे काली पनटी जोकि जन्नत को च्चिपाए हुए थी.उसकी भारी जंघे & सुडोल,गोरी टाँगे जैसे कारण को अपने बीच आने का बुलावा दे रही थी.

कारण की आँखो मे अब उसके बदन की तारीफ & चाहत,दोनो सॉफ दिख रहे थे.उसकी नज़रो की गर्मी से शर्मा के कामिनी मुस्कुराते हुए घूम गयी & ये नज़ारा देख कर कारण बस बेकाबू हो गया.कामिनी ने अभी भी अपनी सॅंडल्ज़ पहनी हुई थी & उनकी वजह से उसकी भारी गंद और उठी नज़र आ रही थी & गोरी पीठ के बीच बस 1 काला ब्रा स्ट्रॅप दिख रहा था.

करण पीछे से उस से जा सटा & उसे बाहो मे भर उसके दाए गाल & फिर उसकी गर्दन & दाए कंधे को चूमने लगा.उसके हाथ कभी कामिनी की कमर के बगल मे सहलाते तो कभी उसके सपाट,गोल पेट को,"ओह्ह..कामिनी,मैने जितना सोचा था तुम उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत हो!",उसकी नाभि कुरेदते हुए वो अब उसके बाए गाल को चूम रहा था.कामिनी ने भी अपनी बाहे पीछे ले जाके उसके गले मे डाल दी थी & उसकी हर किस का जवाब उसके चेहरे को चूम कर दे रही थी.

"..मुझे यकीन नही होता की तुम मेरी बाहो मे हो,कामिनी.",उसने उसके कान को काट लिया.

"..ऊव्वव..!",अपनी तारीफ सुन कामिनी का दिल खुशी से भर उठा था,"..हां,अमीन तुम्हारी बाहो मे हू कारण..ऊहह...मुझे जैसे मर्ज़ी प्यार करो...जितना मर्ज़ी प्यार करो..!"

उसकी बातो को सुन करण और जोश मे आ गया.उसने उसे घुमाया & फिर उसकी मखमली पीठ & कमर को अपने हाथो से रगड़ते हुए उसे चूमने लगा.कामिनी के होंठो,गालो,माथे-पूरे चेहरे पे & उसकी लंबी गर्दन पे उसने किस्सस की बौच्हार कर दी.

करण ने बेसब्री से आगे झुकते उसके क्लीवेज को चूमा तो कामिनी पीछे झुकते हुए लड़खड़ाई & उसकी गांद पीछे रखे शेल्फ से टकराई.करण ने उसकी कमर से पकड़ उसे उठाया & शेल्फ पे बिठा दिया.फिर आगे बढ़ वैसे ही खड़े हुए उसने कामिनी को बाहों मे भर फिर से चूमना शुरू कर दिया.कामिनी भी अब बेचैनी से उसके सीने & पीठ पे हाथ फिरा रही थी.

उसने 1-1 करके करण की शर्ट के सारे बटन खोल उसे उतार दिया.करण की बालो से भरी छाती नंगी होते ही वो उसे बेताबी से सहलाने लगी.वो दोनो हाथो से उसके निपल्स पे हाथ फेरने लगी,फिर झुकी & सीने को चूमने लगी.करण उसके सर & पीठ पे हाथ फिराए जा रहा था.

करण ने उसका हाथ पकड़ा & अपनी बेल्ट पे रख दिया.कामिनी उसका इशारा समझ गयी,उसने शोखी से मुस्कुराते हुए उसकी बेल्ट खोल दी.करण ने आँखो से उसे पॅंट भी खोलने का इशारा किया तो कामिनी ने उसकी पॅंट खोलना शुरू किया.ज़िप खुलते ही पॅंट सरक कर करण की आएडियो पे गिर गयी.करण ने पैर निकला कर पॅंट को परे कर दिया.

अब वो केवल अंडरवेर मे कामिनी के सामने खड़ा था.कामिनी ने नज़र भर कर उसे देखा,अंडरवेर काफ़ी फूला हुआ था....अफ!...थोड़ी ही देर मे इसमे क़ैद लंड उसके अंदर होगा!...उसकी चूत अब तक पूरी गीली हो चुकी थी,ये ख़याल आते ही उसमे 1 मीठी सी कसक उठी.

करण ने फिर से उसे बाहो मे भर चूमना शुरू कर दिया.अब उसका लंड बैठी हुई कामिनी की पॅंटी से ढाकी चूत से पूरा सटा हुआ था & वो हल्के-2 अपनी कमर हिला रहा था.इन हल्के धक्को से मस्त हो कामिनी अपने प्रेमी से और चिपक गयी.दोनो के बीच बस अब उनके अनडरवेर्ज़ की दीवार थी.

दोनो मस्ती मे पागलो की तरह 1 दूसरे को चूम रहे थे& 1 दूसरे के पूरे बदन पे हाथ फिरा रहे थे.करण के हाथ उसकी पीठ पे ब्रा स्ट्रॅप से टकराए तो उसने उसे झट से खोल ब्रा को कामिनी के खूबसूरत जिस्म से अलग कर दिया.करण उसके हाथो को छ्चोड़ सीधा खड़ा हुआ & पहली बार कमरे मे जल रहे लॅंप की मद्धम रोशनी मे कामिनी की 38द साइज़ की बड़ी कसी हुई गुलाबी निपल्स से सजी छातिया को देखा.

सांसो के साथ उपर-नीचे होते उसके उरोज़ मस्ती मे शायद थोड़े और बड़े हो गये थे.करण झुका & उसकी बाई चुचि को अपने दाए हाथ मे भर कर हल्के से दबाया & फिर निपल & उसके आस-पास के हिस्से को अपने मुँह मे भर उनपे ज़ुबान फेरने लगा,"..उउउन्न्ञनह......!",

मस्ती मे आ भर कामिनी ने आँखे बंद कर अपना सर पीछे कर लिया & अपने दोनो हाथो से करण के सर को अपनी चूची पे और भींच दिया.उसकी टांगे खुद बा खुद उसकी कमर पे कस गयी.केयी लम्हो तक करण उसकी छाती का लुत्फ़ उठता रहा.कामिनी ने उसके बॉल पकड़ कर हल्के से उसके सर को उठाया,फिर अपने दाई चूची पकड़ी & करण का सर झुका कर उसे उसके मुँह मे दे दिया.

उसकी इस अदा ने करण की मस्ती को और बढ़ा दिया & वो इस बार और जोश के साथ उसकी छाती को चूसने लगा.उसका 1 हाथ उसकी बाई चुचि को मसलने लगा.कामिनी मज़े मे पागल हो आँखे बंद किए बड़ी मस्त आहे भरने लगी.कभी उसके हाथ उसके सर पे चले जाते & उसके बालो से खेलने लगते तो कभी वो पीछे की दीवार पे बेचैनी से फिसलने लगते & कभी उसके प्रेमी के बदन से.

उसकी चूचियो से जम कर खेलने के बाद करण नीचे झुका & उसकी पॅंटी निकालने लगा.धड़कते दिल से गंद उठा के कामिनी ने इसमे उसकी मदद की.उसकी प्यासी चूत कब से इस पल का इंतेज़ार कर रही थी,"..वाउ..!"

कामिनी ने कल ही चूत के बाल सॉफ किए थे & मद्धम रोशनी मे उसकी कसी,गुलाबी चूत अपने ही रस से भीगी हुई बड़ी प्यारी लग रही थी.विकास के बाद करण दूसरा मर्द था जिसके सामने कामिनी ऐसे नंगी हुई थी.उसकी आँखो मे अपने जिस्म के सबसे खूबसूरत अंग के लिए तारीफ देख उसे शर्म आ गयी.

करण बैठ कर उसके नर्म घुटनो को चूमने लगा.उसने उसकी जंघे उठा कर अपने कंधो पे रखी तो कामिनी मस्ती मे उसके सर को पकड़ कर बालो मे उंगलिया फिरने लगी.उसकी अन्द्रुनि जंघे चाटता हुआ करण उसकी चूत तक पहुँच गया.अपने हाथो से उसकी जाँघो को पकड़ कर सहलाते हुए जब उसने पहली बार अपनी जीभ उसने कामिनी की छूट की डरा पे फिराई तो कामिनी ने मज़े मे अपना बदन मोड़ कर सर पीछे की ओर झुका दिया.अपनी जाँघो से करण को भींचते हुए उसने अपने हाथो से उसके सर को अपनी चूत पे और भींच दिया,"ऊहह....हा..अन्न्न्न..!"
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