RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा ज़रूर अतृप्त थी क्योंकि उसकी गान्ड तो अच्छे से कूट गयी थी पर चूत वैसी की वैसी प्यासी रही थी. प्राची ने उसकी बुर चूस कर उसे झड़ाया. नेहा भी कई बार झड़ी थी, इस चिकने लड़के की गान्ड मारने मे उसे बहुत सैडिस्टिक सुख मिला था.
जब शोभा दर्शन का झाड़ा लंड निकाल कर अलग हुई तो नेहा फिर भी दर्शन की पीठ पर चिपकी रही. अपना डिल्डो उसने दर्शन की गान्ड मे ही रहने दिया. शोभा के नीचे से निकलने के बाद दर्शन को पट्ट बिस्तर पर लिटा कर वह दर्शन की गान्ड अगले आधे घन्टे तक मारती रही. बीच बीच मे सुस्ता लेती और फिर शुरू हो जाती. दर्शन को दुखा भी और मज़ा भी आया. नेहा के कसे हुए उरोज और उनके ऊपर के कड़े निपल जब उसकी पीठ पर दबते तो वह सुख से सिहर उठता. कम से कम इस बहाने तो नेहा की चून्चियो को अपने शरीर से छूने का मौका मिला, ऐसा वह सोच रहा था.
आख़िर जब नेहा पूरी तरह से तृप्त हो गयी तो उसने दर्शन की गान्ड से डिल्डो बाहर निकाला. स्ट्रैप खोल कर उसने डिल्डो का निचला हिस्सा अपनी चूत के बाहर खींचा और दर्शन के मूह मे दे दिया. "ले, पहले डिल्डो सॉफ कर, उसपर मेरा बहुत रस लगा है. फिर सीधा चूत से चखाऊंगी"
दर्शन आँखे बंद करके डिल्डो चाटने लगा. 'नेहा की चूत का रस! अमृत आख़िर मेरे नसीब मे था यह शहद! सोचता हुआ चूस चूस कर वह उस प्लास्टिक के लंड को सॉफ करने लगा. नेहा हल्के से उसके कान मे बोली "असल मे तेरी गान्ड मे जो डिल्डो घुसा था वह भी तुझे ही चटवाने वाली थी मैं, पर मम्मी डान्टेन्गि इसलिए छोड़ दिया. आगे याद रख, यह काम तुझे
करना पड़ेगा. काफ़ी चीज़े चखाना है तुझे जो तूने कभी नही चखि होंगी" दर्शन सुनता रहा गया. नेहा कितने परावर्टेड नेचर की है यह उसकी समझ मे आने लगा.
डिल्डो चटाने के बाद नेहा अपनी करवट पर लेट गयी और एक टाँग उठाकर दर्शन का सिर उसने अपनी निचली जाँघ पर रख लिया. फिर दर्शन के सिर को खींचकर उसने उसका मूह अपनी चूत पर दबा लिया और टाँग नीचे करके दर्शन का सिर अपनी दोनो जांघों के बीच फ़ुटबाल जैसा जाकड़ लिया. आगे पीछे होकर टांगे कैंची जैसी हिलाती हुई वह दर्शन के मूह पर
मुठ्ठ मारने लगी. "लो चूसो दर्शन. पेट भर के चूसो, नही तो मा से कहोगे कि नेहा ने अपनी शर्त नही पूरी की" नेहा ने बहुत देर दर्शन को अपना पानी पिलाया. बीच बीच मे वह जान बूझकर उसके सिर को अपनी सशक्त जवान जांघों मे इतना जाकड़ लेती कि दर्शन दर्द से कराह उठता. पर नेहा की यह ज़्यादती भी उसे आनंद दे रही थी, और वह उसे सहन करता रहा. उस सुंदरी की चूत के अमृत के आगे ये दर्द कोई बड़ी बात नही थी. और ऐसा मौका सब को कहाँ मिलता है कि किसी का सिर किसी इतनी सुंदर लड़की की जांघों के बीच मे हो!
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