Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
12-30-2018, 01:57 PM,
#41
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 4
(लेखक – कथा प्रेमी)

रात के ग्यारह बजे थे. नासिक के लॅडीस हॉस्टिल के रूम नंबर 369 मे प्राची और नेहा कामदेव और रतिदेवी की पूजा कर रहे थे. प्राची नग्नावस्था मे सिसकारियाँ भरती हुई एक कुर्सी मे बैठी थी. उसके हाथ कुर्सी के हथ्थो से बँधे थे जिससे वह बिल्कुल असहाय थी. असहनीय सुख की लहरे उसके शरीर की नस नस मे उठ रही थी. सोच रही थी कि नेहा याने, मा से बेटि सवाई इस कहावत का जीता जागता उदाहरण थी. उसके सामने नीचे जमी पर बैठकर उसकी जांघों मे सिर डालकर नेहा अपनी जीभ का जादू दिखा रही थी. मादक घटनाओ से भरा आज का दिन प्राची को बार बार याद रहा था कि यह सब कैसे हुआ ...........


नासिक के लिए रवाना होते समय प्राची ने सोचा था कि जो होगा वह रात को होगा, तब देखी जाएगी, अभी से उसका विचार करने का कोई मतलब नही था. पर नेहा के करतब तो बस के हाइवे पर आने के बाद ही शुरू हो गये थे. पहले
उसने मुस्काराकर प्राची की ओर देखा और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया. गप्पें लड़ाते लड़ाते दस मिनिट के अंदर उसने अपना हाथ प्राची के कंधे के पीछे रख दिया. कुछ ही देर मे वह हाथ खिसककर प्राची की छाती पर पहून्च गया और प्यार से उसके स्तनों को हल्के से छुआ. प्राची कुछ नही बोली, उसे लगा को शायद अनजाने मे हुआ होगा.

दस मिनिट के बाद नेहा साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तन हौले हौले दबाने लगी. प्राची थोड़ी चौंकी पर अब भी कुछ नही बोली, नेहा से बाते करती रही जैसे कुछ ना हुआ हो. कुछ देर के बाद नेहा ने उंगलियों मे साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तनाग्र पकड़कर टटोले और झुक कर प्राची के कान मे फुसफुसाई "प्राची मौसी, सच मे मूँगफली जैसे लंबे है! रात को चूसने मे मज़ा आएगा"

प्राची को समझ मे नही आया कि क्या कहे. ये लड़की तो एकदम चालू है, सीधे असली बात पर उतर आई है. शायद आजकल की पीढ़ी ही ऐसी है, उन्हे ज़्यादा झिझक नही होती अपनी पसंद व्यक्त करने मे ऐसा सोच कर उसने नेहा की ओर देखा. नेहा बड़े नटखट अंदाज मे मुस्करा रही थी. इतनी खूबसूरत लग रही थी की प्राची भी अपनी झिझक भूल कर मुस्कराने लगी. नेहा से बोली "नेहा, ज़रा रुक तो, रात मे अभी देर है, तब की तब देखी जाएगी"


"हां मौसी, दावत तो रात को है पर टेस्ट तो अभी कर सकती हूँ ना" कहकर नेहा ने उसकी एक चून्चि हथेली मे ले ली और मसलने लगी. प्राची भी अब थोड़ी उत्तेजित हो गयी थी, उसे बहुत अच्छ लग रहा था कि इस सुंदर युवती को वह इतनी
अच्छि लग सकती है कि उससे रहा नही जा रहा है. उसने आँखे बंद कर ली और अपने आप को नेहा के हवाले कर दिया.
नासिक पहून्चते पहून्चते प्राची की हालत खराब हो गयी. चूत एकदम गीली हो गयी थी, एक बार तो वह झाड़ भी गयी थी. जब बीच मे नेहा उसके चुंबन लेने लगी तो प्राची ने इधर उधर देखा. शाम हो गयी थी और बस के दूसरी ओर की सीट पर दो बूढ़ी औरते बैठी थी जो सो रही थी. सीट ऊँची होने की वजह से और कोई उन्हे देख नही सकता था. "कोई नही देख रहा है मौसी, ज़रा चूंम ने तो दो ना ठीक से" एक हल्का सा चुंबन दे कर प्राची ने जब उसे रोकने की कोशिश की तो नेहा ने अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया. जल्द ही वह हाथ उसकी साड़ी के अंदर घुस कर उसकी पैंटी के नीचे पहून्च गया और एक उंगली उसकी चूत को सहलाने लगी. अब दोनो ने एक शाल ले ली थे इसलिए उसके नीचे क्या हो रहा है किसी को पता चलने वाला नही था.


उंगली से नेहा ने इतने कौशल से प्राची की बुर को रगड़ा की बेचारी दस मिनिट मे झाड़ गयी. अपनी उत्तेजना मे प्राची ने भी अपना हाथ नेहा की सलवार मे डाल दिया. नेहा ने अपनी जांघे खोल कर खुद उसके हाथ मे अपनी बुर दे दी. बुर पर के राशमी बालों का स्पर्ष होते ही प्राची को रोमाच हो आया. इतनी मुलायम, इतनी मखमली, देखने मे कैसी होगी इस जवान छोकरी की चूत.

नेहा ने अपनी जांघे समेट्कर प्राची की उंगली अपनी बुर मे क़ैद कर ली और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए उससे हस्तमैन्थुन करने लगी. उसकी उंगली भी अब प्राची की चूत मे अंदर घुस कर प्राची को परेशान कर रही थी. बीच मे बस रुकी और लोग उठ कर उतरने लगे तो दोनो संभाल कर सीधे बैठ गयी. प्राची की ओर देखकर नेहा ने अपनी उंगली अपने मूह मे लेकर
चूसी और प्राची को आँख मार कर इशारा किया कि मौसी, स्वाद अच्छा है.


प्राची को हँसी आ गयी. क्या गजब की छोकरी है. उसने भी अपनी उंगली मूह मे लेकर चाटि और नेहा को बोली "नेहा, शहद एकदम टेस्टि है" 

नेहा बोली "मौसी, रात को मन भर कर चटाऊन्गि तुझे शहद, तू बस देखती जा. खुश कर दूँगी तुझे मा कसम"

हॉस्टिल पहून्च कर दोनो अपने कमरे मे गयी. रूम कम थे इसलिए दोनो को एक ही कमरा दिया गया. यही दोनो को चाहिए था. सामान रखकर जल्दी से आनलॉक करके दोनो मेस मे गयी क्योंकि खाने का समय हो गया था. नेहा तो उससे कमरे मे आते ही लिपट गयी थी पर प्राची ने ही कहा कि रुक जा, पहले नीचे चल नही तो भूखा सोना पड़ेगा.

वे जब खाना खाकर वापस कमरे मे आई तो दरवाजा लगाते ही नेहा झपटकर प्राची से लिपट गयी और उसे चूमने की कोशिश करने लगी. नेहा ने शोभा से प्रामिस किया था कि वह प्राची के साथ बहुत हौले हौले प्यार से आगे बढ़ेगी पर नेहा इतनी उत्तेजित थी कि उससे रहा नही गया.


करीब करीब बेटि की उमर की उस युवती के इस उत्तेजना और बेताबी भरा आक्रामक रुख़ पर प्राची ने कोई ऐतराज नही किया और चुपचाप आत्मसमर्पण कर दिया. वह भी नेहा की जवान सुंदरता का आसवाद लेने को बेताब हो रही थी, साथ ही मन मे उसे बड़ा अच्छा लग रहा था कि नेहा को वह अपनी अधेड़ उमर के बावजूद भी इतनी सुंदर लगती है.
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