RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"अरे तो वह छोटा थोड़े ही है! कॉलेज मे फ़र्स्ट ईयर मे है. पर तू चिंता ना कर. ऐसा करते है कि उसे दो दिन मैं यहाँ अपने ही घर मे रख लेती हूँ, मैं भी अकेली हूँ, यहाँ बाजू के फ्लॅट भी खाली है. दर्शन यहाँ रहेगा तो मुझे भी दिलासा रहेगा. दोपहर को चाहे तो वह पढ़ाई करने को अपने घर चला जाएगा पर रात को सोने को यही आ जाएगा, अपनी शोभा मौसी को
कंपनी देने को" हँसते हुए शोभा ने कहा. वह बड़े नटखट अंदाज़ मे प्राची की ओर देख रही थी
प्राची समझ गयी कि शोभा के दिमाग़ मे क्या चल रह है. दर्शन के साथ वह अकेले मे क्या करेगी यह भी तय था. क्षण भर उसके मन मे बात आई कि यह जो हो रह है क्या ठीक है? पर फिर उसने जब नेहा की ओर देखा तो वह सोफे मे पीछे की ओर लुढ़क गयी थी और तिरछी आँखों से उसकी ओर देख रही थी. नेहा का स्कर्ट खिसक कर घुटने के ऊपर पहून्च गया था और उसकी गोरी चिकनी जांघे आधी दिख रही थी. नेहा के चेहरे पर एक बड़ी मीठी मुस्कान थी कि मानों प्राची को आमंत्रित कर रही थी कि आओ आंटी, देखो और चखो मेरी जवानी को. उसका मन डोल गया. उसकी चूत मे अब बड़ी मीठी अगन लगी थी. उसने हथियार डाल दिए, सोचा जो होगा देखा जाएगा, इतने मादक सुख के आगे बाकी कुछ भी मायने नही रखता था. और दर्शन को भी शायद बहुत सुख मिलेगा, आख़िर जवान लड़का है, मैं क्यों उसके चैन मे बाधा डालूं! "ठीक है,
मैं दर्शन को बता दूँगी" वह नेहा की ओर देखते हुए बोली. नेहा से उसकी नजरे मिली और प्राची के अंग अंग मे एक रोमाच की लहर दौड़ गयी.
कुछ देर और गप्पें मार कर प्राची घर आ गयी. घर आ कर उसने दर्शन को बताया कि वह नेहा के साथ नासिक जा रही है. "दर्शन बेटे, जाना ज़रूरी है, उसके साथ कोई चाहिए. पर यहाँ शोभा मौसी अकेली रह जाएगी. तू रहेगा वहाँ दो दिन? मौसी को भी कंपनी हो जाएगी और मुझे भी चिंता नही रहेगी तेरे खाने पीने की चिंता नही करनी पड़ेगी.
दर्शन तैयार था "हां मा, तुम हो आओ, बहुत दिनों से कही गयी नही हो. मैं रह लूँगा मौसी के यहाँ." उसकी नज़र अनजाने मे प्राची के वक्षस्थल पर थी, तंग कुरती मे से उभर कर दिखती हुई मा की चून्चियो पर बार बार उसकी नज़र जा रही थी.
उसकी नज़र मे झलक आए आकर्षण और कामना के भाव से प्राची थोड़ी अस्वस्थ हो गयी. दो दिन से वह देख रही थी कि दर्शन के बर्ताव मे फरक आ गया है. उसी दिन से जब से उसने अपना पहनावा बदला था और नयी ब्रा और पैंटी ले आई थी. उसे लगता था कि अक्सर दर्शन उसके पीछे से उसे घूरता रहता है. एक दो बार उसे ये भी लगा कि शायद वह चोरी छिपे उसे देखने की कोशिश कर रहा है जब वह बेडरूम का परदा लगाकर कपड़े बदल रही होती है. 'शोभा सच कहती थी, ये जवान लड़के क्या सोचते है कोई कह नही सकता' उसके मन मे आया. दर्शन के इस अजीब से बर्ताव के कारण हो रही चिंता के साथ साथ प्राची के मन मे बड़े कामुक और नाजायज़ से विचार आने लगे.
शोभा कहती थी वैसा कुछ अगर सच मे दर्शन के दिमाग़ मे हो? क्या दर्शन भी नेहा जैसे अपनी मा के साथ ....? 'होने दो जो होना है, मैं नही सोचती इस बारे मे, जिस बात मे इतना सुख मिलता है उसमे कुछ भी नाजायज़ नही हो सकता" उसने अपने आप को समझाया.
दर्शन का मन भी मा मे दो दिन से आए बदलाव से काफ़ी भटक गया था. पहले ढीले ढाले कपड़ों मे सादे रहन सहन की प्राची को देखकर उसे वह सिर्फ़ मा लगती थी. फिर उसका बदला रूप जब से उसने देखा था, बालों को जूडे मे बाँधना, हल्का मेकअप, लिपस्टिक, सुंदर नाभि दर्शना साड़ी, स्लीवलेस ब्लाउस मे से दिखती गोरी लंबी बाहें, अचानक उभर कर दिखने लगे उसके उरोज, यह सब देखकर उसके मन मे अब मा के प्रति एक अजीब कामुकता भरा आकर्षण जाग उठा था. नेहा उसे बहुत अच्छी लगती थी पर उस स्मार्ट रूपवती लड़की को देखकर वह थोड़ा सकुचाता था. मासल भरे पूरे बदन की शोभा आंटी तो उसे बहुत पहले से अच्छी लगती थी. उसके नाम से वह अक्सर हस्तमैंतुन भी किया करता था. परसों तो जब झुक कर पेपर उठाते समय शोभा की चून्चिया उसे दिखी थीं, तो उसका लंड खड़ा हो गया था.
कल उसने अपने आप को संभालने की काफ़ी कोशिश की थी. पर सुबह अचानक उसे बेडरूम के पर्दे मे से सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने मा की झलक दिख गयी थी जब वह कपड़े बदल रही थी. ख़ास कर पीछे से दिखते प्राची के मोटे विशाल नितंबों को देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया था. नहाते समय उसने मूठ मारी तब आँखों के सामने अपनी मा की वही अर्धनग्न
मूर्ति थी. नहाने के पहले उसने धोने के कपड़ों मे मा की ब्रा और पैंटी ढूंढी थी पर बेचारे को नही मिली. प्राची ने खुद धोकर वे सुखाने को डाल दी थीं, अपनी महँगी ब्रा और पैंटी का वह ख़ास ख़याल रखती थी. अब मा ने जब उसे बताया कि उस दो दिन शोभा आंटी के साथ रहना पड़ेगा, तो वह अपने नसीब पर फूला नही समा रहा था. मन मे बड़ी मीठी सी आशा थी,
क्या कुछ करने का मौका मिलेगा? कम से कम शोभा आंटी को पास से देख तो सकेगा, हो सकता है कि कल जैसे मा दिखी, वैसे शोभा आंटी का भी अर्धनग्न रूप दिख जाए. लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाता दर्शन ख़याली पुलाव पकाने मे लग गया था.
उस रात शोभा के बेडरूम मे करीब हफ्ते भर के बाद मा बेटी की रति हुई जो बहुत रंग लाई. आख़िर इतने दिन के बाद दोनो मिली थी. प्राची के जाने के बाद नेहा से ना रह गया और वह शोभा को हाथ पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गयी, छोटे बच्चों के अंदाज मे, जब वे ज़िद करते है. बेडरूम मे जाकर वा शोभा से लिपट गयी और उसे बेतहाशा चूनने लगी.
चूमते चूमते नेहा के हाथ बड़े सधे अंदाज मे अपनी सौतेली मा के कपड़े निकाल रहे थे जैसे उन्हे इस काम की अच्छी प्रैक्टिस हो. दो मिनिट मे शोभा पूरी नंगी हो चुकी थी. उसे बिस्तर पर धकेलकर नेहा उसपर चढ़ गयी और उसके मम्मे चूसने लगी. एक दो मिनिट उन बड़े स्तनों की घून्डिया चूसकर उसने जैसे एक मा के प्रति बेटी का प्रेम व्यक्त किया और
फिर नीचे सरककर मौके की जगह पर पहून्च गयी जिसके लिए वह भूखी थी.
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