RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"मेरी नज़र की दाद दे, मैने तो लीना को देखते ही पहचान लिया था कि किस तरह की लड़की है और तुझ पर कितनी फिदा है. खैर आगे भी मौका मिलेगा तुझे उसके साथ. तब तक हम मा बेटी तो है ही. लीना को कभी घर पे बुला ले एक दो
दिन रहने को. मैं भी तो देखूं कि तेरी सहेली कितनी नमकीन है" शोभा ने चुटकी ली.
"क्या मम्मी, बड़ी हरामी हो तुम. मेरी सहेली पर निगाहे है तेरी अब! चलो, बुला लूँगी, अभी तो दो महने वा वापस नही आने वाली. पर मम्मी एक बात बताओ, तुम इतनी खुश और तृप्त कैसे दिख रही हो, नही तो क्या हालत हो जाती है तुम्हारी जब मैं नही होती हू. मेरे आते ही भूखी शेरनी सी झपट पड़ती हो मुझ पर, आज मुझे आकर इतनी देर हो गयी फिर भी प्यार से बाते कर रही हो! क्या बात है, कोई मिला गया था क्या, मेरा मतलब है कोई मिल गयी थी क्या?" नेहा ने शोभा के चेहरे के भावों को ताकते हुए उत्सुकता से पूछा.
शोभा ने यह कहकर कि ऐसा कुछ नही है, बाद मे बताऊँगी, बात बदल दी. नेहा ने एक दो बार फिर पूछा, फिर मचल कर शोभा को धकेलकर बेडरूम ले गयी. "चलो मम्मी, मुझसे रहा नही जा रहा है, मेरी ये दुश्मन, ये जो मेरी टाँगों के बीच है, बहुत सता रही है, रो रही है बेचारी, इसे दिलासा दो"
"अरी पागल हो गयी है क्या, शाम को? कोई आ जाएगा, बेल बजेगी तो वैसे ही उठना पड़ेगा. उससे कह की रात तक रुक, फिर उसे भरपूर मज़ा चखाऊंगी, अच्छी खबर लूँगी कि मेरी लाडली बेटी को इतना क्यों सताती है."शोभा प्रेम से नेहा के स्तनों को हौले हौले सहलाते हुए बोली. "हां एक बात बताने की रह ही गयी. तेरे कॉलेज से फोन आया था. तुझे कल ही नासिक जाना है, सोमवार को सुबह इंटरकॉलेज क्विज़ है, तेरा नाम दिया है कॉलेज ने"
नेहा मचल उठी "मैं नही जाऊंगी. क्या बोरियत है, ये लोग तुम्हारे साथ रहने भी नही देते. मेरा जीके अच्छा है यह जी का जंजाल हो गया. कितनी बार बाहर भेजते है मुझे ये कॉलेज वाले. तुम भी चलो ना मम्मी"
"मुझे यहाँ काम है नेहा. ऐसा कर, तू प्राची मौसी के साथ क्यों नही चली जाती? दो दिन रहकर, नासिक घूमकर मज़ा करना और आ जाना. प्राची मौसी का भी घूमना हो जाएगा. वह बेचारी वैसे ही घर मे अकेली बोर होती है"शोभा ने निर्विकार चेहरे से कहा.
"क्या फ़ायदा मा! और क्या मज़ा करूँगी? तुझे मालूम है कि मुझे रोज क्या लगता है! वैसी मज़ा तो सिर्फ़ तुम ही मुझे दे सकती हो मम्मी. मुझे और कोई नही चाहिए साथ मे. तुम्हारे बिना मैं पागल सी हो जाती हूँ. प्राची मौसी के सामने कुछ कर भी नही सकती" नेहा नाक भौं सिकोड कर बोली.
"ठीक है, उसके सामने नही कर सकती, उसके साथ तो कर सकती है?" तू ही तो कह रही थी कि प्राची मौसी तुझे बहुत अच्छी लगती है" शोभा ने मुस्कराते हुए कहा.
"मुझे चलेगा, चलेगा क्या दौड़ेगा. वह सच मे बहुत सुंदर है. बहनजी जैसा रहना छोड़ दे तो एकदम चिकना माल दिखेगी. पर मम्मी, वह बेचारी सीधी साधी औरत, वह तो शॉक से मर ही जाएगी अगर मैं ऐसा कुछ करने जाऊंगी उसके साथ. अच्छा मज़ाक करती ही तुम मम्मी, क्या क्या सूझता है तुम्हें" नेहा ने हँसते हुए कहा.
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