RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
जैसे उसके मूह को साइकिल की सीट बनाकर सवारी कर रही हो. जब शोभा ने दाँतों मे प्राची के क्लिट को ले कर हल्के से चबाया तो बेचारी प्राची को सहन नही हुआ. वह इतना झाड़ चुकी थी कि उसकी बुर मे कुछ नही बचा था. अब अपनी चूत या क्लिट पर किसी तरह का स्पर्ष उसे सहन नही हो रहा था. बेचारी छूटने के लिए हाथ पैर मारते हुए शोभा को कहने की
कोशिश कर रही थी कि दीदी अब छोड़ो, मैं मर जाऊंगी. पर शोभा ने उसका मूह अपनी बुर से कस के बंद कर रखा था.
उधर शोभा अपना पूरा कामकौशल लगा रही थी कि प्राची को और झड़ाए, उसकी बुर को पूरा निचोड़ ले. खुद उसकी बुर अभी भी मस्त थी और ज़बरदस्ती वह प्राची को अपनी चूत का पानी पिला रही थी. आख़िर बेचारी प्राची को अपनी चूत की नसों पर पड़ता यह अति सुख का बोझ सहन नही हुआ और एक लंबी साँस लेकर वह बेहोश हो गयी. उसके शरीर के ढीले पड़ने के बाद शोभा ने उसे छोड़ा. उठ कर शोभा ने प्राची के निस्तेज पड़े भोगे हुए गोरे बदन को देखा. उसके होंठों पर एक मुस्कान थी, कुछ मीठी और कुछ कुटिल. आज वह पूरी तृप्त थी, आख़िर उसने अपनी इस पड़ोसन को फँसा कर उसे मन चाहे वैसा भोग लिया था. उसे अपने इस मीठे जाल मे फँसाने का उसका इरादा पूरा हो गया था. अब इस जाल मे से प्राची का छूटना असंभव था. प्राची के ढीले पड़े शरीर को बाहों मे लेकर वह सो गयी जैसे वह शरीर किसी औरत का नही, बल्कि कोई बड़ा टेडि बीयर हो, खिलौना हो. प्राची के बदन से खेलते खेलते शोभा की भी आँख लग गयी.
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