Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:34 PM,
#57
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अब मैं उसकी नाभि तक आ चूका था नाभि के छेद में अपनी जीभ को घुसाने की कोशिश करने लगा पिस्ता का पेट उत्तेजना के मारे कांप रहा था मैं उसकी कच्छी की इलास्टिक में अपनी उंगलिया फंसाई और उसको नीचे को सरका दिया ufffffffffffffffff बिना बालो की वो रेशमी चूत कितनी सुन्दर लग रही थी , पिस्ता ने ढेर सारा रस कटोरे से अपनी टांगो के जोड़ पर गिराना शुरू किया मैं उसकी टांगो के बीच बैठ गया और अपने चेहरे को उसकी चूत पर लगा दिया रसमलाई अन्दर तक चूत में जा चुकी थी , 


चूत से बहता हुआ कामरस रसमलाई से मिलकर और भी स्वादिष्ट और रसीला हो गया था पिस्ता की टाँगे थर थराने लगी थी ओह्ह्हह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह्ह्हह्ह करने लगी थी वो, मेरी लाप्लाप्ती जीभ उसकी चूत में जितना हो सके अन्दर घुसने को बेताब हो रही थी दिवार के सहारे खड़ी वो ऐसी हिल रही थी जैसे की आजकल के मोबाइल को वाइब्रेशन मोड़ पे छोड़ दिया हो जैसे , पिस्ता की चूत को ऊपर से नीचे तक मजे से मैं चाट रहा था पिस्ता की पांवो में पड़ी पायल की झंकार बता रही थी की उसका हाल उस समय क्या था 


मैंने उसको पलता और ढेर सारी रसमलाई उसके कुलहो पर गिरा दी और वहा पर अपनी जीभ फिराने लगा पिस्ता के बदन में अलग अलग फीलिंग आने लगी वो ऊपर से नीचे तक ऐसे लग रही थी जैसे की रसमलाई में पड़ा बड़ा सा मिठाई का टुकड़ा हो ऊपर से वो कामवासना में जलती हुई घायल शेरनी , पिस्ता ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे लिंग प्रदेश को पूरी तरह उसी रस से सरोबार कर दिया और टूट पड़ी उस पर जैसे की किसी जंगली शेरनी को मनपसंद शिकार मिल गया हो 

मेरे लंड के सुपाडे को उसने नीचे को सरकाया और कटोरे से मलाई को उड़ेलने लगी उस पर वो उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ क्या अदा थी हूँस्न्वाली की , फिर उसने अपने होठो पर जीभ फेर कर उनको गीला किया और टूट पड़ी मेरे लंड पर मेरे सुपाडे में जैसे कर्रुंत आने लगा उसकी लिजलिजी जीभ से , जीभ को गोल गोल घुमा कर वो सारी रसमलाई को चाटने लगी आज से पहले इतना मजा मुझे सच में ही नहीं आया था मेरे पुरे बदन के तार जैसे एक साथ बजने लगे हो अपनी मुट्ठी में भरके मेरी गोलियों को दबा रही थी वो धीरे धीरे करके मेरे पुरे लंड को अपने मुह में ले लिया था उसने थूक और रसमलाई के मिश्रण से सना हुआ मेरा लंड उसके लिए एक मस्त कुल्फी बन गया था जिसे बड़े ही प्यार से वो चूस रही थी 


मेरा लंड एक उम खूंखार अवस्था में आ चूका था मैंने उसको वहा से हटाया पिस्ता को फर्श पर घोड़ी बनाया दिया उसकी गांड का कटाव क्या सुन्दर लग रहा था मैंने उसकी चूत पर लंड को रखा और उसकी कमर को थाम लिया पिस्ता ने अपनी आँखे बंद कर ली और ठीक उसी समय मेरा लंड दनदनाता हुए उसकी चूत में प्रविष्ट होने लगा उसने मजबूती से अपने हाथ फर्श पर जमाये और अपनी गांड को थोडा सा खोल सा दिया मेरा लंड चूत से रगड़ खाते हुए अन्दर जाने लगा 


ooohhhhhhh हाय रे धीरे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मैं उसकी कमर को थामे ले चला उसको चुदाई के सफ़र पर अपने साथ पिस्ता के मस्त मस्त चुत्तढ जब हिलते थे तो मुझे और भी जोश आता था उसकी चूत बेहद गीली हो रक्खी थी तो लंड को और आसानी हो रही थी पिस्ता ने अपनी टांगो को बिलकुल आपस में चिपका लिया जिस से की चूत का छल्ला लंड पर बुरी तरह से काफी टाइट कसा जा चूका था ठप्प थाप की थाप देते हुए उसके कुलहो पर चुदाई शुरू हो चुकी थी 


उम्प्फ्फफ्फफ्फ्फ़ आह aahhhhhhhhhhhhhhh ओह्ह्हह्ह्ह्ह रे 

आह अआः ummmmmmmmmmmmmmmm 

बस ऐसी ही मिली जुली प्रतिकिर्या हो रही थी पिस्ता की और मेरी चुदाई का सुरूर हम दोनों पर छा चूका था पर ज्यादा देर उसको घोड़ी नहीं बना पाया था , फर्श उसके घुटने पर लगने लगा था तो वो उठ गयी लंड चूत से बाहर आ निकला ,मैंने उसे देखा पिस्ता की चूत का गाढ़ा रस लगा हुआ था उस पर पिस्ता ने अपने चेहरे पर घिर आई जुल्फों को साइड में किया और लंड को मुह में ले लिया 

मैं- आह चाट जा तेरी चूत के सारे पानी को , देख चख कर कितना मजेदार पानी है तेरा ओह्ह्हह्ह्ह्ह मेरी जान्न्न्नन्न्न्नन्न्न्न बस ऐसे ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह choosssssssssssssss 

पर जल्दी ही उसने लंड को अपने मुह से बहार निकाल दिया और बिस्तर पर चढ़ गयी मैंने पास में रखा तकिया उसके कुलहो के नीचे लगाया पिस्ता ने अपनी टांगो को खोल दिया चूत के होंठो को खुलते बंद होते देखा मैंने , मैं अपने लंड के अगले हिस्से को चूत के मुहाने पर आहिस्ता से रगड़ने लगा तो पिस्ता के बदन में आग और भड़कने लगी उसने अपनी गांड को थोडा सा उचकाया और मैं फिर से उसमे समाता चला गया फिर कुछ होश ना रहा मुझे ना उसे कोई खबर थी 


कभी वो मेरे ऊपर कभी मैं उसके ऊपर चुदाई का ख्याल तो बहुत पीछे रह गया था , अब तो बात थी एक दुसरे को पछाड़ने की उसके निचले होंठ को अपने दांतों से दबा रखा था मेरा, हम ऐसी स्टेज पर आ गए थे की अब दर्द भी मजा दे रहा था , पिस्ता दो बार झड चुकी थी, उसके चेहरे से पसीना टप टप करके टपक रहा था वो बदहवास सी हो रही थी पर मेरा भरपूर साथ दे रही थी , बहुत गरम लड़की थी वो सच में जब वो तीसरी बार झड़ी तो मेरा संयम भी टूट गया और लंड हिलोरे मारते हुए उसकी चूत को अपने रस से भरने लगा
आज मैं कुछ इस तरह से झडा था की जैसे पता नहीं कितनी सदियों बाद बंजर जमीन पर बरसात हुई हो बदन की जैसे जान ही निकल गयी हो कतरा कतरा इतनी बुरी तरह से थक गया था मैं पिस्ता के ऊपर से उठने वाला थी था की उसने इशारे से मुझे रोक दिया और अपने ऊपर ही लिटा लिया मुझे पता नहीं कितनी देर हम दोनों एक दुसे से लिपटे पड़े रहे जब कुछ होश सा आया तो हमारा हाल बहुत बुरा था पूरा शरीर चिप छिपा रहा था , गला प्यास से सूख रहा था 

मैं- ठंडा पानी पिला यार 

वो उठते हुए- आजा नीचे चलते है हालत बहुत बुरी है नहाना ही पड़ेगा लगता है 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:34 PM

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