Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:32 PM,
#40
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
काफ़ी देर तक वो ऐसे ही मेरे सीने से लगी रहे मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया और उसके रसीले होंठो को फिर से चाटने लगा इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी उसने अपनी बहे मेरे कंधो पर रख दी और अपने मुह को मेरे होंठो के लिए खोल दिया मेरा लंड अब उसकी चूत वाली जगह पर रगड़ खा रहा था शराब की बोतल से भी नशीले उसके लबो को पीते हुए मैंने अपने हाथ उसके पेट पर रखा और फिर धीरे से उसको नीचे को सरका दिया चूत की तरफ रति का बदन उस तेज बरसात में अब बुरी तरह से कांप रहा था 


मैं बस चूत को छूने ही वाला था की वो बोल पड़ी- यहाँ नहीं 

मैं कुछ नहीं वो बोला 

वो- सहर आने वाला है देखो बस्तिया शुरू हो गयी है रौशनी भी दिखने लगी है किसी की नजर पड़ेगी तो क्या सोचेगा 

मैंने उसको अपने आगोश से आजाद कर दिया उसने अपने ब्लाउज को सही किया और सलीके से खड़ी हो गयी सिटी थोड़ी ही दूर थी मैं कहा मान ने वाला था मैंने उसको अपने से चिपका लिया और उसके चुतद को सहलाने लगा एक हल्का सा किस मैंने उसकी गले के नीचे किया तभी वो बोली ये मेरी जांघो पर क्या चुभ रहा है 

मैं- तुम्हे नहीं पता क्या 

वो- नहीं तो 

मैं- मुझे भी नहीं पता खुद ही देख लो 

रति ने अपने हाथ को नीचे किया और मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी मर खुद से काबू छुटने लगा मैंने उसके कान में कहा इसको बहार निकाल लो 


पर वो ऐसे ही सहलाती रही मेरी जान ही लने का इरादा कर लिया था उसने जैसे रति को खुद में ऐसे घोल लेना चाहता था मैं जैसे की किसी शरबत में गुलाब की खुशबू घुल जाया करती है मैं उसको वो ख़ुशी देना चाहता था जिस से वो वंचीत थी मैं उसको कोई नहीं लगता था सच था की वो किसी और की थी उसका असली हक़दार मैं नहीं था पर शायद अमानत में खयानत करने का वक़्त आ गया था ख्यालो में गम हुए इस कदर की कब सहर आ गया पता ही नहीं चला
शहर आ गया था बारिश इस साइड भी जोरो से हुई थी टेम्पो वाले को पैसे दिए मैंने रति के घर तक जाने में अभी भी कम से कम बीस मिनट लगने थे अगर ऑटो जल्दी मिल जाये तो पर कमसे कम अब ये तो था की घर पहूँच हो जायेंगे अपने गीले बालो पर हाथ मारते हुए मैंने एक ऑटो को हाथ दिया और एड्रेस बताया थोड़ी ना नुकुर के बाद वो चलने को तैयार हो गया एक बार फिर से हम दोनों साथ साथ बैठे थे काफ़ी देर गीली रहने से रति को ठण्ड सी लग रही थी बस थोड़ी देर की और बात हम लोग घर पहूँचने वाले होंगे 


मैंने उसके हाथ को थाम लिया और अपनी आँखों से उसकी तरफ देखा उसने नजर दूसरी तरफ कर ली हमारी टाँगे एक दुसरे से रगड़ खा रही थी थोडा गर्मी का अहसास हो रहा था मैं लगातार उसके हाथ को सहलाता जा रहा था रति के चेहरे पर कोई भाव नहीं था हां पर इतना पक्का था की उसके दिल में भी कुछ तो ज़रूर चल्र रहा होगा उस समय चलती हुई ठंडी हवा अपने साथ बारिश की बूंदों को लेकर आ रही थी मैं अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचने लगा पिछले महीने-डेढ़ महीने में मैं का से क्या बन गया था एक दम से अल्गने लगा था की मैं बहुत बड़ा हो गया था 


“क्या सोचने लगे ” पुछा उसने 

मैं – कुछ नहीं बस ऐसे ही घर की याद आ गयी 

वो मेरे पास सरकते हुए, “ क्या याद किया बताओ मुझे भी ”

मैं- बस ऐसे ही सोचने लगा की पिछले कुछ दिनों में मेरी ज़िन्दगी कितनी बदल गयी है देखो तुम और मैं कितने अजनबी कैसे मिल गए शायद पिछले किसी जनम में अवश्य ही तुमसे कोई नाता रहा होगा ऐसे लगता नहीं नहीं की बस कुछ रोज़ पहले ही मुलाकात हुई है तुमसे , ऐसे लगता है जैसे जन्मो से जानता हूँ तुम्हे 


वो – तुम्हारी बहुत सी बाते समझ से परे लगती है मुझे 

मैं- वो क्यों भला, मैं क्या दूसरी भाषा में बोलता हूँ 

रति- हँसते हुए, नहीं बाबा ऐसा कब कहा मैंने 

मैं उसकी जांघ को सहलाते हुए- तुम भी कहा मुझे अपना मानती हो 

वो- तुम मेरे अपने हो ही कहा 

मैं- क्या पता तकदीरो का कभी कभी कभी अजनबी भी अपने बन जाया करते है 

वो- हां पर तुम वो नहीं हो 

बाते करते करते मैं चोराहा आ गया आगे गली में ऑटो नहीं जा सकता था तो वही उतरे और चल पड़े उसके घर की तरफ चारो तरफ अँधेरा छाया हुआ था लाइट नहीं थी मोहाल्ले में मैंने कहा तुम घर चलो मैं पास के होटल से कुछ खाने के लिए ले आता हूँ 

वो- नहीं कोई जरुरत नहीं मैं बना लुंगी देर कितनी लगनी है 

मैं- नहीं यार, तुम भी तो मेरे साथ परेशान हुई हो, तुम चलो मैं बस यु गया और यु आया 

मैं वाही से मुदा और होटल पहूँच गया टाइम वैसे तो करीब सवा आठ ही हुआ था पर बारिश के कारन रात ज्यदा हो गयी हो ऐसा लग रहा था बरसात का मस्त मोसम थोड़ी भीड़ भी थी मुझे अपना पार्सल लेने में करीब आधा घंटा लग गया भीगते भिगाते मैं घर पंहूँचा तो देखा की रति के आँगन में काफी पानी भरा है उसी पानी में चप्प चप्प करते हुए मैं कमरे के दरवाजे तक पंहूँचा और दरवाजा खटकाया 


रति ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला अन्दर मोमबत्ती जल रही थी मैंने देखा उसने कपडे चेंज कर लिए थे और वो ही ढीली सी मैक्सी डाली हुई थी मैं अन्दर आया उसको खाना दिया और कहा जरा मेरा बैग देना मैं भी कपडे चेंज कर लेता हूँ ,

रति- “ पूरा बैग गीला हो गया था मैंने अपने कपडे चेंज किये तो तुम्हरे बैग स भी कपडे निकाल कर बाथरूम में पटक दिए सुबह ही सूख पायेंगे वो तो ”

मैं- तो अब क्या करू मैं ऐसे गीला तो नहीं रह सकता ना 

वो मुझे तौलिया देते हुए बोली- पहले इन कपड़ो को निकाल आओ वर्ना तुम्हे ठण्ड लग जाएगी रात तो तौलिये में ही रह लेना सुबह धुप आते ही कपडे सूख जाने है 
Reply


Messages In This Thread
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:32 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,394 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,228,048 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 928,802 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,648,535 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,076,118 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,943,248 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,031,272 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,022,299 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,998 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Incest Kahani पापा की दुलारी जवान बेटियाँ sexstories 231 6,331,138 10-14-2023, 03:46 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 37 Guest(s)