RE: XXX Chudai Kahani माया ने लगाया चस्का
पर मेरे मन को एक गजब की शांति मिल गयी. मेंरी चीखे अब शांत हो गयी…. यारो आज में सेक्स करते हूँ ए दो बार जड़ा था… एक शांति का एह्स्स्सास. कमरे में भी शांति हो गयी और बाथरूम में नल से पानी की आवाज़ आ रही थी. वो अपने आप को सायद साफ कर रही थी. बिखरे हूँ ए बिस्तर पे में एक घायल सैनिक की तरह पड़ा था. मानो आज मेरा रेप हूँ आ था.
में शांति से बिस्तर पर पड़ा था और माया बाथरम में मुह साफ़ कर रही थी के तभी मेन दरवाजे पे जोर से दस्तक हूँ ई. मेरी तो गांड फट गयी, मे जट उठा और अपने कपडे ढूंढ़ने लगा और माया को दबी आवाज़ में कहा.
में: माया मर गए कोई आ गया लगता है, देखो कोई दरवाजे पर दस्तक दे रहा है…. माया जल्दी से नेपकिन से अपना चेहरा साफ़ करती हूँ ई बहार निकली, वो भी डरी हूँ ई थी की आखिर कोन आ गया!!! वो मुझे बाथरूम में छुपाकर डर के माँरे कापते हूँ ए दरवाजे पे गयी. दरवाजा खोला तो उसकी सहैली सरोज थी जो बिलकुल हमारे मकान से सटे मकान में रहती है. माया को दरवाजे से हटाते हूँ ए वो जबरन अन्दर घुस आई और उसने माया को नजदीक बुलाकर कहा
सरोज: (दबी आवाज में) माया मेरे कमरे से सटी तुमारी खिड़की से मुझे अजीब-अजीब सी आवाजे सुनाई दी तो में भाग कर तुजे बताने आई हूँ की तुमारे कमरे की आवाज़ बहार तक आ रही है कोई सुन लेगा. उसने आंख मरते हूँ ए कहा..
सरोज: क्यों क्या हो रहा है मायादेवी????!! मैंने ऐसी तड़पनेवाली कसकती आवाज़ इतने साल में तुमारे कमरे से कभी नहीं सुनी. क्या है मेरी जान???? माया हडबडाते हूँ ए…
माया: न न नही ऐसा तो कुछ भी नहीं…. घर में कोई है ही नहीं तो आवाज़ कैसी..???!!! त त तू जा…..ऐसा कुछभी नहीं है. सरोज ने मेन दरवाजा बन्ध किया और जबरन माया के कमरे की और आ गयी. वो उसकी बहूँ त अच्छी सहैली थी. वो दोनों अक्सर छत पे दोनों मकान के बिच की दिवार के पास खड़ी रहकर घंटो तक फुसफुसाती रहती..दोनो बहूँ त ही अच्छी सहैलिया थी.
सरोज: ओह्ह्ह्ह तो मायादेवी कोई नहीं है तो फिर आप सजधज के क्या कर रही थी??? खिलाडियो से खेल??? अगर कुछ नहीं ने तो तेरा रंग क्यों उतरा हूँ आ है. और ये तेरे गाल पे क्या चिपका है??? उसने उसके गालपे चिपके मेरे वीर्य को अपनी ऊँगली पे लिया और उसे सूंघने लगी… और वो कमरे की अन्दर की और बढ़ने लगी. माया ने उसका हाथ पकड़ा और चिढ़ते हूँ ए……
माया: सरू प्लीज कुछ नहीं है तू बेकार में मुजपे शक कर रही हो, और मेरे गालो पे दूध की मलाई चिपकी थी जो अभी दूध पीते हूँ ए लगी होगी, में साबुन से मुह धो रही थी तो साबुन आँखों में जाने से मेरी आवाजे आ रही होगी मेरी माँ!!!!
सरोज: अच्छा तुजे पता है ना में बड़ी चुदक्कड हूँ , मेने कहीयो के पानी छुड़ा दिए है!! समजी… मुझे उल्लू न बना. बता अन्दर कौन है, बताती है या में अन्दर जा के उसकी पिटाई कर के पुरे मोहल्ला जमा करदू. अभी तो केवल शाम के ७.३० बजे है महारानी.
में अन्दर से सब सुन रहा था और मेरी तो गांड फट रही थी और मेरा दिल डर के मरे जोर-जोर से फड़क रहा था. वो लगभग हमारे कमरे में आ चुकी थी. वो कमरे की हालत देखकर बोल उठी..
सरोज: साली जूठी ये कैसी बू आ रही है और यह तेरे बिस्तर की हालत देख कोई भी कह सकता है की यहाँ तू अकेली नहीं…, बोल कोन था तेरे साथ…???? बोलदे वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा.
माया: ओह सरू कोई भी तो नहीं… तू यार खामखा मुजपे शक कर रही है.. अगर कोई होता तो पगली में तुजे न बतानी, तुजसे मेरी कोई बात छिपी है क्या??..
|