Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:39 PM,
#10
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
खेतों में घूमते हुए जब मैं उसे अपनी योजनाओं के बारे में बता रहा था तो वो जैसे उमंग में बार बार मुझे आलिंगंबध कर लेती. लेकिन झुंड में गायों की गिनती बहुत कम देखकर वो थोड़ा उदास हो गयी मगर जब उसने नया मोटा टगडा बैल देखा, बैलगाड़ी देखी, हल और दूसरे औज़ार जो मैने जमा किए थे तो उसका चेहरा चमक उठा. फिर मैं उसे शेड में लेकर गया जहाँ मैने लंबी झाड़ियों को लकड़ियों पर बाँध तीन वनावटी दीवारें तैयार की थी और चौथी पक्की दीवार थी जिससे वहाँ एक मध्यम आकार का कमरा बन गया था और उस कमरे के अंदर सौ से ज़्यादा मुर्गियों के चूजे पल रहे थे, 


वो मेरा छोटा सा पोल्ट्री फार्म था मगर उसने माँ के होंटो की मुस्कान को बहुत बढ़ा दिया था. जब उसने शेड का कमरा देखा जिसे मैने अपने घर के कमरे जैसा सॉफ, हवादार रहने लायक बना दिया था, तो उसने मुझे फिर से ज़ोर से चूमा. कमरे के अंदर मैने उसका फोल्डिंग वाला बेड एक कोने में रखा था जिससे वो जब पहले वहाँ आया करती थी, तो इस्तेमाल करती थी. उस बेड की मैने अच्छे से सफाई और मरम्मत कर दी थी और अब चाहे वो उसका इस्तेमाल कर सकती थी. मैने शेड के उस कोने मे उस कमरे और उसके आस पास का थोड़ा हिस्सा बिल्कुल रहने लायक बना दिया था और कमरे मैं ज़रूरत की कुछ चीज़ें जैसे खाना पकाने और खाना खाने के बर्तन, एक छोटा सा लकड़ी का चूल्हा और एक चादर और एक कंबल रखा था. अगर कभी बारिश ज़्यादा तेज़ हो या मुझे ज़्यादा समय तक काम करना हो या फिर झुंड पर नज़र रखनी हो तो मैं उस कमरे का इस्तेमाल रुकने के लिए कर सकता था. 


माँ ने बेड कमरे से बाहर निकाला और खुली छेद के बीचोबीच खोल कर रख दिया. उसने मुझे पास बुलाया और अपने साथ बैठने के लिए कहा और जब मैं उसके साथ बैठा तो उसने अपनी एक बाँह मेरी कमर पर लपेटी और मेरे कंधे पर सर रखकर मुझसे सट कर बैठ गयी और खेतों में दूर तक देखने लगी, उसका चेहरा खुशी और उत्तेजना से चमक रहा था. जब मैने उसके चेहरे की प्रसन्नता देखी, उसकी आँखो मे आश्चर्य और उम्मीदों के सपने देखे और जब मेरा ध्यान इस ओर गया कि कैसे वो मुझे कस कर ज़ोर से आलिंगंबध किए थी तो अचानक मुझे ख़याल आया. मुझे एहसास हुआ कि मेरी माँ महसूस कर रही थी कि उसका बेटा अब बड़ा हो गया है और मरद बन गया है. मुझे ये भी एहसास हुआ कि मेरी ज़िंदगी में एक नही बल्कि दो दो औरतें थी



मेरी माँ का वो उत्साह वो खुशी पूरे दिन बनी रही, जब उसने जानवरों को इकट्ठा कर उनके बाडे में पहुँचाने मे मेरी मदद की, जब उसने बाकी का पूरा दिन मेरे साथ खेतों में काम किया, और तब भी जब शाम को हम ने सभी काम निपटाकर सभी औज़ार वापस शेड में रखकर खेतों से चल पड़े. वो तब भी उतनी ही खुश थी जब हम घर पहुँचे. मेरी बेहन माँ को मेरे साथ घर लौटते देख अचंभित हो जाती है. माँ आज बहुत चंचलता दिखा रही थी. बेहन और मैं तब और भी असचर्यचकित रह जाते हैं जब मेरी माँ शोभा के घर जाने की बजाए हमारे साथ समय बिताती है. वो चहकते हुए मेरी बेहन को बताती है कि कैसे मैने ज़मीन में फसल उगाने का चमत्कार कर दिखाया था और उसको मुझ पर कितना गर्व है. 

हम ने बड़े उतावलेपन से उसके सोने का इंतज़ार किया, और उसके सोते ही मैं अपनी बेहन पर चढ़ गया. आज मैं अपने अंदर एक अलग ही जोश और उत्तेजना महसूस कर रहा था. बहन मुझे इतने आवेश में देखकर दंग रह जाती है. मैं उसको बस इतना कहता हूँ कि माँ को इतने अरसे बाद इतना खुश और जोश मैं देखकर मुझे भी थोड़ा जोश आ गया है और मैं अपने अंदर आज नयी ऊर्जा महसूस कर रहा हूँ. वो मेरी तारीफ करती है और सुबह मुझे मज़ाक करते हुए बोलती है कि रात को उसे जो इतना मज़ा आया था वो उसके लिए माँ को शुक्रिया बोलेगी. वो माँ को लगभग एक दशक की अंतहीन उदासी के बाद इतनी जिन्दादिल देख कर बहुत खुश थी. 

मेरे जोश की, आवेश की कुछ और वजह थी. जब मैने अपनी बेहन को चूमा था तब भी मेरे होंठो पर माँ के चुंबनो का भाव था. मेरी माँ को शायद उत्साह में एहसास नही हुआ था मगर वो बार बार मेरे होंठो पर चूम रही थी. खुशी में, जोश में चीखते, चिल्लाते हुए जब वो अपना उत्साह प्रकट करती तो चुंबन के समय उसका मुख कई बार थोड़ा सा खुल जाता जितना उस सूखे चुंबन को गीला कर देने के लिए काफ़ी होता. मैने ना सिरफ़ उसका मुख रस चखा बल्कि अपने बाजुओं और छाती पर उसके मम्मों को भी महसूस किया था. अब तक मेरी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक औरत आई थी जो मेरी बेहन थी, मैं नही जानता था कि अगर किसी और औरत से मेरा जिस्मानी संपर्क बनेगा तो उसका मुझ पर क्या असर पड़ेगा. अब तक मैं अपनी माँ के उस अर्ध अंतरंग संपर्क में आया था और इसका प्रभाव बहुत उत्तेजित और कामनीय था. 

माँ के चुंबनो और आलिंगनो ने मुझे उत्तेजित कर दिया था और मेने वो उत्तेजना बेहन की ज़ोरदार चुदाई कर निकली थी. मेरी माँ ने जाने अंजाने, मेरे और मेरी बेहन के बीच उस ज़ोरदार आवेशित चुदाई में अपना योगदान दिया था. मुझे वो बहुत अच्छा लगा था, चित्ताकर्षक लगा था और मुझे यह एहसास भी हुआ कि मैं इसे अपनी बेहन के साथ नही बाँट सकता था. बेहन के उस रात सो जाने के बाद मैं काफ़ी देर तक जागता रहा. मेरा ध्यान बार बार माँ के आलिंगनो और चुंबनों की ओर चला जाता इसके बावजूद कि मैने बड़ी तसल्ली से बेहन को चोदा था और मेरा स्खलन बहुत संतुष्टि प्रदान करने वाला था. जिस तरह माँ के साथ ने मुझे उत्तेजित कर दिया था और उसके उस प्रभाव ने बेहन के प्रति मेरा प्यार मेरी उत्तेजना बढ़ा दी थी वो मुझे बड़ा अजीब लगा. 


बरबस मेरा ध्यान दोनो के जिस्मो में अंतर पर गया. मेरी माँ का जिस्म बेहन के मुक़ाबले ज़यादा ताकतवर और ज़्यादा बड़ा था. उसके मम्मे ज़्यादा बड़े और कोमल थे, उसके चूतड़ ज़्यादा विशाल थे और बेहन के मुक़ाबले उसकी कमर थोड़ी सी बड़ी थी. हर अनुपात से हर नज़रिए से मेरी बेहन माँ के मुक़ाबले ज़्यादा खूबसूरत थी. और यही वजह थी दोनो के प्रति मेरी भावनाओं में अंतर की. कुछ समानताएँ मौजूद थी मगर आसमानताएँ बहुत बड़ी थी. यह बात नही थी कि मैं अपनी माँ को बेहन से ज़्यादा चाहता था या चाहता भी था या नही. मेरे दिल में उसके साथ वास्तव में संभोग का कोई विचार नही था. यह तो बस उसके मम्मों के स्पर्श का एहसास था जिसने मेरे पूरे जिस्म में गर्माहट भर दी थी और वो गर्माहट पूरे जिस्म से होते हुए मेरे लंड में पहुँच गयी थी जिसने मेरे रोम रोम में उत्तेजना का संचार कर दिया था. 


हालाँकि वो माँ के चुंबन और आलिंगन थे जिन्होनो मुझे उत्तेजित कर दिया था मगर मैं अपनी माँ के लिए उत्तेजित नही था. मैं अभी भी सिर्फ़ और सिर्फ़ बेहन को ही प्यार करना चाहता था. यहाँ एक पल के लिए मेरे दिमाग़ में एक विचार कोंधा था. मैं अपनी माँ के उत्साह के बारे में सोच कर अचंभित था. वो इतने जोश में थी, इतनी उत्तेजित थी, खुशी के मारे उछल रही थी मैं यह सोचकर थोड़ा अचंभित था कि अगर वो दूसरी तरह से उत्तेजित होगी तो क्या करेगी. अगर वो कामवासना में इतनी ही उत्तेजित होगी तो क्या ऐसे ही जोशो खरोष में चिल्लाएगी, क्या वो ऐसे ही खुशी से मदहोशी में उछलेगी? जैसे ही वो विचार मेरे मस्तिष्क में कोंधा मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेहन पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब मेरी औरत थी. मैने महसूस किया जैसे उसके प्रति अपनी वफ़ा और अपनी ईमानदारी के लिए मुझे उसको आस्वश्त करना चाहिए था.



मेरी बेहन सच में बहुत असचर्यचकित हुई जब मैने उसे जगाया और दोबारा पूरे जोश से उसे चोदने लगा. उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था ना कि जितना उसके मज़े के लिए जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था
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